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जॉन लॉक (JOHN LOCKE)- 1632 से 1704 ई. / By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

जीवन परिचय-

  • जन्म-  

  • 29 अगस्त 1632 ई. 

  • इंग्लैंड के समरसेट के्रिंगटन नामक स्थान

  • प्यूरिटन संप्रदाय के एक मध्यम वर्गीय परिवार में  


  • लॉक के पिता एक काउण्टी के जस्टिस ऑफ द पीस कार्यालय में एक क्लर्क थे|

  • लॉक जब 10 वर्ष का था, तब इंग्लैंड में गृह युद्ध छिड़ गया था| लॉक का जीवन तूफानों, संघर्षों में बीता था, लेकिन इसके दर्शन पर तूफानी प्रभाव नजर नहीं आता है|

  • प्रारंभिक शिक्षा इनकी घर पर हुई| ऑक्सफोर्ड से इन्होंने B.A तथा M.A की परीक्षाएं उत्तीर्ण की|

  • कुछ समय लॉक ऑक्सफोर्ड में प्राध्यापक भी रहे थे| लॉक की विज्ञान तथा चिकित्साशास्त्र में विशेष रूचि थी|

  • 1660 के बाद ऑक्सफोर्ड के प्रसिद्ध चिकित्सक डेविड टॉमस से चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन प्रारंभ किया और शीघ्र ही लॉक एक कुशल डॉक्टर बन गया|

  • 1666 में लॉक की मुलाकात व्हिग्स दल के संस्थापक लॉर्ड एश्ली से हुई, जो बाद में अर्ल ऑफ़ शेफ्टसबरी के नाम से जाने गए| 1667 में जॉन लॉक ने लॉर्ड एश्ली के निजी डॉक्टर तथा निजी सचिव के रूप में कार्य प्रारंभ किया|

  • लॉर्ड एश्ली (अर्ल ऑफ़ शेफ्टसबरी) संसद की ओर से राजा के विरुद्ध लड़ने वाली सेनाओं के फील्ड मार्शल, संसद के अधिकारों के समर्थक और उदारवाद के समर्थक थे| 

  • 1683 में जॉन लॉक राईहाउस षड्यंत्र से बचने के लिए होलेंड चले गए तथा 1685 में मोन माउथ विद्रोह में सक्रियता से हिस्सा लिया|


राई हाउस षड्यंत्र- यह षड्यंत्र1683 में ब्रिटेन के सम्राट चार्ल्स द्वितीय को मारने के लिए रचा गया था, लेकिन वह बच गया|

मोनमाउथ विद्रोह- 1685 ईस्वी में यह विद्रोह मोनमाउथ नाम के राजवंश के उत्तराधिकारी के नेतृत्व में उन लोगों ने किया, जो जेम्स दितीय को ब्रिटिश सम्राट के पद से हटाना चाहते थे|

इन दोनों घटनाओं में षड्यंत्रकारियो के समर्थक के रूप में लॉक का नाम आया था|


  • 1688 की इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति का लॉक ने समर्थन किया, इसी कारण इसे ‘क्रांति का दार्शनिक’ कहा जाता है|

  • जॉन लॉक व्हिग्स थे| 


                                        इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति 1688

यह क्रांति निम्न दो पक्षों के मध्य हुई –

  1. व्हिग्स- एक तरफ व्हिग्स (whigs) थे, जो संसद, लोकतंत्र व जन अधिकारों के समर्थक थे|

  2. टोरीस- दूसरी तरफ टोरीस (Tories) थे, जो राजतंत्र के समर्थक थे|


  • इस क्रांति के फलस्वरुप ब्रिटिश सम्राट जेम्स द्वितीय ने राज सिंहासन त्याग दिया| तथा उसकी जगह उसकी बेटी मेरी व मेरी के पति विलियम ऑफ ऑरेंज को राजगद्दी पर बिठाया गया| 1689 में मेरी व विलियम ने Bill of Rights (नागरिक अधिकार पत्र) पर हस्ताक्षर कर जन अधिकारों को मान्यता दे दी|

  • यह क्रांति बिना रक्तपात के शांतिपूर्वक हुई थी, इसलिए इसको रक्तहीन क्रांति भी कहते हैं|

  • इस क्रांति के बाद ब्रिटेन में पूर्ण राजतंत्र की जगह संवैधानिक राजतंत्र व सीमित सरकार की स्थापना हो गई|


  • विलियम ऑफ़ ऑरेंज के शासनकाल में जॉन लॉक को कमिश्नर ऑफ अपील का पद प्रदान किया गया| 

  • 72 वर्ष की आयु में 1704 ई.में लॉक की मृत्यु हो गई|

  • लॉक को ‘उदारवाद का पिता’ कहा जाता है| 

  • वेपर “लॉक का एक महान परंपरा उदारवाद का पहला प्रवक्ता तथा महान परंपरा मध्यकाल का अंतिम प्रवक्ता है|”

  • लॉक को सामान्य बुद्धि (COMMON SENSE) का दार्शनिक माना जाता है|

  • वाल्टेयर “शायद इससे अधिक संत समान, अधिक व्यवस्थित, असाधारण व्यक्ति, अधिक सटीक, तर्कवादी नहीं था, जितना कि लॉक|



लॉक की रचनाएं-

  • लॉक ने राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, शिक्षा, दर्शन, विज्ञान आदि विषयों पर 30 से अधिक ग्रंथ लिखे हैं|

  1. Essay on the law of nature 1676

  2. First letter on toleration 1689 (सहिष्णुता पर पहला पत्र)

  3. Two Treatises on government 1690 (शासन पर दो निबंध)

  4. An Essay Concerning Human Understanding 1690 ( मानव बोध से संबंधित ग्रंथ)-

  • इस ग्रंथ में मानवीय ज्ञान के आधार पर अनुभववाद का वर्णन किया|

  • इस रचना पर ऑक्सफोर्ड और उसके अधीनस्थ कॉलेजो में प्रतिबंध लगा दिया गया था|

  1. Second letter on Toleration 1690 (सहिष्णुता पर दूसरा पत्र)

  2. Third letter on Toleration 1692 (सहिष्णुता पर तीसरा पत्र) 

  3. Fourth letter on Toleration 1692 (सहिष्णुता पर चौथा पत्र)

  4. The Fundamentals of Constitution of Caroline 1692 (कैरोलाइन संविधान के मूल तत्व)

  5. Some Thoughts Concerning Education 1693 (शिक्षा से संबंधित कतिपय विचार)

  6. On The Reasonableness of Christianity 1695 (ईसाइयत की तर्कसंगता)



Two Treatises on Government 1690-

  • यह लॉक का सबसे प्रमुख ग्रंथ है|

  • इसमें सामाजिक समझौते का वर्णन है|

  • इस पुस्तक में गौरवपूर्ण क्रांति को न्यायसंगत ठहराया गया है| 

  • इस पुस्तक के प्रथम खंड में फिल्मर की पुस्तक पेट्रिआर्की (Patriarchy) में वर्णित राजा के दैवीय अधिकारों का खंडन किया गया है|

  • द्वितीय खंड में हॉब्स के लेवियाथन की निरंकुश प्रभुसत्ता का विरोध किया है तथा सरकार की उत्पत्ति, स्वभाव और कार्य क्षेत्र का वर्णन किया है| 

  • लॉक पहले खंड में फिल्मर की आलोचना करता है तथा दूसरे खंड में हॉब्स की, इसी वजह से प्रो.वाहन  कहता है कि “लॉक की ‘ट्रीटाइज’ एक दो नाली की बंदूक है, जिसमें एक फिल्मर पर तथा दूसरी हॉब्स पर तनी हुई है|”

  • जबकि लॉसलेट का मानना है कि “लॉक का मुख्य विरोधी फिल्मर है, न कि हॉब्स|

  • जहां अधिकांश विचारको का मानना है कि यह पुस्तक गौरवपूर्ण क्रांति की समर्थक है, वहां लॉसलेट का मानना है कि यह पुस्तक क्रांति का भाग नहीं है, इसका तार्किक बचाव भी नहीं है|” 

  • लॉसलेट ने यह सिद्ध किया कि इस पुस्तक की रचना प्रकाशित होने के 10 वर्ष पूर्व ही कर ली गई थी| 

  • टू ट्रीटाइज को गौरवपूर्ण क्रांति के समर्थन में लिखी गई पुस्तक मानने वाले विचारक- क्रांस्टन, लॉस्की, प्लेमेंनात्ज, बर्टेंड रसैल, सेबाइन, स्टीफन, टॉनी

  • इस पुस्तक का सही नाम- An Essay Concerning the True Original, Extent and End of Civil Government 

  • क्रांस्टन “टू ट्रीटाइज दार्शनिक पुस्तक नहीं है, बल्कि एक पार्टी (व्हिग्स) पुस्तक है, जो व्हिग्स और अर्ल ऑफ़ शेफ्टसबरी की राजनीति का प्रचार करने के लिए है|”



लॉक के चिंतन पर प्रभाव-

  1. 1688 की गौरवपूर्ण क्रांति का प्रभाव

  2. हुकर के दर्शन का प्रभाव- हुकर का कहना था कि सरकार सामाजिक हित की प्रतिनिधि है, इसलिए सरकार समुदाय के प्रति उत्तरदायी है| इसका प्रभाव लॉक पर पड़ा है| रिचर्ड हुकर की पुस्तक- The Law of Ecclesiastical

  3. हॉब्स के व्यक्तिवादी विचारों का प्रभाव|



 लॉक की अध्ययन पद्धति-

  • लॉक की अध्ययन पद्धति अनुभववादी एवं विवेकवादी है| लॉक की मान्यता है कि अनुभव ज्ञान का स्रोत है|

  • लॉक के अनुसार मनुष्य के मस्तिष्क में जन्मजात कोई विचार नहीं होता है, जन्म के समय मनुष्य का मस्तिष्क एक कोरे कागज की तरह होता है, जो भी विचार मनुष्य के मस्तिष्क में उठते हैं वह अनुभव द्वारा ही उत्पन्न होते हैं|

  • अपने इसी विचार के प्रतिपादन के कारण लॉक को अनुभववाद का प्रतिपादक भी कहा जाता है| 

  • जॉन लॉक के अनुसार मनुष्य एक असक्षम प्राणी है, जो इस अनंत, असीम ब्रह्मांड की सभी बातें नहीं जान सकता, अतः मनुष्य का ज्ञान उसके अज्ञान की तुलना में छोटा है|

  • लॉक के अनुसार “ज्ञान की उत्पत्ति का एकमात्र स्रोत अनुभव है, ज्ञान विवेकमुलक होता है, मनुष्य के ज्ञान का क्षेत्र उसके अज्ञान के क्षेत्र से बहुत छोटा है|”



मानव स्वभाव संबंधी लॉक के विचार- 

  • लॉक के मानव संबंधी विचार हॉब्स के एकदम विपरीत हैं| लॉक ने मानव स्वभाव का सकारात्मक चित्रण किया है| 

  • लॉक ने मनुष्य को सामाजिक, नैतिक, बुद्धिमान, विचारशील, परोपकारी, शांतिप्रिय, प्रेम व दया का पोषक प्राणी बताया है|

  • सभी मनुष्य नैतिक दृष्टि से परस्पर समान है, और उन्हें समान अधिकार प्राप्त है|

  • लॉक का मनुष्य नैतिक व्यवस्था को स्वीकार करने वाला तथा उनके अनुसार आचरण करने वाला प्राणी है|

  • लॉक के अनुसार सभी मानवीय क्रियाओं का स्रोत इच्छा है| इच्छा-पूर्ति के लिए मनुष्य कार्य करता है, इच्छा पूरी होने पर सुख तथा इच्छा पूरी न होने पर मनुष्य दुख का अनुभव करता है| मनुष्य सुख प्राप्त करना चाहता है|

  • लॉक ने मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिए गए विवेक अथवा बुद्धि को दैविक प्रकृति स्पूलिंग कहा है|

  • जहां हॉब्स का मनुष्य कोरा जंगली पशु है, वही लॉक का मनुष्य एक नैतिक प्राणी है| हॉब्स का मनुष्य घोर स्वार्थी है, जबकि लॉक का मनुष्य परोपकारी भी है| हॉब्स का मनुष्य झगड़ालू है, जबकि लॉक का मनुष्य शांतिप्रिय है|



प्राकृतिक अवस्था-

  • प्राकृतिक अवस्था के संबंध में भी लॉक के विचार हॉब्स के विपरीत हैं|

  • लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था शांति, स्नेह, सहयोग, सद्भावना, शिष्टाचार व रक्षा की अवस्था थी|

  • इस अवस्था में व्यक्ति समान, स्वतंत्र तथा अपनी-अपनी संपत्ति के मालिक थे|

  • प्राकृतिक अवस्था में सभी मनुष्य समान थे|

  • सभी मनुष्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र थे, और अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करते थे| 

  • लॉक “कोई भी स्वभाव से किसी और के अधीन नहीं है| सभी मानव सामान पैदा होते हैं| प्रत्येक स्वयं का संप्रभु शासक है|” 

  • लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यवस्था भी विद्यमान है और यह विवेक द्वारा स्थापित व्यवस्था थी|

  • प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का समष्टिगत सामाजिक जीवन के रूप में एक समाज है|


  • डेनिंग के अनुसार “यह पूर्व सामाजिक अवस्था होने की अपेक्षा, केवल पूर्व राजनीतिक अवस्था है|”

  • Note- लॉक की प्राकृतिक अवस्था केवल पूर्व राजनीतिक है, पूर्व सामाजिक नहीं है, जबकि हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था पूर्व राजनीतिक व पूर्व सामाजिक दोनों है| 



प्राकृतिक नियम-

  • प्राकृतिक नियम के संबंध में हॉब्स तथा लॉक के विचार में काफी भिन्नता है|

  • वैसे लॉक व हॉब्स दोनों प्राकृतिक नियमों को मानव विवेक की उपज मानते हैं| लेकिन जहां हॉब्स प्राकृतिक नियमों की उत्पत्ति जीवन के असुरक्षित होने पर बताता है, वही लॉक प्राकृतिक अवस्था में शुरुआत से ही प्राकृतिक नियम बताता है|

  • लॉक की प्राकृतिक अवस्था शांतिपूर्ण थी, जो प्राकृतिक नियमों के अनुसार चलती थी| इस अवस्था में प्रत्येक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ वैसा ही व्यवहार करता था जैसा कि वह अपने साथ चाहता था|

  • प्राकृतिक नियम के अनुसार सब लोग समान और स्वतंत्र हैं, इसलिए किसी को भी दूसरे के जीवन, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता एवं संपत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए| प्राकृतिक नियम शांति और संपूर्ण मानवता की सुरक्षा चाहता है|

  • लॉक ने प्राकृतिक नियमों की नैतिक एवं तर्कमूलक व्याख्या की है|


Note- लॉक के अनुसार विवेक का ही दूसरा नाम प्राकृतिक नियम है|



प्राकृतिक अधिकार-

  • प्राकृतिक अवस्था में प्राप्त अधिकारों को लॉक प्राकृतिक अधिकार कहता है| ये अधिकार सभी व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त थे|

  • लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति को तीन प्राकृतिक अधिकार प्राप्त है-

  1. जीवन का अधिकार

  2. स्वतंत्रता का अधिकार

  3. संपत्ति का अधिकार                 


  • प्राकृतिक अधिकार असीमित या अनियंत्रित नहीं थे, इन पर प्राकृतिक नियमों का बंधन था|’

  • लॉक प्राकृतिक अधिकार के रूप में स्वतंत्रता को सार्वभौमिक अधिकार मानते हैं|

  • लॉक ने संपत्ति के अधिकार को सबसे महत्वपूर्ण अधिकार माना है| लॉक का कथन है कि “संपत्ति की सुरक्षा का विचार ही मनुष्यों को यह प्रेरणा देता है कि वह सामाजिक समझौता करें तथा प्राकृतिक अवस्था का त्याग करके नागरिक समाज की स्थापना करें|”



लॉक का सामाजिक समझौता-

  • हॉब्स की तरह लॉक भी राज्य की उत्पत्ति को सामाजिक समझौते द्वारा बताता है| लेकिन हॉब्स ने प्राकृतिक अवस्था के भयपूर्ण माहौल को समझौते का कारण बताया है., वही लॉक ने प्राकृतिक अवस्था की असुविधा को समझौते का कारण बताया है|


  • प्राकृतिक अवस्था की असुविधाएं- लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में तीन असुविधाएं थी-

  1. प्राकृतिक नियम की स्पष्ट परिभाषा नहीं थी|

  2. प्राकृतिक नियमों की व्याख्या करने वाला कोई अधिकारी नहीं था|

  3. प्राकृतिक नियमों को लागू करने वाला कोई भी नहीं था|


  • इसलिए प्राकृतिक असुविधाओं से राहत पाने के लिए मनुष्य ने न्यूनतम प्रतिरोध का मार्ग अपनाते हुए समझौते के द्वारा राज्य का निर्माण किया|


  • समझौते का स्वरूप

लॉक के अनुसार व्यक्तियों ने दो समझौते किए-

  1. प्रथम समझौता

  • लॉक की प्राकृतिक अवस्था में समाज था| प्रथम समझौते से मनुष्यो ने प्राकृतिक अवस्था को समाप्त करके राज्य या नागरिक समाज की स्थापना की| राज्य को लॉक नागरिक या (Civil Society) कहता है| 

  • यह समझौता समाज के सभी व्यक्तियों का सभी व्यक्तियों के साथ किया गया|

  • इस समझौते का स्वरूप सामाजिक था| इसलिए समझौते के द्वारा कुछ अधिकार व्यक्तियों ने नागरिक समाज को सौंप दिए|


  1. द्वितीय समझौता- 

  • यह समझौता लोग सामूहिक रूप से राज्य या नागरिक समाज के साथ करते हैं| 

  • यह शासन-विषयक समझौता था| 

  • इस समझौते में मूल समझौते में स्वीकार की गई शर्तों को लागू करने के लिए सरकार की स्थापना की जाती है| सरकार की स्थापना एक ट्रस्ट के रूप में होती है| 

  • इस प्रकार लॉक राज्य व सरकार में भेद करता है| 


  • समझौते द्वारा सरकार की स्थापना हो जाने के बाद भी सरकार पर नागरिक समाज निगरानी रखता है| लॉक के शब्दों में “समुदाय ऐसा ग्रहस्वामी है जो घर की रखवाली के लिए पहरेदार रखता है, फिर स्वयं जाग-जागकर यह देखता रहता है कि कहीं वह पहरेदार सो तो नहीं गया है|”


Note- सेबाइन व वाहन दोहरा समझौता बताते हैं|


Note- कुछ लेखक लॉक के संविदा को दोहरा नहीं मानते हैं| प्रो. बार्कर के अनुसार “मानव इतिहास में एक ही सामाजिक अनुबंध हुआ, राजनीतिक स्वरूप उसका उपांग था|”


  • लॉक के अनुसार सामाजिक समझौते के तीन चरण होंगे-

  1. प्रथम चरण- नागरिक समाज या समुदाय की स्थापना की जाएगी

  2. द्वितीय चरण- सरकार व सरकारी संस्थाओं की स्थापना की जाएगी

  3. तृतीय चरण- कर लगाने वाले प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी (यह प्राधिकरण इसलिए आवश्यक है क्योंकि उन लोगों की सहमति के बिना संपत्ति को जब्त या पुनर्वितरित नहीं कर सकती है जिनकी यह संपत्ति है)


समझौते की विशेषताएं-

  1. लॉक का समझौता सर्वसहमति (सर्व सहमति का सिद्धांत) से संपन्न हुआ, यह जन इच्छा पर आधारित था| कोई भी व्यक्ति इस नवीन समाज में सहमति के बिना प्रविष्ट नहीं हो सकता है|

  2. लॉक के समझौते का दोहरा स्वरूप था|

  3. समझौते के बाद भी जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार ये तीनों प्राकृतिक अधिकार व्यक्ति के पास सुरक्षित रहते हैं|

  4. व्यक्ति केवल प्राकृतिक कानून की व्याख्या करने, उसे क्रियान्वित करने और भंग करने वाले को दंड देने का अधिकार ही राज्य को सोपंता है|

  5. समझौते से व्यक्ति स्वतंत्रता पर वही बंधन स्वीकार किया जा सकता है, जो उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक हो|

  6. व्यक्ति ने समझौते के द्वारा अपने अधिकार संपूर्ण समुदाय (नागरिक समाज) को सोपें हैं, ना कि व्यक्ति विशेष को|

  7. समझौते से उत्पन्न नागरिक समाज असीमित अधिकार संपन्न, सर्व शक्तिशाली, निरकुंश हॉब्स के लेवियाथन जैसा नहीं था| इस पर व्यक्ति के अदेय अधिकारों तथा प्राकृतिक नियमों का बंधन था|

  8. समझौते को प्रत्येक पीढ़ी द्वारा पुनः स्वीकृत किया जाना आवश्यक था|

  9. लॉक का समझौता स्थायी था, जो समाप्त नहीं हो सकता था|

  10. यह बहुमत के शासन पर आधारित था| 

  11. अगर सरकार समझौते के अनुसार कार्य नहीं करती है, तो उसके विरुद्ध क्रांति करके बदला जा सकता है|

  12. जॉन लॉक के अनुसार समझौता भंग या क्रांति से वापस प्राकृतिक अवस्था नहीं आएगी, बल्कि सरकार बदलेगी| 

  13. इस समझौते से केवल प्राकृतिक अवस्था का अंत होता है, प्राकृतिक कानून का अंत नहीं होता है|

  14. राजनीतिक समाज में प्रवेश लेते समय प्राकृतिक मनुष्य ने अपना कार्यकारी और निर्णय लेने का अधिकार खो दिया था|  

  15. इस अनुबंध की मुख्य विशेषता यह है कि प्रत्येक व्यक्ति बहुमत के निर्णय को स्वीकार करेगा और बहुमत के निर्णय को पूरे समाज का निर्णय मानेगा| 

  16. लॉक का सामाजिक समझौता दार्शनिक होने के साथ ऐतिहासिक भी है, जबकि हॉब्स का सामाजिक समझौता केवल दार्शनिक है, क्योंकि लॉक  कहता है कि “इस प्रकार का पूरा संसार आरंभ में अमेरिका था” तथा लॉक मेफ्लावर समझौते का उदाहरण देते हैं लेकिन इस तरह का कोई ऐतिहासिक उदाहरण हॉब्स नहीं देता है| 


मेफ्लावर समझौता 1620- यह समझौता मेफ्लावर जहाज पर ब्रिटेन सम्राट जेम्स प्रथम के धार्मिक अत्याचारों से बचने के लिए अमेरिका जा रहे प्यूरिटन्स ने किया था| इस दस्तावेज द्वारा संसार में प्रथम बार लिखित व संवैधानिक सरकार का ढांचा प्रकट हुआ, जो बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका बना|


Note- लॉक के अनुसार समाज तो प्राकृतिक है, जो प्राकृतिक अवस्था में था| लेकिन राज्य (नागरिक समाज) व सरकार कृत्रिम है| 


  • डनिंग “लॉक के सामाजिक संविदा संबंधी विचारों में ऐसी कोई बात नहीं है, जो उसके पूर्ववर्ती दार्शनिकों के द्वारा प्रतिपादित न की गई हो|”

  • डनिंग “लॉक द्वारा अनुमानित प्राकृतिक अवस्था राज्य से पूर्व की थी, समाज से पूर्व कि नहीं|”

  • वेपर “लॉक का सामाजिक समझौते का विचार, हॉब्स की अपेक्षा, रूसो के विचार से अधिक मिलता है| लॉक व रूसो दोनों का मानना है कि समझौते के बाद भी जनता के सर्वोच्च अधिकारों में कोई कमी नहीं आती है|”



लॉक के राज्य की विशेषताएं

  1. राज्य कृत्रिम संस्था है| राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य है|

  2. राज्य की उत्पत्ति का आधार जन सहमति है|

  3. सरकार, नागरिक समाज (राज्य) का कार्यकारी अंग है| सरकार पर व्यक्ति के अदेय अधिकारों का बंधन है अतः सीमित सरकार है|

  4. राज्य की शक्ति कानून द्वारा नियंत्रित है, अतः राज्य सीमित व मर्यादित है, निरकुंश नहीं है|

  5. लॉक वैधानिक राज्य की अवधारणा का प्रतिपादन करता है, जिसके अंतर्गत विधि के शासन को अपनाया गया है, मनमाने शासन को नहीं|

  6. लॉक का राज्य धार्मिक सहिष्णु राज्य है, जो धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है|

  7. लॉक का राज्य एक निषेधात्मक या अहस्तक्षेप राज्य है| राज्य केवल उन्हीं असुविधाओं को दूर करने की कोशिश करता है जो प्राकृतिक अवस्था में थी, इसके अलावा राज्य व्यक्ति के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करता है|

  • लॉक- “जहां कानून समाप्त होता है, वहां से अत्याचार प्रारंभ होता है|”



सरकार के कार्य और उनकी सीमाएं-

  • लॉक के अनुसार “मनुष्यों के राज्य में संगठित होने तथा अपने आपको सरकार के अधीन रखने का मुख्य उद्देश्य अपनी संपत्ति की रक्षा करना है|” यहां लॉक संपत्ति में भौतिक संपदा के अलावा जीवन, स्वास्थ्य एवं स्वतंत्रता को सम्मिलित करता है|


  • लॉक के अनुसार व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति की रक्षा के लिए सरकार के तीन कार्य हैं-

  1. व्यवस्थापिका संबंधी कार्य- इसमें न्याय एवं अन्याय तथा संपूर्ण विवादों के निर्णय के मापदंड निश्चित करने का कार्य अर्थात कानून या नियम बनाने का कार्य शामिल होता है|


  1. कार्यपालिका संबंधी कार्य- निम्न कार्य है-

  • समाज में नागरिकों के हितों की रक्षा करना, युद्ध की घोषणा करना, शांति स्थापित करना, अन्य राज्यों से संधि करना आदि|


  1. न्यायिक कार्य- स्थापित कानूनों के अनुसार व्यक्तियों के पारस्परिक झगड़ों पर निष्पक्ष निर्णय देना|


लॉक ने शक्ति पृथक्करण की बात की है-

  • लॉक ने राज्य की तीन शक्तियां बतायी है- 

  1. पहली शक्ति विधायिका

  2. दूसरी कार्यपालिका (लॉक कार्यकारिणी व न्यायपालिका में अंतर नहीं करता)

  3. तीसरी शक्ति फैडरेटिव या संघात्मक (यह शक्ति अंतरराष्ट्रीय संबंधों का संचालन करती थी)


  • लॉक ने व्यवस्थापिका और कार्यपालिका को पृथक मानते हुए कार्यपालिका को व्यवस्थापिका के अधीन बताया है|

  • लॉक न्यायपालिका को व्यवस्थापिका से प्रथक रखता है, जबकि कार्यपालिका व न्यायिक कार्यों को अलग मानते हुए भी एक अंग को सौंपने के पक्ष में है|

  • लॉक ने व्यवस्थापिका को सर्वोच्च माना है, लेकिन निरकुंश नहीं क्योंकि व्यवस्थापिका से ऊपर जनता है|

  • लॉक ने नागरिक समाज तथा सरकार के पारस्परिक संबंध बताने के लिए ट्रस्ट शब्द का प्रयोग किया है| जन-कल्याण के लिए स्थापित सरकार ट्रस्ट की अवहेलना करने पर पदच्युत की जा सकती है|

  • हरमन “लॉक की इस ट्रस्ट की धारणा के अनुसार सरकार को जनता के समान अधिकार प्राप्त नहीं है, सरकार के तो जनता के प्रति केवल कर्तव्य ही हैं|”

  • वाहन “संविदा के स्थान पर ट्रस्ट की धारणा को अपनाकर लॉक न केवल सरकार के ऊपर जनता के नियंत्रण की व्यवस्था करता है, बल्कि एक उससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात की प्रतिस्थापना करता है और वह है, अनुभव के अनुसार उस नियंत्रण का दिन प्रतिदिन प्रसारण|”


  • सरकार के रूप-

  • समझौते के माध्यम से शक्ति एक ऐसे बहुमत को दे दी जाती है, जो सबकी ओर से फैसले करेगा| 

  • बहुमत या समुदाय, सत्ता शक्ति का किस प्रकार प्रयोग करता है, इस आधार पर लॉक ने सरकार के तीन रूप बताए हैं-

  1. जनतंत्र- इसमें बहुमत, सत्ता शक्ति अपने पास रखता है, या किसी विधायी संस्था सौंप सकता है|

  2. कुलीनतंत्र- इसमें सत्ता शक्ति कुछ गिने-चुने लोगों को सौंप दी जाती है|

  3. संविधानिक राजतंत्र- इसमें सत्ता शक्ति एक व्यक्ति को सौंप दी जाती है| 


  • Note- लॉक की प्राथमिकता एक ऐसे प्रतिनिधि जनतंत्र के लिए है, जिसमें बहुमत ने अपनी विधायी शक्ति को एक निर्वाचित विधानमंडल को समर्पित कर दिया है| 


Note- लॉक संविधानिक राजतंत्र को सरकार का सर्वोत्तम रूप मानता है|



धर्म संबंधी लॉक के विचार-

  • लॉक ने अपने ग्रंथ ‘Letters On Toleration’ में धर्म संबंधी विचारों का उल्लेख किया है| लॉक धर्म के मामलों में ‘साहिष्गुणता’ का समर्थन करता है|

  • लॉक के मत में धर्म व्यैक्तिक वस्तु है, जिससे राज्य का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक धार्मिक गिरोह अव्यवस्था उत्पन्न न करें|

  • राज्य को धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए|

  • लॉक के धार्मिक विचार आधुनिक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा से साम्यता रखते हैं| 



क्रांति के अधिकार संबंधी लॉक के विचार-

  • लॉक छीनने (Usurpation) को विजय (Conquest) जैसा ही मानता है और यही विचार उसके क्रांति सिद्धांत की कुंजी है|

  • लॉक “विजय विदेशियों से छीनना है और छीनना घरेलू विजय है|”

  • लॉक के मत में यदि राजा किसी का कुछ छीनता है, तो उसकी आज्ञा माने जाने का अधिकार स्वत: निरस्त हो जाता है|

  • लॉक के मत में यदि सरकार के तीनों अंग छीना-झपटी और अत्याचार का समर्थन करते हैं; तो वह सरकार ही नहीं है और राजनीतिक समाज उससे लड़ने के लिए स्वतंत्र है| 

  • इस प्रकार जब सरकार समझौते के अनुसार अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर पाती है, तो लॉक जनता को सरकार के विरुद्ध विद्रोह और क्रांति का अधिकार देता है|


  • लॉक क्रांति करने के निम्न कारण बताता है-

  1. यदि सरकार को जन सहमति न प्राप्त हो|

  2. वह अपने न्यास या ट्रस्ट के विरुद्ध आचरण करें|

  3. वह वैधानिक शासन के स्थान पर निरंकुश आचरण करें|

  4. अपनी मर्यादाओं का पालन न करें, तो जनता को क्रांति करने का अधिकार है|


  • क्रांति करने पर केवल सरकार भंग होती है या बदलती है नागरिक समाज या राज्य बना रहता है|

  • लॉक क्रांति को Appeal to Heaven (स्वर्ग से अपील) यानी विरोध का अधिकार कहता है|

  • राजनीतिक समाज स्थायी है, क्योंकि यह समाज केवल विदेशी आक्रमण की स्थिति को छोड़कर कभी नष्ट नहीं होता है| 


  • लॉक क्रांति के अधिकार पर दो प्रतिबंध/ शर्तें लगाता है-

  1. जब तक सरकार अपने कर्तव्यों को पूरा करती है, तब तक क्रांति नहीं करनी चाहिए|

  2. केवल बहुसंख्यक लोग ही सरकार को पलट सकते हैं|


Note- क्रांति पर बल देने के कारण लॉक को ‘क्रांतियों का दार्शनिक’ भी कहा जाता है|



व्यक्तिवाद एवं उदारवाद-

  • हॉब्स की तरह लॉक भी व्यक्तिवादी विचारक है| 

  • वाहन के शब्दों में “लॉक की व्यवस्था में हर वस्तु व्यक्ति के चारों तरफ चक्कर काटती है, प्रत्येक वस्तु को इस प्रकार सजा कर रखा गया है कि व्यक्ति की संप्रभुता सुरक्षित रहे|”


  • निम्न तथ्य हैं, जो लॉक को व्यक्तिवादी सिद्ध करते हैं-

  1. लॉक का चिंतन व्यक्ति केंद्रित है|

  2. राज्य को अधिकार व्यक्ति की सहमति से प्राप्त होते हैं|

  3. राज्य की उत्पत्ति व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए होती है, अतः राज्य साधन तथा व्यक्ति साध्य है|

  4. किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध राज्य का सदस्य बनने के लिए विवश नहीं किया जा सकता|

  5. लॉक के अनुसार राज्य का निर्माण जन कल्याण के लिए किया गया है, राज्य एक ट्रस्ट के समान है वह जनता की सहमति पर आधारित तथा वैधानिक होता है| अतः यदि सरकार निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति में असफल रहे तो जनता को विद्रोह या क्रांति करने का अधिकार प्राप्त है| 

  6. धर्म विषयक विचारों में व्यक्तिवाद की स्पष्ट झलक है|


Note- उदारवाद अवधारणा का प्रमुख तथ्य यह है कि व्यक्ति की इच्छा तथा उनकी स्वायत्तता सर्वप्रिय समझी जाती है| लॉक इस बात का समर्थक है अतः लॉक उदारवादी विचारक हैं| 


  • मैक्सी “लॉक का कार्य राज्य की सत्ता को ऊपर उठाना नहीं, वरन उसके प्रतिबंधों का प्रतिपादन करना है|”

  • डनिंग “उसके प्राकृतिक अधिकारों की धारणा राजनीतिक चिंतन के इतिहास में उसकी सबसे महत्वपूर्ण देन है|”

  • वेपर “लॉक उदारवाद के सिद्धांतों की प्रतिष्ठा करता है|”

  • मैक्सी “लॉक ने व्यक्तिवाद को अजेय राजनीति तथ्य बनाया है|”

  • बार्करलॉक में व्यक्ति की आत्मा की सर्वोच्च गरिमा स्वीकार करने वाली तथा सुधार चाहने वाली महान भावना थी|”

  • प्रोफ़ेसर वाहन “लॉक व्यक्तिवादियों का शिरोमणि है|”

  • सी बी मैकफ़र्सन “लॉक वास्तव में अंग्रेजी उदारवाद का मूल स्रोत था|”


  • लॉक को उदारवाद का पिता माना जाता है| 

  • उदारवादी लॉक को अमेरिका का राजनीतिक राजा कहा जाता है तथा अमेरिका को लॉकवादी व्यक्तिवाद का देश कहा जाता है|

  • अमेरिकी बोस्टन टी पार्टी का नारा ‘प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं’ लॉक से प्रभावित है


  • लॉक द्वारा व्यक्तिवाद, स्वतंत्रता, सहमति पर आधारित सरकार, न्यूनतम राज्य, संवैधानिक सरकार, कानून का शासन, बहुमत का सिद्धांत, सत्ता का पृथक्करण, बहुलवाद, सहिष्णुता, संपत्ति का अधिकार व प्रतिनिधि जनतंत्र जैसे विचार दिए गए, इसलिए लॉक को उदारवाद का पिता कहा जाता है|



लॉक का अनुभववाद-

  • लॉक के अनुसार “जन्म के समय व्यक्ति का मस्तिष्क कोरी प्लेट (Tabula Rasa) या खाली प्लेट के समान होता है बाद में अनुभव से उसको ज्ञान की प्राप्ति होती है| लॉक ने अनुभवाद का उल्लेख “An Essay Concerning Human Understanding” में किया है|



लॉक का श्रम सिद्धांत-

  • इसको स्वामित्व का श्रम सिद्धांत भी कहा जाता है|

  • लॉक का यह विचार है, कि प्रकृति के साथ अपना श्रम मिलाने से संपत्ति जन्म लेती है| 

  • लॉक ने संपत्ति को दो भागों में बांटा है-

  1. व्यक्तिगत संपत्ति- वह संपत्ति जिसको मनुष्य अपने शारीरिक श्रम द्वारा प्राप्त करता है| इस पर मनुष्य का पूरा व्यक्तिगत नियंत्रण होता है|

  2. सामान्य संपत्ति- वह संपत्ति जो प्रकृति द्वारा स्वतः उपजती है, जैसे- पशु| इस संपत्ति पर  व्यक्तिगत अधिकार न होकर सभी का अधिकार होता है|


  • डेविड रिकार्डो ने अपने मूल्य का श्रम सिद्धांतकार्ल मार्क्स ने अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत की प्रेरणा लॉक के श्रम सिद्धांत से ली थी| 


  • लॉक का संपत्ति का अधिकार असीमित नहीं है, बल्कि लॉक इस पर तीन सीमाएं लगता है-

  1. श्रम सीमा- जितना श्रम, उतनी ही संपत्ति

  2. पर्याप्तता सीमा- संपत्ति की जितनी आवश्यकता उतनी ही रखना, बाकि की संपत्ति दूसरों के लिए छोड़ देना 

  3. विनाश सीमा- जितनी संपत्ति का सदुपयोग हो सके उतनी ही रखना, ताकि अधिक संपत्ति नष्ट ना हो|


  • लॉक ने संपत्ति पर जो सीमाएं लगाई है, उसको लॉकियन शर्त (Lockean Proviso) भी कहा जाता है|

  • लॉकियन शर्त (Lockean Proviso) शब्द रॉबर्ट नॉजिक (पुस्तक- Anarchy, State and Utopia 1974) ने गढ़ा है| नॉजिक के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता व परिश्रम से कितनी भी संपत्ति बना सकता है, पर लॉकियन शर्त यह है कि इससे बाकि लोगों की स्थिति पहले से खराब ना हो|


  • आलोचको के अनुसार मुद्रा के आविष्कार के बाद ये सीमाएं व्यर्थ हो गई है| मैक्फर्सन “लॉक मध्ययुगीन विचारों से तो हटता है पर यह हॉब्स द्वारा स्वीकृत बुर्जुआ विचार को स्वीकृति देता है|” 



स्त्री संबंधी विचार-

  • जहां हॉब्स पितृसत्तात्मकता की ओर झुके हुए हैं, वही लॉक स्त्री को ज्यादा अधिकार व समानता का दर्जा देते हैं| 

  • बटलर ने लिखा है कि “स्त्रियों की ओर हमदर्दी रखने के कारण लॉक को आरंभिक स्त्रीवादी माना गया है, जो पितृसत्ता का दुश्मन है|



संप्रभुता संबंधी विचार-

  • जॉन लॉक सीमित संप्रभुता के समर्थक हैं| 

  • लॉक संप्रभुता के लिए All Supreme Power (सर्वोच्च सत्ता) शब्द का प्रयोग करते हैं|

  • लॉक प्रभुसत्ता के दो प्रकार बताता है-

  1. निन्द्रित प्रभुसत्ता- समुदाय या नागरिक समाज के पास

  2. जाग्रत प्रभुसत्ता- राजा के पास


  • बार्कर का मत है कि लॉक के राजनीतिक सिद्धांत में कम से कम 4 संप्रभु हैं-

  1. लोगों का समुदाय

  2. विधायिका

  3. समुदाय द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों की संस्था

  4. कार्यपालिका द्वारा अपनी शक्तियों का किसी एक व्यक्ति में निहित कर देना|



सहमति संबंधी विचार-

  • लॉक के मत में समझौते द्वारा निर्मित नागरिक समाज व सरकार जन सहमति पर आधारित है| 

  • लॉक दो प्रकार की सहमति बताता है-

  1. प्रत्यक्ष सहमति-

  • यह राज्य या नागरिक समाज के निर्माण के समय दी गई सहमति है तथा उसके बाद व्यस्क होने पर लोग नागरिक समाज में शामिल होने के लिए नागरिक समाज के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं| 


  1. अप्रत्यक्ष सहमति-

  • राज्य की संपत्ति, पदाधिकार व कानूनों के प्रति लोगों की वफादारी अप्रत्यक्ष सहमति है, जिसमें शपथ या घोषणा की आवश्यकता नहीं होती है|


जॉन लॉक का मूल्यांकन

  1. लॉक की त्रुटियां- लॉक के दर्शन की निम्न त्रुटियां हैं-

  1. ड्राइवर के शब्दों मेंलॉक फ्रांसीसी दार्शनिक डेकार्टे का दार्शनिक दृष्टिकोण, वैज्ञानिकों की प्रयोगात्मक पद्धति, तथा शैफ्टसबरी और व्यवहारिक राजनीति से ग्रहण की गई उपयोगितावादी अनुभूतिवाद को एक क्रियाशील धारणा में समन्वित करने की चेष्टा कर रहा था| इस प्रयत्न में उसके दर्शन में जटिलता और असंगति का समावेश हो गया|”

  2. लॉक मानव के एक पक्ष (सकारात्मक पक्ष) को ही प्रधानता देता है|

  3. लॉक समाज की प्रधानता और व्यक्ति की प्रधानता में सामंजस्य नहीं कर पाता है|

  4. समाज और राज्य के बीच अंतर स्पष्ट करने में लॉक असमर्थ है| 



  1. प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत का जनक-  

  • जॉन लॉक को प्राकृतिक अधिकार सिद्धांत का जनक माना जाता है| इस सिद्धांत के अनुसार अधिकार प्रकृति की देन है| अधिकार राज्य या विधि की देन नहीं है| अधिकारों का अस्तित्व राज्य से पूर्व था|

  • बेंथम लॉक के प्राकृतिक अधिकार सिद्धांत का आलोचक है| बेंथम ने प्राकृतिक अधिकारों को अलंकृत या कोरी बकवास कहा है, क्योंकि राज्य व सरकार से पूर्व अधिकार काल्पनिक बकवास है|


  1. लॉक का महत्व और प्रभाव- उपरोक्त कमियों के बावजूद भी लॉक के सिद्धांत का महत्व निम्न है-

  1. फ्रांस (1789) व अमेरिका (1776) की जनक्रांतियो पर लॉक का प्रभाव पड़ा है| प्रो.सेबाइन के अनुसार “लॉक के दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उसने अमेरिका और फ्रांस में 18 वीं शताब्दी के अंत में होने वाली क्रांतियों के लिए विचार-पृष्ठभूमि तैयार की थी|”

  2. लॉक ने ‘बहुमत के शासन’ पर बल दिया है|

  3. कार्यपालिका को व्यवस्थापिका के अधीन करके संवैधानिक शासन का समर्थन करता है|

  4. लॉक के अनुभववाद का प्रभाव बर्कले, ह्यूम और मांटेस्क्यू पर पड़ा|

  5. लॉक इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति के चिंतक हैं| अधिकतर विचारक लॉक को गौरवपूर्ण क्रांति का समर्थक मानते हैं, वहीं अमेरिकी विचारक रिचर्ड एशक्राफ्ट लॉक को इस क्रांति का समर्थक नहीं मानता| 

  6. लॉक पूंजीवादी दर्शन के प्रणेता माने जाते हैं| 

  7. लॉक अनुभववाद के पिता माने जाते हैं| 

  8. लॉक सीमित सरकार व सीमित संप्रभुता के प्रणेता माने जाते हैं|

  9. जॉन रॉल्स ने जॉन लॉक के सामाजिक समझौते सिद्धांत के आधार पर अपने न्याय के सिद्धांत का प्रतिपादन किया तथा रॉबर्ट नॉजिक ने भी लॉक के सामाजिक समझौते के अनुरूप सरकार को एक ट्रस्ट माना है|



लॉक से संबंधित कुछ अन्य तथ्य-

  • सी बी मैकफ़र्सन ने जॉन लॉक को स्वत्वमूलक व्यक्तिवादी, बुर्जुआ तानाशाही का प्रवक्ता व पूंजीवादी भावना का प्रतिनिधि कहा है|


स्वत्वमूलक व्यक्तिवाद का तात्पर्य है कि- संपत्ति, लाभ, पद, सम्मान आदि का समाज में बंटवारा ‘योग्यता व क्षमता’ के आधार पर होना चाहिए| स्वत्वमूलक व्यक्तिवाद आवश्यकता आधारित समाजवाद की बजाय, योग्यता आधारित उदारवाद का समर्थक है|

सी बी मैकफ़र्सन ने अपनी पुस्तक The Political Theory of Possessive Individualism: Hobbes to locke 1962 ‘(स्वत्वमूलक व्यक्तिवाद का राजनीतिक सिद्धांत: हॉब्स से लॉक’) पुस्तक में थॉमस हॉब्स व लॉक को स्वत्वमूलक व्यक्तिवाद व पूंजीवाद का समर्थक कहा है|


  • वुड ने लॉक को कृषि पूंजीवाद का प्रवक्ता कहा है|

  • बट्रेंड रसैल ने कहा है कि “जॉन लॉक के उत्तराधिकारी, प्रथम बर्कले व ह्यूम है, दितीय वे फ्रेंच दार्शनिक है, जो रूसो के स्कूल से नहीं हैं, तृतीय बेंथम व आमूल परिवर्तनवादी दार्शनिक हैं, चतुर्थ प्रमुख यूरोपीय भूखंड का दर्शन, कार्ल मार्क्स और उनके शिष्य हैं|”

  • स्वयं लॉक ने बार-बार ट्रस्ट शब्द का प्रयोग किया है, न कि समझौते का| 

  • लास्की का मत है कि “लॉक का राज्य संप्रभु नहीं है, क्योंकि इस राज्य का अर्थ उस समुदाय से है जिसका निर्माण व्यक्ति उसी समुदाय के साथ समझौता करके पूरा हो सकता है|”

  • लास्की के अनुसार लॉक ने राज्य को एक विशाल मर्यादित अर्थभार वाली कंपनी माना है|

  • बार्कर के अनुसार लॉक के सिद्धांत में अंतिम शक्ति प्राकृतिक कानून ही है, जो अनिश्चित और नैतिक गुणों की पोषक है|

  • लॉक का मत है कि हॉब्स के व्यक्ति के मस्तिष्क की कोठरी (Closet) का प्रत्येक दरवाजा हिंसक मृत्यु के भय से टूट पड़ा था|

  • सिबली के मत में लॉक का व्यक्ति काफी सीमा तक बौद्धिक दृष्टि से जिज्ञासु है और मूलतः अर्धसामाजिक है|

  • प्लेमेनात्ज के अनुसार लॉक हमारे युग के महान उदारवादियों में प्रथम है|

  • वाहन के अनुसार लॉक का संप्रभुता से संबंधित कोई सिद्धांत है ही नहीं, नागरिक सरकार का वास्तविक  शासक व्यक्ति है|

  • बार्कर के अनुसार लॉक के सामने संप्रभुता की प्रकृति का कोई चित्र नहीं है|

  • पीटर लॉसलेट “लॉक न तो व्हिग है और ना ही गौरवपूर्ण क्रांति का समर्थक है|

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