फ्रांसीसी दलीय व्यवस्था (French Party System)
फ्रांस की दलीय व्यवस्था की विशेषताएं-
दलों की संवैधानिक स्थिति-
अमरीका, ब्रिटेन या भारत में राजनीतिक दलों की भूमिका संविधानेत्तर (Extra-constitutional) है।
लेकिन फ्रांस इस सम्बन्ध में विश्व के प्रजातन्त्रात्मक देशों में एक अपवाद है और पंचम गणतन्त्र के संविधान द्वारा राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान की गयी है।
संविधान के अनुच्छेद 4 के अनुसार ‘राजनीतिक दल ही मताधिकार की अभिव्यक्ति के मुख्य साधन हैं।’
पिकल्स (Pickles) ने इस सम्बन्ध में लिखा है कि ‘प्रथम बार एक गणतन्त्रात्मक संविधान राजनीतिक दलों का केवल नाम ही नहीं लेता, वरन् राजनीतिक जीवन के एक स्वाभाविक तत्व के रूप में इन्हें मान्यता प्रदान करता है।"
बहुदलीय पद्धति (Multi-Party System)-
ब्रिटेन और ब्रिटेन के राजनीतिक आचरण से प्रभावित संयुक्त राज्य अमरीका आदि देशों द्विदलीय पद्धति हैं, लेकिन फ्रांस में बहुदलीय प्रद्धति है।
तृतीय और चतुर्थ गणतन्त्र में अनेक दल कार्य करते रहे हैं और फ्रांस में राजनीतिक दलों का उदय, विकास तथा अन्त जितनी सरलता के साथ होता है, उसका अन्यत्र कोई उदाहरण नहीं है।
सामान्यतया ऐसा देखा गया है कि राष्ट्रीय संकट आरम्भ होते ही फ्रांस में राजनीतिक दलों की बाढ़-सी आ जाती है, परन्तु संकट का अन्त होते ही अधिकांश दल भी विलीन हो जाते हैं।
कार्टर "फ्रांस में राजनीतिक हितों और विचारधाराओं का इतना अधिक बाहुलय है, कि द्विदलीय पद्धति सम्भव नहीं हो सकती और इस स्थिति के कारण न तो किसी एक राजनीतिक दल को बहुमत मिल पाता है और न ही उत्तरदायी तथा शक्तिशाली विरोधी दल का उदय सम्भव हो पाता है।"
फाइनर “फ्रांस के तृतीय और चतुर्थ गणतन्त्र की व्यवस्था के पतन के लिए बहुदलीय पद्धति ही उत्तरादायी है।"
बहुदलीय पद्धति के बावजूद आवश्यक सीमा तक सुव्यवस्था और राजनीतिक स्थायित्व की स्थिति को प्राप्त किया जा सके। इसके लिए फ्रांस के पांचवे गणतंत्र में राष्ट्रपति के चुनाव और संसद के चुनाव के में 'द्वितीय मतदान पद्धति' (Second Ballot System)) को अपनाया गया है। द्वितीय मतदान पद्धति के कारण राजनीतिक दल एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और 'राजनीतिक दलों के समूह' (Political Groupings) बनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
दलों के संसदीय तथा बाहरी संगठन में भेद-
ब्रिटेन, अमरीका और भारत आदि देशों में दलों के दो संगठन होते हैं- एक व्यवस्थापिका के भीतर तथा दूसरा व्यवस्थापिका के बाहर| दल के इन दोनों संगठनों में घनिष्ठ संबंध बना रहता है और ये परस्पर पूरक के रूप में कार्य करते हैं|
परन्तु फ्रांस में संसद के भीतर दलों अथवा समूहों और बाहर के दलों में अनुरूपता नहीं रहती है।
फ्रांस की संसद में कुछ ऐसे भी दल रहते हैं, जिनका संसद के बाहर कोई अस्तित्व नहीं रहता है और संसद के दोनों सदनों में एक ही दल अलग-अलग नामों से कार्य करता है। इसका कारण यह है कि ये दल विभिन्न राजनीतिक दलों के नाम से भाग लेते हैं, परन्तु संसद में अपने अस्तित्व को प्रभावशाली बनाने के लिए अन्य दलों से मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाते हैं।
राजनीति विज्ञान में दलों का आशय सुनिश्चित स्वरूप वाले संगठनों से होता है। इस दृष्टि से तो इन्हें दल नहीं, वरन् गुट ही कहा जाना चाहिए। प्रो. मुनरो के शब्दो में "हम इन विभिन्न गुटों को राजनीतिक दल इसलिए कहते हैं कि अंग्रेजी भाषा में इनके लिए और कोई सुविधाजनक शब्द नहीं है। ये वास्तव में दलों से कुछ कम और गुटों से कुछ अधिक है।"
राजनीतिक दलों के वर्गीकरण में कठिनाई-
फ्रांस के राजनीतिक दलों को सैद्धांतिक आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता है|
द्विदलीय पद्धति वाले देशों में राजनीतिक दलों के वर्गीकरण का आधार सत्ताधारी दल और विरोधी दल होता है, परन्तु फ्रांस में दलों की अनेकता के कारण इस प्रकार का विभाजन सम्भव नहीं है।
फ्रांस के राजनीतिक दलों को धर्म के आधार पर भी विभाजित नहीं किया जा सकता।
वर्तमान समय में फ्रांस के दलों को कुछ व्यक्तियों द्वारा वामपन्थी और दक्षिणपन्थी में वर्गीकरण किया जाता है। परन्तु यह वर्गीकरण भी संतोषजनक नहीं है। क्योंकि विभिन्न वामपन्थी दलों में परस्पर और विभिन्न दक्षिणपन्थी दलों में परस्पर बहुत अधिक अन्तर है।
दलों का ढीला-ढाला संगठन और अनुशासनहीनता-
ग्रेट ब्रिटेन आदि देशों में राजनीतिक दलों का एक सुदृढ़ संगठन होता है, लेकिन फ्रांस के साम्यवादी दल को छोड़कर अन्य राजनीतिक दलों का कोई सुदृढ़ संगठन नहीं है।
फ्रांस में राजनीतिक दलों का कोई सुनिश्चित कार्यक्रम तथा विचारधारा नहीं है और इसी कारण अनुशासन तथा संगठन सम्बन्धी दुर्बलता निरन्तर बनी रहती है| सामान्यतया दलों के संसदीय सदस्य दलीय आदेशों के विरुद्ध मतदान करतें हैं।
इस कारण अनेक राजनीतिक दल बनते और टूटते रहते हैं। सीग फ्रग के शब्दों में "फ्रांसीसी राजनीतिक दल बादलों के समान अनिश्चित तथा परिवर्तनशील होते हैं।"
ऑग और जिंक ने लिखा है कि "फ्रांसीसी समूहों में इतने उलट-फेर होते हैं कि उन्हें सौजन्य से ही दल की संज्ञा दी जा सकती है।"
दबाव गुट या लॉबी (Pressure Groups or Lobby)-
फ्रांस में राजनीतिक दलों के अतिरिक्त काफी बड़ी संख्या में ऐसे समूह हैं, जो आर्थिक, धार्मिक, श्रमिक और बौद्धिक इत्यादि हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने विशेष हितों की पूर्ति के लिए शासन व्यवस्था पर प्रभाव डालते रहते हैं। इन्हें दबाव गुट या लॉबी कहते हैं
तृतीय और चतुर्थ गणतंत्र में इस प्रकार के दबाव गुट बहुत अधिक सक्रिय थे, पंचम गणतंत्र के अंतर्गत यद्यपि इनका प्रभाव कुछ कम हुआ है। लेकिन फिर भी ये पर्याप्त सक्रिय हैं।
राजनीतिक दलों में स्थायी सहयोग तथा एकता की भावना का अभाव-
फ्रांस में बहुदलीय प्रथा के कारण किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, इस कारण दो या दो से अधिक दल मिलकर सरकार का निर्माण करते हैं|
लेकिन फिर भी इन दलों में स्थायी सहयोग व एकता की भावना का अभाव है|
बहुदलीय पद्धति के लिए उत्तरदायी कारण-
ऐतिहासिक विरासत-
फ्रांस संविधानों की प्रयोगशाला रहा है और संविधानों के जितने रूप पिछले लगभग 100 वर्षों में यहां देखे गये हैं, उतने कहीं भी नहीं देखे गये हैं।
चूंकि फ्रांस में विधानों के संबंध में अनेक परिवर्तन हुए हैं, अत: यहां अनेक प्रकार के अवशेष रह गये हैं, जिनका समर्थन व खण्डन करने के आधार पर वहाँ अनेक दल बन गये हैं।
शासन के मूल स्वरूप पर मतभेद-
फ्रांस में 1789 तक राजतंत्र था और उसी वर्ष क्रांति के आधार पर उसका अंत हुआ।
क्रांति के बाद भी फ्रांस में दो बार साम्राज्यों की स्थापना हुई और बीच-बीच में गणतंत्रीय विधान लागू हुए।
फ्रांस में राजतंत्र बनाम गणतंत्र की समस्या का अंत अब भी नहीं हुआ है। अब भी फ्रांस में काफी बड़ी संख्या में ऐसे व्यक्ति हैं, जो प्रजातंत्र के स्थान पर राजतंत्र का स्वागत करते हैं |
इसके अतिरिक्त साम्यवाद, फासीवाद और अधिनायकवाद इन सभी के समर्थक फ्रांस में हैं।
इस तरह शासन के मूल स्वरूप पर मतभेद ने राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ाने का कार्य किया है।
फ्रेंच लोगों का व्यक्तिवादी स्वभाव-
फ्रांसीसी सदैव से साहित्य, कला, संस्कृति और शिक्षा के प्रेमी रहे हैं और वे व्यक्ति के व्यक्तित्व को बहुत अधिक महत्व देते हैं।
इस गहरे व्यक्तिवाद के साथ ही उनमें विश्लेषण के प्रति गहरी रुचि है और इस तथ्य ने राजनीति में पृथकतावादी प्रवृत्तियों को बल दिया है।
प्रादेशिकता और स्थानीयता की भावना-
ब्रिटेन की अपेक्षा फ्रांस क्षेत्र में बहुत विस्तृत है, इस कारण वहाँ प्रादेशिकता और स्थानीयता के आधार पर भी अनेक दलों का निर्माण हो जाता है।
बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र तथा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली-
फ्रांस में चतुर्थ गणतंत्र तक बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र और आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली थी तथा इस प्रणाली ने बहुदलीय पद्धति को जन्म दिया|
पंचम गणतंत्र में बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र और आनुपातिक प्रतिनिधित्व का त्याग करके द्वितीय मतदान योजना को अपनाया गया| लेकिन इसमें भी छोटे राजनीतिक दल यह सोचते है, कि अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकेंगे| अतः बहुदलीय पद्धति बनी रही|
फ्रांसीसी राजनीतिक दलों का संगठन और विचारधारा-
निश्चित विचारधारा और कार्यक्रम पर आधारित न होने के कारण फ्रांस के राजनीतिक दल अमरीका या ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की अपेक्षा अल्पायु होते हैं। वर्तमान समय में फ्रांस में कोई भी ऐसा महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल नहीं है, जिसका उदय बीसवीं सदी के प्रारंभ में हुआ हो।
वर्तमान समय में फ्रांस में निम्नलिखित राजनीतिक दल प्रमुख हैं-
नवीन गणतंत्र के लिए संघ या गॉलवादी दल (फ्रांस की राजनीति का दक्षिणपंथी या अनुदारबादी दल)-
1958 में जब पंचम गणतंत्र के संविधान को लागू किया गया, उस समय से ही दि गॉलवादी दल फ्रांस की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति है।
1958 से लेकर 1980 तक कार्यपालिका के प्रमुख दो पदों- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर दि गॉलवादी दल का अधिकार रहा।
1947 में जनरल दि गॉल के नेतृत्व में 'फ्रांसीसी जनता का संघ' (Rally of the French People) की स्थापना की गयी थी, 1958 में इसी का नाम 'नवीन गणतंत्र के लिए संघ' कर दिया गया।
दि गॉलवादी एक दक्षिणपंथी दल है और सामान्यतया अन्य दक्षिणपंथी दल ही इसे समर्थन देते हैं।
साम्यवादी दल-
1920 में समाजवादी दल के सदस्यों के परस्पर मतभेदों के कारण साम्यवादी दल की स्थापना हुई और उस समय से ही यह दल धीरे-धीरे शक्तिशाली होता गया।
चतुर्थ गणतंत्र के काल में यह सबसे अधिक शक्तिशाली था।
1958 में पंचम गणतंत्र के साथ ही इसकी शक्ति का पतन प्रारंभ हो गया। 1978 तक यही स्थित रही, लेकिन 1978 से इस दल की शक्ति में वृद्धि हुई|
साम्यवादी दल उत्पादन के समस्त साधनों के राष्ट्रीयकरण का समर्थक है। स्वाभाविक रूप से दल के समर्थकों में सर्वहारा वर्ग का बाहुलय है|
फ्रांस के साम्यवादी दल की विशेषता यह है कि मजदूर वर्ग से अधिक कृषक वर्ग इसके प्रति निष्ठा रखता है।
समाजवादी दल-
इस दल का अधिकारिक नाम ‘Section Française de International Ouvrière– SFIO है।
इस दल की स्थापना 1905 में हुई थी।
इस दल के दो भाग थे-
एक भाग जीन जॉरिस के नेतृत्व में शांतिपूर्ण सुधारों का समर्थक था|
दूसरा भाग जूल्स गुसूडे के नेतृत्व में मार्क्सवादी सिद्धांतों का समर्थक था।
1920 में दूसरा भाग इससे अलग हो गया और उसने साम्यवादी दल की स्थापना की।
समाजवादी दल भी वामपंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन यह समाजवाद की स्थापना के लिए प्रजातांत्रिक साधनों को अपनाने के ही पक्ष में है, उग्र एवं असंवैधानिक साधनों के पक्ष में नहीं है।
इसका मुख्य उद्देश्य लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
लोकप्रिय गणतंत्रवादी आंदोलन-
इस दल का संगठन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुआ और यह कैथोलिक धर्म की विचारधारा से प्रभावित है।
यह संगठन अपने आपको राजनीतिक दल न मानकर आंदोलन मानता है।
यह दल वामपक्षीय तथा दक्षिणपक्षीय दलों के बीच का संगठन है|
चतुर्थ गणतंत्र में इस दल का काफी प्रभाव था, लेकिन पंचम गणतंत्र में इसका स्थान नहीं के बराबर रह गया है।
यह आंदोलन पूंजीवाद एवं सामूहिक साम्यवाद दोनों का विरोधी है तथा व्यक्ति के व्यक्तित्व में विश्वास करता है|
सुदृढ़ अंतरराष्ट्रीयता, व्यक्ति स्वातंत्र्य, पारिवारिक संरक्षण एवं प्रजातांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने का यह समर्थक है|
वामपंथी गणतंत्र दल-
यह फ्रांस के तृतीय गणतंत्र का सबसे प्रभावशाली दल रहा है|
चतुर्थ गणतंत्र में यह दल बहुत ही निर्बल था
परंतु बाद में जब प्रजातांत्रिक और समाजवादी संघ (Democratic and Socialist Resistance Union) का इसमें विलय हो गया तो इसका प्रभाव बढ़ने लगा|
छोटे-छोटे व्यावसायी, कृषक और मध्यम लोग के लोग इसके समर्थक हैं|
वर्तमान में यह प्रभावशाली नहीं है|
ग्रीन्स पार्टी - यह वामपंथ से जुड़ा पर्यावरणवादी दल है।
नेशनल फ्रण्ट (National Rally)
नेशनल फ्रण्ट चरम-दक्षिणपंथी और फासीवादी तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
यह दल हिटलर और हिटलरवाद का प्रबल समर्थक है और विदेशों से आकर फ्रांस में बसने वाले व्यक्तियों का विरोध' (Anti Immigration) इस दल का सबसे प्रबल कार्यक्रम है।
मेरिन ली पेन इस दल के सबसे प्रमुख नेता है।
नेशनल फ्रण्ट एक जातिवादी संगठन है।
रूढ़िवादी दल-
स्वतंत्रता समर्थक गणतंत्रवादी दल (Republican Party of Liberty) फ्रांस का प्रधान रूढ़िवादी दल है
Rally of the French People तथा Peasant and Social Action Party भी रूढ़िवादी दल है|
इन दक्षिणी पंथी दलों को प्रधानत: उद्योगपति, पूंजीपति, धनी एवं कुछ मध्यम वर्ग के लोगो का समर्थन है|
ये दल समाजवाद के विरोधी है|
ब्रिटेन और फ्रांस की दल पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन-
कार्टर और उसके सहयोगियों का यह मत सत्य है कि "एक अर्थ में फ्रांसीसी दलीय पद्धति एक अंग्रेज अथवा अमरीकन द्वारा राजनीतिक दलों के बारे में निकाले गये किसी भी सामान्य निष्कर्ष के लिए चुनौती है।"
ब्रिटेन और फ्रांस की दलीय पद्धतियों का भेद निम्न रूपों में देखा जा सकता है-
दलीय पद्धति-
द्विदलीय पद्धति ब्रिटिश राजनीति की सबसे प्रमुख विशेषता है, लेकिन फ्रांस में बहुदलीय पद्धति है।
दलीय अनुशासन-
दलीय अनुशासन में फ्रांस के राजनीतिक दलों की स्थिति ब्रिटिश राजनीतिक दलों से नितान्त भिन्न है। ब्रिटेन में कठोर दलीय अनुशासन है, जबकि फ़्रांस में दलों का ढीला-ढाला संगठन है|
संगठन की दृष्टि-
संगठन की दृष्टि से भी फ्रांसीसी दल ब्रिटिश दलों से नितांत भिन्न हैं|
फ्रांस के कुछ ही दलों को छोड़कर अन्य दलों का संगठन राष्ट्रव्यापी नहीं है।
फ्रांस में अधिकांश दल प्रादेशिक और स्थानीय हैं और उनमें से अधिकांश का कोई केन्द्रीय संगठन नहीं है।
फ्रांस के दलों को 'दल' कहने के बजाय उन्हें 'संसदीय ग्रुप' कहना ही उचित होगा।
वर्ग-विभेद-
ब्रिटिश राजनीतिक दलों में एक प्रकार का वर्ग-विभेद देखा जा सकता है। अनुदार दल जहाँ समाज के उच्च वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है वहाँ मजदूर दल निम्न वर्गों का|
लेकिन फ्रांस के राजनीतिक दलों में इस प्रकार की वर्गीयता का अभाव है।
औसत अंग्रेज अथवा अमरीकन के लिए राजनीति एक खेल है, जिसे साधारणतया दो विरोधी दल खेलते हैं| फ्रांस में राजनीति एक प्रकार का युद्ध है और अधिकांश फ्रांसीसी आपस में सहयोग नहीं कर पाते और न ही वें दलीय अनुशासन और निर्णयों को महत्व देते हैं।
पंचम गणतंत्र में फ्रांस के प्रमुख राष्ट्रपति व उनके राजनीतिक दल-
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला-
La Republique En Marche- LaREM' (The Republic on the Move या Republic Forward या En Marche) के उम्मीदवार एमानुएल मेक्रों व National Rally (National Front) की उम्मीदवार मेरीन ली पेन के बीच हुआ। इसमें उदारवादी मेक्रो जीत गए तथा दक्षिणपंथी ली पेन हार गई|
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