राष्ट्रीय हित
- राष्ट्रीय हित संप्रत्य की शुरुआत आधुनिक राज्य प्रणाली के आविर्भाव से हुई है| पहले इसे राजा की इच्छा और राजवंश का हित कहा जाता था 
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भाग लेने वाले सदस्य (राष्ट्र) अपने कार्यों का संचालन जिस नीति और सिद्धांत के आधार पर करते हैं, उसे राष्ट्रीय हित कहा जाता है| 
- राष्ट्रीय हित विदेश नीति का प्राण है| राष्ट्रीय हित के आधार पर ही किसी देश की विदेश नीति की सफलता और असफलता का मूल्यांकन किया जाता है| 
- राष्ट्रीय हित ऐसे सामान्य दीर्घकालीन उद्देश्य है, जिसे कोई भी राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भाग लेते समय प्राप्त करना चाहता है| 
- मोर्गेंथाऊ ने राष्ट्रीय हित को ‘शक्ति’ कहकर पुकारा है, तथा विश्व राजनीति का अंतिम और निर्णायक तत्व माना है| 
- जोसेफ फ्रेंकल ने राष्ट्रहित को विदेश नीति का आधारभूत सिद्धांत माना है| 
- नॉर्मन हिल ने राष्ट्रहित को विदेश नीति का प्रारंभ बिंदु कहा है| 
- प्रत्येक देश के आर्थिक तथा सैनिक तत्व, उसकी प्राचीन परंपराएं, आचार-विचार, रीति रिवाज, धार्मिक, दार्शनिक, सामाजिक विचारधारा और विश्वास राष्ट्रीय हित के निर्माण में भाग लेते हैं| 
- राष्ट्रहित के आधार पर कोई भी देश अपनी विदेश नीति का निर्माण करता है| 
- रेमो आरो “राष्ट्रहित की अवधारणा इतनी अस्पष्ट है कि यह अर्थहीन है या इसे अधिक से अधिक एक दिखावे की धारणा कहा जा सकता है|” 
- पॉल सीबरी ने राष्ट्रीय हित के तीन अर्थ बताएं- 
- भविष्य में प्राप्त ऐसे आदर्श लक्ष्य, जिन्हें कोई राष्ट्र प्राप्त करना चाहता है| 
- राष्ट्रीय हित शब्द का दूसरा अर्थ उन नीतियों का द्योतक होना है, जिनको राष्ट्र व्यवहार में प्रयोग करता है| 
- राष्ट्रीय हित का तीसरा अर्थ वह हो सकता है, जो किसी राष्ट्र के विदेश नीति निर्धारक उसे देना चाहे| 
- जोसेफ फ्रेंकल ने 1970 में लिखित अपनी पुस्तक National interest में राष्ट्रहित की परिभाषा निम्न दी है “राष्ट्रीय हित राष्ट्र की आकांक्षाओं, विदेश नीति के क्रियात्मक, व्याख्यात्मक तथा विवादों का निरूपण करने वाला तत्व है|” 
राष्ट्रीय हित के प्रकार-
- थामस W. राबिंसन ने राष्ट्रीय हितों को 6 भागों में बांटा है ये निम्न है- 
- प्राथमिक हित- 
- ये वे हित है, जो किसी राज्य के लिए सर्वाधिक महत्व रखते हैं| इस प्रकार का सबसे बड़ा हित राष्ट्र की सुरक्षा है| 
- दूसरे दर्जे के हित या गौण हित- 
- ये हित प्राथमिक हितों से कम महत्वपूर्ण होते हैं| 
- इसमें विदेशों में बसे नागरिकों की सुरक्षा तथा कूटनीतिक स्टाफ के लिए कूटनीतिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है| 
- स्थायी हित- 
- ये राज्य के सापेक्ष दीर्घकालीन उद्देश्य होते हैं| 
- परिवर्तनशील हित- 
- ये विशेष परिस्थितियों के लिए विशेष होते हैं तथा परिस्थितियों में परिवर्तन आने पर इनमें भी परिवर्तन आ जाता है| 
- राष्ट्र के सामान्य हित- 
- ये वे सकारात्मक हित हैं, जो बहुत से राष्ट्रों पर लागू होते हैं| यह बहुत सारे विशिष्ट क्षेत्रों (जैसे अर्थव्यवस्था, व्यापार, कूटनीतिक संबंध) आदि पर लागू होते हैं| अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखना, निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण सभी राष्ट्रों के साझा व सामान्य हित है| 
- विशिष्ट हित- 
- ये सामान्य हितों से उत्पन्न होता है| 
- तीसरी दुनिया के राष्ट्रों द्वारा नई आर्थिक व्यवस्था के द्वारा अपने आर्थिक अधिकारों को प्राप्त करना विकासशील देशों का विशिष्ट उद्देश्य है| 
अंतरराष्ट्रीय हित-
- राबिंसन ने इन 6 राष्ट्रीय हितों के अलावा तीन अंतरराष्ट्रीय हित भी बताए हैं जो निम्न है- 
- समान हित- 
- इस वर्ग में वे हित शामिल हैं, जो बहुत से राज्यों के समान होते हैं| 
- पूरक हित- 
- इस वर्ग में वे हित आते हैं, जो यद्यपि समान नहीं है पर कुछ विशिष्ट पहलुओं पर समझौते का आधार रखते हैं| 
- विरोधी हित- 
- ऐसे हित जो दो देशों में संघर्ष के कारण बनते हैं| 
राष्ट्रीय हित को प्रभावित करने वाले कारक-
- शासन प्रणाली 
- नेतृत्व 
- भौगोलिक स्थिति 
- विचारधारा या परंपरा 
- तकनीकी व आर्थिक विकास 
- क्षेत्रीय वातावरण 
- विश्व व्यवस्था 
- इतिहास, संस्कृति 
- विकास दर 
- राष्ट्र का आकार 
राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन-
- कूटनीति- 
- राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने के उपकरण के रूप में कूटनीति सर्वमान्य तथा बहुत अधिक प्रयोग में आने वाला साधन है| 
- कूटनीति के द्वारा एक देश की विदेश नीति दूसरे देश तक पहुंचती है| 
- एक देश के कूटनीतिज्ञ दूसरे राष्ट्रों के निर्णय-निर्माताओं तथा कूटनीतिज्ञों से संबंध स्थापित करते हैं तथा राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने के लिए समझौता वार्ता का संचालन करते हैं| 
- प्रचार- 
- प्रचार बिक्रीकारी (Salesmanship) की एक कला है, यह दूसरों को अपने लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की न्यायसंगतता से प्रभावित करने की कला है| 
- रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्रों, विशिष्ट प्रकाशनों, वीडियो फिल्मों द्वारा राष्ट्र अपने लक्ष्यों को न्याय संगत एवं अनिवार्य बताने का प्रयास करता है| 
- संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रचार की तकनीक को साम्यवाद के विरुद्ध प्रचार के लिए प्रयोग करता रहा तथा इसमें सफल भी रहा| 
- आर्थिक सहायता एवं ऋण- 
- समकालीन विश्व में धनी तथा विकसित देश अपने हितों को प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता तथा ऋण को साधन के रूप में प्रयोग करते हैं| 
- निर्धन देशों की औद्योगिक वस्तुओं, तकनीकी ज्ञान, विदेशी सहायता, शस्त्र-अस्त्र, तथा कच्चा माल बेचने के लिए अमीर देशों पर निर्भरता अमीर देशों की विदेश नीति के आर्थिक उपकरणों को सुदृढ़ बनाती है| 
- गठबंधन तथा संधिया- 
- गठबंधन या संधिया अपने-अपने साझे हितों को प्राप्त करने के लिए दो या दो से अधिक देशों के बीच होती हैं| 
- अवपीड़क साधन युद्ध- 
- अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार न करना, बहिष्कार, प्रतिशोध, जवाबी कार्यवाही, प्रतिकार, संबंध विच्छेद समुद्री शांतिपूर्ण नाकेबंदी आदि लोकप्रिय अवपीड़क साधन है| 
- अवपीड़क साधनों की चरम सीमा युद्ध है, जहां एक राज्य दूसरे राज्य से अपने इच्छित उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी सैनिक शक्ति का प्रयोग करता है| 

 
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