स्वतंत्रता / Liberty in hind
स्वतंत्रता शब्द अंग्रेजी शब्द Liberty का हिंदी रूपांतरण है|
Liberty शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Liber शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- बंधनों का अभाव या स्वाधीनता या बंधन रहित अवस्था|
राजनीतिक रूप में स्वतंत्रता के दो अर्थ-
स्वतंत्रता, मानवीय अस्तित्व का गुण है-
एक स्वतंत्र मनुष्य प्रकृति के नियमों का ज्ञान प्राप्त करके उन्हें अपने उद्देश्य की पूर्ति का साधन बना सकता है, अतः स्वतंत्र मनुष्य अपने जीवन को मनचाहा रूप दे सकता है|
स्वतंत्रता मनुष्य की एक दशा है-
स्वतंत्र मनुष्य स्वयं निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति में समर्थ होता है|
राजनीतिक सिद्धांत का मुख्य सरोकार स्वतंत्रता की दशा से है|
Note- स्वतंत्रता के गुण का संकेत देने के लिए अंग्रेजी में केवल Freedom शब्द का प्रयोग होता है, जबकि स्वतंत्रता की दशा का संकेत देने के लिए Freedom और Liberty दोनों शब्दों का प्रयोग किया जाता है|
Liberty राजनीतिक संकल्पना है अर्थात राज्य द्वारा प्रतिबंधों का अभाव तथा Freedom व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है|
स्वतंत्रता की परिभाषाएं-
D D मैकेंजी “स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं है, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है| अर्थात स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं बल्कि अतार्किक प्रतिबंधों का अभाव है|”
L T हॉबहाउस “सबको स्वतंत्रता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सब पर कुछ न कुछ प्रतिबंध लगा दिया जाए|”
सिले “स्वतंत्रता अतिशासन का विलोम है|”
ग्रीन “स्वतंत्रता उन कार्यों को करने या उन वस्तुओं का उपभोग करने की शक्ति है, जो करने या उपभोग करने योग्य हैं|
लॉस्की “स्वतंत्रता से तात्पर्य उन सामाजिक परिस्थितियों के अस्तित्व पर प्रतिबंध न हो, जो आधुनिक सभ्यता में मनुष्य के सुख के लिए नितांत आवश्यक है|”
थॉमस हॉब्स “स्वतंत्रता से तात्पर्य नियंत्रणो का अभाव, बाधाओं का अभाव, कानूनों की चुप्पी, विरोध की अनुपस्थिति है, यहां विरोध का अर्थ बाहरी नियंत्रण से है|”
B B मजूमदार “स्वतंत्रता मानवीय अस्तित्व का गुण है, जिसका तात्पर्य व्यक्ति का वह गुण या स्थिति जो उसे दास से पृथक करती है|”
बोसांके “स्वतंत्रता अन्य व्यक्ति की दमन शक्ति का अभाव है|”
गेटेल “स्वतंत्रता व्यक्ति की नैसर्गिक इच्छा अनुसार कार्य करने तथा हस्तक्षेप से मुक्ति के साथ ही विधि के अंतर्गत राष्ट्रीय, राजनीतिक और नागरिक अधिकारों को प्राप्त करने का अवसर है|”
लियो स्ट्रास “स्वतंत्रता प्राथमिक रूप में प्रतिबंधों के अभाव अथवा शासन के विपरीत है, परंतु गौण रूप में जो सुविधाजनक भी है, यह अत्यधिक प्रतिबंधों का अभाव अत्यधिक शासन का विरोधी है|”
जे एस मिल “स्वतंत्रता प्रतिबंधों का अभाव है| प्रतिबंधों के रूप में हर प्रतिबंध दोषयुक्त है और लोगों को नियंत्रित करने से बेहतर उन्हें अपनी इच्छा पर छोड़ दिया जाए, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर व मन का स्वामी है|”
बार्कर “जिस तरह बदसूरती का न होना सुंदरता नहीं, उसी तरह बंधनों का न होना स्वतंत्रता नहीं है|”
ज्यां पॉल सार्त्र “प्रत्येक मनुष्य स्वतंत्र होने के लिए बाध्य है|”
स्वतंत्रता के आयाम या पक्ष-
स्वतंत्रता के मुख्यतः दो आयाम या पक्ष हैं-
नकारात्मक स्वतंत्रता-
नागरिक, राजनीतिक व कानूनी स्वतंत्रता पर बल
स्वतंत्रता पर सभी प्रकार के बंधनों का अभाव या निर्बाध स्वतंत्रता
यह स्वतंत्रता उदारवादी पूंजीवादी राज्यों में होती है|
सकारात्मक स्वतंत्रता-
सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता पर बल
स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं|
यह स्वतंत्रता समाजवादी, लोककल्याणकारी, आदर्शवादी व्यवस्थाओं में होती है|
नकारात्मक स्वतंत्रता/ औपचारिक स्वतंत्रता/ प्रक्रियात्मक स्वतंत्रता-
यह सभी प्रकार के प्रतिबंधों के अभाव को स्वतंत्रता मानती है|
इस स्वतंत्रता में योग्यता पर बल दिया जाता है|
यह राज्य के न्यूनतम हस्तक्षेप का समर्थन करती है|
निजी क्षेत्र में तो राज्य या समाज के सभी प्रकार के प्रतिबंधों के अभाव का समर्थन करती है|
यह दो प्रकार की स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण मानती है-
कानूनी स्वतंत्रता- विधि के समक्ष सब समान हैं|
राजनीतिक स्वतंत्रता- सभी को समान राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए| जैसे- व्यस्क मताधिकार, निर्वाचित होने का अधिकार|
प्रमुख समर्थक-
परंपरागत उदारवादी विचारक
स्वेच्छातंत्रवादी विचारक
परंपरागत या नकारात्मक उदारवादी विचारक-
निम्न परंपरागत उदारवादी विचारक नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं-
जॉन लॉक-
जॉन लॉक ने स्वतंत्रता संबंधी विचारों का उल्लेख अपनी पुस्तक Two Treatises on government 1690 में किया है|
जॉन लॉक कहता है “जहां विधि नहीं, वहां स्वतंत्रता नहीं|”
जॉन लॉक ने 3 प्राकृतिक अधिकार जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति बताए हैं, अर्थात जॉन लॉक ने स्वतंत्रता को प्राकृतिक अधिकार माना है|
जॉन लॉक ने प्राकृतिक अधिकार में स्वतंत्रता के अधिकार को सार्वभौमिक अधिकार माना है|
जॉन लॉक स्वतंत्रता को प्रकृति की देन मानता है, जो व्यक्ति को जन्म से प्राप्त होती है, इसलिए राज्य द्वारा इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए|
प्रोफेसर वाहन “जॉन लॉक के दर्शन में प्रत्येक वस्तु व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है| प्रत्येक नियम का उद्देश्य व्यक्ति की सर्वोच्चता की रक्षा करना है|”
note- जॉन लॉक, एडम स्मिथ, हरबर्ट स्पेंसर, जे एस मिल के दर्शन का केंद्र बिंदु व्यक्ति है|
हरबर्ट स्पेंसर-
स्पेंसर ने अपने विचार अपनी पुस्तक The Man Versus The State 1884 में दिए|
यह मूलतः जीवशास्त्री था| इसने डार्विन के सिद्धांत प्राकृतिक चयन व योग्यतम की उत्तरजीविता को सामाजिक क्षेत्र में लागू किया|
हरबर्ट स्पेंसर व्यक्ति के दो अधिकार बताता है-
निजी अधिकार
सार्वजनिक अधिकार
स्पेंसर स्वतंत्रता को व्यक्ति के निजी अधिकार में शामिल करता है तथा राज्य के स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के अभाव का समर्थन करता है|
स्पेंसर “राज्य इसलिए विद्यमान है, क्योंकि समाज में अपराध विद्यमान है| यदि समाज में अपराध नहीं होगा तो राज्य की आवश्यकता नहीं होगी|”
Note-लॉक व स्पेंसर प्रहरी राज्य का समर्थन करते हैं|
एडम स्मिथ-
इन्होंने अपने विचार अपने ग्रंथ The Wealth of Nation 1776 में दिए|
एडम स्मिथ मूलतः अर्थशास्त्री थे|
एडम स्मिथ ने अदृश्य हाथ (Invisible Hand) का विचार दिया| इनका कहना है कि राज्य को आर्थिक क्रियाओं के परिचालन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए|
ये श्रम, भूमि, पूंजी पर निजी स्वामित्व की बात करते हैं|
एडम स्मिथ कर लगाने की नीति का विरोध करता है|
Note- एडम स्मिथ, रिकार्डो, माल्थस आर्थिक क्षेत्र में अहस्तक्षेपवादी नीति (Laissez Faire) के समर्थक है|
जे एस मिल-
जे एस मिल उपयोगितावाद का अंतिम व व्यक्तिवाद का प्रथम विचारक है|
मिल ने स्वतंत्रता संबंधी विचारों का उल्लेख अपनी पुस्तक A treatise On Liberty या On LIberty 1859 में किया|
मिल ने स्वतंत्रता को प्राथमिक महत्व की वस्तु माना है|
मिल का कहना है कि स्वतंत्रता व्यक्ति व सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक है|
मिल स्वतंत्रता के दो प्रकार बताता है-
विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
कार्यों की स्वतंत्रता
विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता -
मिल विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध न लगाने के पक्ष में है, चाहे वह विचार समाज के अनुकूल हो या प्रतिकूल| मिल के अनुसार यदि संपूर्ण समाज एक ओर हो और अकेला व्यक्ति दूसरी ओर तो भी उस व्यक्ति को विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए|
चेतना का अंतस्थ: ज्ञान क्षेत्र (Inward Domain Of Consciousness)- यह मिल की स्वतंत्रता से संबंधित है, जिसका अर्थ है- किसी भी बिंदु या विषय पर आस्था, अभिमत, विचार और अभिव्यक्ति की असीम स्वतंत्रता|
अहस्तक्षेप का लघुत्तम क्षेत्र- यह मिल की विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, अर्थात विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सिद्धांत अहस्तक्षेप का लघुत्तम क्षेत्र है, जिसमें राज्य का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए|
कार्यों की स्वतंत्रता-
मिल कार्य की स्वतंत्रता को विचारों की स्वतंत्रता का पूरक मानता है| उनके अनुसार सोचने, समझने, बोलने, कार्य करने की स्वतंत्रता एक ही प्रधान तत्व के सोपान है, इसमें किसी की उपेक्षा नहीं की जा सकती|
मिल व्यक्ति के कार्य को दो भागों में बांटता है-
स्व विषयक कार्य
पर विषयक कार्य
स्व विषयक कार्य-
स्व विषयक कार्यों के संदर्भ में जे एस मिल का वैयक्तिकता का सिद्धांत है|
ऐसे कार्य जिनका प्रभाव केवल स्वयं व्यक्ति पर पड़ता है| जैसे- कपड़े पहनना, शिक्षा प्राप्त करना, सिगरेट पीना, धार्मिक कार्य आदि|
स्व विषयक कार्यों में राज्य का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए|
स्व विषयक कार्यों पर सभी प्रकार के बंधनों का अभाव होना चाहिए|
वैयक्तिकता का सिद्धांत- मिल के अनुसार स्वतंत्रता का अंतिम उद्देश्य वैयक्तिकता की प्राप्ति है, बौद्धिक और नैतिक व्यक्तित्व का निर्माण ही स्वतंत्रता का परम लक्ष्य है|
पर विषयक या पर संबंधी कार्य (हानि का सिद्धांत)-
वे कार्य जिनसे समाज व अन्य व्यक्ति प्रभावित होते हैं| अर्थात अन्य व्यक्तियों को हानि पहुंचती हो, इसे हानि का सिद्धांत भी कहा जाता है
ऐसे कार्यों में राज्य हस्तक्षेप कर सकता है, क्योंकि ऐसे कार्य दूसरे की स्वतंत्रता में बाधा पहुंचा सकते हैं|
राज्य, पर संबंधी कार्यों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सकता है, अर्थात व्यक्ति के पर विषयक कार्यों पर प्राधिकार (Authority) की सीमा होनी चाहिए|
स्वतंत्रता का पूर्व सत्यापित सिद्धांत (Presumption of Liberty)- मिल ने स्वतंत्रता की संकल्पना को अभीष्ट सत्य के रूप में स्वीकार किया है, जिससे सत्य सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि पूर्व सत्यापित है|
C B मेकफरसन ने मिल की स्वतंत्रता को विकासजनक स्वतंत्रता की संज्ञा दी है, जो बौद्धिकता के निर्माण और संवर्धन के लिए आवश्यक है|
लार्ड एक्टन-
एक्टन ने अपनी पुस्तक History of freedom and other Essay 1907 में नकारात्मक स्वतंत्रता का समर्थन किया है|
एक्टन “समानता गेट से आती है, तो स्वतंत्रता खिड़की से चली जाती है|”
टॉकवीले-
पुस्तक- Democracy in America 1835
टॉकवीले “स्वतंत्रता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन समानता की अवधारणा स्वतंत्रता और लोकतंत्र दोनों को नष्ट कर देती है|”
जेम्स ब्राइस-
पुस्तक- Modern democracy 1921
जेम्स ब्राइस “समानता की अवधारणा को दूर तक लागू नहीं किया जा सकता, इसलिए हमें स्वतंत्रता पर जोर देना चाहिए| पूर्ण आर्थिक समानता असंभव है|”
जेम्स ब्राइस “निरंतर जागरूकता स्वतंत्रता का मूल्य है|’
स्वेच्छातंत्रवादी विचारक/ नव उदारवादी विचारक/ विमुक्तिवादी विचारक/ समकालीन उदारवादी चिंतक-
ऐसे विचारक जो नकारात्मक स्वतंत्रता के समकालीन समर्थक हैं|
स्वेच्छातंत्रवादी व्यक्ति की पूर्ण स्वायत्तता पर बल देते हैं|
नव उदारवाद को नव दक्षिणपंथी भी कहा जाता है|
ये राज्य के कल्याणकारी स्वरूप का विरोध करते हैं|
ये राज्य की तुलना में व्यक्ति पर बल देते हैं|
ये पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था के पक्षधर हैं |
निम्न स्वेच्छातंत्रवादी विचारक नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं-
F A हेयक-
हेयक ने अपनी पुस्तक The Constitution of liberty 1960 में नकारात्मक स्वतंत्रता संबंधी विचार दिए हैं|
हेयक के अनुसार स्वतंत्रता का तात्पर्य है विकल्पों की उपस्थिति| विकास के जितने ज्यादा विकल्प होंगे, उतनी ज्यादा स्वतंत्रता होगी, यदि विकल्पों को बंद कर दिया जाए तो उसी को गुलामी का मार्ग (Road to serfdom) कहते हैं|
हेयक व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक थे| हेयक ने अपनी पुस्तक The Constitution of liberty में लिखा है कि “मनुष्य को स्वतंत्रता तब प्राप्त होती है, जब वह किसी दूसरे की निरंकुश इच्छा के द्वारा विवश या बाध्य न हो|
हेयक को नव उदार पूंजीवाद का बौद्धिक जनक कहा जाता है|
इन्होंने कल्याणकारी राज्य की संकल्पना का विरोध किया है| इनके अनुसार सर्वाधिकारवादी और कल्याणकारी राज्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं|
The Constitution of liberty में प्रतिबंध के अभाव को जीवन का मूलमंत्र माना है|
हेयक अपनी पुस्तक Road to serfdom 1944 में नियोजन की संकल्पना को प्रगति में अवरोध मानता है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता को समाप्त कर देती है तथा दासता की ओर ले जाता है|
Law, Legislation and liberty:The Mirage of Social Justice (दो भाग- 1973 व 1976) में सामाजिक न्याय और सामाजिक स्वतंत्रता को निरर्थक बताता है, क्योंकि इनके नाम पर स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाता हैं|
हेयक स्वतंत्रता के चार प्रकार मानता है-
राजनीतिक स्वतंत्रता
आंतरिक स्वतंत्रता
शक्ति रुपी स्वतंत्रता
व्यक्तिगत स्वतंत्रता (व्यक्तिगत स्वतंत्रता ज्यादा आवश्यक)
आलोचना-
क्रिश्चियन बे “हेयक विशेष वर्गहित का विशेष अधिवक्ता है, जो निर्बल की आवश्यकता की तुलना में बलशाली की मांगों को स्वभाव से वरीयता देता है|”
क्रिश्चियन बे ने हेयक की कृति The Constitution of liberty में प्रस्तुत किए गए रूढ़िवादी समाज दर्शन को स्थायी विशेषाधिकार का संविधान बताया है||
आइजिया बर्लिन-
ये अमेरिकी स्वेच्छातंत्रवादी विचारक थे|
आइजिया बर्लिन को आंशिक स्वेच्छातंत्रवादी भी कहते हैं, क्योंकि यह पहले सकारात्मक उदारवादी था अपने अंतिम जीवन में स्वेच्छातंत्रवादी बना था|
इन्होंने अपने विचार Two Concept of Liberty 1958 में दिए हैं|
ये नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक थे|
बर्लिन ने Two Concept of Liberty में दो प्रकार की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है-
सकारात्मक स्वतंत्रता- आत्म नियंत्रित/ आत्म साक्षात्कार
नकारात्मक स्वतंत्रता- राजनीतिक स्वतंत्रता, नागरिक स्वतंत्रता, प्रतिबंधों का अभाव, चयन की स्वतंत्रता, अधीनता से मुक्ति आदि|
बर्लिन के अनुसार नकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि व्यक्ति को अपने विवेक के अनुसार अपने कार्यों का चयन करने से रोका नहीं जाए| सकारात्मक स्वतंत्रता यह मांग करती है कि व्यक्ति का अपने पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए|
बर्लिन “राज्य केवल नकारात्मक स्वतंत्रता दे सकता है, इसके बावजूद कोई व्यक्ति गरुड़ पक्षी की तरह उड़ नहीं पाता, व्हेल की तरह तैर नहीं सकता तो उसकी अपनी कमी है|”
इस प्रकार बर्लिन नकारात्मक स्वतंत्रता की रक्षा का भार राज्य को सौंपा है तथा सकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्ति की इच्छा पर छोड़ता है|
बर्लिन की अन्य पुस्तक- Four Essay on liberty 1969
मिल्टन फ्रीडमैन-
पुस्तक- Capitalism and freedom 1962
यह हरबर्ट स्पेंसर से प्रभावित था|
मिल्टन फ्रीडमैन के अनुसार “कमजोर लोगों को कोई राहत नहीं देनी चाहिए|” अर्थात सरकार सामाजिक कल्याण का कार्य न करें|
इन्होंने प्रतिस्पर्धात्मक पूंजीवाद, स्वतंत्र बाजार व सीमित सरकार का समर्थन किया है|
फ्रीडमैन के अनुसार स्वतंत्रता का अर्थ “किसी व्यक्ति के साथ रहने वाले उसे किसी बात के लिए विवश न कर सके|”
रॉबर्ट नॉजिक-
पुस्तक- Anarchy, State and Utopia 1974
इन्हें स्वेच्छातंत्रवाद का श्रेष्ठतम आधुनिक समर्थक माना जाता है|
इन्होंने यह सिद्ध करने की कोशिश की थी, कि स्वतंत्रता केवल पूंजीवादी व्यवस्था की विशेषता है|
रॉबर्ट नॉजिक का तर्क है कि व्यक्तियों की स्वतंत्रता उनके स्वैच्छिक सहयोग और विनिमय की गतिविधियों में निहित है| केवल पूंजीवादी व्यवस्था ही व्यक्तियों की स्वैच्छिक गतिविधियों में तालमेल स्थापित करके राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए उपयुक्त अवसर और वातावरण प्रदान करती है|
रॉबर्ट नॉजिक संरक्षण, न्याय एवं प्रतिरक्षा को ही राज्य के कार्य मानता है|
ये प्राकृतिक कानून के आलोचक थे तथा प्राकृतिक कानून को पितृवंशीय कहते थे|
Note- परंपरागत उदारवादी व स्वेच्छातंत्रवादी स्वतंत्रता और समानता को एक दूसरे का विरोधी मानते हैं|
सकारात्मक/ अनौपचारिक/ तात्विक स्वतंत्रता-
यह स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त प्रतिबंध का समर्थन करती हैं|
समाजवादी व लोक कल्याणकारी राज्य का समर्थन करती हैं|
सकारात्मक स्वतंत्रता के प्रमुख समर्थक-
सकारात्मक उदारवादी या आधुनिक उदारवादी विचारक
समतावादी विचारक
समाजवादी या मार्क्सवादी व नव मार्क्सवादी विचारक
समुदायवादी विचारक
आदर्शवादी विचारक
सकारात्मक/ आधुनिक उदारवादी विचारक-
निम्न सकारात्मक/ आधुनिक विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं-
जे एस मिल-
मिल को सकारात्मक उदारवाद का जनक कहते है|
मिल पहले नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक थे, लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में सकारात्मक उदारवाद का समर्थन करते हैं|
मिल ने अपनी पुस्तक प्रिंसिपल ऑफ पॉलीटिकल इकोनामी 1848 में भूमि सुधार का समर्थन किया था|
लॉस्की-
इन्होंने अपनी पुस्तक A Grammar of Politics 1925 में सकारात्मक स्वतंत्रता पर विशेष बल दिया है|
लॉस्की “आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता बेकार है|”
यह स्वतंत्रता और समानता को पूरक मानता है|
हॉब हाउस -
पुस्तक- Liberalism 1911
यह राज्य को कर लगाने का अधिकार देता है| कहता है कि राज्य कर लगाए तथा उस कर का उपयोग गरीबों के कल्याण के लिए करें|
अर्थात यह समानता व स्वतंत्रता को पूरक मानता है|
हॉब हाउस “सकारात्मक स्वतंत्रता के लिए प्रभावी स्वतंत्रता शब्द का प्रयोग करता है|”
R H टोनी-
पुस्तक- Equality
टोनी कहता है कि जब तक व्यक्ति को समानता या सकारात्मक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं होती, तब तक वह नकारात्मक स्वतंत्रता का प्रयोग भी नहीं कर सकता है|
टोनी “एक भूखे पेट व्यक्ति भाषण नहीं दे सकता|”
G D रिची-
पुस्तक- General interest and state
रिची सकारात्मक उदारवाद व सकारात्मक स्वतंत्रता पर विशेष जोर देता है|
इनका कहना है कि हमें संपूर्ण समाज के सामान्य हित पर बल देना चाहिए|
आदर्शवादी विचारक-
निम्न आदर्शवादी विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं|
ग्रीन-
पुस्तक- Lectures on the Political Obligation
ग्रीन चेतना की सर्वोच्च संस्था मानव को मानता है|
ग्रीन ने स्वतंत्रता के दो प्रकार बताए हैं-
आंतरिक स्वतंत्रता-
यह नैतिकता पर आधारित है| इसको व्यक्ति स्वयं प्राप्त कर सकता है इसमें राज्य का कोई योगदान नहीं होता है|
बाह्य स्वतंत्रता-
ग्रीन के अनुसार इसमें राज्य योगदान दें तथा व्यक्ति को उचित वातावरण या उचित परिस्थितियां प्रदान करें अर्थात उचित वातावरण या उचित परिस्थितियां ही स्वतंत्रता है|
ग्रीन “स्वतंत्रता उन कार्यों को करने तथा उन वस्तुओं के उपभोग करने की शक्ति है, जो कार्य करने तथा वस्तु उपभोग करने योग्य है|”
ग्रीन “मानव चेतना स्वतंत्रता चाहती है, स्वतंत्रता में अधिकार निहित हैं तथा अधिकार राज्य की मांग करते हैं|”
हेगेल-
हेगेल “राज्य की आज्ञा का पालन करना ही स्वतंत्रता है|”
हेगेल स्वतंत्रता को ब्रह्मांडीय आत्मा का आज्ञा पालन मानता है, जो विवेक द्वारा प्रकट होती है|
हेगेल का मानना है कि पूर्व में एक सर्वोच्च सत्ताधारी राज्य ही स्वतंत्र था|
कांट-
पुस्तक- Critique of Pure Reason 1781
स्वतंत्रता संबंधी धारणा- ‘संकल्प की स्वतंत्रता’
कांट सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं| इन्होंने नैतिक स्वतंत्रता पर बल दिया है|
कांट ने मूल समझौते की अवधारणा दी है, इनके अनुसार ‘समझौते द्वारा जंगली, विधि विहीन स्वतंत्रता को त्याग कर परिपूर्ण या उत्तम स्वतंत्रता (Perfect Freedom) हेतु कॉमनवेल्थ की स्थापना की जाती है|’
कांट ने स्वतंत्रता को स्पष्ट रूप में स्व निर्धारित कर्तव्य की आदेश की भावना की पूर्ति तथा विवेकसंगत इच्छा की स्वायत्तता कहा है|
रूसो-
पुस्तक- Social Contract 1762
रूसो स्वतंत्रता को राज्य प्रदत नागरिक अधिकार मानता है|
अपने ग्रंथ Social contract में रूसो ने लिखा है कि “स्वतंत्रता मानव का परम आंतरिक तत्व है|” स्वतंत्रता नैतिकता का आधार है|
रूसो स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता या मनमाना कार्य करना नहीं है, बल्कि सामान्य हित की दृष्टि से बनाए गए नियम व कानूनों की पालना करने में स्वतंत्रता है|
इस प्रकार रूसो ने स्वतंत्रता का सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है|
‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ का आरंभ इस प्रसिद्ध वाक्य के साथ होता है “मनुष्य स्वतंत्र उत्पन्न होता है लेकिन वह सर्वत्र बेड़ियों में जकड़ा हुआ है|”
Paradox of Freedom (स्वतंत्रता का विरोधाभास)- रूसो की स्वतंत्रता की संकल्पना को विरोधी भाषी संकल्पना कहा जाता है, क्योंकि रूसो का मत है कि जो व्यक्ति सामान्य इच्छा का पालन नहीं करेगा, उस व्यक्ति को स्वतंत्र होने के लिए बाध्य किया जाएगा तथा सामान्य इच्छा की पालन करना ही स्वतंत्रता है|
समतावादी विचारक-
निम्न समतावादी विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं-
जॉन रॉल्स-
पुस्तक- A theory of Justice 1971
जॉन रॉल्स ने स्वतंत्रता की इकहरी संकल्पना दी है अर्थात स्वतंत्रता सकारात्मक या नकारात्मक नहीं होती है|
इसके अनुसार स्वतंत्रता पर स्वतंत्रता की रक्षा के लिए ही प्रतिबंध लगाना चाहिए|
विभेद का सिद्धांत- रॉल्स का यह सिद्धांत असमान वितरण की अनुमति देता है, लेकिन यह असमान वितरण हीनतम स्थिति वाले वर्ग को अधिकतम लाभ पहुंचाएं|
जॉन रॉल्स नकारात्मक स्वतंत्रता को प्राकृतिक स्वतंत्रता की व्यवस्था कहता है तथा इसकी आलोचना करते हुए कहता है कि ‘इसके परिणाम सर्वथा अनुचित होंगे और ना ही इस व्यवस्था में न्याय की उम्मीद की जा सकती है|’
अमर्त्य सेन-
पुस्तक- Development as freedom 1999
भारतीय मूल के समतावादी विचारक हैं|
यह विकासात्मक स्वतंत्रता की संकल्पना प्रस्तुत करते हैं, अर्थात स्वतंत्रता के लिए व्यक्ति की क्षमताओं का विकास करना चाहिए|
अर्थात व्यक्ति को मछली देने के बजाय, मछली का शिकार करना सिखाया जाए|
यह भारत के केरल, गुजरात मॉडल के स्थान पर तमिलनाडु मॉडल का समर्थन करते हैं|
अमर्त्य सेन ने 5 सहायक स्वतंत्रताएं बताई है-
राजनीतिक स्वतंत्रता
सामाजिक स्वतंत्रता
आर्थिक स्वतंत्रता
पारदर्शिता की गारंटी
शरण में आए की सुरक्षा
रोनाल्ड डवारकिन-
डवारकिन “विधिक अहस्तक्षेप ही स्वतंत्रता है|”
डवारकिन “मेरी समझ से कानूनी बाधाओं से मुक्ति ही स्वतंत्रता है, जिसे आमतौर पर नकारात्मक स्वतंत्रता कहा जाता है|”
इनके अनुसार स्वतंत्रता समानता के एक आयाम के रूप में है| डवारकिन “स्वतंत्रता एक स्वतंत्र विचार न होकर समानता का ही एक आयाम है| स्वतंत्रता और तात्विक समानता के बीच प्रतिरोध नहीं है, बल्कि अंतरसंबंध है|”
C B मैकफ़र्सन-
पुस्तक- The real word of democracy 1965
Democratic theory: essay in retrieval 1973
मैकफ़र्सन सृजनात्मक स्वतंत्रता के विचार का प्रतिपादन करते हैं|
मैकफ़र्सन “मनुष्य की विकासात्मक शक्ति का अधिकतम विस्तार ही उसकी सृजनात्मक स्वतंत्रता की कुंजी है|”
मैकफ़र्सन दो प्रकार की शक्ति बताता है-
दोहन शक्ति-
यह स्वार्थ पर आधारित है| इससे समाज का शोषण होता है तथा स्वतंत्रता का नाश होता है|
विकासात्मक शक्ति-
यह परार्थ पर आधारित है, समाज कल्याण पर बल देती है, जिससे सृजनात्मक स्वतंत्रता का निर्माण होता है|
जगदीश भगवती-
ये भारतीय समतावादी विचारक व अर्थशास्त्री है|
पुस्तक- World economy
जगदीश भगवती के अनुसार “वैश्वीकरण अपनाने के बाद भारत में सृजनात्मक स्वतंत्रता का ह्रास हुआ है|”
समाजवादी/ मार्क्सवादी विचारक-
निम्न मार्क्सवादी विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक है-
कार्ल मार्क्स-
स्वतंत्रता संबंधी संकल्पना- अलगाव से स्वतंत्रता
कार्ल मार्क्स ने अपनी कृति इकोनामिक एंड फिलोसॉफिक मैनुस्क्रिप्ट्स 1844 में पूंजीवाद की आलोचना की है और कहा है कि ‘पूंजीवाद मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता है|’
पूंजीवाद मनुष्य की रचनात्मक शक्ति और कोमल भावनाओं को नष्ट करके उसे अपनी रचना से, प्रकृति से, समाज से, यहां तक कि अपने आप से बेगाना कर देता है|
स्वतंत्रता को वापस लाने का यह तरीका है कि उन परिस्थितियों को बदल दिया जाए जो मनुष्य को अलगाव या पराएपन की ओर ले जाती है|
मार्क्स के अनुसार स्वतंत्रता का अर्थ अकेलापन नहीं है, बल्कि समाज में ही व्यक्ति स्वतंत्रता का आनंद ले सकता है|
तर्कसंगत उत्पादन प्रणालीन (साम्यवादी प्रणाली) में ही व्यक्ति स्वतंत्र हो सकता है|
तर्कसंगत उत्पादन प्रणाली में उत्पादन के साधनों पर पूरे समाज का अधिकार होगा और कोई किसी का शोषण नहीं कर पाएगा|
फ्रेडरिक एंगेल्स-
पुस्तक- एंटी ड्यूरिंग 1878
इन्होंने विवशता से स्वतंत्रता की ओर सिद्धांत दिया है|
जब मनुष्य को प्राकृतिक नियमों का ज्ञान नहीं होता है, तब तक वह विवश होता है|
जैसे ही वह प्राकृतिक नियमों का ज्ञान प्राप्त करके उनका प्रयोग अपने हित में करने लगता है, तो वह स्वतंत्रता की ओर बढ़ता है|
अर्थात स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि मनुष्य प्रकृति के नियमों का ज्ञान प्राप्त करके अपने निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उनका व्यवस्थित प्रयोग करें|
नव मार्क्सवादी विचारक-
निम्न नव मार्क्सवादी विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक हैं|
एरिक फ्रेम
पुस्तक- Escape From freedom 1941
Fear of freedom 1942
ये आधुनिक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विचारक है|
इनके अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था मनुष्य की सृजनात्मक गतिविधि में बाधा डालती है|
इनके अनुसार व्यक्ति पूंजीवादी व्यवस्था में फसकर परिवार, समाज से कट जाता है तथा भौतिक अकेलापन व नैतिक अकेलापन का शिकार हो जाता है| जब अकेलापन हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो व्यक्ति मनोविदलता (सिजोफ्रेनिया) जैसे मानसिक रोग का शिकार हो जाता है| इस तरह व्यक्ति स्वतंत्रता से पलायन कर जाता है|
इससे बचने का तरीका यह होगा कि व्यक्ति सहज स्नेह तथा रचनात्मक कार्य के द्वारा अपने आप को विश्व के साथ फिर से जोड़ ले|
हरबर्ट मार्क्यूजे-
पुस्तक- वन डाइमेंशनल मैन: स्टडीज इन द आईडियोलॉजी ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल सोसायटी (1968)
मार्क्यूजे “मनुष्य सोने के पिंजरे में बंद उस पक्षी की तरह है, जो उसके आकर्षण में इतना डूब चुका है, कि वह मुक्त आकाश में उड़ान भरने के आनंद को भूल गया है|”
इनके अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था में मनुष्य का बहुआयामी व्यक्तित्व समाप्त हो गया है तथा उसके व्यक्तित्व का एक आयाम रह गया है वह है- तुच्छ भौतिक इच्छाओं की संतुष्टि|
उपभोक्तावादी संस्कृति मनुष्य के व्यक्तित्व पर इतनी हावी हो गई है, कि सृजनात्मक स्वतंत्रता के विचार को पीछे धकेल कर व्यक्ति को एक आयामी बना दिया है|
आधुनिक प्रौद्योगिकी समाज ने मिथ्या चेतना के द्वारा मनुष्य को कब्जे में कर रखा है| यह मिथ्या चेतना भय और उपभोक्तावाद पर आधारित है|
हेबर मास-
पुस्तक- लेजिटीमेशन क्राइसिस 1975
इनके अनुसार स्वतंत्रता की समस्या ने पूंजीवाद की वैधता को संकट में डाला है|
समकालीन विश्व में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संगठन की वजह से मनुष्य की तर्कबुद्धि मनुष्य के उद्धार दायित्व से मुक्त हो गई है और मनुष्य की तर्कशक्ति की भूमिका, तकनीकी कुशलता बढ़ाने तक सीमित रह गई है, जो मनुष्य को पराधीनता की ओर धकेलती है|
उदार लोकतंत्र की संस्थाओं ने मनुष्य के परस्पर संबंधों को बाजार समाज के ढर्रे पर खरीदार और विक्रेता के संबंध में बदल दिया है|
समुदायवादी विचारक-
ये सामान्यतः बंधुता (भाई चारे) पर जोर देते हैं तथा स्वतंत्रता व समानता को भी महत्वपूर्ण मानते हैं|
माइकल वाल्जर जटिल समानता का समर्थन किया है| जटिल समानता का तात्पर्य वितरण की ऐसी व्यवस्था जो सभी वस्तुओं को बराबर करने की कोशिश नहीं करती|
हन्ना आरेण्ट ने सृजनात्मक स्वतंत्रता का समर्थन किया है|
नोट- सकारात्मक उदारवादी, समतावादी, समाजवादी विचारक स्वतंत्रता और समानता को एक दूसरे का पूरक मानते हैं|
स्वतंत्रता के तीन तत्व-
विकल्पों की उपस्थिति
विकल्पों को चुनने व उनका प्रयोग करने में बाधाओं का अभाव
विकल्पों को वास्तविक एवं व्यवहारिक रूप देने के लिए आवश्यक परिस्थितियां
स्वतंत्रता के प्रकार-
स्वतंत्रता के निम्न प्रकार है-
प्राकृतिक स्वतंत्रता-
इसमें स्वतंत्रता को प्रकृति प्रदत माना जाता है|
समझौतावादी विचारक इसके समर्थक हैं|
यह राज्य से पूर्व विद्यमान थी| राज्य की स्थापना के साथ ही यह धीरे-धीरे लुप्त हो जाती है|
इसलिए रूसो कहता है कि “मनुष्य स्वतंत्र जन्म लेता है, किंतु सर्वत्र बंधनों में जकड़ा रहता है|”
निजी/ व्यक्तिगत स्वतंत्रता-
यह व्यक्ति के निजी जीवन से संबंधित है, जिस पर राज्य द्वारा प्रतिबंध केवल समाज हित में ही लगाए जा सकते हैं|
ब्लैक स्टोन व्यक्तिगत स्वतंत्रता में स्वास्थ्य, जीवन, प्रतिष्ठा, भ्रमण, निजी संपत्ति, उपभोग व व्यय करने को शामिल करता है|
नागरिक स्वतंत्रता-
यह नागरिक होने के कारण संबंधित देश में प्राप्त होती है, जिन्हें समाज स्वीकार करता है तथा राज्य मान्यता देकर संरक्षण प्रदान करता है|
गेटेल के अनुसार “स्वतंत्रताएं उन अधिकारों और विशेषाधिकारों को कहते हैं, जिनको राज्य अपने नागरिकों के लिए उत्पन्न करता है और रक्षा करता है|”
बार्कर नागरिक स्वतंत्रता में दैहिक, बौद्धिक और व्यवहारिक स्वतंत्रता को शामिल करता है|
राजनीतिक स्वतंत्रता-
इसमें मतदान करने, चुनाव में भाग लेने, सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति पाने के अधिकार को शामिल करते हैं|
गिलक्राइस्ट राजनीतिक स्वतंत्रता को लोकतंत्र का दूसरा नाम बताते हैं|
बार्कर ““राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं, बल्कि सरकार बनाने और उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है|”
लीकॉक “राजनीतिक स्वतंत्रता, संवैधानिक स्वतंत्रता है, जिसका अर्थ है कि लोगों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए|”
आर्थिक स्वतंत्रता-
आर्थिक स्वतंत्रता से तात्पर्य है- व्यक्ति का आर्थिक स्तर ऐसा हो, जिसमें वह स्वाभिमान के साथ स्वयं व परिवार का जीवन निर्वाह कर सकें| शोषण से व्यक्ति को मुक्ति प्राप्त हो|
लॉस्की “प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने के लिए समुचित सुरक्षा एवं सुविधा प्राप्त होनी चाहिए|”
लॉस्की “आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता व्यर्थ है|”
नेहरू “भूखे मनुष्य के लिए वोट का कोई महत्व नहीं है|”
धार्मिक स्वतंत्रता-
यह अंतःकरण से संबंधित है| यह व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने, आस्था व आचरण की स्वतंत्रता देता है|
नैतिक स्वतंत्रता-
इसका संबंध व्यक्ति के चरित्र, नैतिकता, औचित्य पूर्ण व्यवहार से हैं|
प्लेटो, अरस्तु, कांट, ग्रीन ने नैतिक स्वतंत्रता का समर्थन किया है|
यह सबसे उत्कृष्ट स्वतंत्रता है|
सामाजिक स्वतंत्रता-
व्यक्ति के साथ जाति, वर्ग, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करना|
राष्ट्रीय स्वतंत्रता-
यह स्वतंत्रता देश की स्वतंत्रता से संबंधित है, अर्थात संप्रभु राष्ट्र (स्वतंत्र देश)
राष्ट्र की स्वतंत्रता के बिना अन्य स्वतंत्रताए गौण है|
संवैधानिक स्वतंत्रता-
यह स्वतंत्रता नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदान की जाती है तथा संविधान इन स्वतंत्रताओं की रक्षा की गारंटी देता है|
जैसे- अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार
घरेलू स्वतंत्रता-
यह घरेलू जीवन में स्वतंत्रता प्रदान करने से संबंधित है|
हॉबहाउस (Elements of Social Justice 1928) इस स्वतंत्रता के समर्थक हैं|
फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट-
U S A राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने अटलांटिक चार्टर में चार प्रकार की स्वतंत्रताओं का वर्णन किया है, जिन्हें चार मुक्तियां भी कहा जाता है-
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
उपासना की स्वतंत्रता
भय से स्वतंत्रता
अभाव से स्वतंत्रता
डेविड मिलर-
पुस्तक- The Liberty Reader 2006
मिलर ने स्वतंत्रता के तीन प्रकार या तीन परंपराएं बतायी है-
गणतंत्रवादी- वही व्यक्ति स्वतंत्र है, जो राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेता है| जैसे- अरस्तु
उदारवादी
आदर्शवादी
विम किमलिका-
प्रयोजनमूलक स्वतंत्रता- उपयोगितावादियों की स्वतंत्रता
तटस्थ स्वतंत्रता- किसी व्यक्ति को उतनी ही स्वतंत्रता मिल सकती है, जितनी कि वह दूसरे को देना चाहता है| प्रत्येक व्यक्ति विस्तृत स्वतंत्रता का हकदार है, लेकिन इसकी एक शर्त है कि उसकी स्वतंत्रता दूसरों की स्वतंत्रता से सुसंगत हो| विमलिका इससे अधिकतम समान स्वतंत्रता कहते हैं|
उद्देश्य पूर्ण स्वतंत्रता-
क्विंटन स्कीनर-
स्वतंत्रता का नव रोमन सिद्धांत- स्वतंत्रता केवल स्वतंत्र व स्वशासित राज्य में ही संभव है|
गणतंत्रवादी स्वतंत्रता
सकारात्मक स्वतंत्रता
फिलिप पैटिट-
पुस्तक- Republicanism: A Theory of freedom and government 1997
फिलिप पैटिट और क्विंटन स्कीनर नकारात्मक स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए यह मानते हैं कि स्वतंत्रता ऐसी स्थितियों का आनंद है, जिसमें अहस्तक्षेप की गारंटी हो, और यह गारंटी तभी मिल सकती है, जब राजनीतिक संस्थाएं प्रजातांत्रिक एवं उदारवादी हो, पैटिट इसे रिपब्लिकन स्वतंत्रता कहता है|
रिपब्लिकन स्वतंत्रता, नकारात्मक स्वतंत्रता से अलग है, क्योंकि यह अप्रभुत्व को बताती है जबकि नकारात्मक स्वतंत्रता अहस्तक्षेप को बताती है|
दास पर मालिक का प्रभुत्व होता है, अतः वह स्वतंत्र नहीं है, चाहे मालिक दास के मामलों में हस्तक्षेप ना करें|
अन्य तथ्य-
प्लेटो-
प्लेटो ने स्वतंत्रता के लिए ग्रीक शब्द ऐलूथेरिया का प्रयोग किया है|
ऐलूथेरिया का तात्पर्य है- अभिजात स्वतंत्रता, जिसमें विवेक का शासन हो
अर्थात प्लेटो की स्वतंत्रता अभिजात की स्वतंत्रता है|
अरस्तु-
अरस्तु ने केवल नागरिकों को स्वतंत्र कहा है तथा दासो, महिलाओं, विदेशियों को स्वतंत्रता विहीन कहा है|
अरस्तु की स्वतंत्रता गणतंत्रवादी स्वतंत्रता है, अर्थात स्वतंत्र व्यक्ति वही है, जो नागरिक है तथा शासन कार्यो में भाग लेता है|
इस तरह अरस्तु की स्वतंत्रता कर्तव्य के रूप में है|
सिसरो-
सिसरो ने अपनी कृति डी रिपब्लिका में कहा है कि “हम कानून के बंधन में है, ताकि हम स्वतंत्र हो सके|”
सिसरो की स्वतंत्रता का सार “जैसा आप चुनते हैं, वैसे ही जीना|”
एडवर्ड गिब्बन ने सिसरो के लेखन को स्वतंत्रता की साँस कहा है|
जीन पॉल सार्त्र-
पुस्तक- Being and Nothingness 1943
जीन पॉल सार्त्र “हमारे मस्तिष्क और विचारों में हम सभी पूर्णत: स्वतंत्र हैं| स्वतंत्रता मनुष्य के लिए अत्यधिक कष्ट देने वाली वस्तु है, परंतु फिर भी मनुष्य स्वतंत्र रहना चाहता है|”
जीन पॉल सार्त्र “प्रत्येक मनुष्य स्वतंत्र होने के लिए अभिशप्त है|”
मांटेस्क्यू-
“स्वतंत्रता का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कार्य कर रहा है| राज्य में अर्थात कानून द्वारा निर्देशित समाज में स्वतंत्रता का अर्थ है, कि एक व्यक्ति को उन कार्यों के करने की स्वाधीनता हो जो करने योग्य है और जो काम नहीं करने चाहिए, उनको करने के लिए उसे विवश न किया जाए|”
“स्वतंत्रता के अलावा ऐसा कोई दूसरा शब्द नहीं है, जिसके इतने विविध भावार्थ लिए जा सकते हैं और जिसने मानव मस्तिष्क पर इतने विभिन्न प्रभाव डालें है|”
हन्ना आरेण्ट-
पुस्तक- On human condition 1958
On Violence 1970
The Origins of Totalitarianism 1951
हन्ना आरेण्ट ने मनुष्य की गतिविधियों के तीन स्तर बताएं है-
श्रम (Labour)
कार्य (Work)
कार्यवाही (Action)
हन्ना आरेण्ट स्वतंत्रता को सामुदायिक कौशल मानती है| इनके अनुसार स्वतंत्रता राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार है| अर्थात स्वतंत्रता का संबंध कार्यवाही से है|
हन्ना आरेण्ट “आधुनिक समाज में लोग श्रम व कार्य के स्तर पर जी रहे हैं और यह उपभोक्तावादी समाज को जन्म देता है, जबकि सबसे श्रेष्ठ गतिविधि कार्यवाही है| यह नागरिकों के मध्य परस्पर सार्वजनिक क्रिया को बढ़ावा देती है|
हैरी फ्रैंकफर्ट-
पुस्तक- Freedom of will and the concept of a person 1971
इस पुस्तक में इन्होंने व्यक्तिगत स्वायत्तता का सिद्धांत दिया है|
हैरी फ्रैंकफर्ट “व्यक्ति स्वायत्त तब कहलाता है, जब वह अपनी विचार शैली, जीवन चरित्र और अभिलाषाओं के ऊपर तार्किक आत्म नियंत्रण कर लेता है|
जोसेफ राज-
पुस्तक- The Morality of freedom 1986
ये पूर्णतावादी उदारवाद के समर्थक हैं| पूर्णतावादी उदारवाद की झलक ग्रीन के विचारों में मिलती है| ग्रीन व्यक्ति के पूर्ण आत्मविकास के लिए राज्य की सकारात्मक भूमिका को आवश्यक मानते हैं|
जोसेफ राज भी सकारात्मक स्वतंत्रता के पक्षधर हैं और व्यक्तिगत स्वायत्तता के सामाजिक महत्व को स्वीकार करते हैं|
जोसेफ राज्य का सिद्धांत- ‘उदारवादी सर्वोत्कृष्टवाद का सिद्धांत’
उदारवादी सर्वोत्कृष्ट मुख्य रूप से नैतिक मूल्यों को समुदाय उन्मुख मानता है अर्थात समुदाय ही नैतिक मूल्यों की जननी है|
फ्रांज फेनन-
पुस्तक- Black Skin and White Mask 1952
The Wretched of the Earth 1961
फ्रांज फेनन अश्वेत मनोचिकित्सक व मूलतः नव मार्क्सवादी विचारक है|
ये संपूर्ण मानव जाति की स्वतंत्रता के पक्षधर है|
The Wretched of the Earth 1961 फ्रांज फेनन की प्रसिद्ध कृति है| इस पुस्तक की प्रस्तावना पॉल सार्त्र ने लिखी थी| इसमें फेनन ने लिखा है कि “अलगाव रोग है, उपनिवेशवाद उसका कारण है, क्रांति उसका निदान है और स्वतंत्रता नियति है|
सैमुअल पी हंटिंगटन-
पुस्तक- Political Development and Political Decay 1965
Political Order in Changing Society 1968
The Clash of Civilization 1996
The Third Wave of Democratization 1991
सैमुअल पी हंटिंगटन ने अपनी कृति Political Order in Changing Society में लिखा है कि “स्वतंत्रता के बगैर व्यवस्था रह सकती है पर व्यवस्था के बिना स्वतंत्रता नहीं रह सकती| इस प्रकार व्यवस्था स्वतंत्रता से पहले है|”
बार्कर ने अपनी कृति ‘प्रिंसिपल ऑफ सोशल एंड पोलिटिकल थ्योरी 1951’ के अंतर्गत स्वतंत्रता के नैतिक आधार पर विशेष बल दिया है|
बार्कर “राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं है, बल्कि सरकार बनाने और उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है|”
वाल्टर बेजहॉट "चर्चा की स्वतंत्रता और विरोधी के मत के प्रति सहिष्णुता सारी सामाजिक प्रगति की कुंजी है|”
ब्लैक स्टोन “राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ शासन पर अंकुश रखने की शक्ति है|”
थॉमस हॉब्स “राज्य की सत्ता के सारे लाभ तभी उठाए जा सकते हैं, जब व्यक्ति की स्वतंत्रता को अत्यंत सीमित कर दिया जाए|”
जे एस मिल “व्यक्ति की स्वतंत्रता को सार्थक बनाने के लिए राज्य की सत्ता को यथासंभव सीमित करना जरूरी है|”
चार्ल्स टेलर “स्वतंत्रता हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, कि हम उद्देश्य पूर्ण जीव हैं|”
लॉस्की “नागरिकों के महान भावना, न कि कानून की शब्दावली स्वतंत्रता की वास्तविक सुरक्षा है|”
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