मंत्रीपरिषद (Council of Ministers)
- मंत्रीपरिषद हमारी राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी होती है| 
- रैमजे म्योर ने मंत्रीपरिषद को राज्य रूपी जहाज का स्टेयरिंग व्हील बताया है| तथा संसदीय शासन में महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण इसे कैबिनेट की तानाशाही कहा है| 
- बार्कर “कैबिनेट नीतियों का चुंबक है|” 
- बेजहॉट “केबिनेट हाइपन है, जो कार्यपालिका व विधायी विभाग दोनों से जुड़ी है|” 
- संविधान के भाग- 5 में अनुच्छेद 74 व अनुच्छेद 75 में मंत्रिपरिषद के बारे में वर्णन है| 
अनुच्छेद 74 - राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए मंत्री परिषद-
- 74 (1)- राष्ट्रपति को सहायता व सलाह देने के लिए मंत्रीपरिषद होगी, जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा| राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेगा| 
- 74 (2)- मंत्रियों द्वारा दी गई सलाह की जांच किसी भी न्यायालय द्वारा नहीं दी जाएगी| 
मंत्रीपरिषद द्वारा दी गई सलाह की प्रकृति-
- 42वां संशोधन 1976- 
- मंत्रीपरिषद द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है| 
- 44 वा संशोधन 1978- 
- मंत्रीपरिषद द्वारा दी गई सलाह पर राष्ट्रपति एक बार पुनर्विचार के लिए कह सकता है| लेकिन पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह के अनुसार ही राष्ट्रपति को कार्य करना पड़ेगा| 
- अतः वर्तमान में मंत्रिपरिषद की सलाह की यह स्थिति है कि एक बार पुनर्विचार के बाद यदि सलाह दूबारा दी जाती है, तो राष्ट्रपति उसी सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य है| 
- बिना मंत्रिपरिषद की सलाह के राष्ट्रपति द्वारा किया गया कार्य असंवैधानिक होगा| 
अनुच्छेद 75– मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
- मंत्रियों की नियुक्ति- प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा [75 (1)] 
- मंत्रीपरिषद की सदस्य संख्या- [अनु 75(1)(क)] 
- 91वा संशोधन 2003 के द्वारा मंत्रियों की संख्या निश्चित कर दी गई| 
- प्रधानमंत्री सहित मंत्रीपरिषद के सदस्यों की संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या की 15% से अधिक नहीं होगी| 
- शपथ- 
- मंत्री पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति उन्हें तीसरी अनुसूची में निर्धारित प्रारूप के अनुसार पद व गोपनीयता की शपथ दिलाता है- 
- संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा की| 
- भारत की अखंडता और संप्रभुता अक्षुण्य रखने की| 
- कर्तव्य पालन की| 
- सभी लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करने की| 
- गोपनीयता की शपथ- जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मुझे ज्ञात होगा या मेरे विचार के लिए लाया जाएगा मैं किसी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित नहीं करूंगा, सिवाय अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए अपेक्षित हो| 
- वेतन भत्ते [अनु 75 (6)]- 
- संसद द्वारा समय-समय निर्धारित किया जाता है| 
 
- कार्यकाल [ अनु 75 (2)]- 
- मंत्रियों का कार्यकाल निश्चित नहीं है| 
- मंत्रियों का कार्यकाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत रहता है| 
- मंत्री पद समाप्त होना- 
- 75(1) (ख)- संसद का कोई सदस्य दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया जाय तो उसका मंत्री पद भी समाप्त हो जाएगा| 
- 75 (5)- कोई मंत्री निरंतर 6 माह की अवधि तक संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तो मंत्री पद समाप्त हो जाएगा| 
- त्यागपत्र- राष्ट्रपति को 
- योग्यता- 
- प्रधानमंत्री व मंत्रियों की योग्यता का उल्लेख संविधान में नहीं है| 
- P.M व मंत्री का किसी भी सदन का सदस्य होना आवश्यक है, लेकिन 6 माह तक किसी भी सदन का सदस्य न होने पर भी किसी व्यक्ति को P.M व मंत्री बनाया जा सकता है| 
- मंत्रियों का उत्तरदायित्व- 
- सामूहिक उत्तरदायित्व- [अनु 75 (3)] 
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है 
- यदि लोक सभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो सभी मंत्रियों को (राज्यसभा के भी मंत्री) त्यागपत्र देना पड़ेगा| 
- व्यक्तिगत उत्तरदायित्व- [अनु 75 (2)] 
- व्यक्तिगत रूप से मंत्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते है| 
- क्योंकि इनका कार्यकाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत रहता है, परंतु राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर ही मंत्रियों को हटाता है| 
- विधिक उत्तरदायित्व - [अनू 74 (2)] 
- मंत्रियों का कोई विधिक उत्तरदायित्व नहीं है| 
- भारतीय संविधान में किसी भी मंत्री के लिए किसी भी प्रकार की विधिक जिम्मेदारी का कोई उपबंध नहीं है| 
- मंत्रीपरिषद द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह की जांच भी किसी भी न्यायालय द्वारा नहीं की जा सकती है| 
मंत्रिपरिषद की संरचना-
- मंत्रीपरिषद में मंत्रियों के तीन प्रकार होते हैं- 
- कैबिनेट मंत्री 
- राज्य मंत्री 
- उप मंत्री 
- कैबिनेट मंत्री- 
- कैबिनेट मंत्रियों के पास सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे- ग्रह, रक्षा, वित्त, विदेश होते हैं| 
- ये कैबिनेट की बैठकों में भाग लेते हैं तथा नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| 
- राज्यमंत्री- 
- इनको स्वतंत्र प्रभार भी दिया जा सकता है अथवा कैबिनेट मंत्री के साथ सहयोगी बनाया जा सकता है| 
- ये कैबिनेट की बैठकों में भाग नहीं लेते हैं, लेकिन बैठक में उनके मंत्रालय से संबंधित किसी कार्य हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया जा सकता है| 
- उप मंत्री- 
- इन्हें मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता है| 
- इन्हें कैबिनेट तथा राज्य मंत्रियों का सहयोगी बनाया जाता है| 
- कैबिनेट की बैठकों में भाग नहीं लेते हैं| 
- मंत्रिमंडल- 
- 44 वें संशोधन 1978 के द्वारा अनुच्छेद 352 में मंत्रिमंडल शब्द जोड़ा गया| 
- मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री सहित कैबिनेट स्तर के मंत्री होते हैं| 
- किचन केबिनेट- 
- यह 15- 20 मंत्रियों से मिलकर बनती है | 
- इसमें प्रधानमंत्री के सहयोगी, मित्र, परिवार के सदस्य शामिल होते हैं| 
- यह अनौपचारिक संस्था निर्णय लेने वाली उच्चतम संस्था होती है| 
- अन्य नाम- आंतरिक कैबिनेट 
- इंदिरा गांधी के जमाने में यह है अत्यधिक शक्तिशाली था| 
- सुपर कैबिनेट- 
- सभी केबिनेट समितियों में सबसे शक्तिशाली समिति राजनीतिक मामलों की समिति है, जिसे सुपर कैबिनेट कहा जाता है| 
- कुछ अन्य तथ्य- 
- केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाली प्रथम महिला- राजकुमारी अमृता कौर 
- संघीय मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र देने वाले प्रथम मंत्री- श्यामा प्रसाद मुखर्जी 

 
Social Plugin