गैर राजकीय कर्ता
परंपरागत अंतरराष्ट्रीय राजनीति ‘राज्य प्रणाली’ के इर्द-गिर्द घूमती थी, किंतु आज अनेक शक्तिशाली राज्येत्तर कर्ता अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने लगे हैं|
यथार्थवादी सिद्धांत के अनुसार अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रमुख पात्र राज्य होते हैं, वही बहुलवादी धारणा राज्य कर्ताओं के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों, बहुराष्ट्रीय निगमों तथा अंतरा-राष्ट्रीय संगठनों को भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन के प्रभावी पात्र मानती है|
राज्येत्तर कर्ता : अभिप्राय-
विश्व राजनीति में सक्रिय गैर-राजकीय कर्ताओं को अंतरा-राष्ट्रीय कर्ता/संगठन, अंतर्सरकारी कर्ता, गैर सरकारी कर्ता अथवा बहुराष्ट्रीय कर्ता भी कहा जाता है|
सामान्यत: राजनीतिक शब्दावली में अंतरा-राष्ट्रीय कर्ता शब्द का प्रयोग उन अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के संदर्भ में किया जाता है, जिनका स्वरूप और कार्यक्षेत्र एक राष्ट्र की सीमा से परे बहुराष्ट्रीय होता है|
अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था में इन राज्येत्तर कर्ताओ तथा इनकी भूमिका के बीच अंतक्रियाओं को ‘अंतरा-राष्ट्रीय अंतक्रिया’ कहा जाता है|
अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन, वे संगठन है जिनमें सरकारें और राज्य सदस्य नहीं होते हैं| फिर भी वे राष्ट्र के अंदर और राष्ट्रीय सीमापार कार्य करते हैं और राष्ट्रीय सरकारों के नियंत्रण के अधीन होते हैं|
गैर राजकीय कर्ता अथवा अंतरा-राष्ट्रीय संगठनों के प्रकार-
मोटे रूप में निम्न गैर राज्यीय कर्ता विश्व राजनीति में सक्रिय हैं-
बहुराष्ट्रीय निगम
गैर-सरकारी संगठन
अंतर्सरकारी संगठन
अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन
धार्मिक संगठन
गुरिल्ला एवं आतंकवादी संगठन
बहुराष्ट्रीय निगम-
बहुराष्ट्रीय निगम या कंपनियां उनको कहते हैं, जिनका कार्य क्षेत्र एक से अधिक देशों में होता है|
राज्येत्तर कर्ता के रूप में ये कंपनियां विश्व राजनीतिक में सक्रिय रहती हैं|
प्रमुख कंपनियां- शैल, कोका-कोला, जनरल मोटर्स, इंटेल, नेसले, एस्सो, कॉर्टलेक्स, सोनी, बार्कलेज बैंक आदि|
गैर सरकारी संगठन-
ये संगठन किसी एक देश में कार्यरत रहते हैं और इनकी प्रवृत्ति गैर-सरकारी संगठन की होती है| ये संगठन बिना किसी स्वार्थ के, बिना किसी लाभ कमाने के उद्देश्य से सक्रिय होते हैं|
प्रमुख गैर सरकारी संगठन-
संयुक्त राज्य अमेरिका में- फ्रीडम हाउस
फ्रांस में- मेडिसन सेंट फ्रंटीयर्स
इंग्लैंड में- पॉपुलेशन कर्सन तथा वॉटर एड
अंतर्सरकारी संगठन
उदाहरण- UNO, UNO के विशिष्ट अंग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन आदि|
स्टार्क, ओपनहीम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अंतरराष्ट्रीय कानून का विषय मानते हैं|
कुछ अन्य संगठन जिनको इसी श्रेणी में रखा जा सकता है-
इस्लामिक सम्मेलन संगठन, अफ्रीकी एकता संगठन, ओपेक, अंकटाड, ग्रुप-77, G-15, आसियान, सार्क, एपेक, नाफ्टा, बिम्सटेक, शंघाई सहयोग संगठन आदि|
अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन-
कुछ गैर-सरकारी संगठन क्षेत्र एवं भूमिका की दृष्टि से इतने व्यापक होते हैं कि उनका कार्यक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय हो जाता है|
उदाहरण-
एमनेस्टी इंटरनेशनल
ग्रीन पीस
रेड क्रॉस
सेव द चिल्ड्रन
केयर एंड ऑक्सफेम
मानव अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एमनेस्टी इंटरनेशनल, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ग्रीन पीस, युद्धरत पक्षों को राहत पहुंचाने की दिशा में रेड क्रॉस विशेष रूप से सक्रिय संगठन है|
धार्मिक संगठन-
अनेक धार्मिक संगठन वर्तमान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं|
ये धार्मिक संगठन राष्ट्रीय सीमाओं के पार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने धार्मिक कार्यक्रम चलाते हैं|
इन धार्मिक संगठनों का प्रमुख कार्य अपने धर्म का प्रचार एवं प्रसार करना, धार्मिक संस्थाओं की स्थापना करना, अपने धर्मावलंबियों के हितों की रक्षा करना तथा अपने धर्म की पृथक पहचान एवं संस्कृति को बनाए रखना|
उदाहरण -
क्रिश्चियन चर्च
रोमन कैथोलिक चर्च
वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ रिलिजनस
बैपटिस्ट वर्ल्ड अलाइंस
विश्व हिंदू परिषद, आदि
गोरिल्ला एवं आतंकवादी संगठन
ऐसे संगठन हिंसा, हत्या, मारकाट, विमान अपहरण जैसे साधनों का प्रयोग करते हैं|
उदाहरण-
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC)
साउथ वेस्ट अफ्रीकन पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (SWAPO)
पोलिस्टीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO)
लिटटे (LITTE)
अल कायदा
हिज्बुल मुजाहिदीन
अल जिहाद
हमास
लश्कर-ए-तैयबा
जैश-ए-मोहम्मद, आदि
राज्येत्तर कर्ताओं की भूमिका-
गैर-राजकीय कर्ताओ ने संप्रभुता तथा राष्ट्रवाद की समस्त धारणा को बदल दिया है| आज राष्ट्र-राज्यों की नीतियां, निर्णय तथा कार्य सभी पर राज्येत्तर कर्ताओं का प्रभाव होता है |
इसके संबंध में नी (Ney) तथा कियोहेन ने लिखा है कि “राज्येत्तर कर्ता सम्प्रेषण पेटी (Transmission Belt) के रूप में कार्य करके राष्ट्र की विदेश नीति के निर्माताओं की कार्यसूची को बनाने तथा व्यापक करने में सहायक होते हैं, जिसके द्वारा एक राष्ट्र की विदेश नीति, दूसरे राष्ट्र की विदेश नीति के प्रति संवेदनशील होती है|
गैर राजकीय कर्ताओं ने राष्ट्र-राज्य व्यवस्था तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया है| इन संगठनों ने कुछ क्षेत्रों में राज्य की भूमिका को गोण कर दिया है|
बर्नेट तथा मुलर “ये निगम निर्धन राष्ट्रों को उपनिवेश बना रहे हैं तथा धनी राष्ट्रों को धीरे-धीरे क्षीण तथा अस्थिर बना रहे हैं, जबकि स्वयं विशालकाय बनते जा रहे है|”
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