संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) United Nation Organization
UNO की आवश्यकता क्यों-
- 1914 से 1918 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ, जिससे काफी जन-धन की हानि हुई| 
- अतः विश्व में शांति स्थापित करने तथा अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण से सुलझाने के लिए वुड्रो विल्सन के प्रयासों से 1919- 20 मे वर्साय संधि के आधार पर ‘राष्ट्र संघ’ (लीग ऑफ नेशन) की स्थापना की गई| 
- लेकिन यह संगठन ज्यादा सफल नहीं हो पाया तथा 1939 -1945 के दौरान द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया| इस युद्ध के दौरान अपार जन-धन की हानि हुई| 
UNO की आवश्यकता के संबंध निम्न विचारको के कथनों का अध्ययन करते हैं-
- डॉग हैमरसोल्ड (UNO के दूसरे महासचिव) “संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन मानवता को स्वर्ग में पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि उसे नर्क से बचाने के लिए हुआ है|” 
- शशिथरूर (UNO में सार्वजनिक सूचना और संचार के पूर्व अवर सचिव) “क्या यह बात बेहतर नहीं है कि एक ऐसी जगह भी हो जहां दुनिया के सारे देश इकट्ठे हो और कभी-कबार अपनी बातों से एक दूसरे का सर खाएं बनिबस्त लड़ाई के मैदान में एक दूसरे का सर कलम करने के|” 
- चर्चिल “हथियार लड़ाने से बढ़िया है, कि जुबान लड़ाई जाय|” 
- इस प्रकार अतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए, वैश्विक समस्याओं का हल सभी राष्ट्रों द्वारा मिलकर करने (जैसे- बीमारी, ग्लोबिग वार्मिंग, पर्यावरण सुरक्षा जैसी वैश्विक समस्या), विभिन्न राष्ट्रों के मध्य तनाव कम करने तथा आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए 24 अक्टूबर 1945 संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) का गठन किया गया| 
संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन का इतिहास/ विकास-
- प्रथम अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन- 
- 1899 में द हेग (नीदरलैंड) में हुआ| इसका उद्देश्य संकटों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाना, युद्धों को रोकना और युद्ध नियमों को संहिताबद करना था| 
- इस सम्मेलन के आधार पर हेग में स्थायी न्यायालय स्थापित किया गया, जिसने 1902 में काम करना शुरू किया| 
- लंदन सम्मेलन (12 जून 1941)- 
- 12 जून 1941 को लंदन में ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पोलैंड, यूनान, दक्षिण अफ्रीका आदि राष्ट्रमंडलीय देशों ने एक सम्मेलन का आयोजन किया| 
- इस सम्मेलन में शांति व सुरक्षा की स्थापना के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने का सुझाव दिया तथा एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए| 
- इस घोषणा में यह स्वीकार किया गया हस्ताक्षरकर्ता देश आपस में तथा अन्य स्वतंत्र राष्ट्रों के साथ युद्ध व शांति दोनों में साथ मिलकर कार्य करेंगे| 
- अटलांटिक चार्टर (14 अगस्त 1941)- 
- 14 अगस्त 1941 को अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रुजवेल्ट तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अटलांटिक महासागर में एक जहाज पर मिले| 
- तथा नाजीवाद को समाप्त करने, विभिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने, सामूहिक सहयोग, सार्वभौमिक शांति, विजय द्वारा प्रदेशों के अधिग्रहण पर निषेध की घोषणा की तथा इससे संबंधित एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए| 
- इस चार्टर को अटलांटिक चार्टर कहा जाता है| 
- EH कार ने अपनी पुस्तक ‘दो विश्व युद्धों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंध’ में कहा कि “यह चार्टर संयुक्त राष्ट्र संघ की रचना की दिशा में पहला कदम था|” 
- संयुक्त राष्ट्र घोषणा पर हस्ताक्षर (1-2 जनवरी 1942) 
- 1-2 जनवरी 1942 को संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, USSR, चीन आदि 26 मित्र राष्ट्र वाशिंगटन में मिले| ये सभी मित्र राष्ट्र, धुरी राष्ट्रों के खिलाफ खड़े रहे थे| 
- इस सम्मेलन में इन 26 मित्र राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र की घोषणा पर हस्ताक्षर किए तथा अटलांटिक चार्टर को स्वीकार किया| 
- Note- संयुक्त राष्ट्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग इसी सम्मेलन में 1 जनवरी 1942 को हुआ था| अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रुजवेल्ट ने इस नाम का सुझाव धुरी राष्ट्रों के खिलाफ संघर्षरत मित्र राष्ट्रों के लिए दिया अर्थात संयुक्त राष्ट्र शब्द का सुझाव देने वाले फ्रैंकलिन डी रुजवेल्ट थे| 
- Note- संयुक्त राष्ट्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रैंकलिन डी रुजवेल्ट के सुझाव पर ‘डिक्लेरेशन बाई यूनाइटेड नेशंस’ (संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषणा) में 1 जनवरी 1942 को किया गया था| 
- मास्को घोषणा (30 अक्टूबर 1943)- 
- 30 अक्टूबर 1943 को मास्को में USA, USSR तथा चीन ने एक सम्मेलन किया तथा अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के संबंध में एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए| 
- घोषणा- “अपने देशों और दूसरे साथी मनुष्यों की स्वतंत्रता को आक्रमण के भय से सुरक्षित करने के उत्तरदायित्वो को पहचान कर, युद्ध को शीघ्र समाप्त कर और हथियारों पर कम से कम व्यय करके अंतर्राष्ट्रीय शांति की आवश्यकताओं को पहचान कर वे यह घोषणा करते हैं कि उन्होंने शत्रुओं के विरुद्ध जो संयुक्त कार्य किए हैं, उन्हें तब तक करते रहेंगे जब तक शांति और सुरक्षा स्थापित न हो जाए|” 
- EH. कार “इस निर्णय के आधार पर ही वास्तव में आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई|” 
- तेहरान सम्मेलन (दिसंबर 1943)- 
- इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट, USSR के प्रधानमंत्री स्टालिन तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने भाग लिया तथा स्थायी शांति की स्थापना करने तथा उसको बनाए रखने का संकल्प लिया| 
- डंबाटर्न ऑक्स सम्मेलन (अक्टूबर 1944)- 
- 21 अगस्त 1944 से 7 अक्टूबर 1944 के बीच अमेरिका के वाशिंगटन के डंबाटर्न ऑक्स भवन में दो भागों में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया| 
- पहली बार में अमेरिका, ब्रिटेन, USSR के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया| 
- दूसरी बार में 7 अक्टूबर 1944 को USSR के स्थान पर चीन का प्रतिनिधि शामिल हुआ| 
- इस सम्मेलन में एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की कल्पना की गई, जिसमें पुराने राष्ट्र संघ के बहुत से तत्व शामिल हो तथा उसकी त्रुटियों से सबक मिल जाये| 
- इस सम्मेलन में UNO के प्रमुख अंगों (महासभा, सुरक्षा परिषद, सचिवालय, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय) की रूपरेखा तैयार की गई| 
- इस सम्मेलन में महासभा तथा सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली पर तो सहमति हो गई पर सुरक्षा परिषद में मतदान प्रणाली के संबंध में सोवियत संघ एवं पश्चिमी शक्तियों के मध्य मतभेद बने रहे| 
- याल्टा सम्मेलन (4-11 फरवरी 1945)- 
- अमेरिकी राष्ट्रपति रुजवेल्ट, USSR प्रमुख स्टालिन, ब्रिटेन प्रधानमंत्री चर्चिल 4 से 11 फरवरी 1945 क्रीमिया के याल्टा में मिले| क्रीमिया पर USSR का अधिकार था| 
सम्मेलन के प्रमुख बिंदु-
- सुरक्षा परिषद में मतदान प्रणाली पर निर्णय लिया गया तथा सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों और उनके निषेधाधिकार का निर्णय लिया गया| 
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के लिए सेन फ्रांसिस्को में एक सम्मेलन 25 अप्रैल 1945 को बुलाना निश्चित किया गया| 
- सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन (25 अप्रैल से 26 जून 1945)- 
- याल्टा सम्मेलन के अनुसार इस सम्मेलन में 51 देशों को शामिल होना था, लेकिन पोलैंड ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया| 
- 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया था| 
- UNO के चार्टर को अंतिम रूप देने के लिए USA के सेन फ्रांसिस्को में यह सम्मेलन 25 अप्रैल से 26 जून 1945 तक हुआ| 
- उद्घाटन- अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट का निधन हो जाने के कारण नये राष्ट्रपति ट्रूमेन ने इसका उद्घाटन किया| 
- अध्यक्षता- इस सम्मेलन की अध्यक्षता लॉर्ड हैलीफेन्स ने की| 
- भारत भी इस सम्मेलन में शामिल था| भारत की ओर से विदेश सचिव गिरजा शंकर बाजपेयी ने भाग लिया| दूसरे प्रतिनिधि मंडल के रूप में श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित ने भाग लिया| 
- इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र चार्टर को अंतिम रूप से तैयार किया गया, जिसमें प्रस्तावना, 19 अध्याय, 111 अनुच्छेद, और कुल 10000 शब्द है| 
- इस चार्टर पर 26 जून 1945 को 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किये| 
- 15 अक्टूबर 1945 को पोलैंड ने भी हस्ताक्षर किये| 
- इस प्रकार 24 अक्टूबर 1945 को UNO औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया तथा 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है| 
UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ)-
- स्थापना- 24 अक्टूबर 1945 (लीग ऑफ नेशंस के उत्तराधिकारी के रूप में) 
- संस्थापक (मूल) सदस्य -51 
- 30 अक्टूबर 1945 को भारत UNO में शामिल हुआ| 
वर्तमान में कुल सदस्य संख्या- 193
- 190 वां सदस्य- टोग्यो (14 सितंबर 1999) 
- 191 वां सदस्य- पूर्वी तिमोर (26 सितंबर 2002) 
- 192 वां सदस्य- मोंटीनेग्रो (28 जून 2006) 
- 193 वां सदस्य दक्षिण सूडान (14 जुलाई 2011) महासभा के 65 वें सम्मेलन में 
- UNO का मुख्यालय- 
- USA के न्यूयॉर्क शहर में मेनहटट्न द्वीप 
- मुख्यालय 17 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है तथा 39 मंजिला है| 
- यह भूमि जॉन डी रॉकफेलर ने दान दी थी| 
- यह 1952 में बनकर तैयार हो गया था| 
- UNO का प्रथम सम्मेलन लंदन के वेस्टमिनिस्टर हॉल में जनवरी 1946 में हुआ था| 
- Note- महासभा, सुरक्षा परिषद, सामाजिक व आर्थिक परिषद, न्यास परिषद, सचिवालय UNO के मुख्यालय में स्थित है, जबकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हेग (नीदरलैंड) में है| 
- NOTE- UNO के क्षेत्रीय कार्यालय जेनेवा, नैरोबी और विएना में भी है| 
- UNO का चार्टर- 
- कुल अध्याय 19 
- कुल अनुच्छेद 111 
- कुल शब्द 10000 
- एक प्रस्तावना 
- 24 अक्टूबर 1945 को लागू हुआ| 
संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य-
चार्टर की प्रस्तावना में UNO के लक्ष्यों का वर्णन निम्न है-
- आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाना| 
- मानव के मूल अधिकारों, पुरुष, स्त्री तथा सभी राष्ट्रों के कार्यों तथा समान अधिकारों में विश्वास स्थापित करना| 
- इस तरह की परिस्थिति पैदा करना, जिसमें संधियों द्वारा लगाए गए बंधनों के प्रति आदर तथा न्याय बनाएं रखा जा सके 
- सामाजिक उन्नति तथा बेहतरीन जीवन स्तर प्रदान करना| 
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य-
- UNO के चार्टर के अध्याय-1, अनुच्छेद-1 में इसके चार उद्देश्यों का वर्णन है- 
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखना| 
- सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय किसी भी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय समस्या को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना| 
- समान अधिकार के लिए आदर के आधार पर राष्ट्रों के बीच मित्रतापूर्ण संबंध कायम करना| 
- उपयुक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यो को समन्वित या सुव्यवस्थित करने का केंद्र बनाना| 
- NOTE- UNO ने इन उद्देश्यों से जुड़े हुए दो लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं- 
- निशस्त्रीकरण 
- नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था| 
संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत-
- अध्याय-1, अनुच्छेद 2 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत दे रखे हैं, जिसके अनुसार UNO व इसके सदस्यों को काम करना होता है- 
- यह संगठन अपने सभी सदस्यों की समान प्रभुसत्ता के सिद्धांत पर आधारित है| 
- सदस्यों को चार्टर के अनुसार लगाए गए प्रतिबंधों का अपनी इच्छानुसार पालन करना होता है| 
- संयुक्त राष्ट्र इस बात को निश्चित करेगा कि जो राज्य इसके सदस्य नहीं है वे भी UNO के सिद्धांतों के अनुसार कार्य करें| 
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य अपने-अपने झगड़ों का निपटारा शांतिपूर्वक करेगे| 
- सभी सदस्य राष्ट्र अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किसी राज्य की भू-अखंडता के विरुद्ध धमकी या बल प्रयोग से परहेज करेंगे| 
- सभी सदस्य राष्ट्र, चार्टर के अनुसार की गई किसी भी कार्यवाही में संयुक्त राष्ट्र संघ को हर प्रकार सहायता देंगे| 
- संयुक्त राष्ट्र संघ किसी भी राज्य के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा| 
संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता-
- UNO के दूसरे अध्याय में अनुच्छेद 3 से 6 तक सदस्यता संबंधित वर्णन है| 
- UNO में दो प्रकार के सदस्य हैं (अनुच्छेद 3)- 
- प्रारंभिक/ मूल सदस्य- UNO में 51 मूल/ प्रारंभिक सदस्य हैं| इनमें वे सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग लिया था या UNO के चार्टर पर हस्ताक्षर किए थे| 
- अर्जित/ नये सदस्य- 
- अनुच्छेद 4 में निर्धारित शर्तें पूरी करने पर, सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर महासभा के दो तिहाई बहुमत से, जिसका सुरक्षा परिषद द्वारा सकारात्मक समर्थन किया गया हो, नये राज्यों को प्रवेश दिया जा सकता है| 
- सकारात्मक समर्थन का अर्थ है कि सुरक्षा परिषद के 15 में से 9 सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया हो, जिसमें पांच स्थायी सदस्य अवश्य शामिल हैं| 
- अनुच्छेद 4 के अनुसार UNO का सदस्य बनने हेतु निम्नलिखित शर्तें है- 
- आवेदनकर्ता देश प्रभुसत्ता संपन्न देश होना चाहिए, उपनिवेश नहीं| 
- आवेदनकर्ता राज्य शांति प्रिय होना चाहिए| 
- आवेदन कर्ता देश, संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर द्वारा निर्धारित दायित्वो को स्वीकार करें| 
सदस्यता का निलंबन-
- UNO के चार्टर के अनुच्छेद 5 के अनुसार जिन देशों के विरुद्ध निरोधात्मक दंडात्मक कार्यवाही की गई हो, उन देशों को सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से निलंबित किया जा सकता है| 
- जैसे- 22 सितंबर 1992 को पूर्व युगोस्लाविया को निलंबित किया गया था तथा 2 नवंबर 2000 को नए लोकतांत्रिक युगोस्लाविया को पुन: मान्यता दी गई| 
- सुरक्षा परिषद की सिफारिश- 15 में से 9 सदस्य, जिसमें पांच स्थायी सदस्य शामिल हो, की सहमति से| 
सदस्यों का निष्कासन-
- UNO के चार्टर के अनुच्छेद 6 अनुसार UNO के किसी भी सदस्य को चार्टर के सिद्धांतों के निरंतर (बार-बार) उलंघन करने पर सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा 2/3 बहुमत से निष्कासित किया जा सकता है| 
UNO की मान्यता प्राप्त भाषाएं-
- UNO की मान्यता प्राप्त अधिकारिक भाषाएं कुल 6 हैं- 
- अंग्रेजी 
- फ्रेंच 
- चीनी 
- रूसी 
- अरबी 
- स्पेनिश 
- इसमें कार्यकारी भाषा 2 है- 
- अंग्रेजी 
- फ्रेंच 
- Note- अरबी को महासभा, सुरक्षा परिषद और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की अधिकारिक भाषा के रूप में जोड़ा गया| 
UNO का ध्वज-
- ध्वज की पृष्ठभूमि का रंग हल्का नीला 
- ध्वज पर श्वेत रंग से राष्ट्र संघ का प्रतीक बना है| 
- राष्ट्र संघ का प्रतीक- दो जैतून की वक्राकार शाखाएं है, जो ऊपर से खुली है और उसके बीच विश्व का मानचित्र बना है| 
UNO की आधिकारिक मुहर-
- UNO की मुहर में विश्व का नक्शा जैतून की टहनियों से घिरा हुआ दिखाया गया है| 
- इस मुहर के डिजाइन को 1946 में महासभा द्वारा स्वीकृत किया गया है| 
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन-
- UNO के चार्टर में संशोधन महासभा के 2/3 बहुमत तथा सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों सहित 2/3 बहुमत द्वारा पुष्टि के बाद संशोधन किया जा सकता है| 
- अब तक 4 अनुच्छेदों में संशोधन किया जा चुका है- 
- अनुच्छेद 23-1965 में सुरक्षा परिषद की सदस्य संख्या 11 से बढ़कर 15 कर दी गई है| 
- अनुच्छेद 27- किसी निर्णय के लिए सुरक्षा परिषद के लिए आवश्यक सकारात्मक मतों की संख्या 7 से बढ़ाकर 9 कर दी गई, जिसमें पांच स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक है| 
- यह संशोधन भी 1965 में किया गया| 
- अनुच्छेद 61- 1965 में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की सदस्य संख्या 18 से बढ़ाकर 27 कर दी गई तथा 1973 में इसे बढ़ाकर 54 कर दिया गया| 
- अनुच्छेद 109-1968 में सुरक्षा परिषद द्वारा चार्टर की समीक्षा के लिए आम सम्मेलन बुलाने के लिए आवश्यक मतों की संख्या 7 से बढ़ाकर 9 कर दी गयी| 
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग (Organs of the UNO)-
- संयुक्त राष्ट्र के अध्याय 3 में अनुच्छेद 7 में 6 अंगों का वर्णन है- 
- महासभा (The general assembly) 
- सुरक्षा परिषद (The security council) 
- आर्थिक सामाजिक परिषद (The Economic and Social Council) 
- न्यास परिषद (The Trusteeship Council) 
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (The International Court of Justice) 
- सचिवालय (The Secretariat) 
- महासभा- 
- वर्णन- अध्याय 4, अनुच्छेद 9 से 22 तक 
- यह संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे बड़ा, सबसे महत्वपूर्ण, सबसे लोकप्रिय अंग है| 
अन्य नाम-
- संसार की नगरसभा/ नगर बैठक- शुमा 
- विश्व की लघु संसद- सीनेटर वांडेनबर्ग 
- विश्व का उन्मुक्त अंत:करण- आइकेलबर्गर 
- मानव समाज का चेतना केंद्र 
- संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय या प्रमुख अंग- डेविड कुशमैन 
- गुडस्पीड के अनुसार ‘महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की बहुमुखी गतिविधियों का केंद्र बिंदु है|” 
- महासभा एक विचार-विमर्शी निकाय है, जिसमें सभी छोटे-बड़े देश वाद-विवाद अथवा बहस में भाग लेते हैं| 
- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की विधायिका/ व्यवस्थापिका होती है| 
- महासभा UNO की शीर्ष संस्था है तथा इसके अपने नियम तथा प्रक्रियाएं हैं| 
- महासभा एक ऐसा अंग है, जहां न तो मेजबान होते हैं और न कोई मेहमान, यहा हर कोई एक समान घर के बाहर होता है| 
- प्रतिनिधित्व- 
- सभी सदस्य देशों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है, सभी सदस्य देश इसके सदस्य होते हैं| 
- वर्तमान कुल सदस्य देश 193 है| 
- एक देश अधिकतम 5 प्रतिनिधि भेज सकता है, ये सभी प्रतिनिधि वाद-विवाद में तो भाग ले सकते हैं, लेकिन मत सभी देशों का एक ही होता है, अर्थात वोट एक ही दे सकते हैं| 
- विजय लक्ष्मी पंडित महासभा की 1953 में प्रथम महिला अध्यक्ष बनी थी| 
- सभापति/अध्यक्ष- 
- महासभा एक वर्ष के लिए सभापति चुनती है| 
- सभापति गोपनीय मत द्वारा चुना जाता है| 
- प्रथम सभापति- मि.पॉल हेनन स्पूक 
- महासभा की प्रथम बैठक- 10 जनवरी 1946, अध्यक्षता पॉल हेनन स्पूक 
- Note- सामान्यत: सभापति छोटे देशों से चुना जाता है| 
- अध्यक्ष की सहायता के लिए- चीफ डी- कैबिनेट व 21 उपाध्यक्ष (विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि) 
- Note- 21 उपाध्यक्ष तथा 6 स्थायी समितियों के सभापतियों को मिलाकर एक महासमिति बनती है| 
- महासभा के सत्र/ अधिवेशन- 
- प्रत्येक वर्ष में एक सत्र- सितंबर माह के तीसरे मंगलवार से शुरू होकर दिसंबर के मध्य तक चलता है| 
- सुरक्षा परिषद के या संयुक्त राष्ट्र के बहुमत सदस्यों की प्रार्थना पर विशेष सत्र महासचिव द्वारा बुलाए जाते हैं| 
- सुरक्षा परिषद के आह्वान पर 24 घंटे के अंदर आपात बैठक बुलायी जा सकती है| आपात बैठक तब बुलायी जाती है, जब कभी निषेधाधिकार (वीटो पावर) सुरक्षा परिषद को शांति बनाए रखने में, शांति की पुर्नस्थापना करने से रोक देता है| 
- नियमित सत्र के आरंभ में नया अध्यक्ष, 21 उपाध्यक्ष तथा 6 समितियों के सभापति महासभा निर्वाचित करती हैं| 
- महासभा के निर्णय- 
- महासभा के सभी निर्णय मतदान द्वारा लिए जाते हैं| 
- अनुच्छेद 18 में मतदान प्रक्रिया का उपबंध है| 
- अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से लिए जाते हैं| 
- बाकि सभी साधारण प्रश्नों पर निर्णय उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं| 
- सामान्यतः मतदान खड़े होकर या हाथ उठाकर या कभी-कभी अक्षर क्रम से बुलाकर किया जाता है| 
- तीन विकल्प- सदस्य हां कह सकते हैं, ना कह सकते हैं, या अलग रह सकते हैं| 
- महासभा की कार्य सूची- 
- महासभा की कार्य सूची जुलाई में महासभा द्वारा तैयार की जाती है| 
- इस कार्य सूची में सुरक्षा परिषद अथवा दूसरे अंगों की रिपोर्ट भी शामिल की जाती है| 
- महासभा की समितियां- 
- महासभा अपना कार्य 6 समितियों के माध्यम से करती है, जो निम्न है- 
- नि:शस्त्रीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समिति 
- आर्थिक एवं वित्तीय समिति 
- सामाजिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक समिति 
- विशेष राजनीतिक तथा औपनिवेशक समिति 
- प्रशासनिक एवं बजट (आय व्यय) समिति 
- कानूनी समिति 
- महासभा की शक्तियां व कार्य- 
महासभा के निम्न कार्य व शक्तियां हैं- ( अनुच्छेद 10-17)
- विमर्शी कार्य- 
- महासभा एक विमर्शी संस्था है, अर्थात यह किसी प्रश्न पर केवल बहस कर सकती है| 
अनुच्छेद 11-
- महासभा सुरक्षा परिषद का ध्यान अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को खतरे वाली किसी परिस्थिति की ओर खींच सकती है| महासभा राष्ट्रों के बीच मित्रतापूर्ण संबंधों या जनकल्याण के रास्ते में रुकावट बनने वाली किसी भी परिस्थिति से शांतिपूर्वक निपटने के लिए उपाय सुझा सकती है| 
अनुच्छेद 12
- महासभा किसी विवाद/ झगड़े के बारे में तब तक सुझाव नहीं दे सकती, जब तक सुरक्षा परिषद ऐसा करने के लिए न कहें| 
- सुरक्षा परिषद और अन्य अंग अपनी वार्षिक रिपोर्ट एवं विशिष्ट रिपोर्ट महासभा को भेजते हैं, महासभा रिपोर्ट स्वीकृत करती है| 
- NOTE- महासभा सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट पर आलोचना कर सकती हैं, लेकिन किसी तरह का परिवर्तन नहीं कर सकती है| 
- निरीक्षण कार्य- 
- महासभा, UNO के अन्य सभी अंगों का निरीक्षण करती हैं| 
- शीर्ष संस्था के रूप में सुरक्षा परिषद द्वारा भेजी गई रिपोर्ट लेती है तथा उस पर विचार करती है| 
अनुच्छेद 16
- महासभा न्यासिता समिति के कार्यो का निरीक्षण करती हैं| 
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए महासभा की स्वीकृति लेनी पड़ती है| 
- सचिवालय में स्टाफ नियुक्ति के नियम महासभा बनाती है| 
- WHO, ILO, FAO, IMF आदि विशिष्ट एजेंसियों की नीतियों एवं गतिविधियों को समन्वित करती है| 
- वित्तीय कार्य- 
अनुच्छेद 17
- महासभा के पास UNO के बजट पर विचार करने तथा स्वीकृत करने की शक्ति है| UNO का नियमित बजट महासभा द्वारा प्रत्येक दूसरे वर्ष अनुमोदित किया जाता है| 
- बजट को महासचिव द्वारा महासभा में पेश किया जाता है, जिसे 16 सदस्यीय ‘दि एडवाइजरी कमेटी ऑन एडमिनिस्ट्रेटिव एंड बजटरी क्वेश्चंस’ के समक्ष पेश किया जाता है| 
- UNO के अन्य अंगों के व्यय पूर्व अनुमानों के पेश किए जाने पर उनके कार्यों पर पुनर्विचार कर सकती है| 
- महासभा UNO के खर्चो का बंटवारा सदस्य राष्ट्रों के मध्य करती है| 
- संबंधित राज्य द्वारा दी जाने वाली राशि का निर्धारण ‘कमेटी ऑन कंटरीब्युशन’ द्वारा किया जाता है| 
- NOTE- संयुक्त राष्ट्र को सर्वाधिक बजट राशि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दी जाती है| 
- निर्वाचन कार्य- 
- महासभा सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन करती है| 
- आर्थिक व सामाजिक परिषद के 54 सदस्यों का निर्वाचन करती है| 
- न्यास परिषद के अस्थायी सदस्यो का निर्वाचन करती है| 
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्यों को निर्वाचित करने का अधिकार समान रूप से महासभा व सुरक्षा परिषद दोनों का है| 
- सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की नियुक्ति करती है| 
- संवैधानिक कार्य- 
- अनुच्छेद 108 तथा अनुच्छेद 109 मे महासभा के संवैधानिक कार्यों का उल्लेख है| 
- अनुच्छेद 108- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में किसी भी प्रकार का संशोधन तब तक वैध नहीं होता, जब तक महासभा द्वारा 2/3 बहुमत से पास नहीं होता तथा सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों द्वारा अनुमोदित नहीं होता| 
- अनुच्छेद 109- महासभा चार्टर पर पुनर्विचार करने के लिए व्यापक सम्मेलन बुला सकती है तथा सम्मेलन की तिथि व स्थान का निर्धारण महासभा अपने 2/3 बहुमत से करती है| 
- महासभा के कार्यो को ऐच्छिक व अनिवार्य कार्यों में भी बांटा जा सकता है- 
- ऐच्छिक कार्य- 
- अंतर्राष्ट्रीय शांति की स्थापना करना 
- अंतर्राष्ट्रीय शांति के खतरे को दूर करना 
- सुरक्षा तथा निशस्त्रीकरण के लिए समस्त देशों में सहयोग स्थापित करना| 
- ये ऐच्छिक कार्य इसलिए रखे गये, क्योंकि ये सुरक्षा परिषद में ‘निहित’ है| 
- इन विषयों के संबंध में महासभा अपना मत तब ही देती है, जब सुरक्षा परिषद ऐसा करने के लिए कहे| 
- महासभा के अनिवार्य कार्य- 
- संयुक्त राष्ट्र का आय-व्यय (बजट) पारित करना 
- सुरक्षा परिषद तथा अन्य संस्थाओं व संगठनों की रिपोर्ट पर विचार करना| 
- न्यास परिषद का निरीक्षण करना| 
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्देश्यों से आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शिक्षा, स्वास्थ्य के संबंध में अध्ययन व जांच पड़ताल करवाना तथा तदविषयक सिफारिशें करना| 
- प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मानवाधिकार तथा मौलिक स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायता करना| 
- शांति के लिए एकता प्रस्ताव (Uniting for Peace Resolution) या एचेसन प्रस्ताव (3 नवंबर 1950) 
- यह प्रस्ताव 1950 में कोरिया युद्ध के कारण लाया गया| 
- इस प्रस्ताव से महासभा की शक्तियों में वृद्धि हुई है तथा सुरक्षा परिषद की शक्तियों में कमी हुई है| 
- इस प्रस्ताव के बाद अब सुरक्षा परिषद के साथ-साथ महासभा को भी अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के प्रश्नों पर विचार व सिफारिश का अधिकार है| 
- इस प्रस्ताव के अनुसार यदि सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में असफल रहती है, तो महासभा ऐसे मामलों को अपने हाथ में ले लेगी तथा सामूहिक कार्यवाही व सेना का उपयोग कर सकती है| 
- ऐसी स्थिति में सुरक्षा परिषद के 9 सदस्यों या संयुक्त राष्ट्र संघ के बहुमत सदस्यों की प्रार्थना पर 24 घंटे के भीतर महासभा का आपातकालीन विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है| 
- सुरक्षा परिषद- 
- सुरक्षा परिषद UNO की कार्यकारणी समिति/ कार्यपालिका है| 
- सुरक्षा परिषद को अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा का पहरेदार माना जाता है| 
- महासभा विमर्शी अंग है, तो सुरक्षा परिषद राष्ट्र संघ का प्रवर्तन अंग है| 
- महासभा विश्व की सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है तो सुरक्षा परिषद विश्व की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है| 
- पामर और पार्किंस ने इसे UNO की कुंजी कहा है| 
- A.H. डॉक्टर ने इसे UNO की प्रवर्तन भुजा कहा है| 
- डेविड कुशमैन ने सुरक्षा परिषद को दुनिया का पुलिसमैन कहा है| 
- सुरक्षा परिषद के सदस्य 
- UNO चार्टर के अध्याय- 5 में अनुच्छेद 23 में सुरक्षा परिषद के सदस्यों का उल्लेख है 
- कुल सदस्य 15 (1965 से पहले 11 थे) 
- स्थायी सदस्य (5) 
- USA, 
- रूस 
- चीन 
- ब्रिटेन 
- फ्रांस 
- अस्थायी सदस्य- 
- अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल- 2 वर्ष 
- भारत 8 बार अस्थायी सदस्य बन चुका है| 
- कुल 10 अस्थाई सदस्य है 
10 अस्थायी सदस्य निम्न क्षेत्र के लिए जाएंगे-
- एशियाई- अफ्रीकी राष्ट्रों से- 5 सदस्य 
- पूर्वी यूरोप से- 1 सदस्य 
- पश्चिमी यूरोप से- 2 सदस्य 
- दक्षिण अमेरिका से- 2 सदस्य 
- अस्थायी सदस्यों का चुनाव महासभा अपने 2/3 बहुमत से करती है| 
- NOTE- जिस देश का कार्यकाल समाप्त होता है, उसे उसी साल पुन: निर्वाचित होने का अधिकार नहीं| 
- सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष- 
- अध्यक्ष की कोई विशेष स्थिति नहीं होती है| 
- प्रत्येक सदस्य अक्षर क्रम के अनुसार 1 माह के लिए अध्यक्ष बनता है| 
- सुरक्षा परिषद में मतदान प्रक्रिया- 
- अनुच्छेद 27 में मतदान प्रक्रिया का उल्लेख है 
- प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है| 
- प्रक्रिया संबंधी विषय- ऐसे विषयों पर सुरक्षा परिषद के 9 सदस्यों के सकारात्मक मत द्वारा निर्णय किए जाते हैं| 
- महत्वपूर्ण विषय- महत्वपूर्ण विषयों पर सुरक्षा समिति के 9 सदस्यों के सकारात्मक मत द्वारा निर्णय लिए जाते हैं, लेकिन साथ ही पांचों स्थायी सदस्यों का मत भी शामिल होना चाहिए| इसको महाशक्तियों की सर्वशक्ति का नियम कहा जाता है| 
- अगर कोई सदस्य नकारात्मक मत देता है, तो उसे वीटो पावर कहते हैं| 
- Note- अगर कोई सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थिति रहता है, तो उसे ‘वीटो पावर’ नहीं माना जाता तथा संबंधित विषय पारित हो जाता है| 
वीटो का प्रयोग-
- सोवियत संघ- 132 (सबसे अधिक) 
- अमेरिका- 83 
- ब्रिटेन- 32 
- फ्रांस- 18 
- चीन- 5 
- Note- झगड़े से संबंधित दल मतदान नहीं करता है और जो सदस्य नहीं है वह भी बैठक में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता| 
- सुरक्षा परिषद के सत्र/ अधिवेशन- 
- अनुच्छेद 28- सुरक्षा परिषद का सत्र हमेशा चलता रहता है| 
- सुरक्षा परिषद की शक्तियां व कार्य- 
- विमर्शी शक्तियां- 
- इसके अंतर्गत सुरक्षा परिषद द्वारा बहस, छानबीन, जांच-पड़ताल, सिफारिशें करना शामिल है| 
- सुरक्षा परिषद अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के मामलों पर बहस कर सकती है, उसकी छानबीन कर सकती है, सिफारिश कर सकती है| 
- यह UNO के सदस्यों को शांतिपूर्वक अपने झगड़ों को निपटाने के लिए कहती है| 
- झगड़ों के किसी स्तर पर उचित प्रक्रिया तथा साधनों के बारे में सिफारिशें कर सकती है| 
- यह शस्त्र-अस्त्र के नियमन करने के लिए योजना बना सकती है| 
- यह ‘संयुक्त राष्ट्र परमाणु ऊर्जा कमीशन’ के कार्यों का निरीक्षण करती है| 
- प्रवर्तन शक्तियां- 
- AH डॉक्टर ने इसे UNO की प्रवर्तन भुजा/ बाजू कहा है| 
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की स्थापना करती है, जिसके लिए क्रमशः निम्न कदम उठाती है- 
- सबसे पहले संबंधित राष्ट्रों को आपसी वार्ता व पत्र व्यवहार के लिए प्रेरित करती है| 
- द्वितीय मध्यस्थतो और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयो द्वारा निर्णय का सुझाव रखती है| 
- तृतीय दोषी राष्ट्र के प्रति आर्थिक प्रतिबंध या अन्य प्रतिबंधों की आज्ञा दे सकती| 
- फिर अंतिम उपाय सैन्य कार्रवाही कर सकती है| 
- Note- UNO कि अपनी सेना नहीं है, सदस्य राष्ट्रों की सम्मिलित सेना का प्रयोग करती है| 
- अनुच्छेद 43- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा स्थापना में सभी सदस्य राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सेना तथा दूसरी आवश्यक सहायता देंगे| 
- अनुच्छेद 51- UNO के सदस्यो द्वारा व्यक्तिगत या सामूहिक सुरक्षा के लिए की गई कार्यवाहियों की सूचना सुरक्षा परिषद को देनी होगी| 
- अतः प्रमुख प्रवर्तन कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना है| 
- निर्वाचन कार्य- 
- नये राष्ट्र को UNO की सदस्यता प्रदान करने की सिफारिश महासभा को करना| 
- महासचिव का चयन, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति आदि कार्य को महासभा से मिलकर करती है| 
- झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा- 
- अनुच्छेद- 35 (2)- कोई भी राष्ट्र जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है किसी झगड़े की ओर महासभा एवं सुरक्षा परिषद का ध्यान आकर्षित कर सकता है| 
- अनुच्छेद- 34- सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली स्थिति की जांच-पड़ताल कर सकती है| 
- अनुच्छेद 36 (2)- असदस्य राष्ट्रों को चार्टर में दिए गए शांतिपूर्ण निपटारे के बंधन को अग्रिम स्वीकृति देनी पड़ती है| 
- आलोचनात्मक मूल्यांकन- 
- सुरक्षा परिषद के पास विस्तृत शक्तियां होने की वजह से इसको UNO का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है| लेकिन 1950 के बाद कुछ ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई है जिसके कारण सुरक्षा परिषद अपनी भूमिका को पूरी तरह से नहीं निभा पाई है| 
- पामर और पार्किंस “सुरक्षा परिषद की संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय एजेंसी के रूप में कल्पना की गयी थी, परंतु यह अपनी अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाई|” 
- निम्न तत्व है, जो सुरक्षा परिषद के महत्व को कम करते हैं- 
- निषेधाधिकार (Veto Power)- 
- सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यो को जो वीटो पावर दिया गया है, यह परिषद द्वारा निर्णयो को लागू करने के रास्ते में मुख्य रुकावट है| 
- कोई मामला प्रक्रिया संबंधी है या नहीं यह निर्णय भी Veto के अधीन है| 
- ट्रिग्वेली ने Veto के कारण UNO को नपुंसक कहा है तथा कहा है कि महाशक्तियों के संघर्ष के कारण इसे लकवा हो गया है| 
- नेहरू ने कहा है कि UNO के न होने से अच्छा है तथा UNO को Veto वाला लंगड़ा UNO कहा है 
- शांति के लिए संगठन/ एकता प्रस्ताव- (3 नवंबर 1950)- इस प्रस्ताव के द्वारा महासभा को सुरक्षा परिषद से अधिक शक्ति प्रदान की है| 
- क्षेत्रीय सुरक्षा संधिया- नाटो (NATO), सीटो (SEATO), वार्सा (WARSAW) संधियों ने भी सुरक्षा परिषद के महत्व को कम किया है| 
- इन दोषो के बावजूद भी सुरक्षा परिषद आज भी विश्व शांति को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी व महत्वपूर्ण संस्था है| 
- Note- सुरक्षा परिषद अपने आंतरिक मामलों का स्वयं निर्णय करती है, यद्यपि महासभा उनके संबंध में चर्चा एवं सिफारिश कर सकती है| 
- 1992 में शीत युद्ध अंत की पृष्ठभूमि में तात्कालिक महासचिव बुतरस घाली ने Agenda for peace दिया, जिससे 3 शब्दों का उद्भव हुआ- 
- Peace making- 
- संभावित युद्ध रोकने हेतु कूटनीतिक उपाय वार्ता, मध्यस्थता वगैरा आदि अर्थात निवारात्मक कूटनीति| 
- Peace keeping- 
- युद्धरत पक्षों को अलग-अलग करके शांति की स्थापना करना तथा शांति सेना की तैनाती| 
- यूएनओ की शांति सेना को नीली टोपी के लोग (Blue helmet) कहते हैं| 
- Peace building- 
- युद्ध उपरांतत प्रभावित राष्ट्रों के सामाजिक व आर्थिक पुन: निर्माण में UNO की सहायता| 
Note- UN Peacebuilding Commission 2005 में बना
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC)- 
- UNO का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की स्थापना, युद्धों को रोकने के साथ-साथ सभी राष्ट्रों का सामाजिक कल्याण व आर्थिक विकास भी करना है| 
- UNO के चार्टर के अनुच्छेद-1 में उल्लेखित उद्देश्यों में एक उद्देश्य यह भी है कि “सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, लोकोपकारी स्वरूप की समस्याओं को सुलझाने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग प्राप्त करना तथा जाति, भाषा, लिंग तथा धर्म के उल्लेख बिना मानव के मूल अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के लिए लोगों में सम्मान की भावना पैदा करना|” 
- इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए UNO के एक अंग के रूप में आर्थिक व सामाजिक परिषद की स्थापना की गई| 
- क्योंकि राजनीतिक स्थिरता के अतिरिक्त सामाजिक स्थिरता व आर्थिक संतोष भी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए जरूरी है| 
- डलेस “आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएं युद्ध के अंतर्निहित कारण है|” 
- फेनविक “महासभा के अधीनस्थ एवं उनके कार्यों को उसके प्रतिनिधि के रूप में संपन्न करने वाली संस्था आर्थिक व सामाजिक परिषद है|” 
- इसको विश्व कल्याण परिषद भी कहते हैं, जिसका मुख्य कार्य विश्व के गरीब, बीमार, निरक्षर, असहाय लोगों की सहायता करना है| 
Note-1920 में बने राष्ट्र संघ में वर्तमान UNO के सभी अंग थे, केवल आर्थिक व सामाजिक परिषद नहीं था|
- आर्थिक व सामाजिक परिषद की संरचना- 
- अनुच्छेद 61 में इसकी संरचना का उल्लेख है 
- सदस्य- 
- वर्तमान में कुल सदस्य- 54 
- प्रारंभ में- 18 सदस्य 
- 1965- 66 में संशोधन के बाद- 27 
- 1973 में संशोधन के बाद- 54 
- सदस्यों का कार्यकाल- 3 वर्ष - 
- 1/3 सदस्य प्रत्येक वर्ष नये चुने जाते हैं तथा 1/3 सदस्य प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त हो जाते है| 
- अवकाश ग्रहण करने वाला सदस्य पुननिर्वाचित हो सकता है| 
- सदस्यों का चुनाव महासभा के द्वारा किया जाता है| 
- परिषद में प्रत्येक सदस्य राज्य का एक ही प्रतिनिधि होता है तथा एक ही मत होता है| 
- NOTE- आर्थिक व सामाजिक परिषद एक स्थायी संस्था है| जिसका विघटन नहीं होता है| 
- 54 सदस्यों में से- 
- 11 एशियाई देशों 
- 14 अफ्रीकी देशों से 
- 10 लेटिन अमेरिका व कैरीबियन राज्यों से 
- 13 पश्चिमी यूरोप व अन्य राज्यों से चुने जाएंगे| 
- 6 पूर्वी यूरोपीय देशों से 
- बैठके/ सत्र- 
- एक वर्ष में 2 बैठके 
- प्रथम बैठक- अप्रैल में न्यूयॉर्क में 
- द्वितीय बैठक- जुलाई में जेनेवा 
- एक सत्र 15 दिन या एक माह तक चलता है| 
- कभी-कभी विशेष बैठक भी बुलायी जा सकती हैं| 
- मतदान प्रक्रिया- (अनुच्छेद- 67) 
- प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है| 
- सभी निर्णय उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं| 
- इस तरह के निर्णय अनिवार्य नहीं होते हैं| 
- Note- परिषद जब किसी विशेष राज्य के विषय में चर्चा करती है, तो संबंधित राज्य के प्रतिनिधि को बैठक में आमंत्रित किया जाता है, लेकिन उसे मताधिकार नहीं होता है| 
- आर्थिक व सामाजिक परिषद के कार्य व शक्तियां- 
- आर्थिक तथा सामाजिक परिषद (ECOSOC) के कार्यो का उल्लेख UNO के चार्टर के अनुच्छेद 62 से 66 तक में है - 
- अनुच्छेद 62 के अनुसार कार्य- 
- यह परिषद विश्व के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य के विषयो के संबंधों में अध्ययन करवा सकती है, रिपोर्ट तैयार करवा सकती है, महासभा को सिफारिश कर सकती है| 
- यह परिषद अपने अधिकार क्षेत्र के विषयों के संबंध में महासभा के सामने पेश करने के लिए ड्राफ्ट कन्वेंशन (अभिसमय प्रारूप) (Draft Convention) तैयार करवाती है| 
- यह परिषद मानवीय अधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रताओ के आदर तथा लागू करने के लिए सिफारिशें दे सकती है| 
- यह महासभा की सिफारिश पर या स्वयं से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुला सकती है| 
Note- परिषद किसी राज्य के आंतरिक मामलों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नहीं बुला सकती है| इन मामलों के अतिरिक्त मामलों पर ही अंत: सरकारी सम्मेलन बुला सकती है|
- अनुच्छेद 63 के अनुसार कार्य- 
- परिषद किसी भी एजेंसी के साथ समझौता कर सकती है, परंतु महासभा की स्वीकृति आवश्यक होती हैं| 
- परिषद विशिष्ट एजेंसियों के कार्यों को समन्वित कर सकती है| 
- अनुच्छेद 64 के अनुसार कार्य- 
- परिषद विशिष्ट एजेंसियों से नियमित रिपोर्ट लेने के लिए उचित कदम उठा सकती है तथा इन रिपोर्ट पर अपने विचार महासभा को बता सकती है| 
- अनुच्छेद 65 के अनुसार कार्य- 
- यह परिषद आर्थिक एवं सामाजिक विषयों पर सुरक्षा परिषद को सूचना दे सकती है तथा सुरक्षा परिषद की प्रार्थना पर इसकी सहायता कर सकती है| 
- अनुच्छेद 66 के अनुसार कार्य- 
- परिषद ऐसे कार्य करेंगी, जो महासभा की सिफारिशों को लागू करने के लिए इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं| 
- महासभा इसे कोई अन्य कार्य भी सौप सकती है| 
- NOTE- एक तरह से यह परिषद महासभा के अधीनस्थ अंग के रूप में कार्य करती है 
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की सहायता के लिए संबंधित संस्थाएं- 
- 9 क्रियात्मक आयोग 
- 5 क्षेत्रीय आयोग 
- 4 तदर्थ समितियां 
- आलोचना- 
- लेविस “क्योंकि आर्थिक व सामाजिक समिति को आर्थिक व सामाजिक मामलों पर कानून बनाने की कोई शक्ति नहीं है, अतः यह परिषद एक ऐसी समिति बन जाती है, जिसमें से केवल सुझाव व सिफारिशें ही जन्म लेती है| 
- Note- विशिष्ट एजेंसियां- FAO, WHO, ILO, UNESCO आदि| 
- न्यास परिषद/ अधिदेश-शासन समिति- (The Trusteeship Council)- 
- अध्याय 12, अनुच्छेद 75- 85 तक अंतरराष्ट्रीय न्यास व्यवस्था का उल्लेख है| 
- अध्याय 13, अनुच्छेद 86- 91 तक न्यास परिषद की रचना, शक्तियों व कार्यों का उल्लेख है| 
- अनुच्छेद 75 के अनुसार संयुक्त राष्ट्र अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत न्यास प्रदेशों के प्रशासन व नियंत्रण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय न्यास व्यवस्था की स्थापना करेगी, जो समझौतों द्वारा संपादित होंगे| 
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने राष्ट्र संघ की ‘मेंडेट व्यवस्था’ के स्थान पर न्यास पद्धति को ग्रहण किया है, और इसके संचालन के लिए न्यास समिति/ परिषद का निर्माण किया है| 
- न्यास पद्धति का मूल सिद्धांत यह है कि इस समय कुछ पिछड़े हुए, अल्पविकसित और आदिम दशा वाले प्रदेशों के निवासी इस योग्य नहीं है कि अपने शासन का संचालन स्वयं कर सके| ऐसे प्रदेशों को दूसरे विकसित देशों की सहायता की आवश्यकता होती है| 
- विकसित और सभ्य देशों का दायित्व है कि उनके विकास में सहायता दे तथा वहां के शासन संचालन में तब तक सहयोग करें जब तक कि ये अपना शासन चलाने में समर्थ न हो जाये| तथा इन्हें न्यास या अमानत समझते हुए इनका अपने स्वार्थो के लिए शोषण ना करें| 
- अर्थात ऐसे प्रदेश जहां पूर्ण स्वायत्तता नहीं है, वहां के निवासियों के हितों की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यास व्यवस्था स्थापित की गई| 
- राष्ट्र संघ की मैंडेट व्यवस्था केवल जर्मनी, टर्की आदि के साम्राज्यवाद से पीड़ित हुए प्रदेशों के लिए थी, किंतु UNO की न्यास पद्धति उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद द्वारा पराधीन बनाए गये सभी क्षेत्रों के लिए है| 
न्यास पद्धति के प्रदेश-
- चार्टर में न्यास पद्धति में आने वाले दो प्रकार के क्षेत्रों का वर्णन है- 
- स्वशासन न करने वाले प्रदेश- इसमें ब्रिटेन ,फ्रांस, हॉलैंड आदि पश्चिमी देशों के अधीन क्षेत्र शामिल है| 
- न्यास प्रदेश- ये तीन प्रकार के हैं- 
- मैंडेट के अधीन प्रदेश| 
- द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप शत्रु राज्यों से छीने गये प्रदेश| 
- अपनी इच्छाओं से महाशक्तियों द्वारा UNO को सौंपे गये प्रदेश| 
- Note- ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन ऐसे राष्ट्र है, जिनको न्यास का भार सौंपा गया था| इनको प्रबंध कर्ता देश कहते हैं| 
न्यास परिषद का संगठन/ संरचना-
- अनुच्छेद 86 के अनुसार न्यास परिषद में तीन प्रकार के सदस्य होते हैं- 
- UNO के वे सदस्य, जो न्यास क्षेत्रों का शासन करते हैं| जैसे- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन 
- UNO के वे स्थाई सदस्य, जो किसी भी न्यास प्रदेश का शासन नहीं करते हैं| जैसे चीन, फ्रांस, रूस 
- महासभा द्वारा निर्वाचित अन्य सदस्य, जो 3 वर्ष के लिए चुने जाते हैं| 
- कुल सदस्य-12 
- 4 शासन चलाने वाले देश 
- 3 शासन न चलाने वाले स्थाई सदस्य 
- 5 निर्वाचित सदस्य 
- निर्णय व मतदान- (अनुच्छेद 89)- 
- सभी निर्णय साधारण बहुमत से लिए जाते हैं| 
- सदस्य राज्यों में अध्यक्ष स्वयं चुनते हैं| 
- बैठक- 
- सामान्यतः वर्ष में दो बैठके होती हैं| 
- प्रथम बैठक- जनवरी में 
- द्वितीय बैठक- जून में 
- शक्तियां व कार्य- 
- न्यासीय प्रदेशों की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा शिक्षा संबंधी प्रगति संबंधी वार्षिक रिपोर्ट हर प्रशासन करने वाला अधिकारी न्यासिता परिषद को देता है| न्यासीय परिषद इन रिपोर्टो का निरीक्षण किसी भी विशेषज्ञ कमेटी द्वारा करवा सकती है| 
- न्यासीय प्रदेशों की जनता या संगठनों से भेजे गये निवेदन पत्र लेना व उनका निरीक्षण करना| 
- न्यासीय प्रदेशों व अधिदेश प्रदेशों की परिस्थितियो व समस्याओं की जानकारी के लिए इन प्रदेशों का दौरा करना| 
- अनुच्छेद- 88- न्यासिता समिति प्रत्येक अधिदेश शासित प्रदेशों के निवासियों की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षणिक विकास का एक प्रश्नपत्र तैयार करेगी तथा प्रत्येक अधिदेश शासित प्रदेश का प्रबंधकर्ता इस प्रश्नपत्र के आधार पर महासभा को वार्षिक रिपोर्ट देगा| 
- न्यास परिषद: निष्कर्ष- 
- मूल रूप से 11 न्याय प्रदेश थे, जबकि अंतिम न्याय क्षेत्र पलाऊ था जो 185 वा सदस्य प्रदेश बना था| 
- न्यास परिषद की सबसे बड़ी उपलब्धि है- अधिकांश न्यास प्रदेश 15-30 वर्षों की अल्पअवधि में ही स्वतंत्र हो गए| 
- 31 अक्टूबर 1994 तक सभी न्यास प्रदेश स्वतंत्र हो चुके थे| 
- अतः 1 नवंबर 1994 को न्याय परिषद ने अपने कार्य औपचारिक रूप से निलंबित कर दिए| 
- Note- हालांकि न्यास परिषद का विघटन नहीं किया गया| इस प्रावधान के साथ यह अस्तित्व बनी रही है कि आवश्यकता अनुसार इसे पुन: क्रियाशील किया जा सकता है| 
- C T रोमुलु “न्यास पद्धति की सतत प्रगति आधुनिक विश्व में राजनीतिक नैतिकता के उच्च बिंदु का प्रतिनिधित्व करती है|” 
- प्लेनो और रिग्स “अपनी सफलताओं के कारण न्यास परिषद को विलोपन का सामना करना पड़ा|” 
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)- 
- अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्वक, बुद्धिमतापूर्वक तथा मध्यस्ता से निपटाने के लिए 1899 में हेग (नीदरलैंड) में स्थायी न्यायालय की स्थापना की गई| 
- 30 जनवरी 1922 को स्थायी न्यायालय की जगह लीग ऑफ नेशंस के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय न्याय के स्थायी- न्यायालय {Permanent Court of International Justice (PCIJ)} की स्थापना की गई| 
- 18 अप्रैल 1946 को अंतरराष्ट्रीय न्याय के स्थायी न्यायालय (PCIJ) को भंग किया गया तथा उसकी जगह UNO के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय [International Court of justice (ICJ)] की स्थापना की गई| 
- अनुच्छेद 92- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय UNO का न्याय संबंधी प्रधान उपकरण होगा तथा वह अपनी संविधि के विधान के अनुसार कार्य करेगा| 
- अनुच्छेद 94- प्रत्येक सदस्य का यह कर्तव्य है कि वह न्यायालय के निर्णयों का ठीक तरह से पालन करें| यदि एक पक्ष पालन न करें तो दूसरे पक्ष को अधिकार है कि सुरक्षा परिषद का ध्यान इस ओर उपयुक्त कार्यवाही के लिए आकृष्ट करें| 
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का गठन- 
- UNO के चार्टर के अनुच्छेद 92 से 96 तक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संबंधी प्रावधान है| 
- ICJ का प्रथक सविधान है, जिसे ICJ की संविधि कहते हैं, जिसमें 70 अनुच्छेद है| 
- स्थापना- 18 अप्रैल 1946 
- स्थान- हेग (नीदरलैंड), लेकिन अपनी इच्छा अनुसार और कहीं भी बैठक कर सकता है| 
- सदस्य - 
- UNO के सभी सदस्य अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य होते हैं| 
- वर्तमान सदस्य- 193 
- निम्न सिफारिशें या शर्तें पूरी करने पर सुरक्षा समिति की सिफारिश पर महासभा के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के वे भी सदस्य बनाये जा सकते हैं जो UNO के सदस्य नहीं है- 
शर्तें-
- संविधान तथा न्यायालय के संबंध में सभी प्रतिबंधों को स्वीकार करना| 
- महासभा द्वारा अनुमानित व्यय में योगदान देना| 
- ICJ मे कुल न्यायधीश- 
- कुल- 15 न्यायधीश 
- न्यायालय के 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्रों से लिये जाते हैं-
- अफ्रीका से तीन 
- लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से दो 
- एशिया से तीन 
- पश्चिमी यूरोप और अन्य राज्यों से पाँच 
- पूर्वी यूरोप से दो 
- चुनाव- सुरक्षा परिषद व महासभा प्रथक-प्रथक अपने पूर्ण बहुमत से करती है| 
- कार्यकाल- 
- 9 वर्ष 
- प्रत्येक 3 वर्ष में 1/3 अर्थात 5 न्यायधीश सेवानिवृत्त होते है तथा उनकी जगह नये न्यायधीश चुने जाते हैं| 
- सेवानिवृत्त न्यायाधीश पुन: निर्वाचित हो सकते हैं| 
- एक देश से केवल एक ही न्यायधीश चुना जाता है| 
- गणपूर्ति- कम से कम 9 न्यायधीश 
- सत्र- ICJ हमेशा सत्र में रहता है| 
- सभापति व उपसभापति- ICJ के न्यायधीश अपने में एक सभापति तथा एक उपसभापति का चुनाव 3 वर्ष के लिए करते हैं| 
- वेतन भत्ते- न्यायाधीशों के वेतन भत्ते महासभा द्वारा निर्धारित किए जाते हैं| 
- निर्णय प्रक्रिया- 
- न्यायालय के सभी निर्णय उपस्थित न्यायाधीशों के बहुमत से होते हैं| 
- गतिरोध की स्थिति में सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार है| 
- यदि कोई राष्ट्र न्यायालय के निर्णय को नहीं मानता है, तो UNO चार्टर के अनुच्छेद 94(2) के अनुसार सुरक्षा परिषद निर्णयो को लागू करने के लिए प्रवर्तन कार्यवाही कर सकती है| 
- न्यायाधीशों की योग्यता- 
- वह अपने देश में विधिवेता के रूप में ख्याति पा चुका हो| 
- अंतरराष्ट्रीय कानून का विशेषज्ञ हो| 
- उसका नैतिक चरित्र उच्च होना चाहिए| 
- तथा संबंधित देश में न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता हो| 
- ICJ की भाषा- 
- अंग्रेजी 
- फ्रेंच 
- अन्य भाषाओं को भी अधिकृत रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है| 
- Note- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में वादी तथा प्रतिवादी केवल राष्ट्र ही हो सकता है, व्यक्ति नहीं| 
- न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है| निर्णय की अपील नहीं की जा सकती है| 
- न्यायालय का खर्च सदस्य देश देते हैं| किसको कितना खर्चा देना होगा इसका निर्धारण महासभा करती है| 
- ICJ की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार- 
ICJ की तीन क्षेत्राधिकार है -
- ऐच्छिक क्षेत्राधिकार- 
- ऐसे मामले जो राज्यों द्वारा न्यायालय में पेश किए जाएं| ऐसे मामले विवाद से संबंधित दोनों राज्य अथवा एक राज्य के द्वारा पेश किए जाते हैं| 
- ऐसे मामलों में कोई भी राज्य इस बात के बाध्य नहीं है, कि वह झगड़ों को केवल ICJ में ही पेश करें| 
- अनिवार्य क्षेत्राधिकार- निम्न मामले ICJ के अनिवार्य क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं- 
- संधि की व्याख्या 
- अंतरराष्ट्रीय कानून संबंधी प्रश्न| 
- कोई ऐसा तथ्य/ परिस्थिति/ वास्तविकता जो अंतरराष्ट्रीय दायित्व/ कर्तव्य बन चुका है| 
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के उल्लंघन करने पर क्षतिपूर्ति का स्वरूप या सीमा का निर्धारण करना करना| 
- सलाहकारी क्षेत्राधिकार- 
- सुरक्षा परिषद तथा महासभा द्वारा स्थापित विशिष्ट एजेंसियां के द्वारा कानूनी प्रश्न पर सलाह मांगने पर ICJ उनको सलाह देता है| 
- ICJ की सलाह लिखित निवेदन द्वारा ली जाती है| 
- संबंधित पक्ष को सलाह मानना जरूरी नहीं है| 
- ICJ से संबंधित कुछ तथ्य-
- ICJ में भारतीय न्यायधीश- 
- बेनेगल नरसिंह रामाराव (B.N राव)- 1952-53 प्रथम न्यायाधीश 
- नगेंद्र सिंह- 1973-88 
- रघुनंदन पाठक- 1989-1991 में 
- दलबीर भंडारी 27 अप्रैल 2012 
- नवंबर 2017 में दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित 
- Note- नगेंद्र सिंह ICJ में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष भी बन चुके हैं- 
- अध्यक्ष के रूप में (1985-88) 
- उपाध्यक्ष के रूप में (1976-79) 
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय परामर्शदात्री होते हैं| 
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश या अध्यक्ष- राजलिना हिंगिंस (ब्रिटेन की, 2006 में बनी) 
- सचिवालय (The Secretariat)- 
- सचिवालय संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है| 
- यह संयुक्त राष्ट्र का प्रशासनिक अंग है| 
- सचिवालय संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों या एजेंसियों द्वारा बनाए गए प्रोग्रामो (कार्यक्रमों) तथा नीतियों को प्रशासित एवं समन्वित करता है| 
- यह UNO के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को निपटाता है| 
- सचिवालय के 8 विभाग है, जो निम्न है- 
- सुरक्षा परिषद संबंधी कार्यों का विभाग 
- आर्थिक विभाग 
- सामाजिक कार्यों का विभाग 
- न्यास एवं स्वशासितेतर क्षेत्र में सूचना विभाग 
- सार्वजनिक सूचना विभाग 
- सम्मेलन तथा सामान्य सेवा निगम 
- प्रशासनिक तथा वित्तीय विभाग 
- विधि विभाग 
- प्रत्येक विभाग का एक अध्यक्ष एवं एक उपमहासचिव होता है| 
- महासचिव- 
- सचिवालय का प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी महासचिव होता है| 
- महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा की जाती है| 
- महासचिव पद अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रुजवेल्ट की देन है| 
- महासचिव को दोबारा भी नियुक्त किया जा सकता है| 
- महासचिव का कार्यकाल- 
- महासचिव के कार्यकाल के संबंध में UNO चार्टर मौन है| 
- पहले सान फ्रांसिस्को सम्मेलन में 3 वर्ष रखने की सिफारिश की| 
- जनवरी 1966 से कार्यकाल 5 वर्ष के लिए कर दिया गया| 
- महासचिव की योग्यताएं- 
- उम्मीदवार महासभा एवं सुरक्षा परिषद दोनों द्वारा स्वीकृत हो| 
- वह एक अच्छा राजनीतिज्ञ हो| 
- वह हर तरह के जोखिम के लिए तैयार रहें| 
- वह एक अच्छा प्रशासक हो| 
- वह सभी समूहों एवं राष्ट्रों का एक विश्वसनीय सलाहकार हो| 
- महासचिव की शक्तियां व कार्य- 
- महासचिव के कार्य व शक्तियों का उल्लेख अनुच्छेद 97 से 102 तक में किया गया है, जो निम्न है- 
- प्रशासनिक कार्य- 
- अनुच्छेद 97- यह UNO का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है| 
- यह UNO के सभी कार्यों को संगठित व निर्देशित करता है| 
- यह सचिवालय को नियंत्रित करता है| 
- यह UNO के अन्य अंगों को तकनीकी तथा कानूनी सलाह देता है| 
- विशेष सम्मेलन के कार्य के तरीकों तथा प्रक्रिया के संबंध में सलाह देता है तथा मतदान की प्रक्रिया तथा रूपरेखा के नियम बनाता है| 
- महासभा द्वारा बनाए गये नियमों के अनुसार महासचिव सचिवालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करता है| 
- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद की सभी बैठकों में भाग लेता है| 
- वित्तीय कार्य- 
- संयुक्त राष्ट्र का बजट बनाता है| 
- वह UNO के सदस्यों से उनके हिस्से का धन इकट्ठा करता है| 
- राजनीतिक कार्य- 
- अनुच्छेद 99- महासचिव अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली परिस्थितियों के संबंध सुरक्षा परिषद का ध्यान आकर्षित करता है| शांति व सुरक्षा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुला सकता है| 
- महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करवाता है| 
- महासचिव देशों के मध्य विवादों को निपटाने के लिए संबंधित देश का दौरा करते हैं| 
- प्रतिनिधित्व कार्य- 
- वह संयुक्त राष्ट्र संघ का एजेंट होता है| केवल ये ही एक ऐसा व्यक्ति है, जो पूरे संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधित्व करता है| 
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में UNO के हितों का प्रतिनिधित्व करता है| 
- विभिन्न अभिकरणों और सरकारों के साथ वार्ताओं में वह संघ का प्रतिनिधित्व करता है| UNO की ओर से करार करता है| 
- पंजीकरण कार्य- 
- अनुच्छेद 102- UNO के किसी भी सदस्य द्वारा की गई कोई भी संधि तथा अंतरराष्ट्रीय समझौता तभी लागू होगा, जब उसे सचिवालय में पंजीकृत करवा दिया जाय| 
- इन संधियों व समझोतो को महासचिव पंजीकृत करता है| 
- अब तक बने महासचिव- 
- प्रथम कार्यवाहक महासचिव- ग्लेडविन जेब (24 अक्टूबर 1945 से 31 जनवरी 1946), उद्घाटन कर्ता महासचिव 
- त्रिग्वेली (Trigive Lie)- प्रथम महासचिव (1946 से 52) 
- ये नार्वे से थे| 
- पूर्व-पश्चिम झगड़े में फस जाने के कारण इनको ‘रूसी जासूस’ तथा ‘साम्राज्यवाद का वफादार कुत्ता कहा गया|’ 
- कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में युद्ध विराम के लिए प्रयास किया| 
- कोरिया युद्ध को शीघ्र समाप्त करवाने में नाकामयाब रहने पर आलोचना हुई| 
- दोबारा महासचिव बनाने का सोवियत संघ ने विरोध किया, पद से त्यागपत्र दे दिया| 
- डेग हैमरशोल्ड (1953-1961) स्वीडन 
- सितंबर 1961 में अफ्रीका में हवाई दुर्घटना में मृत्यु 
- अर्थात पद पर रहते हुए मरने वाले प्रथम महासचिव| 
- स्वेज नहर से जुड़े मुद्दे को सुलझाने का कार्य किया| 
- अफ्रीका में उपनिवेशवाद को समाप्त करने का कार्य किया| 
- कांगो संकट को सुलझाने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए मरणोपरांत नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया| 
- यू थांट (म्यामार) (1961 से 1971)- 
- क्यूबा के मिसाइल संकट के समाधान और कांगो के संकट की समाप्ति के लिए प्रयास किए| 
- साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना बहाल की| 
- वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका की आलोचना की| 
- कुर्ट वालडेहम (1972 से 1981), ऑस्ट्रिया- 
- नामीबिया व लेबनान की समस्याओं के समाधान के प्रयास किए| 
- बांग्लादेश में राहत अभियान की देखरेख की| 
- तीसरी बार महासचिव पद पर चुने जाने की दावेदारी का चीन ने विरोध किया| 
- जेवियर परेज-डी-क्यूलर (Prez-de-Ceullar) (पेरू) (1982 से 1991)- 
- साइप्रस, अफगानिस्तान और अल-सल्वाडोर में शांति स्थापना के प्रयास किए| 
- बुतरस घाली (1992 से 1996) मिस्र- 
- एन एजेंडा फॉर पीस नामक रिपोर्ट जारी की| 
- मोजांबिक में संयुक्त राष्ट्र संघ का सफल अभियान चलाया| 
- बोस्निया, सोमालिया और रवांडा में संयुक्त राष्ट्र संघ की असफलताओं के लिए आरोप लगे| 
- कोफी अन्नान (1997 से 2007) घाना- 
- एड्स, टी बी और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक कोष बनाया| 
- अमेरिकी नेतृत्व में इराक पर हुए हमले को अवैध करार दिया| 
- मानवाधिकार परिषद तथा शांति संस्थापक आयोग की स्थापना की| 
- बान-की-मून (2007 से 2016) दक्षिण-कोरिया- 
- इन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के लिए कार्य किए हैं| 
- एंटोनियो गुटरेस- 1 जनवरी 2017 …. 
- पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री 
- 2005 से 2015 तक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त रहे हैं| 
- महासचिव के दो कार्यकाल की परंपरा है लेकिन तीन इसके अपवाद है- 
- प्रथम महासचिव त्रिग्वेली ने अपने दूसरे कार्यकाल में यूएसएसआर के विरोध के कारण त्यागपत्र दिया| 
- डेग हैमरशोल्ड की 1961 में कांगो हवाई दुर्घटना में मौत के कारण दूसरा कार्यकाल नहीं कर पाए| 
- बुतरस घाली- यूएसए के विरोध के कारण दूसरी बार महासचिव नहीं बन पाए| 
- G-4- 
- भारत, जापान, जर्मनी, ब्राजील ने मिलकर G-4 का गठन किया है| 
- ये चारों देश मिलकर सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता वीटो शक्ति सहित प्राप्त करने के लिए सहयोग कर रहे हैं| 
- Note- UNO के चार्टर में अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा शब्द का 32 बार प्रयोग हुआ है| 
- UNO से संबंधित विशेष एजेंसियां- 
- UNESCO- 
- स्थापना-16 नवंबर 1945 
- Note- UNESCO की स्थापना तो 16 नवंबर 1945 को हुई थी, लेकिन इसने कार्य करना प्रारंभ 4 नवंबर 1946 से किया है| 
- मुख्यालय- पेरिस (फ्रांस) 
- पूरा नाम- United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization 
- कार्य- 
- विश्व में शिक्षा, विज्ञान तथा लोगों की संस्कृति का विकास करना तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना 
- विश्व की सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत को सुरक्षित रखना| 
- ILO (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन)- 
- स्थापना- जेनेवा (स्वीटजरलैंड) 11 अप्रैल 1919 
- पूरा नाम- International Labor Organization 
- कार्य- श्रमिकों की स्थिति में सुधार तथा जीवन स्तर को उन्नत बनाना| 
- WHO- (World Health Organisation) 
- विश्व स्वास्थ्य संगठन 
- स्थापना- जेनेवा (स्वीटजरलैंड), 7 अप्रैल 1948 
- कार्य- विश्व में स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करना 
- FAO (Food and Agriculture Organisation) 
- स्थापना- रोम (इटली), 16 अक्टूबर 1945 
- कार्य- विश्व में कृषि उत्पादकता और पोषण का विकास करना| 
- World Bank- 
- स्थापना- 1945, वाशिंगटन डी.सी 
- कार्य- उत्पादन व विकास प्रयोजनों के लिए ऋण देना| 
- WTO (विश्व पर्यटन संगठन) 
- पूरा नाम- World Tourism Organisation 
- स्थापना- 1925 मेड्रिड (स्पेन) 
- कार्य- विश्व में पर्यटन सुविधाओं का विस्तार करना| 
पर्यटन से आर्थिक वृद्धि एवं रोजगार के अवसरों का विकास करना|
- मानवाधिकार परिषद- 
- मानवाधिकार आयोग के स्थान पर 2006 में की स्थापना की गई| 
- कुल सदस्य- 47 
- पूरा नाम- United Nation Human Right Council 
- भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का सदस्य 1 जनवरी 2019 को बना था| 

 
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