संसदात्मक और अध्यक्षात्मक
- कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के परस्पर संबंधों के आधार पर सरकार को दो भागों में बांटा जा सकता है- 
- संसदात्मक शासन प्रणाली 
- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली 
- बेजहॉट “व्यवस्थापिका और कार्यपालिका शक्तियों का एक-दूसरे से स्वतंत्र होना अध्यक्षात्मक शासन का विशिष्ट लक्षण है और इन दोनों का एक-दूसरे से संयोग और घनिष्ठता संसदीय सरकार का लक्षण है|” 
संसदात्मक शासन (Parliamentary Government)-
- संसदात्मक शासन व्यवस्था में कार्यपालिका के सदस्य व्यवस्थापिका के सदस्यों में से ही चुने जाते हैं| कार्यपालिका, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है| 
- व्यवस्थापिका के विश्वास तक कार्यपालिका बनी रहती है और यदि कार्यपालिका पर से विधानमंडल का विश्वास उठ जाता है तो विधानमंडल उसे पद से हटा सकती है| 
- कार्यपालिका पर व्यवस्थापिका का नियंत्रण होता है| 
- राष्ट्राध्यक्ष (राजा या राष्ट्रपति) नाममात्र का प्रमुख होता है, वह अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं होता है| वास्तविक शक्तियां मंत्रिमंडल के निहित होती हैं, जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है| 
- संसदात्मक शासन को मंत्रिमंडलात्मक तथा उत्तरदायी शासन कहते है| 
- आाइवर जेनिंग्स ने इसको मंत्रिमंडलीय सरकार कहा है| 
- R.H क्रॉसमैन ने प्रधानमंत्रीय सरकार कहा है| प्रधानमंत्रीय शासन शब्द सबसे पहले ब्रिटिश सांसद रिचर्ड क्रॉसमैन ने 1963 में प्रयुक्त किया| 
- गार्नर “संसदीय सरकार वह व्यवस्था है, जिसमें वास्तविक कार्यपालिका (मंत्रिमंडल) व्यवस्थापिका और उसके लोकप्रिय सदन के प्रति अपनी राजनीतिक नीतियों और कार्यों के लिए उत्तरदायी होती|” 
- गैटेल “संसदीय शासन प्रणाली उस शासन प्रणाली को कहते हैं, जिसमें वास्तविक कार्यपालिका अपने समस्त कार्यों के लिए कानूनी रूप से व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है|” 
- लावेल ने मंत्रिमंडल को ‘राजनीतिक मेहराब का आधार स्तंभ’ कहा है| 
- रैम्जेयोर ने इसे ‘राज्य रूपी जहाज का चालक यंत्र’ कहा है| 
- मैरियट ने मंत्रिमंडल को ऐसी धुरी कहा है, जिसके चारों ओर संपूर्ण राजनीतिक यंत्र चक्कर लगाता है| 
- संसदीय शासन को सरकार का वेस्टमिनिस्टर मॉडल भी कहते हैं| 
- ब्रिटेन को संसदीय सरकार की जननी कहा जाता है| 
- मुनरो “ब्रिटिश संविधान, संविधानो का जनक है और ब्रिटिश संसद, संसदों की जनक है| 
- वर्ने “संसद वह मंच है, जहां राजनीति का नाटक खेला जाता है| यह राष्ट्रीय विचारों का रंगमंच है| यह वह विद्यालय है, जहां भावी राजनीतिक नेताओं का प्रशिक्षण होता है|” 
- संसदीय शासन के तहत कार्यपालिका एवं विधायिका के मध्य घनिष्ठ संबंध के विषय में बेजहॉट लिखा है कि “संसदीय शासन एक हाइपन है, जो विधायिका एवं कार्यपालिका को जोड़ता है|” 
संसदीय शासन की विशेषताएं-
- इसमें एक प्रतीकात्मक राज्याध्यक्ष होता है- इसे संवैधानिक प्रमुख या नाममात्र प्रमुख /कार्यपालिका कहते हैं| जैसे- जापान, ब्रिटेन मे राजा या रानी; भारत, जर्मनी, इटली में राष्ट्रपति 
- इसमें एक राजनीतिक कार्यपालिका या वास्तविक कार्यपालिका होती है- इसमें प्रधानमंत्री या चांसलर और उसका मंत्रिमंडल शामिल है| इसका अस्तित्व विधानमंडल के समर्थन पर निर्भर है| 
- कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका में परस्पर घनिष्ठ संबंध होता है | 
- बहुमत प्राप्त दल का शासन होता है| 
- इसमें मंत्रिमंडल का सामूहिक उत्तरदायित्व होता है| 
- प्रधानमंत्री का नेतृत्व 
- दोहरी सदस्यता 
- निचले सदन का विघटन 
- राजनीतिक एकरूपता 
- गोपनीयता 
संसदात्मक शासन के गुण-
- उत्तरदायी शासन- डायसी की शब्दों में “मंत्रिमंडल को जनता के प्रति अधिक सचेत रहना पड़ता है क्योंकि इस पर ही उसका अस्तित्व निर्भर है|” 
- शासन की निरंकुशता पर प्रतिबंध 
- विधायिका एवं कार्यपालिका में निकट संपर्क 
- विरोधी दल का महत्व 
- सर्वसाधारण (जनता) की प्रभुसत्ता को निरंतर सम्मान 
- एक से अधिक दलों को शासन में मौका 
- इसमें जनता को राजनीतिक शिक्षा मिलती है| 
- यह प्रणाली लचीली व सुनम्य होती है| 
संसदात्मक शासन के दोष-
- शक्ति प्रथक्करण सिद्धांत के प्रतिकूल 
- मंत्रियों के पास कार्यों की अधिकता 
- सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की निरंकुशता 
- अस्थिर शासन- कार्यपालिका को विधायिका कभी भी हटा सकती है| 
- मंत्रियों में योग्यता एवं कार्य क्षमता का अभाव 
- दल-बदल की राजनीति 
- संकटकाल में अनूपयुक्त 
- उग्र राजनीतिक दलबंधी 
- सरकार या मंत्रीपरिषद को कार्यपालिका की जिम्मेदारियां के साथ-साथ विधायिका की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है| 
- अस्थिर सरकार 
संसदीय सरकार की सफलता के लिए आवश्यक तत्व-
- द्विदलीय पद्धति 
- सुदृढ़ प्रतिपक्ष 
- निष्पक्ष स्पीकर 
- संसदीय सर्वोच्चता का विचार 
- समय पर चुनाव 
कुछ तथ्य-
- संसदीय प्रणाली वाले देश- भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, जापान, जर्मनी, इटली, पाक, बांग्लादेश, नेपाल, ब्रिटेन आदि| 
- कनाडा, ऑस्ट्रेलिया के संविधान में विपक्षी दल के नेता को अधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है| 
- जर्मनी में प्रधानमंत्री को ‘चांसलर’ होलैंड या नीदरलैंड में ‘मिनिस्टर प्रेसिडेंट’ कहते हैं| 
- जेनिंग्स “जहां विपक्ष नहीं होता, वहां लोकतंत्र भी नहीं होता है| विपक्ष पहाड़ी पर चढ़ती सरकार रूपी कार का ब्रेक है|” 
अध्यक्षात्मक शासन Presidential Government-
- इसे राष्ट्रपतीय शासन भी कहा जाता है| 
- अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था में शक्ति प्रथक्करण व नियंत्रण एवं संतुलन सिद्धांत पाया जाता है| 
- इसमें कार्यपालिका व्यवस्थापिका से पूरी तरह स्वतंत्र होती है, तथा न ही कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है| 
- इसमें एक ही प्रकार की कार्यपालिका पाई जाती है| राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख होता है| 
- इसमें राष्ट्रपति को सहायता देने के लिए मंत्रीपरिषद होती है| मंत्री परिषद के सदस्यों को सचिव कहते हैं| 
- सचिवों की नियुक्ति राष्ट्रपति की इच्छनुसार की जाती है और वे राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत तक अपने पद पर बने रहते हैं| 
- गार्नर “अध्यात्मक शासन वह व्यवस्था होती है, जिसमें कार्यपालिका का प्रधान अपने कार्यकाल तथा बहुत कुछ सीमा तक अपने नीतियों एवं कार्यों के लिए व्यवस्थापिका से स्वतंत्र होता है|” 
अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था वाले देश-
- जननी- अमेरिका 
- अन्य- ब्राजील, अर्जेंटाइना, द.अफ्रीका, अफगानिस्तान, मेक्सिको, फिलीपींस| 
अर्द्धअध्यक्षात्मक/ अर्द्ध संसदीय शासन व्यवस्था वाले देश-
- फ़्रांस, ईरान, श्रीलंका, रूस, आस्ट्रिया, पुर्तगाल, पोलैंड 
अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था की विशेषताएं-
- शक्तियों का प्रथक्करण 
- निश्चित कार्यकाल- कार्यपालिका एवं विधायिका दोनों का कार्यकाल संविधान द्वारा निश्चित होता है| 
- एकल कार्यपालिका- केवल वास्तविक कार्यपालिका होती है| 
- इसमें राष्ट्रपति का चुनाव विधायिका नहीं करती, बल्कि निर्वाचक मंडल करता है| 
- इसमें राष्ट्रपति विधानमंडल का अंग नहीं होता है| 
- राष्ट्रपति विधानमंडल को समय से पहले भंग नहीं कर सकता है| 
अध्यक्षात्मक शासन के गुण-
- शक्ति प्रथक्करण व नियंत्रण एवं संतुलन को महत्व 
- शासन में स्थायित्य- कार्यपालिका व विधायिका दोनों का कार्यकाल निश्चित होता है| 
- शासन में कुशलता- मंत्री परिषद के सदस्य सचिवों की नियुक्ति दलबंदी के आधार पर न होकर कार्यकुशलता के आधार पर होती है| 
- प्रशासनिक एकता- समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में होने के कारण प्रशासनिक एकता पायी जाती है| 
- दलबंदी दोषो से मुक्त- इस शासन प्रणाली में राजनीतिक दल केवल निर्वाचन के समय ही सक्रिय रहते हैं| ब्राइस “संसदीय व्यवस्था की तुलना में अध्यक्षात्मक सरकार में दलबंदी की बुराइयां कम हो जाती है और राष्ट्रीय एकता का संवर्धन होता है|” 
- संकट काल के लिए उपयुक्त- गिलक्राइस्ट “किसी भी प्रकार के राष्ट्रीय संकट के समय नियंत्रण की एकता, निर्णय में शीघ्रता और संगठित नीति की मांग होती है और वे सब बड़ी अच्छी तरह और सरलता से अध्यक्षात्मक व्यवस्था में उपलब्ध किए जा सकते हैं|” 
अध्यक्षात्मक शासन के दोष-
- निरंकुश एवं अनुउत्तरदायी शासन 
- शासन में गतिरोध की संभावना- तीनों अंगों के स्वतंत्र होने पर शासन में गतिरोध की संभावना बनी रहती है| 
- लचीलापन का अभाव 
- यह विधिनिर्माता और प्रशासकों में समुचित सहयोग स्थापित नहीं कर पाती है| 
- मजबूत विपक्ष दल का अभाव रहता है| 
अर्द्ध अध्यक्षात्मक या अर्द्ध संसदीय शासन-
- अर्द्ध अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली का जनक फ्रांस को माना जाता है| 
- जहां 1958 से लागू पांचवें गणतंत्र से यह व्यवस्था लागू हुई| 
- इसे टेलर मेड सविधान, संकट काल का शिशु, चार्ल्स द गोल का संविधान भी कहा जाता है| 
- यह संसदीय व अध्यक्षीय प्रणालियों का मिश्रण होता है| 
- अर्ध अध्यक्षात्मक शब्द का प्रथम बार प्रयोग पत्रकार ह्यूबर्ट बेवमेरी ने 1959 में किया था तथा इस शब्द को प्रसिद्ध फ्रांसीसी विद्वान मॉरिस डुवर्जर ने 1978 में किया| 
- फिनलैंड में भी फ्रांस की तरह अर्द्ध-अध्यक्षात्मक प्रणाली है, जिसमें राष्ट्रपति मुख्य रूप से विदेशी मामलों से संबंध रखता है, जबकि घरेलू जिम्मेदारियां के लिए वहां कैबिनेट है| 
अर्द्ध अध्यक्षीय-
- राष्ट्रपति का पलड़ा भारी| 
- राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष दोनों| 
- राष्ट्रपति का चुनाव निश्चित अवधि हेतु जनता द्वारा| 
- राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है| 
अर्द्ध संसदीय-
- एक प्रधानमंत्री (पर कमजोर) 
- प्रधानमंत्री व मंत्रीमंडल संसद के प्रति उत्तरदायी| 
राष्ट्रीय सरकार
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा 1940 में निर्मित सरकार| 
- यह संसदीय शासन के दोष को दूर करने में सहायक है| 
- संकट काल के लिए उपयुक्त सरकार है| 
- चर्चिल ने द्वितीय विश्व युद्ध में त्वरित निर्णय हेतु कहा कि- 
- मंत्रिमंडल का आकार छोटा किया जाए| 
- सर्वदलीय सरकार हो| 
- लेबर व लिबरल पार्टी को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाना चाहिए| 
- चर्चिल के अनुसार राष्ट्रीय संकट को राष्ट्रीय सरकार द्वारा दूर किया जा सकता है| 
सांसदात्मक व अध्यक्षात्मक व्यवस्था में अंतर-

 
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