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समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व, परिदृश्य, उपकरण और चुनौतियां // Samakaaleen Vishv Mein Amerikee Vicharan, Paridrshy, Upakaran Aur Drshy // American dominance in the contemporary world: scenario, tools and challenges In Hindi || BY Nirban PK Sir

     समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व, परिदृश्य, उपकरण और चुनौतियां


    • शीतयुद्ध की समाप्ति तथा USSR के विघटन के बाद में विश्व में एकमात्र महाशक्ति अमेरिका रह गयी|

    • अमेरिका की टक्कर में कोई भी महाशक्ति नहीं रही, इससे विश्व में एक ध्रुवीय व्यवस्था या अमेरिकी प्रभुत्व स्थापित हुआ|

    • अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में केवल एक ही ताकत हो तो उसे वर्चस्व कहा जाता है, अर्थात 1991 के बाद अमेरिकी वर्चस्व के दौर की शुरुआत होती हैं |



    वर्चस्व (Hegemony)-

    • Hegemony शब्द का प्रयोग प्राचीन यूनान में एथेंस की प्रधानता दर्शाने के लिए किया जाता था|

    • वर्चस्व शब्द से अजेय सैन्य क्षमता, नेतृत्व का भाव, आदेश देने का भाव दृष्टिगत होता है|

    • वर्चस्वशील देश की सैन्य शक्ति अजेय होती है|

    • वर्चस्व का अर्थ दूसरे के व्यवहार को प्रभावित या नियमित करने की क्षमता, जिससे अपनी इच्छा अनुसार कार्य करा सकें या कार्य करने से रोक सकें वर्चस्व कहलाता है|

    • 1991 के बाद पूरे विश्व पर अमेरिका का सैनिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में वर्चस्व देखा जा सकता है|

    • ग्रामशी ने वर्चस्व का प्रयोग सर्वहारा पर सहमति के द्वारा बुजुर्वा वर्ग के प्रभुत्व को दिखाने के लिए किया है|



    अमेरिकी वर्चस्व को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

    1. प्रमुख घटनाएं, जिससे विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व की स्थापना हुई है-

    1. खाड़ी युद्ध (प्रथम) 1990

    2. क्लिंटन का दौर- अलकायदा के विरुद्ध कार्यवाही (1998), 

                           युगोस्लाविया के विरुद्ध कार्यवाही (1999)

    1. 9/11 की घटना

    2. इराक पर आक्रमण

    3. ISIS के विरुद्ध हमले


    1. अमेरिकी वर्चस्व के क्षेत्र  

    1. सैनिक वर्चस्व

    2. ढांचागत ताकत के रूप में वर्चस्व

    3. सांस्कृतिक वर्चस्व 



    1. प्रमुख घटनाएं, जिससे विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व की अभिव्यक्ति या स्थापना होती है-


    1. प्रथम खाड़ी युद्ध (2 अगस्त 1990)-

    • तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के समय

    • कुवैत के तेल क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए 2 अगस्त 1990 को इराक ने कुवैत पर हमला किया तथा कुवैत पर इराक ने कब्जा कर लिया|

    • इराक को UNO द्वारा शांतिपूर्वक समझाने की सभी राजनयिक कोशिश असफल होने पर UNO ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति दी|

    • 34 देशों के सम्मिलित 6,60,000 सैनिकों की सेना ने इराक पर आक्रमण किया|

    • UNO के इस सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्ट्रोम’ कहा जाता है, जो एक तरह से अमेरिकी सैन्य अभियान था|

    • ऑपरेशन के प्रमुख अमेरिकी जनरल नार्मन श्वार्ज़कोव थे|

    • इस अभियान में 75% सैनिक अमेरिका के थे|

    • इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने इस युद्ध को सौ जंगो की एक जंग कहा|

    • अमेरिका द्वारा इस युद्ध में स्मार्ट बमो का प्रयोग किया गया, इसलिए कुछ पर्यवेक्षक इसे कंप्यूटर युद्ध की संज्ञा देते हैं|

    • इस युद्ध के बाद बदली परिस्थिति (अमेरिकी वर्चस्व) को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ‘नई विश्व व्यवस्था’ कहा|

    • नई विश्व व्यवस्था में जॉर्ज बुश ने घोषणा की USA एक पुलिस मैन की भूमिका अदा करेगा तथा दुनिया में शांति स्थापित करने की क्षमता सिर्फ USA के पास है|

    • इस युद्ध को टीवी प्रोग्राम की तरह कवरेज किया गया, इसलिए इसे ‘वीडियो वार गेम’ भी कहा जाता है|


    • ऑपरेशन प्रोवाइड कम्पर्ट- अप्रैल 1991 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने उत्तरी इराक  के कुर्द लोगों के लिए मानवता के नाम पर उतरी इराक को उड़ान मुक्त क्षेत्र घोषित करने का अभियान चलाया जो 1996 तक चला|



    1. क्लिटन का दौर-

    • प्रथम खाड़ी के युद्ध में जीतने के बावजूद भी जॉर्ज बुश की जगह 1992 में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार विलियम जेफर्सन (बिल) क्लिटन राष्ट्रपति बने, जो 1996 में फिर राष्ट्रपति बने तथा 2000 तक राष्ट्रपति रहे|

    • टारनॉफ सिद्धांत के तहत बिल क्लिटन ने विश्व राजनीति के बजाय घरेलू राजनीति पर ज्यादा ध्यान दिया|

    • क्लिटन ने सैन्य शक्ति, सुरक्षा जैसी कठोर राजनीति की जगह लोकतंत्र के बढ़ावे, जलवायु परिवर्तन तथा विश्व व्यापार जैसे नरम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया|


    बिल क्लिटन के समय अमेरिकी वर्चस्व के उदाहरण निम्न हैं-


    1. अलकायदा के विरुद्ध कार्यवाही (1998)-

    • 1998 में नैरोबी (केन्या) और दारे- सलाम (तंजानिया) के अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी हुई|

    • जिसका जिम्मेदार अलकायदा को ठहराया गया तथा जवाबी कार्यवाही में अमेरिका ने सूडान और अफगानिस्तान के अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलो से हमले किए|

    • इस सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच’ कहा गया|


    • Note- इस कार्यवाही में USA द्वारा UNO से भी अनुमति नहीं ली गई|


    1. युगोस्लाविया के विरुद्ध कार्यवाही (कोसोवो संकट)- (1999)

    • 1999 में अपने प्रांत कोसोवो में युगोस्लाविया ने अल्बानिया लोगो के आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य कार्यवाही की|

    • इसके जवाब में अमेरिकी नेतृत्व में नाटो ने युगोस्लाविया पर दो महीनों तक बमबारी की|

    • इससे स्लोबदान मिलोसेचिव की सरकार गिर गई और कोसोवो पर नाटो सेना काबिज हो गई|

    • इस कार्यवाही को Operation Allied force कहा जाता है|


    • Note- वर्तमान में युगोस्लाविया नामक देश नहीं है, 1991 से 2008 तक इसका विभाजन 8 देशों में हो चुका है|

    1. स्लोवेनिया- विभाजन 1991

    2. क्रोएशिया- विभाजन 1991     

    3. मेसिडोनिया- विभाजन 1991

    4. बोस्निया- विभाजन 1992

    5. हर्जेगोविना- विभाजन 1992

    6. सर्बिया- 2003 में विभाजन 

    7. मोंटेनीग्रो- 2006 में विभाजन

    8. कोसोवो- 2008 में विभाजन


      

    1. 9/11 की घटना-

    • 11 सितंबर 2001 को विभिन्न अरब देशों के 19 अपहरणकर्ताओं ने अमेरिका के 4 व्यवसायिक विमानों का अपहरण कर लिया|

    • दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी व दक्षिणी टावर से टकराये|

    • तीसरे विमान को वर्जीनिया के अर्लीगटन स्थित पेंटागन से टकराया| पेंटागन अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय है|

    • चौथे विमान कांग्रेस की मुख्य इमारत से टकराना था, लेकिन वह पेंसिलवेनिया के एक खेत में गिर गया|

    • 9 /11 के जवाब में अमेरिका द्वारा भयंकर कार्यवाही की गई, इस समय राष्ट्रपति  रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे|

    • इस घटना के जवाब में अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के रूप में ‘ऑपरेशन एंड्यूरिंग फ्रीडम’ चलाया|

    • इस अभियान में मुख्य निशाना अल-कायदा और अफगानिस्तान के तालिबान शासन को बनाया|


    • 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने ‘ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर’ नाम से सैन्य कार्यवाही में मार दिया गया| ऑपरेशन में प्रयुक्त कोड जेरोनिमो इकियो था|



    1. इराक पर आक्रमण- (19 मार्च 2003)-

    • सद्दाम हुसैन के तानाशाही शासन को समाप्त करने तथा सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने के लिए 19 मार्च 2003 को अमेरिका ने ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ के कूटनाम से इराक पर हमला किया|

    • अमेरिकी नेतृत्व वाले इस सैन्य अभियान ‘कोअलिशन ऑफ़ विलिग्स’ में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए|

    • इस हमले से सद्दाम हुसैन की तानाशाही सरकार समाप्त हो गई, लेकिन इराक में अमेरिका के विरुद्ध विद्रोह भड़क उठा, क्योंकि इस युद्ध का उद्देश्य कुछ अलग था, जैसे इराक के तेल भंडार पर नियंत्रण स्थापित करना और इराक में अमेरिकी मनपसंद सरकार की स्थापना करना|


    1. ISIS के विरुद्ध हमले- 

    • ISIS- इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया|

    • 2006 से शुरू आतंकवादी संगठन

    • ISIS प्रमुख- अबू बकर अल बगदादी, वर्तमान- अबू इब्राहिम अल-हाशमी अल-कुरैशी

    • ISIS दवारा 2014 में इराक व सीरिया के कई शहरों पर नियंत्रण व लेबनान के कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया गया|

    • 2014 में USA ने ISIS के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए|

    • रूस ने भी सीरिया में USA के साथ मिलकर ISIS पर हमले किए|

    • Operation inherent resolve सीरिया व इराक में ISIS के खिलाफ, USA के नेतृत्व में नाटो सहयोगी देशों द्वारा चलाया गया| 


    1. ऑपरेशन ऑडिसी डॉन- 2011 में लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ

    2. ऑपरेशन कायला- 26 अक्टूबर 2019 को अमेरिकन डेल्टा फोर्स द्वारा ISIS Chief अबूबकर अल बगदादी को मार दिया गया| कायला मूलर USA की मानव अधिकार कार्यकर्ता थी, जिसको सीरिया में ISIS ने मार दिया था| उसी के नाम पर इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन कायला रखा गया|

    3. ऑपरेशन रिस्टोर होप- दिसंबर 1992 में गृहयुद्ध से पीड़ित सोमालिया में भूखे लोगों की सहायता अमेरिका द्वारा की गई|



    1. अमेरिकी वर्चस्व के क्षेत्र-


    1. सैनिक वर्चस्व-

    • अमेरिका की वर्तमान में मौजूद ‘ताकत की रीढ़’ उसकी सैन्य शक्ति है| 

    • सैन्य शक्ति के मामले में अमेरिका प्रथम स्थान रखता है|

    • अमेरिका के नीचे कुल 12 ताकतवर देश जितना खर्च करते हैं, उससे कहीं ज्यादा अपनी सैन्य क्षमता पर अकेला खर्च करता है| 

    • इसके अतिरिक्त पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा रक्षा अनुसंधान और विकास मद में अर्थात प्रौद्योगिकी पर खर्च करता है|


    • Note- अमेरिकी सैनिक क्षमता की कमजोरी सिर्फ इस बात में जाहिर हुई है कि वह अपने अधिकृत भूभाग में कानून व्यवस्था बहाल नहीं कर पाया|


    1. ढांचागत ताकत के रूप में वर्चस्व-

    इसको हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-


    1. विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिका की भूमिका-

    • अमेरिका की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है|

    • अमेरिका की मुद्रा डॉलर विश्व मुद्रा है| भंडार तथा विनिमय के रूप में डालर का प्रयोग किया जाता है|

    • अमेरिका विश्व अर्थव्यवस्था को अपनी मर्जी से चलाने तथा अपने उपयोग की वस्तुओं को बनाये रखने की ताकत रखता है|

    • किसी देश द्वारा अमेरिका की बात न मानने पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं|


    1. समुद्री व्यापार मार्ग (SLOC) पर नियंत्रण- 

    • समुद्री व्यापार मार्ग (SLOC) की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिकी नौसेना की है|


    1. इंटरनेट-  

    • इंटरनेट (www) 1950 में शुरु अमेरिका सैनिक अनुसंधान योजना का परिणाम है|


    1. शिक्षा-

    • व्यवसायिक शिक्षा का प्रारंभ अमेरिका में हुआ था, विश्व का पहला बिजनेस स्कूल 1881 में USA में खोला गया था|

    • बिजनेस क्षेत्र में M.B.A की डिग्री अमेरिका की देन है|


    1. सांस्कृतिक वर्चस्व- 

    • अमेरिका नाम से दो महाद्वीप उत्तरी अमेरिका व दक्षिणी अमेरिका है, लेकिन USA के लिए अमेरिका शब्द का प्रयोग इसके सांस्कृतिक वर्चस्व को दिखाता है|

    • विश्व में दो प्रमुख विचारधाराएं रही है- एक साम्यवादी विचारधारा तथा दूसरी पूंजीवादी विचारधारा

    • आज विश्व में अमेरिका समर्थित पूंजीवादी विचारधारा जबरदस्ती थोप दी गई है| अंतर्राष्ट्रीय मंच के माध्यम से अमेरिका यह स्पष्ट कर चुका है, कि जो देश की नई उदारीकरण व वैश्वीकरण की नीति को नहीं अपनायेगा, उन देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां निवेश नहीं करेगी|

    • विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिका की 28% हिस्सेदारी है| विश्व व्यापार संगठन (WTO), IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष), विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी अमेरिका का वर्चस्व है|


    • नॉम चोमस्की- इस सांस्कृतिक वर्चस्व को ‘सहमति गढ़ने की ताकत’ कहते हैं| अर्थात जबरदस्ती के बजाय (सैन्य ताकत की जगह) रजामंदी से प्रभुत्वशाली देश व वर्ग का वर्चस्व स्थापित करना|

    • बेंजामिन बार्बर- संस्कृति का अमेरिकीकरण अर्थात अमेरिका के सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के लिए मैकवर्ल्ड शब्द का प्रयोग अपनी पुस्तक जेहाद/ मैकवर्ल्ड में करते है|

    • जार्ज रिटजर (अमेरिका के प्रसिद्ध समाजवादी)- सांस्कृतिक वर्चस्व को Mcdonalalization कहते हैं|


    • Note- अमेरिकी संस्कृति खुशहाल जीवन का प्रतीक मानी जाती है|



    अमेरिकी वर्चस्व के समक्ष चुनौतियां


    अमेरिकी वर्चस्व की चुनौतियां -

    1. प्रमुख चुनौतियां/ आंतरिक चुनौतियां-

    1. अमेरिका की संस्थागत बनावट

    2. अमेरिका का उन्मुक्त समाज तथा जनसंचार के साधन

    3. नाटो के सदस्य देश


    1. अन्य चुनौतियां/ बाह्य चुनौतियां-

    1. रूस

    2. चीन

    3. द्वितराष्ट्र गठबंधन

    4. द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय समझौते

    5. विभिन्न संगठन



    1. प्रमुख चुनौतियां-


    1. अमेरिका की संस्थागत बनावट-

    • अमेरिका में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका के मध्य शक्ति विभाजन और नियंत्रण व संतुलन है|

    • यह शक्ति विभाजन कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति के बेलगाम प्रयोग पर अंकुश लगाने का काम करती है|


    1. उन्मुक्त समाज तथा जनसंचार के साधन-

    • उन्मुक्त समाज तथा प्रेस की स्वतंत्रता अमेरिका के विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश लगाता है, क्योंकि उन्मुक्त समाज सैन्य इस्तेमाल का विरोध करता है|


    1. नाटो सैन्य संगठन-

    • नाटो के सदस्य देश अमेरिका के शक्ति प्रयोग पर नैतिक दबाव डालते हैं तथा नाटो सदस्य अपने शक्ति बढ़ाते हुए अमेरिकी वर्चस्व की शक्ति पर अंकुश लगाते हैं|


    1. अन्य चुनौतियां-


    1. चीन-

    • चीन एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है|

    • चीन में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर पाई जाती है|

    • हिंद महासागर में भी चीन का प्रभाव विद्यमान है|

    • अतः चीन भी अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहा है|


    1. रूस-

    • USSR का उत्तराधिकारी रूस भी सैनिक शक्ति के रूप में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहा है|

        

    1. द्विराष्ट्र गठबंधन-

    • द्विराष्ट्र गठबंधन भी अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहे है| जैसे-

    • सैनिक रूप से चीन और रूस ने मिलकर 20 वर्षीय संधि की है|

    • आर्थिक क्षेत्र में जापान व जर्मनी ने समझौता किया|


    1. द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय समझौते-

    • विभिन्न देशों के द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय समझोतो ने भी अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दी है|


    1. विभिन्न संगठन-

    • विभिन्न संगठन भी अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहे हैं जैसे-

    • EU- सदस्य देशों में पारस्परिक व्यापार पर बल देता है|

    • BRICS- यह बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का संगठन है|

    • SCO शंघाई सहयोग संगठन- रूस SCO को सैनिक रूप देने का प्रयास कर रहा है|

    • ALBA व CELAC- लैटिन अमेरिकी देशों में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहे है|

    • इसके अलावा गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), आसियान, विश्व सामाजिक मंच अमेरिकी वर्चस्व के लिए चुनौती है| 



    अमेरिकी वर्चस्व से बचने के उपाय-


    • निम्न उपाय हैं-

    1. छुपा लेना- 

    • USA द्वारा किए जाने वाली किसी कार्यवाही के प्रति कोई प्रतिक्रिया न देना|

    • रूस व चीन अपने को अमेरिका की नजर से बचा रहे हैं, लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है|


    1. बैड बैगन थ्योरी- 

    • प्रवर्तक- रेण्डाल स्कवैलर

    • ‘जैसी बहे बयार पीठ तैसी कीजे’ अर्थात USA की नीतियों के विरुद्ध जाने के बजाय उसके वर्चस्व में अवसरों का फायदा उठाया जाय|



     अमेरिकी वर्चस्व के बारे में विभिन्न कथन-


    फरीद जकारिया-  

    • पुस्तक- Post American world

    • इस पुस्तक में कहा है कि वर्तमान में अमेरिकी वर्चस्व का ह्रास हो रहा है तथा भारत,चीन भविष्य की शक्ति होंगे|


    RE वाचा- 

    • पुस्तक- 'Globalization and world power’

    • भविष्य की शक्ति BRICS होगी |


    • लेयने “महाशक्ति अपने चरम पर अजेय लगती है पर क्या फ्रांस, ब्रिटेन रह पाया? तो अमेरिका भी नहीं रहेगा|”

    • कोहेन व नाई- EU, आसियान, जापान आदि देश High Politics अर्थात  Hard power diplomacy के बजाय Low politics (soft power diplomacy) अपनाकर अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे रहे हैं|


    पॉल केनेडी व नील फर्ग्यूसन-

    • पाश्चात्य पतन की संकल्पना-

    • अमेरिकी वर्चस्व के चक्कर में अफगानिस्तान, इराक, लीबिया, सीरिया जैसे चक्करो में पड़ेगा तथा कमजोर होगा जिसका फायदा रूस, चीन आदि उठायेगे| 


    • ब्रिटिश पत्रकार पी वर्सथोर्न ने अमेरिका को अति महान शक्ति (Hyper Power) की संज्ञा दी है|

    • सैमुअल पी हंटिंगटन “समकालीन विश्व Hybrid है| वह एकल-बहुध्रुवीय व्यवस्था (Uni-multipolar system) है, जिसमें USA अकेला Super power है| वह एकमात्र फौजदार या हाकिम है|”

    • ब्रेझ्न्स्की “21वी सदी में USA प्रथम, अंतिम व एकमात्र वैश्विक महाशक्ति है|

    • वालरस्टीन “USA साम्राज्यवादी संयुक्त राज्य बन गया है, अतः इन सैनिक हस्तक्षेप की वजह से इसका पतन निश्चित है|”

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