अमरीका में राजनीतिक दल (Political Parties in America)
अमरीका में राजनीतिक दलों का उदय और विकास-
वर्तमान समय में प्रायः सभी व्यक्ति इस बात को स्वीकार करते हैं, कि राजनीतिक दलों के बिना प्रजातन्त्रात्मक शासन व्यवस्था का संचालन सम्भव नहीं है, किन्तु राजनीतिक दलों के सम्बन्ध में अमरीकी संविधान निर्माताओं का दृष्टिकोण यह नहीं था।
उन्हें भय था कि राजनीतिक दल जनता के विभिन्न वर्गों में द्वेष और बैर की भावना उत्पन्न करेंगे और इसके परिणामस्वरूप नवजात अमेंरीकी राष्ट्र तथा उसके प्रजातन्त्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
संविधान सभा में मेडिसन ने राजनीतिक दलों की तीव्र भर्त्सना की थी और प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने अपने विदाई भाषण में अमरीकी जनता को राजनीतिक दलों के विरूद्ध चेतावनी देते हुए कहा था कि "दलगत विद्वेष में सभी के लिए बुराई और हानि छिपी हुई है। अतः प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति का यह सहज कर्तव्य है कि वह ऐसी भावनाओं का दमन करे और उनसे बचे।"
Federatis and Anti -Federalist-
लेकिन वाशिंगटन की यह चेतावनी अमरीकी राजनीतिक दलों के स्वाभाविक विकास को नहीं रोक सकी। वास्तव में अमरीकी संविधान का निर्माण करने वाले फिलाडेल्फिया सम्मेलन में ही राजनीतिक दल बीज रूप में विद्यमान थे।
इस संबंध में मुनरो का कहना है कि “संविधान निर्माताओ ने जिस शिला को अस्वीकृत कर दिया था, वह आज अमेरिकी शासन पद्धति का मूल आधार बन गई है|”
एक गुट, जिसका नेता एलेक्जेण्डर हेमिल्टन था, शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार के पक्ष में था। दूसरा गुट, जिसका नेता जैफरसन था, राज्यों की स्वायत्तता और नागरिक स्वतंत्रता का प्रबल समर्थक था। इन दोनों गुटों को क्रमश: फेडरलिस्ट (Federalist) और एण्टी फेडरलिस्ट (Anti-Federalist) के नाम प्राप्त हुए।
जैफरसन और हेमिल्टन दोनों ही सशक्त अमरीकी राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे, लेकिन दोनों के मार्ग अलग-अलग थे।
वाशिंगटन शासन को दलीय भावना से ऊपर रखना चाहते थे, इसलिए उनके द्वारा एलेक्जेण्डर हेमिल्टन और टॉमस जैफरसन, दोनों को ही मन्त्रिमण्डल में सम्मिलित किया गया, परन्तु उनके मतभेद समाप्त नहीं हो सके और 1776 में जैफरसन ने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र देकर अपनी सारी शक्ति 'एण्टी-फेडरलिस्ट' जिन्हें 'डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन' भी कहा जाता है, को संगठित कराने मे लगा दी।
1796 के राष्ट्रपति चुनाव में फेडरलिस्ट विजयी हुए, परन्तु 1800 के निर्वाचन में फेडरलिस्टों को कड़ा आघात पहुंचा और सत्ता डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन दल के हाथों में आ गयी। अनेक कारणोंवश इसी समय से फेडरलिस्ट दल का प्रभाव कम होता गया और 1815 के पश्चात् यह दल राजनीतिक रंगमंच से लुप्त हो गया।
डेमोक्रेट्स और व्हिग्स (Democrats and Whigs)-
फैडरलिस्ट दल के पतन के बाद राजनीतिक रंगमंच पर एकमात्र डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन दल रह गया, परन्तु इस दल के नेताओं में भी आपसी मतभेद और सत्ता के लिए संघर्ष था।
ऐसी स्थिति में 1828 में हेनरी क्ले और डेनियल वेब्सटर के नेतृत्व में एक नया दल संगठित हुआ, जिसे उदार दल (Whig Party) या राष्ट्रीय गणतंत्रवादी दल का नाम दिया गया।
इस समय डेमोक्रेटिक नेता जैक्सन था और नेशनल रिपब्लिक दल का नेता ‘जॉन क्विन्सी एडम्स|’
1850 के बाद व्हिग दल की प्रतिष्ठा में तेजी से गिगावट आयी और 1856 तक इसका पूर्ण विघटन हो गया।
इस प्रकार 'Democratic Republican, (Anti-Federalist) के 1828 में दो टुकड़े हो गए- जिससे दो पार्टियाँ बनी
Democratic- इसका नेता- एन्ड्रयू जेक्सन था।
Whig- इसका दूसरा नाम National Republican Party था, इसका नेता- जॉन क्विन्सी एडम्स था।
रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स (Republicans and Democrats)-
19वीं शताब्दी के मध्य में दास-प्रथा की समाप्ति के प्रश्न को लेकर दो विचारधाराओं का उदय हुआ जिनका प्रतिनिधित्व क्रमश: रिपब्लिकन (1854 में स्थापना) और डेमोक्रेट्स (1828 में स्थापना) नामक दलों द्वारा हुआ। ये ही दल अपने मूल नामों के साथ तभी से चले आ रहे हैं।
इन दोनों दलों के अलावा अन्य राजनीतिक दल बहुत ही छोटे-छोटे हैं, जिनकी शक्ति नगण्य है|
2009 से 2016 तक डेमोक्रेटिक पार्टी के बराक ओबामा राष्ट्रपति रहे।
2016 के जो चुनाव हुए, उसमें रिपब्लिकन पार्टी के डॉनाल्ड ट्रम्प, डेमोक्रेटिक प्रत्याशी हिलेरी क्लिंकटन को हरा राष्ट्रपति बने।
2020 के चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीद्वार ट्रम्प, डेमोक्रेटिक उम्मीद्वार जो बिडेन से हार गए।
अमरीकन दल प्रणाली की विशेषताएं-
दलों का संविधानेत्तर विकास-
अमेरीकन संविधान राजनीतिक दलों के विषय में सर्वथा मौन है, किन्तु जनतन्त्रात्मक व्यवस्था का संचालन राजनीतिक दलों के बिना नहीं हो सकता।
इसलिए अमेरिका में वाशिंगटन के शासन काल के अंत में ही दल राष्ट्रीय मंच पर प्रकट हो गये और तभी से वे बराबर अमरीकी राजनीति का संचालन करते हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल संविधानेत्तर विकास का परिणाम है।
द्विदलीय पद्धति-
ब्रिटेन की भांति अमरीका में भी दो ही प्रमुख राजनीतिक दल हैं। इन दो राजनीतिक दलो के नाम बदलते रहे हैं, किन्तु द्विदलीय पद्धति का अस्तित्व सतत बना रहा है।
शैरशनिडर “जब हम कहते हैं कि अमरीका में दो राजनीतिक दलों की प्रणाली है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि यहां केवल दो दल हैं, वरन् यह है कि यद्यपि राष्ट्रपति पद के लिए एक दर्जन दल अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं, पर वास्तव में यहां केवल दो बड़े दल हैं और छोटे दल इतने छोटे हैं कि उन्हें तो प्रायः लोग भूल जाते हैं।
अमेरिका में कृषक वर्ग का असंतोष व्यक्त करने के लिए ग्रीन बैक दल और श्रमिकों की स्थिति में सुधार करने के लिए लेबर रिफॉर्म दल की स्थापना हुई है|
इसी प्रकार डेमोक्रेटिक पार्टी के वाम पक्ष के रूप में तो Populist Party तथा रिपब्लिकन पार्टी के वाम पक्ष के रूप में प्रोग्रेसिव पार्टी का उदय हुआ है|
इसी प्रकार अमरीका में 'सोशलिस्ट दल' और 'साम्यवादी दल' भी हैं|
लेकिन इनमें से किसी भी राजनीतिक दल का राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभाव या महत्व नहीं है।
द्विदलीय प्रणाली के उदय के कारण-
द्विदलीय प्रणाली के उदय के कारणों में सर्वप्रथम पूर्व-परंपरा और अनुभव है। अमरीकावासियों ने अपना राजनीतिक जीवन ब्रिटिश परम्पराओं से आरम्भ किया था और ब्रिटेन द्विदलीय पद्धति का आदि स्थान रहा है।
अमरीका में राष्ट्रपति और राज्यों के गवर्नर की निर्वाचन पद्धति ने भी द्विदलीय पद्धति को विकसित करने में योगदान दिया है। राष्ट्रपति अथवा राज्यो में गवर्नर पद पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए उत्सुक दल के लिए निर्वाचन मण्डल का निरपेक्ष बहुमत प्राप्त करना आवश्यक है और ऐसी स्थिति में दो से अधिक राजनीतिक दलों का प्रभावशाली होना कठिन हो जाता है। मैकमोहन के शब्दों में, 'राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रणाली तीसरे दल को हतोत्साहित कर देती है, जिसके फलस्वरूप द्विदलीय पद्धति सुदृढ़ हो गयी है।”
एकल-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र- एकल-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र सदैव ही द्विदलीय पद्धति को प्रोत्साहन देते हैं, क्योंकि इस पद्धति में छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के लिए विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है|
अमेरिका में तीसरे दल का प्रभाव न बढ़ने का कारण यह भी है, कि छोटे राजनीतिक दाल जिन प्रश्नों को अपनाते हैं, उन प्रश्नों को शीघ्र ही बड़े दल अपना लेते हैं| फर्ग्यूसन व मेक हेनरी के शब्दों में “आज से 2- 3 शताब्दियों पूर्व वामपंथी दल जिन सिद्धांतों का समर्थन करते थे, उनका अधिकांश भाग डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दलों ने शामिल कर लिया है| तीसरे दल की गतिविधियों में भाग लेने वाले व्यक्ति शासन पदों पर लाभ भले ही प्राप्त न कर सके, किंतु उनके द्वारा प्रतिपादित नीतियां जन स्वीकृति प्राप्त करने लेने पर देश की भूमि के कानून बन जाती है|”
विचारधारा सम्बन्धी आधारभूत अन्तरों का अभाव-
अमेरिका में दोनों दलों की विचारधारा में आधारभूत अंतर का अभाव है| दोनों ही दल पूंजीवादी उदारवादी व्यवस्था को बनाए रखने पर सहमत हैं|
लॉस्की ने कहा कि “कोई मापदण्ड नहीं है, जिसके आधार पर यह निश्चित किया जा सके कि रिपब्लिकन तथा डेमोक्रेटिक दलों के अलग-अलग स्थायी विचार क्या हैं।"
हरमन फाइनर ने भी अमरीकी दलों के विषय में ऐसे ही विचार व्यक्ति किये हैं और बियर्ड ने तो इस सम्बन्ध में यहां तक कहा है कि "वहां के मतदाताओं की दशा उन निर्जीव प्राणियों जैसी होती है, जो खाली शब्दों के लिए मतदान करते हैं।"
दलों का शिथिल संगठन-
अमरीकी राजनीतिक दल सदस्यता तथा दलीय अनुशासन की दृष्टि से शिथिल संगठन हैं।
अनेक बार एक विशेष राजनीतिक दल के टिकट पर चुने गये प्रतिनिधि अपने दलीय नेता के आदेश पर मतदान करने के बजाय विभिन्न हितों या अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं को प्रसन्न करने के लिए मतदान करते हैं।
इस प्रकार अमरीकी राजनीतिक दल विभिन्न राजनीतिक विचारधारा वाले व्यक्तियों के ढीले-ढाले संगठन हैं, जिनमें विचारधारा सम्बन्धी एकमतता तथा कठोर दलीय अनुशासन का सर्वथा अभाव रहता है।
लॉस्की के शब्दों में "केवल निर्वाचन के समय वे राष्ट्रीय दल हैं, अन्यथा प्रभावशाली स्थानीय संस्थाएं हैं।"
दबाव गुटों का प्रभाव-
अमरीका में प्रमुख राजनीतिक दल दो ही हैं, लेकिन छोटे-छोटे दबाव गुटों का काफी प्रभाव पाया जाता है। ये गुट दो प्रमुख दलों पर दबाव डालकर अपने हितों को सिद्ध करते रहते हैं।
लाभ प्रदान करने या लूट की प्रणाली-
इसका तात्पर्य यह है कि राष्ट्रपति के चुनाव में विजयी दल को अधिकार प्राप्त है, कि वह पहले से कार्य कर रहे नागरिक सेवा के पदाधिकारियों को पदच्युत कर इन पदों पर अपने समर्थकों की नियुक्ति कर दे।
छोटे पैमाने पर तो लाभ प्रदान करने की प्रणाली प्रारम्भ से ही प्रचलित थी, लेकिन 1828 में एण्ड्रयू जैक्सन ने इसे बड़े पैमाने पर अपनाया और यह अमरीकी राष्ट्रीय सरकार का एक आधार बन गयी।
लूट की प्रणाली पर प्रतिक्रिया उत्पन्न होना स्वाभाविक थी और अनेक व्यक्तियों तथा संस्थाओं ने इस स्थिति में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
1883 में 'पेण्डलटन अधिनियम' के आधार पर 'लूट-प्रणाली' को सीमित कर दिया गया है, लेकिन अब भी यह संयुक्त राज्य अमरीका में विद्यमान है।
दलों का संगठन-
संयुक्त राज्य अमेरिका के दोनों दलों का संगठन एक जैसा ही है|
दलों के संगठन को दो भागों में बांटा जा सकता है-
स्थायी समितियां-
अस्थायी समितियां- चुनाव के समय कुछ अस्थायी समितियां का निर्माण किया जाता है|
स्थायी समितियां-
दोनों दलों का स्थायी समिति संगठन पांच स्तरीय है, जो निम्न है-
मतदान जिला समितियां
नगर समितियां, कस्बा तथा ग्राम समितियां
काउंटी समितियां
राज्य केंद्रीय समितियां
राष्ट्रीय समिति
मतदान जिला समितियां-
संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानीय दलीय संगठन की इकाई मतदान जिले हैं|
मतदान जिले के दलीय अध्यक्ष का कर्तव्य क्षेत्र में मतदाताओं से संबंध स्थापित करना और उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करना है|
अध्यक्ष अपने क्षेत्र में दल के समर्थकों, अपने मित्रों आदि के लिए सरकारी नौकरियों व अन्य सुविधा प्रदान करने का प्रयत्न करता है|
नगर समितियां, कस्बा तथा ग्राम समितियां-
नगरों में मतदान जिला समितियां के ऊपर एक वार्ड समिति होती है| वार्ड से नगर पार्षद चुने जाते हैं, जिनका नगर पालिका और नगर की राजनीति से संबंध रहता है|
कस्बो की समस्याओं के समाधान के लिए कस्बा समिति तथा ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए ग्रामीण समिति स्थापित की जाती है|
काउंटी समितियां-
ये ग्रामीण क्षेत्रों में होती है|
अमेरिका में 3000 से ज्यादा काउंटीया है|
राज्य केंद्रीय समितियां-
अमेरिका के 50 राज्यों में से प्रत्येक राज्य में दोनों राजनीतिक दलों की एक केंद्रीय राज्य समिति है|
यह अपने समस्त क्षेत्र में दलीय संगठन की देखभाल करती है|
राष्ट्रीय समिति-
प्रत्येक दल के शीर्ष पर एक राष्ट्रीय समिति होती है|
इसमें प्रत्येक राज्य से दो प्रतिनिधि आते हैं, जिसमें एक स्त्री और एक पुरुष होता है|
राजनीतिक दलों का कार्यकरण या भूमिका (Role or Working of the Political Parties-
जेम्स ब्राइस ने अमेरिकन दल व्यवस्था के बारे में लिखा है कि “दल व्यवस्था संविधान द्वारा स्थापित वैधानिक सरकार के साथ-साथ एक दूसरी ही सरकार बन गई है, जिसका कानून में उल्लेख नहीं है| इसे डायनेमो इंजन कहा जा सकता है, जिससे वैधानिक सरकार अपनी शक्ति प्राप्त करती है|”
अमरीकी शासन-व्यवस्था में राजनीतिक दलों की भूमिका अध्ययन निम्न रूपों में किया जा सकता है-
कांग्रेस तथा कार्यपालिका के बीच सहयोग तथा सामंजस्य-
इन दोनों के बीच अनौपचारिक रूप से सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य राजनीतिक दलों के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन दलीय आधार पर होता है तथा राष्ट्रपति विभागीय अध्यक्षों की नियुक्ति भी दलीय आधार पर करता है।
कांग्रेस के दोनों सदनों के सदस्य भी दलीय आधार पर निर्वाचित होते हैं। इस प्रकार दलीय सम्बन्ध कांग्रेस और कार्यपालिका को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करते हैं।
राष्ट्रीय एकीकरण की शक्ति-
आग और रे का कहना है कि "विभिन्न जातियों, धर्मों, संस्कृतियों एवं व्यवसायों के लोगों में एकता स्थापित करने में राजनीतिक दल सीमेण्ट का कार्य करते हैं।”
अमरीकी राजनीति के सन्दर्भ में यह कथन नितान्त सत्य है।
अमेरिका में राजनीतिक दल समस्त देश को एकता का सूत्र बांधते है|
विभिन पदाधिकारियों और संस्थाओं के चुनाव को सम्भव बनाना-
अमरीकी संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रतिनिधि सभा और सीनेट सदस्यों के निर्वाचन की जो व्यवस्था की गयी है, व्यवहार के अन्तर्गत वह राजनीतिक दलों के आधार पर ही कार्य कर रही है।
राजनीतिक दल जनता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करते हैं|
राजनीतिक दल भावी राजनीतिज्ञों के चयन का कार्य करते हैं
अमेरीकन राजनीतिक दलों की आलोचना-
प्रो. लॉस्की ने अमरीकी राजनीतिक दलों की कड़ी आलोचना की है। उनके द्वारा की गयी आलोचना के दो प्रमुख आधार हैं-
अमरीकी राजनीतिक दलों का कोई सैद्धान्तिक आधार नहीं है। विचारधारा सम्बन्धी भेद के अभाव में ये दल सत्ता प्राप्ति मात्र के लिए संघर्ष करने वाले गुट बनकर रह गये है।
अमरीकी राजनीतिक दलों के सदस्य अपने दल के प्रति निष्ठावान नहीं होते और उनके द्वारा दलीय अनुशासन की अवहेलना की जाती है।
आलोचना करते हुए यह भी कहा जा सकता है कि इन राजनीतिक दलों ने ही अमरीकी राजनीतिक व्यवस्था में लूट की प्रणाली को जन्म दिया है। वर्तमान समय में राजनीतिक दलों के द्वारा राष्ट्रपति और अन्य चुनावों में बहुत अधिक धनराशि व्यय की जाती है और इससे विभिन्न प्रकार के राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
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