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स्विट्जलैण्ड की दलीय व्यवस्था (Party System of Switzerland) By Nirban PK Sir In Hindi

स्विट्जलैण्ड की दलीय व्यवस्था (Party System of Switzerland)

    • स्विजरलैण्ड के संविधान में भी राजनीतिक दलों का कोई उल्लेख नहीं है| 

    •  यद्यपि स्विस शासन-व्यवस्था में राजनीतिक दल उतने शक्तिशाली नहीं हैं, जितने कि ब्रिटेन और अमरीका में हैं, लेकिन फिर भी राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

    • लॉर्ड ब्राइस “स्विट्जरलैण्ड में राजनीति दल, ब्रिटेन, फ्रांस या किसी लोकतांत्रिक देश की अपेक्षा कम भूमिका निभातेहैं।'' - 

    • स्विट्जरलैण्ड में बहुदलीय व्यवस्था है, परंतु वहाँ का जनतंत्रीय जीवन कभी भी उससे विचलित नहीं हुआ। स्विट्जरलैण्ड में कई धर्म तथा भाषाएँ हैं। अत: राजनीति दल इस कमजोरी का लाभ उठा सकते थे। परंतु वहाँ की स्वस्थ परंपराओं एवं प्रबुद्ध जनमत ने इन राजनीति तत्वों को अनुचित रूप से उभरने नहीं दिया। स्विट्जरलैण्ड प्रजातंत्र का वह उदाहरण है जो धर्मान्धता, परंपरागत अंधविश्वास से दूर है।

    • लॉर्ड ब्राइस ने कहा है कि “यूरोप के किसी भी देश में नवीन राजनीतिक दलों की उत्पत्ति तथा गुटों के रूप में उनके पुनर्गठन एवं नवीनीकरण के लिए इतनी अधिक सामग्री नहीं है, जितनी स्विट्जरलैण्ड में है, क्योंकि कहीं भी इतने अधिक धर्म, जातियों तथा भाषाओं की भिन्नता नहीं है, फिर भी दलों के हिलने- डुलने का असर जितना कम राज्य के जहाज पर स्विट्जरलैण्ड में है, उतना अन्यत्र नहीं है।''



    दल प्रणाली का विकास (Growth of Party System)-

    • सन्‌ 1848 के पूर्व स्विट्जरलैण्ड में केवल तीन राजनीतिक दल- 'उदार दल, क्रान्तिकारी दल तथा कैथोलिक दल' थे। 

    • इनमें सबसे प्रमुख उदार दल था, जिसका निर्माण बुद्धिजीवियों, श्रमिकों और किसानों द्वारा 1815 में समझौते द्वारा स्थापित सामन्तवादी व्यवस्था का विरोध करने के लिए किया गया था।

    • 1832 में उदार दल का ही एक भाग उससे अलग हो गया और उसने क्रान्तिकारी दल के नाम से अपना गठन किया। 

    • इसी समय उदार दल व क्रान्तिकारी दल का विरोध करने के लिए कैथोलिक दल का गठन किया गया। 

    • इन राजनीतिक दलों का पारस्परिक विरोध इतना प्रबल हो गया, कि इसके परिणामस्वरूप 'साउण्डरबण्ड' (Sounderbund) का गृह-युद्ध हुआ।


    • साउण्डरबण्ड (Sounderbund) का गृह-युद्ध-

    • 7 कैंटनो में कैथोलिक दल का बहुमत था तथा यहाँ के लोगों पर इस दल का पूर्ण प्रभाव था| 

    • 1845 में इन 7 कैथोलिक कैंटिनो ने अपना अलग संघ बनाया, जिसका नाम साउंडरबंद रखा| 

    • इसी संघ की स्थापना से गृह युद्ध का सूत्रपात हुआ, जो एक माह चला तथा जिसमें कैथोलिकों की हार हुयी|

     

    • 1848 में जब नवीन संविधान का निर्माण हो रहा था, तो उदार दल और क्रान्तिकारी दल ने मिलकर इसे प्रगति का प्रतीक बनाने का प्रयत्न किया और इसमें वे कुछ सीमा तक सफल भी रहे।

    • इसके बाद 1919 तक स्विस राजनीति पर क्रान्तिकारी दल का प्रभुत्व बना रहा। 

    • 1919 में व्यवस्थापिका में प्रतिनिधित्व के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली को अपनाया गया। इसके परिणामस्वरूप स्विस राजनीति बहुदलीय हो गयी और स्विट्जरलैण्ड में तीन नए राजनीतिक दलों का उदय हुआ। सर्वप्रथम कृषक दल (Farmers, Workers and Middle Class Party) का उदय हुआ और इसके बाद स्वतंत्र दल तथा साम्यवादी दल का।



    स्विट्जरलैण्ड के प्रमुख राजनीतिक दल तथा उनकी विचारधाराएं-

    • जिन राज्यों में बहुदलीय प्रणाली होती है, उनके राजनीतिक दलों में आधारभूत भेद का अभाव होता है। स्विट्जरलैण्ड में भी ऐसा ही है और कोडिंग्स ने लिखा है कि “स्विट्जरलैण्ड के दलों की विचारधारा तथा उनके सामाजिक संगठन में कोई अति उग्र प्रकार के अन्तर नहीं है।"


    • स्विट्जरलैण्ड के प्रमुख राजनीतिक दल निम्न है-


    उदारवादी दल (Liberal Party)-

    • यह दल पहले बहुत महत्त्वपूर्ण था और उसने क्रान्तिकारी दल के साथ मिलकर सन्‌ 1848 के संविधान के निर्माण और उसके बाद शासन सत्ता के संचालक के रूप में भाग लिया था, किन्तु अब इसकी स्थिति नगण्य-सी है| 

    • इस दल ने अब अपना नाम 'उदारबादी लोकतन्त्रीय दल' (Liberal Democratic Party) रख लिया है।



    कैथोलिक दल (Catholic Party)-

    • कैथोलिक दल जिसे ‘कैथोलिक रूढ़ीवादी दल’ (Catholic Conservative Party) भी कहते हैं, स्विट्जरलैण्ड का एक अत्यन्त प्रमुख दल है। 

    • यह दल साउण्डरबण्ड युद्ध के समय से ही कैथोलिक चर्च की रीतियों व नीतियों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहा है। 

    • चर्च की स्वतंत्रता का समर्थक होने के कारण इसकी सदैव यह चेष्टा रही है, कि स्विस संविधान से वे भाग निकल जायें, जो चर्च के क्रियाकलापों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं| 

    स्विट्जरलैण्ड में ग्रामीण कैण्टनों में कैथोलिक चर्च का प्रभाव अधिक है| अतः इस प्रभाव को बनाये रखने के लिए यह दल कैण्टनों के अधिकार का समर्थक और संघ में शक्ति के केन्द्रीकरण का विरोधी रहा है।

    • कैथोलिक दल व्यक्ति की आर्थिक स्वतंत्रता का समर्थक है| 

    • सन्‌ 1960 के बाद दल में दो गुट उभर रहे हैं। रूढ़िवादी कैथोलिक गुट जहां अब भी पुरानी मान्यताओं को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील है| तथा एक अधिक प्रगतिशील गुट, दल को समाजवादी रूप प्रदान करने के लिए प्रयत्नशील है।



    क्रान्तिकारी दल (Radical Party)-

    • सन्‌ 1832 में उदारवादी दल से अलग होकर कुछ लोगों ने इसकी स्थापना की थी। 

    • यह दल नाम से क्रान्तिकारी, किन्तु नीति की दृष्टि से मध्यममार्गी है और वास्तव में इसने कैथोलिक दल तथा समाजवादी दल के बीच का मार्ग ग्रहण किया है। 

    • पहले यह शक्तिशाली केन्द्र, सामाजिक सुरक्षा की अधिकतम व्यवस्था तथा व्यापक प्रत्यक्ष लोकतंत्र के पक्ष में था, लेकिन अब इसके सामाजिक सुरक्षा सम्बन्धी कार्यक्रम को समाजवादी दल ने अपना लिया है।

    • यह कैथोलिकों की प्रमुखता का विरोधी और धर्म-निरपेक्षता का समर्थक है। 

    • यह दल सम्पत्ति के अधिकार का तो समर्थक है, किन्तु इस अधिकार की असीमितता के पक्ष में नहीं है। 

    • इसके अधिकांश अनुयायी मध्यम वर्ग से ही हैं।

    • यह दल संवैधानिक आरम्भक (Initiative) के समान की सामान्य विधायी क्षेत्र में भी आरम्भक को अपनाने के पक्ष में है| 



    समाजवादी लोकतन्त्रीय दल (Social Democratic Party)

    • इस दल की स्थापना 1890 में हुई थी। 

    • यह दल स्विट्जरलैण्ड को संयुक्त राष्ट्र संघ का सक्रिय सदस्य बनाने, श्रमिकों की स्थिति में सभी सम्भव सुधार करने और संघ को प्रत्यक्ष कर लगाने के अधिकार का समर्थक है। 

    • सन्‌ 1971 में स्त्रियों को जो मताधिकार प्राप्त हुआ, उसमें समाजवादी लोकतंत्रीय दल ने सर्वाधिक भूमिका अदा की थी। 

    • वर्तमान समय में यह दल मजदूर संघों के अधिकारों का विशेष समर्थक है। 

    • कारखानों में काम करने वाले लोग और थोड़ा वेतन वाले वाले सरकारी कर्मचारी इसके समर्थक हैं।



    कृषक दल (Farmers, Workers and Middle Class Party)

    • स्थापना- 1919

    • 1918 में उदार दल के विघटित होने की फलस्वरुप इस दल का जन्म हुआ|

    • इसका पूरा नाम 'कृषकों, कामगारों और मध्यम वर्ग' का दल है, लेकिन व्यवहार में कृषक दल' नाम ही अधिक प्रचलित है। 

    • तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के अतिरिक्त स्विस राजनीति में जो अन्य छोटे-छोटे दल हैं, उनमें कृषक दल सबसे प्रमुख है। 

    • यह दल चाहता है कि सरकार किसानों को सहायता दे, बाहरी वस्तुओं के आयात पर भारी कर लगाये और उत्पादन के मूल्यों को निर्धारित करे, जिससे कृषकों को उचित लाभ पहुंच सके।



    स्वतंत्र दल (Independent Party)-

    • इसकी स्थापना 1935 में हुई है। 

    • यह दल आर्थिक क्षेत्र में राज्य के हस्तक्षेप का विरोधी और उपभोक्ताओं के हितों का प्रबल समर्थक है।

    • इस दल को स्विस जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं है, किंतु इस दल के कुछ प्रमुख सदस्य बहुत ही अच्छे वक्ता हैं| कोडिंग्स के शब्दों में “स्वतंत्र दल अपनी वक्तृता द्वारा वास्तविक राजनीतिक शक्ति की कमी को पूरा कर लेता है|”



    साम्यवादी दल अथवा श्रमिक दल (Communist Party or Labour Party)-

    • यह दल मार्क्सवादी विचारधारा के आधार पर स्विट्ज़रलैंड में साम्यवाद लाना चाहता है, इस कारण इस दल को अधिक समर्थन प्राप्त नहीं है| 

    • महायुद्ध में स्विस तटस्थता के विरूद्ध सोवियत संघ समर्थक दृष्टिकोण अपनाने के कारण 1940 से 1945 तक इस पर प्रतिबन्ध लगा रहा तथा उसके बाद दल ने अपना नाम 'श्रमिक दल' रख लिया है।


    कुछ अन्य दल-

    • उदार समाजवादी दल, लोकतंत्रात्मक तथा प्रोस्टेंट दल, नेशनल फ्रंट, अनुदार नवयुवक दल, राष्ट्रीय लीग, किसान लीग आदि| 



    स्विस राजनीतिक दलों की विशेषताएं-

    1. बहुदलीय प्रणाली (Multiple Party System)

    •  इंग्लैण्ठ और अमरीका के विपरीत स्विट्जरलैण्ड में बहुदलीय प्रणाली है| 

    • बहुदलीय प्रणाली ने स्वाभाविक रूप से मिली-जुली सरकारों को जन्म दिया है, लेकिन इस सम्बन्ध में स्विट्जरलैण्ड की स्थिति अनुपम है। 

    • सामान्यतया बहुदलीय प्रणाली निर्बल और अस्थायी सरकारों को जन्म देती है, लेकिन स्विट्जरलैण्ड में ऐसी कोई बात नहीं है और बहुदलीय प्रणाली अत्यधिक सफलता के साथ कार्य कर रही है।


    1. दलों की सविधानेत्तर स्थिति (Extra-constitutional Position of Parties)-

    • इस सम्बन्ध में स्विट्जरलैण्ड की स्थिति सोवियत संघ और अन्य साम्यवादी देशों से भिन्‍न है, जहां साम्यवादी दल को संविधान के द्वारा स्पष्ट मान्यता प्रदान की जाती है।

    • स्विट्जरलैण्ड में दलों को सवैंधानिक मान्यता नहीं है|


    1. विरोधी दलों का अभाव (Absence of Opposition Party)

    • ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, अमरीका, भारत आदि देशों में एक राजनीतिक दल सत्तारूढ़ होता है और एक या अन्य राजनीतिक दल विरोधी दल के रूप में कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्विट्जरलैण्ड में नहीं है।

    • स्विट्जरलैण्ड में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की पद्धति को अपनाने के कारण किसी एक राजनीतिक दल को राष्ट्रीय परिषद्‌ में पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता है। राष्ट्रीय परिषद्‌ की भांति ही संघीय परिषद्‌ में भी दलों को उसके अनुपात के अनुसार प्रतिनिधित्व मिल जाता है और किसी भी विरोधी दल का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।


    1. दलों में मौलिक सिद्धांतों पर मतभेद नहीं (No Difference on Fundamental Principles)

    • सभी स्विस राजनीतिक दल धर्म-निरपेक्षता, गणतन्त्रवाद और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्विट्जरलैण्ड की तटस्थता में विश्वास करते हैं।

    • स्विट्जरलैंड के विभिन्न दलों में पारस्परिक सहयोग, संपर्क, सह अस्तित्व एवं समझौते की भावनाएं विद्यमान है| 


    1. सुंसंगठित और दृढ़ उग्र दलबंदी का न होना (Absence of Well Organized and Strong Parties)-

    • स्विट्ज़रलैंड के दलों का सुदृढ़ संगठन नहीं है| न तो इन दलों का कोई देशव्यापी संगठन है और न ही उनके पास बहुत अधिक धनराशि है| 


    1. व्यावसायिक राजनीतिज्ञों का अभाव-

    • स्विट्जरलैण्ड में स्थिति यह है कि राजनीति के आधार पर आर्थिक या जीवन के अन्य लाभ प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं और न ही कोई दल अपने अनुयायियों को विशेष लाभ पहुंचा सकता है। इसी कारण स्विट्जरलैण्ड में व्यावसायिक राजनीतिज्ञों का अभाव है।


    1. दलों का कैण्टनों के आधार पर संगठन (Parties Organized on the basis of Cantons)-

    • स्विट्जरलैण्ड में लोग कैण्टनों के राजनीतिक मामलों में राष्ट्रीय मामलों की अपेक्षा अधिक रुचि लेते हैं और राजनीति दलों का संगठन कैण्टनों के आधार पर ही हुआ है, राष्ट्रीय आधार पर नहीं।

    • कोडिंग्स “संघीय सभा के चुनाव कैंटनो के आधार पर लड़े जाते हैं| न केवल एक कैंटन को चुनाव का क्षेत्र समझा जाता है, बल्कि चुनाव में उन्हीं उम्मीदवारों को चुना जाता है, जो कैंटनो की विधानसभा में योग्यता का परिचय देकर नाम पैदा कर चुके थे|”


    1. करिश्माई नेतृत्व का अभाव


    1. चुनावो में अनुचित व्यय न करना और राजनीतिक जीवन में शुद्धता और मूल्यों का ध्यान रखना| 



    राजनीतिक दलों की निर्बल स्थिति और उसके कारण-

    • स्विट्जरलैण्ड की दलीय व्यवस्था को ‘दुर्बल दलीय व्यवस्था’ की संख्या दी जाती है| 

    • स्विट्जरलैण्ड में राजनीति दलों की स्थिति अन्य देशों की तुलना में निश्चित रूप से बहुत निर्बल है। इस सम्बन्ध में लॉर्ड ब्राइस ने लिखा है कि "स्विट्जरलैण्ड में राजनीतिक दल ब्रिटेन, फ्रांस या अन्य किसी प्रजातान्त्रिक देश की अपेक्षा बहुत कम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।" 


    • ब्राइस द्वारा किये गये अध्ययन और अन्य बातों के आधार पर राजनीतिक दलों की निर्बल स्थिति के निम्न कारण बताये जा सकते हैं-

    1. जनता में मौलिक भेदभाव का अभाव 

    2. गंभीर आर्थिक असमानता और वर्ग विद्वेष का अभाव 

    3. धार्मिक वैमनस्थ का आभाव

    4. संघीय परिषद की प्रकृति-

    • संघीय परिषद स्थायी कार्यपालिका है, इसे पदच्युत नहीं किया जा सकता। 

    • इसके अतिरिक्त यह निर्दलीय भी है| संघीय परिषद के सदस्य प्राय: पुन :निर्वाचित होते रहते हैं और इसका परिणाम यह हुआ कि स्विस व्यवस्थापिका में राजनीतिक दल उस प्रकार से सत्ता के लिए संघर्ष में संलग्न नहीं रहते, जैसा कि ब्रिटेन, फ्रांस या अन्य संसदीय राज्यों में होता है।  


    1. संघीय सभा के अल्पकालीन अधिवेशन-

    • स्विस व्यवस्थापिका के अधिवेशन बहुत छोटे, अधिक-से-अधिक एक महीने के होते हैं और अधिवेशन के बाद सदस्यगण अपने नियमित व्यवसाय में चले जाते हैं, क्योंकि स्विट्जरलैण्ड में व्यावसायिक राजनीतिज्ञों के लिए कोई स्थान नहीं है। 

    • अत:व्यवस्थापिका में कठोर संगठन का विकास नहीं हो पाया है।


    1. सीमित विधायी शक्ति-

    • स्विट्ज़रलैंड में व्यवस्थापिका अर्थात संघीय सभा की विधायी शक्ति सीमित और इस सीमित क्षेत्र में भी उसकी शक्ति अंतिम नहीं मानी जाती है| वहां अंतिम शक्ति जनता के हाथों में है| 


    1. राजनीति में व्यक्तिगत प्रभाव का अभाव 

    2. राजनीति के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण-

    • स्विस नागरिक राजनीति के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण रखते हैं और अपने आप को किन्हीं सिद्धांतों या दल से बांधकर रखने के बजाय स्वतंत्र विवेक के आधार पर कार्य करते हैं| 

    • वे राजनीति को एक गम्भीर विषय मानते हैं और उग्र दलबन्दी को अच्छा नहीं समझते।


    1. राजनीतिक जीवन में बहुत कम पारितोषिक-

    • स्विस राजनीतिक जीवन में पारितोषिक व वेतन बहुत ही कम है। उच्च-से-उच्च शासन पद प्राप्त कर लेने पर भी सफल राजनीतिज्ञ को कोई विशेष  वेतन,शक्तियां तथा सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता।


    1. लोक निर्णय की व्यवस्था (Provision of Referendum)- 

    • स्विट्जरलैण्ड में लोकनिर्णय की व्यवस्था के कारण विधानमण्डल और कार्यकारिणी दोनों ही अपेक्षाकृत निर्बल हैं और इसी कारण इसमें उपस्थित दल भी निर्बल हैं। 


    1. लूट प्रथा का अभाव-

    2. राष्ट्र-प्रेम की उग्र भावना-

    • स्विस नागरिकों में राष्ट्र-प्रेम की भावना इतनी अधिक उग्र है कि वे किन्हीं भी विषयों पर दलीय हित की दृष्टि से नहीं, वरन्‌ राष्ट्रीय हित की दृष्टि से विचार करते हैं।


    1. स्विट्जरलैंड में वैधानिक एवं विदेशी मामलो में कोई मतभेद नहीं होता है, अत: दलगत सक्रियता की कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हो पाती| 


    1. पेशेवर व व्यावसायिक राजनीतिज्ञों का अभाव


    1. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थायी तटस्थता का सिद्धांत


    • इन सभी तथ्यों के परिणामस्वरूप स्विट्जरलैण्ड में दलबन्दी की भावना बहुत दुर्बल है और स्विस राजनीति अपेक्षाकृत शान्त, सुव्यवस्थित और संयत है।



    दलों के अंग-

    • संगठन व ढांचे की दृष्टि से सामान्यत: प्रत्येक दल के तीन प्रमुख अंग है-

    1. डायट (Diet)

    2. केंद्रीय समिति (Central Committee)

    3. कार्यकारिणी समिति (Executive Committee)


    1. डायट (Diet)-

    • यह दल की सर्वोच्च सभा होती है| 

    • इसकी बैठक वर्ष में प्राय: एक बार होती है, जिसमें दल की वार्षिक रिपोर्ट, वार्षिक आय-व्यय, समकालीन समस्याओं आदि पर दल के रुख और दल की नीतियों पर विचार-विमर्श होता है और निर्णय लिए जाते हैं| 


    1. केंद्रीय समिति (Central Committee)-

    • यह दल की कार्यकारिणी समिति होती है, इसका निर्वाचन प्रत्येक वर्ष डाइट द्वारा होता है| 


    1. कार्यकारिणी समिति (Executive Committee)-

    • केंद्रीय समिति का आकार बढ़ जाने के कारण डाइट द्वारा छोटी कार्यकारिणी समितियों का भी निर्वाचन किया जाता है| 

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