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राजनीतिक दल (Political Parties) in Hindi


 राजनीतिक दल (Political Parties)

    राजनीतिक दल का अर्थ-

    • ऐसा संगठन जो संपूर्ण देश या समाज के व्यापक हितों के संदर्भ में अपने सेवार्थियों के हितो का बढ़ावा देने के लिए निश्चित सिद्धांतों, नीतियों और कार्यक्रम का समर्थन करता है, और इन्हें कार्यान्वित करने के उद्देश्य से ‘राजनीतिक शक्ति’ प्राप्त करना चाहता है|

    • राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है|

    • स्टेसियोलॉजी (Stasiology) (राजनीतिक दल विज्ञान) राजनीतिक दलों के अध्ययन को कहते हैं| 


    • प्रो. मुनरो “स्वतंत्र राजनीतिक दलों का शासन लोकतंत्रीय शासन का ही दूसरा नाम है| जहां अनेक राजनीतिक दल नहीं रहे, वहां स्वतंत्र शासन कभी नहीं रहा|”

    • ह्यूवर “प्रजातंत्र के चालन में राजनीतिक दल तेल के तुल्य है|”

    • ब्राइस “राजनीतिक दलतंत्र, प्रजातंत्र से कहीं अधिक प्राचीन है|”

    • मैकाइवरजिस राज्य में दल प्रणाली नहीं होती, उसमें क्रांति ही सरकार को बदलने का एकमात्र तरीका है|” 

    • लॉस्कीराजनीतिक दल देश में अधिनायकवाद से हमारी रक्षा करने के सर्वश्रेष्ठ कवच है|”

    • एडमंड बर्क “दलीय व्यवस्था अच्छी हो या बुरी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है|”

    • लार्ड ब्राइस “दल राष्ट्र के मन को क्रियाशील व सजीव बनाए रखते हैं, जैसे जवार भाटा समुद्र को|”

    • लार्ड ब्राइस “राजनीतिक दल मतदाताओं को भीड़ की अराजकता से बाहर निकालते हैं|”

    • मोरिस डुवर्जर “राजनीतिक दल उन देशों में भी विद्यमान है, जहां निर्वाचन नहीं होते और विधाययिका भी नहीं होती है|”

    • जोया हसन “राजनीतिक दल एक प्रतिनिधित्व शासन व्यवस्था में मुख्य राजनीतिक संस्थान है|”



    राजनीतिक दलों की विशेषताएं-

    1. यह बहुत सारे लोगों का स्थायी संगठन है|

    2. यह संगठन साधारणत: अपने सेवार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए समाज के व्यापक हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं|

    3. राजनीतिक दल औपचारिक संगठन होता है, जो भर्ती, लामबंदी, जागरूकता, हितसमूहीकरण व सामाजीकरण करते हैं|

    4. अपने सिद्धांतों, नीतियों और कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने के लिए राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना चाहते है|

    5. इसके कुछ निश्चित सिद्धांत, नीतियां, कार्यक्रम होते है|

    6. मतभेदों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण तरीका अपनाते हैं तथा बहुमत का आदर करते हैं|

    7. अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संवैधानिक साधनों का सहारा लेते हैं|

    8. राजनीतिक दल जीतने पर सरकार का निर्माण तथा हारने पर विरोधी दल की भूमिका निभाते हैं| 

    9. दलों की एक निश्चित विचारधारा होती है| लावेल “दल विचारों के दलाल हैं|”


    • लोकतंत्र में अध्यक्षीय प्रणाली की अपेक्षा संसदीय शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों की भूमिका अधिक होती है|



    राजनीतिक दल के आवश्यक तत्व-

    1. संगठन अर्थात समान राजनीतिक विचारों वाले व्यक्तियों का संगठन

    2. सामान्य विचारों की एकता

    3. शासन पर प्रभुत्व की इच्छा

    4. संवैधानिक तरीकों में आस्था

    5. राष्ट्रीय हित, एडमंड बर्क “राजनीतिक दल राष्ट्रीय हित की वृद्धि के लिए संगठित राजनीतिक समुदाय है|”



    राजनीतिक दलों के संदर्भ में विभिन्न मत-

    • राजनीतिक दलों के संदर्भ में तीन मत है-

    1. यूरोपीय मत

    2. अमेरिकन मत

    3. साम्यवादी मत


    1. यूरोपीय मत-

    • यूरोपीय मत के अनुसार राजनीतिक दलों का निर्माण किन्ही विशिष्ट सिद्धांतों के आधार पर होता है| 

    • फ्रांस, इटली, ब्रिटेन आदि के विचारकों का यह मानना है| 

    • एडमण्ड बर्क “राजनीतिक दल लोगों का ऐसा समूह है, जो किन्हीं विशिष्ट सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए संवैधानिक तरीकों से सत्ता प्राप्ति का प्रयास करता है|”

    • मीहान “राजनीतिक दल स्वैच्छिक सदस्यता वाला संगठित निकाय है|”


    1. अमेरिकन मत-

    • अमेरिकन मत के अनुसार राजनीतिक दलों का कोई सैद्धांतिक या वैचारिक आधार नहीं होता है| 

    • दल सत्ता के लिए संघर्ष के साधनमात्र है, केवल मत प्राप्त करने वाली मशीने हैं|”

    • शुम्पीटर “राजनीतिक दल ऐसा समूह है, जिसके सदस्य राजनीतिक सत्ता के लिए प्रतियोगितापूर्ण संघर्ष करते हैं|”

    • A N होलकोम्ब “राजनीतिक दल संगठित भागीदारी की गैर-नियोजित संस्था है|”

    • रॉबर्ट डहल “USA की दोनों पार्टियों में विचारधारात्मक सादृश्य तथा विषगयत विरोध है|”

    • जेम्स ब्राइस “USA के दोनों राजनीतिक दल दो ऐसी बोतले हैं, जिनमें समान शराब पर लेबल अलग-अलग है|”

    • चालर्स बीयर्ड “राजनीतिक दल मुख्य रूप से हित के अभिकरण हैं|”


    1. साम्यवादी मत-

    • कार्ल मार्क्स राजनीतिक दलों को बुजुर्वा वर्ग द्वारा शोषण का यंत्र मानता था|  

    • पर मार्क्स के विचारों में संशोधन कर लेनिन ने कहा कि सर्वहारा के संगठन में साम्यवादी पार्टी द्वारा मजदूरों में जागृति लायी जाएगी|

    • लेनिन के मत में व्यावसायिक क्रांतिकारियों का यह हरावल दस्ता क्रांति का नेतृत्व करेगा| 



    दलीय प्रणाली के प्रकार/ रूप-

    • मुख्यतया संख्या के आधार पर दलीय प्रणाली के तीन रूप प्रचलित है-

    1. एक दलीय प्रणाली

    2. द्विदलीय प्रणाली 

    3. बहुदलीय प्रणाली


    • मॉरिस डुवर्जर ने एक दलीय, द्विदलीय और बहुदलीय प्रणालियों के बीच अंतर किया है| 


    1. एकदलीय प्रणाली-

    • एक दलीय राजनीति व्यवस्था उसको कहेंगे, जिसमें शासन एक ही राजनीतिक दल के हाथों में हो|

    • उदाहरण- पूर्व सोवियत संघ, वर्तमान जनवादी चीन, क्यूबा, उत्तरी कोरिया


    • कुछ लोग इस व्यवस्था को अधिनायक तंत्र की श्रेणी में भी रखते हैं, लेकिन यह अधिनायक तंत्र से निम्न बातों में भिन्न है-

    1. इस प्रणाली में लिखित संविधान होता है|

    2. सत्ता का उतराधिकार कुछ नियमों के अनुसार निर्धारित होता है|

    3. सत्तारूढ़ दल की चर्चाओं के दौरान सदस्यों को कुछ हद तक आलोचना करने का अधिकार होता है|


    • Note- तंजानिया में एक दलीय प्रणाली के अंतर्गत अनेक उम्मीदवारों में प्रतियोगिता की अनुमति होती है|


    • एक दलीय प्रणाली के गुण-

    1. सुदृढ़ शासन

    2. आर्थिक विकास में सहायक

    3. अनुशासन

    4. राष्ट्रीय एकता 


    • एक दलीय प्रणाली के दोष-

    1. विपक्ष का अभाव 

    2. व्यैक्तिक स्वतंत्रता का लोप

    3. अधिनायकतंत्र

    4. प्रगतिशील विचारों का विरोध

    5. दासतापूर्ण जीवन का दृष्टिकोण


    • C B मैक्फर्सन एक दलीय व्यवस्था वाले देशों को रूसो की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति मानता है| 


    • एक दलीय प्रणाली के भी निम्न प्रकार हैं-

    1. एक दलीय सर्वाधिकारवादी (One Party Totalitarianism)

    2. एक दलीय व्यवस्था (One Party System)

    3. प्रभावी पार्टी प्रणाली (Dominant Party System)


    1. एक दलीय सर्वाधिकारवादी (One Party Totalitarianism)-

    • यह समाजवादी शासनो में पाई जाती है| 

    • इसमें साम्यवादी दल का समाज के लगभग सभी संस्थानो और पहलुओं पर प्रभाव, नियंत्रण व निर्देशन होता है| 

    • ऐसे दल कठोर वैचारिक अनुशासन, मार्क्सवाद लेनिनवाद के सिद्धांतों के तहत कार्य करते हैं तथा उनके पास लोकतांत्रिक केंद्रवाद के सिद्धांतों के अनुरूप उच्च संरचित आंतरिक संगठन होता है|

    • इस दल प्रणाली में केंद्रीय उपकरण होता है, जिसके माध्यम से साम्यवादी दल राज्य, अर्थव्यवस्था और समाज को नियंत्रित करता है और निचले अंगों पर उच्चतर अंगों की अधीनता को सुनिश्चित किया जाता है| 

    • इस प्रणाली को नामकरण प्रणाली (Nomenklatura System) कहा जाता है|  

    • Note- Nomenklatura शब्दावली मिलोवान जिलास की है| 

    • यह सर्वहारा वर्ग का हरावल दस्ता के रूप में कार्य करती है| यह लेनिनवादी शब्दावली है, जो सर्वहारा वर्ग को उसके भाग्य निर्माण हेतु नेतृत्व प्रदान करता है तथा उसका मार्गदर्शन करता है| 

    • उदाहरण- चीन, क्यूबा, उत्तरी कोरिया, वियतनाम आदि| 


    1. एक दलीय व्यवस्था (One Party System)-

    • एक दलीय व्यवस्था विकासशील देशों में उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवाद और राज्य के समेकन के साथ जुड़ी है| 

    • उदाहरण- घाना, तंजानिया, जिंबॉब्वे के सत्तारूढ़ दल, जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विकसित हुए, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण और आर्थिक विकास की सर्वोपरि आवश्यकता की घोषणा की| 

    • अफ्रीका और एशिया में एक दलीय प्रणाली का उदय सामान्यतः करिश्मायी नेता की भूमिका के आसपास हुआ| घाना में क्वामे एनक्रूमा, तंजानिया में जूलियस न्येरेरे, जिंबॉब्वे में रॉबर्ट मुगाबे इसी प्रकार के करिश्मायी नेता थे| 

    • इन पार्टियों में साम्यवादी पार्टी की तरह कठोर अनुशासन के बजाय कमजोर संगठन होता है,लेकिन फिर भी इन पार्टियों की एकाधिकारवादी स्थिति अधिनायकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ाती है| 


    1. प्रभावी पार्टी प्रणाली (Dominant Party System)-

    • प्रभावी दलीय प्रणाली में कई राजनीतिक दल नियमित चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन सत्ता पर प्रभुत्व एक ही पार्टी का होता है| इसके कारण वह राजनीतिक दल लंबे समय तक सत्ता में बना रहता है| 

    • जापान एक प्रभुत्व राजनीतिक दल अथवा प्रभावी राजनीतिक दल प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है| जापान में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी लगभग 54 वर्षों तक (2009 तक) लगातार सत्ता में बनी रही| 

    • भारत में 1967 तक कांग्रेस भी इसका उदाहरण है| 

    • स्वीडन भी इसका उदाहरण है, जहां सोशल डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी 2006 तक सत्ता में बनी रही|

    • अल्जीरिया में नेशनल लिबरल फ्रंट, दक्षिणी अफ्रीका में अफ्रीका नेशनल कांग्रेस, उत्तर आयरलैंड में एलेस्टर यूनियनिस्ट पार्टी, रूस में 2013 से पुतिन की यूनाइटेड रसिया पार्टी इसके अन्य उदाहरण है| 

    • मेक्सिको की पारटीडो रिवॉल्यूशनरी इंस्टीट्यूट (PRI) पार्टी भी इसका उदाहरण है| 


    1. द्विदलीय प्रणाली-

    • इस प्रणाली में दो राजनीतिक दलों की प्रधानता रहती है| अन्य दलों का प्रभाव बहुत कम होता है|

    • ब्रिटिश प्रणाली इसका सर्वोत्तम उदाहरण है| वहां लेबर पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी की प्रधानता रहती है|

    • अमेरिका में भी दो दलो की प्रधानता है|

    1. डेमोक्रेटिक

    2. रिपब्लिकन

    • अन्य- कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका


    • संसदीय प्रणाली के अंतर्गत दो दलीय प्रणाली सर्वोत्तम है, क्योंकि जब एक दल सत्तारूढ़ होता है तब दूसरा व्यवस्थित विपक्ष के रूप में कार्य करता है| दूसरा दल वैकल्पिक सरकार की व्यवस्था भी करता है|


    • द्विदलीय प्रणाली के गुण-

    1. स्थिर सरकार

    2. उत्तरदायित्व का निर्धारण

    3. स्थायी नीतियों का निर्माण 

    4. शासन का स्वस्थ व संरचनात्मक विरोध

    5. सरकार का निर्माण सरल


    • द्विदलीय प्रणाली के दोष-

    1. बहुमत प्राप्त दल की तानाशाही

    2. मतदाताओं के लिए चयन की कम स्वतंत्रता

    3. विविध हितों को प्रतिनिधित्व न मिलना

    4. विधायिका की शक्तियों का ह्रास होना

    5. राष्ट्र दो विरोधी गुटों में बट जाना

    6. कठोर दलीय अनुशासन


    • प्रो लॉस्की “संसदीय शासन एक सुनियमित द्विदलीय पद्धति द्वारा ही सबसे अधिक सफल हो सकता है|”


    1. बहुदलीय प्रणाली-

    • जिस देश में दो से अधिक राजनीतिक दल हो तथा ऐसी स्थिति, जिसमें चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिल पाए, वहां बहुदलीय प्रणाली पाई जाती है|

    • बहुदलीय प्रणाली में प्राय: अनेक दल मिलकर मिली-झूली सरकार बनाते हैं| 


    • बहुदलीय प्रणाली में मिली-झूली सरकार का गठन दो तरीके से होता है-

    1. समान विचारधारा के आधार पर

    2. अवसरवादिता के आधार पर


    1. समान विचारधारा के आधार पर- 

    • इसमें एक ही विचारधारा के दल मिलकर सरकार बनाते है| उदाहरण- स्वीडन और नॉर्वे में एक ओर कई सारे सोशल डेमोक्रेटिक दल है, दूसरी ओर अनेक दक्षिणी पंथी दल है, अत: या तो वहां सोशल डेमोक्रेटिक दलों की या दक्षिण पंथी दलों की मिली-झूली सरकार बनती है |

     

    1. अवसरवादिता पर आधारित

    • इसमें बेमेल विचारधाओ वाले दलों की मिली-झूली सरकार बनती है, अर्थात अवसरवादिता के आधार पर सरकार बनती है|

    • उदाहरण- फ्रांस, इटली, भारत में भी केंद्र व राज्यो में ऐसी स्थिति कई बार देखने को मिलती है|



    दलीय प्रणाली के सिद्धांत-

    • राजनीतिक दलों की उत्पत्ति के प्रमुख सिद्धांत निम्न है-


    1. लेनिन का सिद्धांत-

    • मार्क्सवादी विचारक V.I लेलिन ने दलों की उत्पत्ति का सिद्धांत दिया तथा पूंजीवादी व साम्यवादी  समाजो में दलों की उत्पत्ति के कारण व दलों के कार्य बताएं हैं|


    पूंजीवादी समाज में दलों की उत्पत्ति के कारण व कार्य-

    • लेनिन ने बताया कि पूंजीवादी समाज में दल इसलिए पनपते हैं, क्योंकि दल सर्वहारा और बुजुर्वा दो परस्पर विरोधी वर्गों के परस्पर विरोधी हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं|

    • साम्यवादी दल जन समुदाय को समाजवाद की ओर प्रेरित करेगा, ताकि वे पूंजीवादी व्यवस्था को  उखाड़ फेके|

    • तथा साम्यवादी दल पूंजीवादी समाज में सत्तारूढ़ सरकार के विपक्ष की भूमिका निभाएगा|

    • क्रांति के बाद साम्यवादी दल सत्ता संभाल लेगा और सर्वहारा का अधिनायकतंत्र स्थापित करेगा|


    समाजवादी समाज में दलों की उत्पत्ति के कारण व कार्य-

    • समाजवादी समाज में पूंजीवादी समाज की तरह प्रतिस्पर्धा तो नहीं रहती है, फिर भी समाजवादी समाज में सर्वहारा दल सर्वथा आवश्यक है, क्योंकि पूंजीवादी विरोधी संघर्ष में अपनी भूमिका निभा सके| 


    • लेनिन ने कामगारों में दो तरह की चेतना की बात की है-

    1. मजदूर संघ चेतना

    2. सामाजिक लोकतंत्रीय चेतना

    • कामगारों में मजदूर संघ चेतना तो स्वत: स्वभाविक ढंग से प्राप्त हो जाएगी, लेकिन सामाजिक- लोकतंत्रीय चेतना विकसित करने का कार्य राजनीति दलों का है|

    • लेनिन के अनुसार साम्यवादी दल व्यावसायिक क्रांतिकारियों का हरावल दस्ता है, जो चेतना लाता है| 


    • लेनिन ने दलों के गठन के तरीके व कार्यप्रणाली के लिए ‘लोकतंत्रीय केंद्रवाद’ शब्द का प्रयोग किया है, जो इस प्रकार है-

    1. दलों के सभी निर्देशक अंगों का गठन चुनाव के तरीकों से किया जाएगा|

    2. दलों के सभी अंग अपनी गतिविधियों का नियमित विवरण अपने दल को भेजेंगे|

    3. दल में कठोर अनुशासन रहेगा|

    4. अल्पमत को बहुमत का निर्णय स्वीकार करना पड़ेगा|

    5. उच्चतर अंगों के निर्णय निम्नतर अंगों तथा दल के सब सदस्यों के लिए बाध्यकर होंगे|



    • आलोचना-

    1. उदार लोकतंत्र के अंतर्गत दलों के मुद्दों पर कोई विचार यह सिद्धांत नहीं करता है|

    2. यह कामगार वर्ग को दल के हाथ की कठपुतली बना देता है|

    3. दल का चुनाव केवल औपचारिक मात्र रह जाता है|



    1. मिशेल्स का सिद्धांत-

    • जर्मन समाजवैज्ञानिक रॉबर्ट मिशेल्स ने अपनी पुस्तक ‘पॉलीटिकल पार्टीज’ 1911 में ‘गुटतंत्र के लोह नियम’ का प्रतिपादन किया है|

    • मिशेल्स ने यह विचार व्यक्त किया है, कि राजनीतिक दल का चरित्र अपने समय की ऐतिहासिक अवस्था से निर्धारित होता है|

    • मिशेल्स ने लोकतंत्र में प्रचलित दलों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है|

    • मिशेल्स के अनुसार गुटतंत्रीय प्रवृत्ति ही राजनीतिक दल का आधार है|

    • मिशेल्स का गुटतंत्र का लोह नियम यह है, कि किसी भी दल या संगठन के अंतर्गत सारी सत्ता इन्हें-गिने विशेषज्ञों के समूह के हाथों में केंद्रित हो जाती है| यही समूह, संपूर्ण दल के नाम पर सारे महत्वपूर्ण निर्णय करता है तथा दल का उपयोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए करता है|

    • इस प्रकार प्रत्येक दल गुटतंत्र का रूप धारण कर लेता है|


    1. दुवर्जर/डुवर्जर का सिद्धांत-

    • फ्रांसीसी राजनीति वैज्ञानिक मौरिस दुवर्जर ने अपनी पुस्तक Political Parties: Their Organisation and Activity in Modern State 1963 में राजनीतिक दलों की उत्पत्ति का सिद्धांत दिया है|

    • इसे राजनीतिक दलों की उत्पत्ति का संस्थागत सिद्धांत भी कहते हैं|

    • दुवर्जर ने राजनीति दलों की उत्पत्ति के दो प्रकार बताएं है-

    1. संसद के अंदर

    2. संसद के बाहर 


    1. संसद के अंदर दलों की उत्पत्ति- शुरू-शुरू में कुछ मुद्दों के बारे में सहमति के आधार पर कुछ समूह उभरकर सामने आते हैं, फिर निर्वाचन समितियां बनती है| अंत में इन दोनों तत्वों (समूह व निर्वाचन समितियां) में स्थायी संबंध स्थापित हो जाता है, जिससे राजनीतिक दल अस्तित्व में आ जाता है| 


    1. संसद के बाहर दलों की उत्पत्ति- कभी-कभी भौगोलिक निकटता, व्यवसायिक हितों की समानता, व्यक्तिगत स्वार्थ, परस्पर लाभ भी लोगों को एक-दूसरे के निकट ला देता है और राजनीतिक दलों की उत्पत्ति हो जाती| 


    1. ला पालोम्बारा व माइनर वीनर-

    • इन्होंने राजनीतिक दलों की उत्पत्ति के संबंध में 3 सिद्धांतों का उल्लेख किया है-


    1. संस्थात्मक सिद्धांत-

    • इस सिद्धांत के अनुसार दलों की उत्पत्ति ब्रिटेन जैसे देशों में संसदीय संस्थाओं से हुई है, क्योंकि प्रारंभ में हाउस ऑफ कॉमंस के दो गुट, दो दलों के रूप में विकसित हुए|


    1. ऐतिहासिक संकट का सिद्धांत-

    • राजनीतिक दल ऐतिहासिक संकटों व परिस्थितियों से निपटने के लिए स्वत: ही उत्पन्न होते हैं या अभिजनों द्वारा प्रेरित होकर विकसित होते हैं|

    • उदाहरण- परतंत्रता के समय भारत में 1885 में कांग्रेस का जन्म

    • इन्होंने तीन प्रकार के ऐतिहासिक संकटों को राजनीतिक दलों की उत्पत्ति में प्रमुख माना है-

    1. वैधता का संकट

    2. सहयोगिता का संकट

    3. प्रादेशिक एकीकरण का संकट


    1. विकास का सिद्धांत-

    • इस सिद्धांत के अनुसार जैसे-जैसे समाज का आधुनिकीकरण हुआ परिणामस्वरूप इस आधुनिक औद्योगिक समाज में राजनीतिक प्रक्रिया के वाहक के रूप में दलों का विकास हुआ है|


    दलों का वर्गीकरण-


    भौगोलिक आधार पर दल के दो प्रकार-

    1. राष्ट्रीय दल

    2. क्षेत्रीय दल


    विचारधारा (वैचारिक अभिविन्यास) के आधार पर दल के तीन प्रकार-

    1. वामपंथी दल-

    • यथास्थिति के विरोधी

    • आमूल-परिवर्तनवादी

    • सामाजिक सुधार व आर्थिक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता

    • हस्तक्षेप और सामूहिकता का समर्थन

    • इन्हें गरीबों व वंचित वर्गों से समर्थन प्राप्त होता है| 

    • उदाहरण- प्रगतिशील समाजवादी व साम्यवादी दल


    1. दक्षिणपंथी दल-

    • यथास्थिति का समर्थन 

    • बाजार व व्यक्तिवाद का समर्थन


    1. मध्यममार्गी दल


    वामपंथी

    दक्षिणपंथी

    स्वतंत्रता

    प्राधिकार

    समानता

    पदानुक्रम

    बंधुता

    आदेश

    अधिकार

    कर्तव्य

    प्रगति

    परंपरा

    सुधार

    प्रतिक्रिया

    अंतर्राष्ट्रीयवाद

    राष्ट्रवाद



    विभिन्न विचारको द्वारा दलीय वर्गीकरण-


    1. एलेन बॉल का वर्गीकरण-

    • एलेन बॉल ने अपनी पुस्तक ‘Modern Politics and Government’ 1971 में दलों की संख्या, संरचना व शक्ति के आधार पर सात प्रकार के दल बताए हैं-

    1. अस्पष्ट द्विदलीय पद्धति- अमेरिका, आयरलैंड (अस्पष्ट, क्योंकि सभी दलों की एक ही विचारधारा- पूंजीवादी उदारवाद)

    2. स्पष्ट द्विदलीय पद्धति- इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी जर्मनी (स्पष्ट, क्योंकि दलों की विचारधारा अलग-अलग व स्पष्ट)

    3. कार्यवाहक बहुदलीय पद्धति- स्वीटजरलैंड, नार्वे, स्वीडन, नीदरलैंड| यहां स्थिर बहुदलीय पद्धति व्यवस्था है|

    4. अस्थिर बहुदलीय पद्धति- इटली

    5. प्रभावी दलीय पद्धति- भारत (एक दल प्रभावी), मेक्सिको की P.R.I 

    6. एक दलीय पद्धति- (विचारधारा नहीं, दल में ही खींचतान की प्रवृत्ति) इंडोनेशिया में सुकर्णो की पार्टी, घाना में ऐनाक्रूमा की पार्टी 

    7. सर्वाधिकारवादी एकदलीय पद्धतियां- साम्यवादी देशों में जैसे- पूर्वी सोवियत संघ, चीन, क्यूबा


    1. जीन ब्लॉन्डेन का वर्गीकरण-

    • जीन ब्लॉन्डेन ने अपनी पुस्तक ‘An Introduction to Comparative Politics’ 1969 में केवल संख्या के आधार पर दलों का वर्गीकरण किया है|

    • जीन ब्लॉन्डेन ने दलों के पांच प्रकार बताए हैं-

    1. एकदलीय व्यवस्था- सोवियत संघ, चीन

    2. द्विदलीय- UK, USA

    3. ढाई दलीय- जर्मनी

    4. एक दल प्रधान दलीय- भारत में कांग्रेस, 1967 से पूर्व

    5. बहुदलीय योग दल प्रणाली- स्विट्जरलैंड, नार्वे, स्वीडन, नीदरलैंड


    1. मॉरिस दुवर्जर का वर्गीकरण-

    • डुवर्जर के अनुसार निर्वाचन प्रणाली व राजनीतिक दल पद्धति में सीधा संबंध होता है| 

    • जैसे- First Past The Post निर्वाचन प्रणाली द्विदलीय प्रणालियों को जन्म देती है (UK  व USA में)| 

    • आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली बहुदलीय व्यवस्था को जन्म देती है| जैसे फ्रांस, इटली, स्वीटजरलैंड आदि| 

    • डुवर्जर के अनुसार अनुसार प्रतिनिधित्व संसदीय प्रणाली भी द्विदलीय व्यवस्था को जन्म देती है| 

    • डुवर्जर ने राजनीतिक दलों के लिए समुदाय (Community) शब्द का प्रयोग किया है| 

    • डुवर्जर के अनुसार राजनीतिक दल समुदायों का समुदाय है| प्रत्येक दल में समूह, संगठन, समितियां, निगम होते हैं, जिन्हें डुवर्जर अप्रत्यक्ष दल कहता हैं|

    • डुवर्जर “व्यवस्थापिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका संविधान के आवरण मात्र है, जबकि वास्तव में तमाम शक्तियों का प्रयोग राजनीतिक दल, दबाव समूह व हित समूह करते हैं|”

    • डुवर्जर के वर्गीकरण का आधार पश्चिमी यूरोप के राजनीतिक दल है|


    • दुवर्जर ने दलीय संरचना के आधार पर चार प्रकार के राजनीतिक दल बताए हैं-

    1. गुट बैठक (Caucus) या समिति (Committee)-

    • ऐसे दलों में इने-गिने (कम) सदस्य होते हैं जो या तो स्थानीय गणमान्य व्यक्ति होते हैं या स्थानीय संगठनों के प्रतिनिधि होते हैं|

    • ऐसे दल केवल चुनाव के समय ही सक्रिय होते हैं|


    1. शाखा दल (Branch party)

    • इन दलों का उदय पश्चिमी यूरोप में मताधिकार के विस्तार के परिणामस्वरूप हुआ है| 

    • यह दल ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाता है तथा हमेशा राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय होता है|


    1. कोशिका दल (Cell Party)

    • कोशिका दल क्रांतिकारी समाजवादी दलों की देन है|

    • इसका संगठनात्मक ढांचा कार्यस्थल से जुड़ा रहता है|

    • इसमें कई छोटी-छोटी इकाइयां होती है|

    • इनकी दिलचस्पी चुनाव जीतने से ज्यादा गुप्त गतिविधियों में ज्यादा होती है|


    1. नागरिक सेना (Militia)-

    • इसका संगठन नागरिक सेना के श्रेणीतंत्रीय संगठन जैसा होता है|

    • हिटलर का स्टॉर्म टूपर और मुसोलिनी का ‘फासिस्ट मिलीशिया’ इसके प्रमुख उदाहरण है|


    • आकार के आधार पर डुवर्जर ने राजनीतिक दलों को दो भागों में बांटा है-

    1. संवर्ग दल (Cadre Party)-

    • इसका अर्थ ‘उल्लेखनीय लोगों की पार्टी’ (Party Of Notables) 

    • यह उन नेताओं का समूह है, जो किसी राजनीतिक दल की संरचना है अर्थात इसमें नेताओं के एक अनौपचारिक समूह का दल पर वर्चस्व होता है| 

    • प्रशिक्षित और पेशेवर पार्टी सदस्यों के समूह के लिए Cader शब्द का प्रयोग किया जाता है| 

    • यह राजनीतिक दल चयन के सिद्धांत (न कि चुनाव) में विश्वास रखता है| 

    • इसकी नीतियों व कार्यक्रमों का निर्माण, चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का चयन, चुनाव अभियान चलाने में, दल के लिए धन एकत्रित करने आदि में ये प्रमुख नेता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| 

    • इसमें राजनीतिक रूप से सक्रिय अभिजात वर्ग जनता को वैचारिक नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम होता है

    • उदाहरण- सोवियत संघ की साम्यवादी पार्टी, चीन की साम्यवादी पार्टी, जर्मनी में नाजी पार्टी, इटली में फासीवादी पार्टी| 

    • दुवर्जर कैडर पार्टी को कमजोर अभिव्यक्ति, जबकि मास पार्टी को सशक्त अभिव्यक्ति कहते हैं| 


    1. जन दल (Mass Party)-

    • मताधिकार में वृद्धि बहुत हद तक संवर्ग पार्टियों को जन दलों में बदलने के लिए जिम्मेदार है| 

    • यह निर्वाचन के सिद्धांत में विश्वास करती है| 

    • इसमें सार्वजनिक वैधता पायी जाती है| 

    • इसके असंख्य सदस्य होते हैं| 

    • इसके वित्त का स्रोत नियमित चंदा होता है| 

    • उदाहरण- UK की लेबर पार्टी



    1. ला पालम्बरा व माइनर वीनर का वर्गीकरण-

    • इन्होंने अपनी पुस्तक ‘Modern Political Parties’ में मुख्यतः राजनीतिक दलों को दो भागों में बांटा है-

    1. प्रतियोगी दल प्रणाली

    2. अप्रतियोगी दल प्रणाली


    1. प्रतियोगी दल प्रणाली- इसको फिर से चार भागों में बांटा है-

    1. आधिपत्यी वैचारिक (हीजेमनी आईडियोलॉजिकल)- इंग्लैंड

    2. आधिपत्यी फलमुलक (हीजेमनी प्रिज्ममेटिक)- अमेरिका

    3. उलटनीय वैचारिक (टर्नऑवर आइडियालॉजिकल)- फ़्रांस, इटली

    4. उलटनीय फलमुलक (टर्नऑवर प्रिज्ममेटिक)- भारत


    1. अप्रतियोगी दल प्रणाली- इसको फिर से तीन भागों में बाटा है-

    1. एक दल प्रभावी 

    2. एक दल पद्धति

    3. एक दलीय सर्वाधिकारवादी


    1. सारटोरी का वर्गीकरण-

    • इटालवी राजनीति विचारक ज्योवानी सार्टोरी ने अपनी पुस्तक ‘पार्टीज एंड पार्टी सिस्टम: ए फ्रेमवर्क फॉर एनालिसिस’ 1976 में दलों का वर्गीकरण ‘त्रिमुखी  आधार’ पर किया है| 

    1. राजनीतिक दलों की संख्या के आधार पर 

    2. दलों की विचारधारा की प्रकृति के आधार पर

    3. दलों में विघटन की मात्रा के आधार पर


    • सारटोरी ने बहुदलीय प्रणालियों के भी दो प्रकार बताएं है-

    1. संयत बहुदलीय प्रणालियां-

    • इसमें सारी राजनीति एक केंद्रीय दल के चारों ओर मंडराती रहती है|

    • इसमें विपक्ष की रचनात्मक या उत्तरदायित्वपूर्ण भूमिका की विशेष गुंजाइश नहीं रहती है|

    • विरोधी दल प्राय सरकार पर प्रहार करना ही अपना ध्येय समझते हैं|


    1. ध्रुवीकृत/ उग्र बहुदलीय प्रणाली-

    • सारटोरी ने ध्रुवीकृत बहुदलवाद के 4 लक्षण बताएं है-

    1. इसमें 5 से अधिक विचारणीय दल पाए जाते हैं| विचारणीय दल का मतलब है की मिली-जुली सरकार बनाए जाने पर उस दल को आमंत्रित करना जरूरी समझा जाए या फिर विभिन्न दलों की परस्पर प्रतियोगिता में उनकी अनदेखी करना मुश्किल हो|

    2. इसमें विचारणीय दलों के बीच बहुत ज्यादा विचारधारात्मक दूरी पाई जाती है|

    3. इसमें 2 से अधिक ध्रुव पाए जाते हैं, जिसमें एक केंद्रीय ध्रुव भी हो सकता है| अर्थात केंद्रीय विचारधारा से परे अनेक परस्पर विरोधी विचारधारा पाई जाती है| 

    4. इसमें उग्र बहुलवाद के कारण अपकेंद्रीय प्रवृत्ति पाई जाती है, अर्थात भिन्न-भिन्न विचार रखने वाले समूह केंद्रीय विचारधारा से दुरी रखने की कोशिश में रहते हैं|


    • सारटोरी के अनुसार ध्रुवीकृत बहुदलवादी प्रणाली राजनीतिक गतिहीनता को जन्म देती है और कभी-कभी लोकतंत्र को ही छिन्न-भिन्न कर देती है|

    • Note- सार्टोरी ने भारतीय दलीय व्यवस्था को प्रभावी दलीय व्यवस्था कहा है, वही मोरिस जॉन्स ने भारतीय दलीय व्यवस्था को एक दलीय प्रभावी व्यवस्था कहा है| 



    1. सिगमंड न्यूमैन के अनुसार-

    1. प्रतिनिधित्वकारी राजनीतिक दल-

    • प्रतिनिधित्वकारी राजनीतिक दल अपना प्राथमिक कार्य चुनाव में वोट प्राप्त करना मानते हैं| 

    • इनके द्वारा जनमत का प्रकटीकरण किया जाता है| उदाहरण- यूएसए

    • जोसेफ शुम्पीटर और एंथनी डांउस राजनेताओं को ‘सत्ता की तलाश करने वाले प्राणी’ कहते हैं, जो चुनावी सफलता दिलाने वाली हर नीति अपनाने को तैयार है| 


    1. एकीकृत राजनीतिक दल

    • ये जनता को लामबंद करने, शिक्षित करने, प्रेरित करने के लिए कार्य करते हैं| 

    • इनके द्वारा जनमत का निर्माण किया जाता है| उदाहरण- भारत व ब्रिटेन


    1. स्ट्रॉम का वर्गीकरण-

    1. Office seeking- 

    • इस तरह के दलों का उद्देश्य सत्ता प्राप्ति होता है| 

    • उदाहरण- एक दलीय प्रणाली वाले देश, जहां नेता ही महत्वपूर्ण होता है| 


    1. Vote seeking-

    • ऐसे दलों का उद्देश्य अधिकाधिक वोट हासिल करना होता है| 

    • उदाहरण-USA के दल


    1. Policy seeking-

    • ऐसे दल विचारधारा, सिद्धांत व नीति पर बल देते हैं| 

    • उदाहरण- UK की लेबर पार्टी, साम्यवादी दल



    संवैधानिक दल एवं क्रांतिकारी दल-

    1. संवैधानिक दल (Constitutional Party)-

    • संवैधानिक दल अन्य दलों के अधिकारों को स्वीकार करते हुए संवैधानिक नियमों, प्रतिबद्धताओं के तहत कार्य करते हैं| 

    • संवैधानिक दल चुनाव प्रतिस्पर्धा के नियमों को स्वीकार करते हैं तथा उनका सम्मान करते हैं| 

    • उदार लोकतंत्र में मुख्य धारा के सभी दल इसी प्रकार के होते हैं| 


    1. क्रांतिकारी दल (Revolutionary Party)-

    • ये द व्यवस्था विरोधी व संविधान विरोधी दल होते हैं| 

    • ऐसे दलों का उद्देश्य सत्ता पर कब्जा करना और मौजूदा संवैधानिक ढांचे को उखाड़ फेंकना है| 

    • जब ऐसे दल सत्ता हासिल कर लेते हैं तो अनिवार्य रूप से शासन करने वाले दल बन जाते हैं तथा अपने प्रतिद्वंद्वी दलों को दबाते हैं और राज्य मशीनरी के साथ स्थायी संबंध स्थापित कर लेते हैं| 

    • उदाहरण- नाजीवादी और फासीवादी दल



    प्रोटो दल (Proto party)-

    • ये गुट होते हैं| 

    • उदाहरण- प्राचीन एथेंस के गुट ,17 वीं व 18वीं सदी में ब्रिटेन के टोरी व व्हिग



    कार्टेल दल (Cartel Party)-

    • काट्ज व पीटर मेयर की अवधारणा

    • इन दलों का संचालन पेशेवर राजनीतिज्ञों द्वारा किया जाता है| 

    • इन दलों  का संबंध एक विशेष व्यवसाय से जुड़े लोगों के समूह से होता है| 

    • सार्वजनिक स्रोतों (राज्य) द्वारा वित्त का समर्थन


    • Anti-Cartel Party- यह कैच ऑल पार्टी का परिवर्तित रूप है, जिसको काट्ज व पीटर मेयर आंदोलनकारी दल कहते हैं| 



    कैच ऑल पार्टी सिस्टम (Catch All Party System)-

    • ऑटो किरचाइमर की अवधारणा

    • इस प्रकार के दल समाज में सभी प्रकार के मतदाताओं से वोट प्राप्त करना चाहते हैं, किसी वर्ग विशेष से नहीं

    • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पश्चिमी यूरोप में इस तरह के दलों का उदय हुआ| 

    • किरचाइमर के अनुसार उदाहरण- जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन



    राजनीतिक दलों के कार्य-

    • राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य निम्न है-


    1. सार्वजनिक नीतियों का निर्धारण-

    • राजनीतिक दल राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के विभिन्न पहलुओं से जनता को परिचित कराते हैं, इसलिए राजनीतिक दलों को ‘विचारों का दलाल’ (लावेल ने कहा है) कहा जाता है|


    1. शासन का संचालन

    2. शासन की आलोचना

    3. लोकमत का निर्माण व जन चेतना लाना| 

    • लार्ड ब्राइस “लोकमत को प्रशिक्षित करने, उसके निर्माण और अभिव्यक्ति में राजनीतिक दलों के द्वारा अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है|”


    1. चुनावों का संचालन

    2. राजनीतिक प्रशिक्षण

    3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्य

    4. हित अभिव्यक्ति व हितों का समूहीकरण करना

    5. राजनीतिक समाजीकरण व आधुनिकीकरण करना

    6. राजनीतिक नेताओं की भर्ती करना

    7. सरकार का निर्माण करना या विरोधी दल के रूप में सरकार को नियंत्रित करना

    8. लामबंदी करना

    9. जनता व सरकार के बीच में कड़ी का कार्य करना 

    • लार्ड ब्राइस “राजनीतिक दल राष्ट्र के मस्तिष्क को उसी प्रकार क्रियाशील रखते हैं, जिस प्रकार लहरों की हलचल से समुद्र की खाड़ी का जल स्वच्छ रहता है|


    रॉबर्ट सी बोन ने राजनीतिक दलों के निम्न कार्य बताए हैं-

    1. संगठन

    2. मांगो का व्यवस्थित संशोधन

    3. शासन का उत्तरदायित्व

    4. नेताओं की भर्ती

    5. आधुनिकीकरण

    6. नीति निर्धारण

    7. सत्ता का वैश्वीकरण


    न्यूमैन के अनुसार राजनीतिक दलों के निम्न कार्य है-

    1. जनइच्छा को संगठित करना

    2. नागरिकों को शिक्षित करना

    3. शासन और जनमत के बीच कड़ी का कार्य करना

    4. नेताओं के चुनाव का कार्य करना


    ला पालोम्बारा के अनुसार राजनीतिक दल के कार्य-

    1. नेताओं की भर्ती और समाजीकरण

    2. राजनीतिक पहचान और मतों को संरचनात्मक रूप देना

    3. सरकार बनाना

    4. संगठन, सौदेबाजी व एकीकरण करना



    दलविहीन लोकतंत्र-

    • सर्वप्रथम 18वीं सदी में USA के राष्ट्र निर्माताओं ने दलविहीन लोकतंत्र की संकल्पना दी| प्रमुख समर्थक- वाशिंगटन, जेफरसन, हैमिल्टन, मेडिसन

    • भारत में दलविहीन लोकतंत्र का सर्वप्रथम विचार M N राय ने दिया|

    • जयप्रकाश नारायण ने अपनी पुस्तक भारतीय अर्थव्यवस्था की पुनः संरचना में दलविहीन प्रजातंत्र पर चर्चा की है|

    • महात्मा गांधी ने कहा था “स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को खत्म करो|”



    गठबंधन-

    • चुनावी गठबंधन- दो या दो से अधिक दल मिलकर चुनावी गठबंधन बनाते हैं, जिसके माध्यम से पार्टी अपने प्रतिनिधित्व को अधिकतम करने की दिशा में कार्य करती है, ना कि एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में करने में| 


    • विधायी गठबंधन- इसमें किसी विशेष विधेयक, कार्यक्रम या नीति को समर्थन करने के लिए दो या दो से अधिक दलों के बीच गठबंधन होता है| 


    • शासन गठबंधन- इसमें दो या दो अधिक दलों के बीच औपचारिक समझौते के माध्यम से मंत्रिपरिषद के पद बांट लिए जाते हैं| 

     

    • महागठबंधन अथवा राष्ट्रीय सरकार- इसमें सभी प्रमुख दल शामिल होते हैं| 


    • गठबंधन सरकार- इसमें दो या दो से अधिक दल मिलकर मिली-जुली सरकार का निर्माण करते हैं| 



    दलीय सरकार-

    • दलीय सरकार ऐसी प्रणाली ,है जिसके माध्यम से दल सरकार बनाने और नीति, कार्यक्रमों को बनाने के लिए कार्य करते हैं| 

    • दलीय सरकार की प्रमुख विशेषताएं निम्न है-

    1. प्रमुख दलों के पास एक स्पष्ट कार्यक्रम होता है, जो मतदाताओं को संभावित सरकारों के बीच से एक दल को चुनने का सार्थक विकल्प प्रदान करता है| 

    2. सताधारी दल में अपने घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त वैचारिक और संगठनात्मक एकता होती है| 

    3. मतदाताओं के प्रति सरकार की जवाबदेही होती है| 

    4. सरकार पर एक विश्वसनीय विपक्ष के अस्तित्व के द्वारा एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी होती है| 



    राजनीतिक दलों से संबंधित सूचकांक-

    1. लाक्सो- तागेपेरा सूचकांक (Laakso- Taagepera Index) 1979 -

    • यह सूचकांक दलों की प्रभावी संख्या (Effective number of parties) के बारे में बताता है| 

    • यह सूचकांक किसी देश की दलीय व्यवस्था में विभिन्न दलों के प्रभावी वोट की संख्या तथा संसद में प्रभावी सीट की संख्या बताता है| 

    • यह मापन विभिन्न देशों की दलीय व्यवस्था की तुलना में काम आता है| 


    • दलों की प्रभावी संख्या (Effective number of parties) माप के दो प्रमुख विकल्प हैं-

    1. वाइल्डजेन सूचकांक (Juan Wildgen Index)- यह सूचकांक छोटे राजनीतिक दलों पर विशेष बल देता है| 

    2. जॉन मोलीनार सूचकांक (Juan Molinar Index)- यह सूचकांक बड़े राजनीतिक दलों पर विशेष बल देता है| 


    1. गल्लाघेर सूचकांक (Gallagher Index)-

    • गैलाघर सूचकांक किसी विधायिका में प्राप्त वोटों और सीटों के बीच चुनावी प्रणाली की सापेक्ष असमानता को मापता है| 

    • इस प्रकार, यह प्रत्येक पार्टी को मिलने वाले वोटों के प्रतिशत और परिणामी विधायिका में प्रत्येक पार्टी को मिलने वाली सीटों के प्रतिशत के बीच अंतर को मापता है, और यह किसी एक चुनाव में सामूहिक रूप से सभी पार्टियों की इस असमानता को भी मापता है।

     

    1. Pedersen Index-

    • यह इंडेक्स पार्टी प्रणालियों में राजनीतिक अस्थिरता का एक माप है। 

    • इसका वर्णन मोगेंस पेडर्सन द्वारा 1979 में प्रकाशित एक पेपर में किया गया था, जिसका शीर्षक था- The Dynamics of European Party Systems: Changing Patterns of Electoral Volatility


    1. Herfindahl- Hirschman Index या Diversity Index

    • यह इंडेक्स पार्टी प्रणालियों में विवधता की माप से सम्बंधित है। 


    1. Feld and Grofman Index या Class- Size Paradox-

    • यह इंडेक्स पार्टी प्रणालियों में वर्ग व आकार के माप से सम्बंधित है।


    1. Simpson Diversity Index-

    • यह इंडेक्स पार्टी प्रणालियों में विवधता की माप से सम्बंधित है। 



    कुछ अन्य तथ्य-

    • सेफोलोजी (Psephology)-

    • सेफोलोजी राजनीति विज्ञान की वह शाखा है, जिसके तहत चुनाव व मतदान का मात्रात्मक विश्लेषण किया जाता है| 

    • सेफोलोजी के तहत चुनावी आंकड़े, मतदान व्यवहार के आंकड़े, ओपिनियन व एग्जिट पोल, चुनावी खर्च आदि से संबंधित सांख्यिकी आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है| 


    • ओपिनियन पोल (जनमत सर्वेक्षण)-

    • मतदाताओं के मतदान संबंधी रुझान को जानने के लिए मतदान से पहले किया जाता है| 


    • एग्जिट पोल-

    • यह चुनावों के बाद का सर्वेक्षण है, जिसमें यह पता लगाया जाता है कि मतदाताओं द्वारा वास्तव में किसे मतदान किया गया| 


    • प्राथमिक चुनाव-

    • प्राथमिक चुनाव एक प्रकार का आंतरिक दल चुनाव होता है, जिसमें उम्मीदवारों को बाद में होने वाले आधिकारिक चुनाव के लिए चुना जाता है| 

    • 20वीं सदी में यह USA में प्रयोग किया जाता था, जहां इसका उपयोग सम्मेलन के प्रतिनिधियों पार्टी के नेताओं को चुनने के लिए किया जाता था| 

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