न्यायपालिका Nyaayapaalika (Judiciary)
न्यायपालिका सरकार का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है| यह सविधान तथा कानूनों की व्याख्या करता है तथा कानूनों का उल्लंघन करने पद दंडादेश देता है|
गार्नर “कोई समाज बिना विधानमंडल के तो रह सकता है, लेकिन ऐसे किसी समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती, जिसमें न्यायपालिका की कोई व्यवस्था न हो|
न्यायपालिका संविधान की रक्षक होती है| व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है|
लॉक “जहां कानून समाप्त होता है, वहीं से अत्याचार शुरू होता है|”
लार्ड ब्राइस “किसी शासन की श्रेष्ठता की कसौटी उसकी न्यायिक व्यवस्था की कार्यकुशलता से बढ़कर और कुछ नहीं है| यदि न्याय का दीपक अंधकार में बुझ जाये तो अंधकार ओर घना हो जाता है|”
न्यायपालिका के कार्य-
न्यायपालिका के प्रमुख कार्य निम्न है-
न्याय करना-
न्यायपालिका देश की मूलभूत विधि के अनुसार दीवानी, फौजदारी, संवैधानिक आदि सभी मामलों में न्याय करती है|
राज्य के अतिक्रमण से व्यक्ति को संरक्षण प्रदान करना-
जैसे- मौलिक अधिकारों का संरक्षण न्यायपालिका करती है|
संविधान की व्याख्या एवं संरक्षण करना-
न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति के द्वारा न्यायपालिका सविधान की व्याख्या एवं संरक्षण करती है|
जनहित के मुकदमों पर विचार करना-
किसी समूह पर होने वाले अन्याय के बारे में किसी सामाजिक कार्यकर्ता या सामाजिक संस्था की शिकायत पर न्यायपालिका विचार करती है|
सलाह देना-
न्यायपालिका कानून के किसी प्रश्न पर कार्यपालिका द्वारा सलाह मांगने पर सलाह प्रदान करती है|
विधि की व्याख्या करना-
न्यायपालिका अस्पष्ट एवं जटिल कानूनों की व्याख्या करती है|
औचित्य के आधार पर निर्णय करना-
न्यायालय में कई बार ऐसे मामले आते हैं, जिसका कानून द्वारा स्पष्टीकरण नहीं मिल पाता है| ऐसी स्थिति में लोक विधि, कॉमन लॉ, इतिहास एवं वातावरण को देखकर निर्णय दिए जाते हैं|
ऐसे निर्णयो को न्यायधीश निर्मित कानून या निर्णयमूलक कानून कहते हैं|
संघीय व्यवस्था की रक्षा करना-
संघ एवं उसकी इकाइयों के मध्य होने वाले विवादों को न्यायपालिका द्वारा निपटाया जाता है|
प्रशासनिक कार्य-
न्यायपालिका अपने कर्मचारियों की नियुक्ति, कार्यवाहियों संबंधी प्रक्रिया का निर्धारण व कार्य संचालन संबंधी नियमों का निर्माण भी करता है|
न्यायिक पुनरावलोकन-
इस शक्ति के द्वारा न्यायपालिका संघ की कार्यपालिका व विधायिका तथा राज्यों की कार्यपालिका और विधायिका के कार्यों की वैधता की जांच संविधान के अनुसार करती हैं|
न्यायिक पुनरावलोकन का आरंभ 1803 में मारबरी बनाम मेडिसन वाद में न्यायमूर्ति मार्शल के निर्णय से संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था|
संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायिक पुनरावलोकन का आधार ‘विधि की उचित प्रक्रिया’ है|
भारत में न्यायिक पुनरावलोकन का आधार ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ है
न्यायिक पुनरावलोकन की अंतिम शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास होती हैं|
लास्की “न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति के कारण सर्वोच्च न्यायालय कांग्रेस (यूएसए) का तीसरा सदन बन गया है|”
न्यायमूर्ति ह्यूज “हमारे यहां (यू एस ए) संविधान वही है, जो सर्वोच्च न्यायालय कहता है|”
भारत में संविधान के अनु.13, 32, 226 न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति प्रदान करते हैं|
स्विट्जरलैंड का संघीय न्यायालय संघीय संसद के कानूनो की समीक्षा नहीं कर सकता है पर कैंटन के कानूनो की समीक्षा कर सकता है|
ब्रिटेन में मूल कानून की समीक्षा नहीं हो सकती है पर प्रत्यायोजित विधान की समीक्षा हो सकती है|
एलेक्जेंडर बिकल ने न्यायिक समीक्षा को लोकतांत्रिक सिद्धांत के साथ एकीकृत किया है तथा इस काउंटर मेजोरिटेरियन डिफिकल्टी (Counter Majoritarian Difficulty) कहा है|
न्यायिक सक्रियता-
जब न्यायपालिका, व्यवस्थापिका व कार्यपालिका द्वारा किए जा रहे मनमाने कार्यों के विरुद्ध, देश की राजनीति, प्रशासन और सामाजिक आर्थिक जीवन में फैली हुई सुस्ती, भ्रष्टाचार और अन्याय के निवारण के दिशा-निर्देश जारी करती है तो ऐसे कार्यवाही को न्यायिक सक्रियता कहते हैं|
न्यायिक सक्रियता का आधार जनहित याचिका व स्वत: संज्ञान है|
भारत में न्यायिक सक्रियता का प्रारंभ 1986 से माना जाता है| इसका श्रेय P.N भगवती (न्यायधीश) को दिया जाता है, जिन्होंने मात्र एक पोस्टकार्ड पर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की थी|
न्यायिक सक्रियता की आलोचना-
जब छोटी-छोटी बातों को न्यायपालिका विनियमित करने लग जाएगी तो देश में विधि के शासन को धक्का पहुंचेगा|
Note- जनहित याचिका की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने की थी|
Note- भारत में जनहित याचिका का आरंभ न्यायधीश B.R कृष्णा अययर और न्यायधीश P.N भगवती द्वारा किया गया|
विभिन्न देशों में न्यायपालिका-
संघात्मक शासन प्रणाली वाले देशों अमेरिका, स्वीटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया में दोहरी न्यायपालिका पायी जाती है| एक संघ की दूसरी संघ की इकाइयों की|
विश्व में अमेरिकी न्यायपालिका सबसे शक्तिशाली है|
कनाडा व भारत में एकल न्यायपालिका पायी जाती है|
फ्रांस में दो प्रकार की न्यायपालिका पायी जाती है-
प्रशासनिक न्यायालय- यह न्यायालय सरकारी कार्मिकों व नागरिकों के मध्य, कार्मिक और कार्मिक के मध्य, कार्मिक और सरकार के मध्य उत्पन्न विवादों पर सुनवाई करता है|
सामान्य न्यायालय- यह आम जनता हेतु होता है|
ब्रिटेन में संवैधानिक सुधार अधिनियम 2005 के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई| इस अधिनियम के द्वारा व्यवस्थापिका और कार्यपालिका से पृथक अस्तित्व वाली न्यायपालिका की स्थापना की गई और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की हेतु संवैधानिक व्यवस्था की गई|
इससे पहले ब्रिटेन में लार्ड सभा का अध्यक्ष लार्ड चांसलर व न्यायिक लॉर्ड सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय के रूप में कार्य करते थे| लॉर्ड चांसलर न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका तीनों अंगों का सदस्य था|
इस प्रकार 2005 से पूर्व ब्रिटेन में न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका से पृथक नहीं थी|
अब लॉर्ड चांसलर की न्यायिक भूमिका समाप्त कर दी गई है|
विधिवत रूप में सर्वोच्च न्यायालय का गठन 1 अक्टूबर 2009 को हुआ|
कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या का अधिकार है तथा यह केंद्र व इकाइयों के मध्य संतुलनकारी भूमिका निभाता है|
पर कनाडा के न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन तथा मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन का अधिकार नहीं है|
न्यायाधीशों की नियुक्ति-
नामित या नियुक्त करना-
यूएसए में न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नामित तथा सीनेट द्वारा अनुमोदन
भारत व जापान में मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्राध्यक्ष द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति|
निर्वाचन द्वारा-
जनता द्वारा निर्वाचित- स्विट्जरलैंड के कुछ केन्टनो में, यू एस ए के कुछ राज्यों के अधीनस्थ न्यायालयों में|
संसद द्वारा निर्वाचन- स्वीटजरलैंड व चीन में|
भर्ती परीक्षा से चयन-
फ्रांस व जर्मनी में|
भारत के अधीनस्थ न्यायालयों में|
Note- स्विट्जरलैंड के संघीय न्यायालय के न्यायाधीश का चुनाव संघीय विधायिका करती है|
न्यायपालिका के प्रकार-
प्रतिबंध न्यायपालिका
स्वतंत्र न्यायपालिका
प्रतिबंध न्यायपालिका-
प्रतिबंध न्यायपालिका सर्वाधिकारवादी शासन व्यवस्थाओं में पाई जाती है|
यह न्यायपालिका संबंधित देश की राजव्यवस्था से जुड़ी हुई मूलभूत विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध होती है|
स्वतंत्र न्यायपालिका-
उदारवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्र न्यायपालिका पाई जाती है|
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