अमेरिका का राष्ट्रपति
अमेरिका का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक तथा वास्तविक अध्यक्ष दोनों ही है|
अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति की शक्ति का उल्लेख अनुच्छेद 2 में किया गया है| इसमें कहा गया है कि ‘अमेरिकी संघ की कार्यपालिका शक्ति एक राष्ट्रपति में निहित होंगी|’
संविधान लागू होने के बाद से राष्ट्रपति की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है| इसके संबंध में श्लेसिंगर के ने कहा है कि “वाशिंगटन के समय से लेकर अब तक प्रत्येक राष्ट्रपति पदाधिकारी ने इसे अधिक शक्तिशाली बनाने में योग दिया है|”
ऑग “अमेरिका का राष्ट्रपति संसार में सबसे महान शासक हो गया है|”
मुनरो “अब तक एक लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति ने इतनी अधिक सत्ता का प्रयोग नहीं किया, जितना कि अमेरिकी राष्ट्रपति करता है|”
राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं-
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2(1) में अमेरिकी राष्ट्रपति की योग्यताओं का उल्लेख है, जो निम्न है-
संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्मजात नागरिक हो|
उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो|
कम से कम 14 वर्ष तक अमेरिका का निवासी रह चुका हो|
Note- उसके लिए लगातार 14 वर्ष तक अमेरिका में रहना आवश्यक नहीं है, बल्कि कुल मिलाकर उसके द्वारा अपने जीवन के 14 वर्ष अमेरिका में व्यतीत किए होने चाहिए|
व्यवहारिक योग्यता के संबंध में लार्ड ब्राइस ने लिखा है की “राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो सार्वजनिक जीवन के किसी क्षेत्र में कोई विशेष कार्य करने के लिए प्रसिद्ध रहा हो| वह कांग्रेस का सदस्य, राज्य का गवर्नर, किसी बड़े नगर का मेयर, मंत्रिमंडल का सदस्य, राजदूत, न्यायधीश अथवा असाधारण रूप से प्रसिद्ध पत्रकार हो सकता है|”
कार्यकाल-
अनुच्छेद 2(1)- राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष होगा|
1951 के 22 वे संशोधन के अनुसार यह व्यवस्था की गई कि कोई व्यक्ति 2 बार से अधिक अवधि के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित नहीं हो सकता है|
राष्ट्रपति का कार्यकाल 366 दिन वाले वर्ष (लीप वर्ष) के पश्चात आने वाले वर्ष की 20 जनवरी को दोपहर को समाप्त हो जाता है|
युद्ध काल में कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति से चुनाव लड़कर तीसरी बार राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के लिए आग्रह किया जा सकता है|
राष्ट्रपति की पद रिक्ति पर उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है|
कोई व्यक्ति जब उपराष्ट्रपति पद पर कार्य कर रहा हो, तभी राष्ट्रपति पद रिक्त हो गया हो और उसके द्वारा राष्ट्रपति पद पर कार्य किया किया गया हो, तो उसका कुल कार्यकाल 10 वर्ष से अधिक नहीं हो सकता है|
पद से हटाना-
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2(4) के अनुसार राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के आधार पर ही पदच्युत किया जा सकता है|
महाभियोग देशद्रोह, घूसखोरी, भ्रष्टाचार अथवा अन्य गंभीर अपराधों के कारण ही लगाया जा सकता है|
प्रतिनिधि सभा का कोई एक या कुछ सदस्य राष्ट्रपति के विरुद्ध उपर्युक्त आधार पर आरोप लगा सकते हैं|
यह आरोप किसी न्यायिक समिति या विशेष जांच समिति को दिए जाते हैं|
जांच समिति द्वारा प्रतिवेदन दिए जाने पर प्रतिनिधि सभा आवश्यक समझे तो एक प्रस्ताव तैयार कर सकती है, जिसमें राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों का उल्लेख होता है|
प्रतिनिधि सभा को यह प्रस्ताव साधारण बहुमत से पारित करना होता है|
इस आरोप पत्र की प्रति सूचनार्थ राष्ट्रपति को भेजी जाती है|
इसके पश्चात यह प्रस्ताव सीनेट के पास भेजा जाता है|
सीनेट निश्चित तिथि को इन आरोपों की जांच हेतु न्यायालय के रूप में बैठती है और सुनवाई करती है|
सुनवाई के समय सीनेट की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश करता है|
दो तिहाई बहुमत से सीनेट राष्ट्रपति को अपराधी घोषित कर सकती है| तथा राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है|
पहली बार 1867 में राष्ट्रपति जॉनसन के विरुद्ध महाभियोग लगाया गया था, लेकिन सीनेट में इस प्रस्ताव को बहुमत प्राप्त होने में एक मत की कमी रह गई और राष्ट्रपति को पद से नहीं हटाया जा सका|
दूसरी बार 1974 में राष्ट्रपति निक्सन के विरुद्ध महाभियोग प्रक्रिया की शुरुआत करने से पहले ही राष्ट्रपति निक्सन ने त्यागपत्र दे दिया|
बिल क्लिंटन (1998-99) के विरुद्ध मोनिका लेविंस्कीसे यौन सम्बन्धी मामले में महाभियोग की सिर्फ मांग उठी थी और क्लिंटन ने माफी मांग ली|
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दो बार महाभियोग प्रस्ताव आ चुके हैं-
दिसंबर 2019 में यूक्रेन मामले में, लेकिन सीनेट ने आरोप मुक्त कर दिया|
जनवरी 2020 में कैपिटल हिल कांग्रेस परिसर पर हमले के कारण प्रतिनिधि सभा से प्रस्ताव पास हो गया, लेकिन सीनेट में प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया|
वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं-
राष्ट्रपति का वेतन भत्ता कांग्रेस के द्वारा निर्धारित किया जाता है|
राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उसके वेतन भत्ते में कमी या बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है|
मई 1999 से राष्ट्रपति का वेतन 4 लाख डॉलर है| यह राशि कर मुक्त नहीं है|
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति को 50 हजार डॉलर ‘सामान्य खर्च कोष’ के रूप में दिए जाते हैं| यह राशि आयकर से मुक्त है
राष्ट्रपति के रहने के लिए 17 एकड़ भूमि का व्हाइट हाउस है|
1958 के एक अधिनियम के अनुसार भूतपूर्व राष्ट्रपतियों को और उनकी विधवाओं को पेंशन की व्यवस्था भी कर दी गई|
उन्मुक्तियाँ-
राष्ट्रपति देश के प्रधान के रूप में कहीं भी आ जा सकता है|
राष्ट्रपति को किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और किसी भी न्यायालय में उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है|
राष्ट्रपति के विरुद्ध परमादेश या आदेश भी जारी नहीं किए जा सकते हैं|
उसे किसी न्यायालय में साक्षी के रूप में उपस्थित होने के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं|
राष्ट्रपति स्वेच्छा से किसी न्यायालय में साक्षी रूप में उपस्थित हो सकता है|
राष्ट्रपति का निर्वाचन
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया पर अमेरिकी संविधान निर्माताओं में बहुत अधिक मतभेद था|
संविधान निर्माता राष्ट्रपति के जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन के विरोधी थे, क्योंकि प्रत्यक्ष निर्वाचन राजनीतिक दलबंदी में फस जाता है तथा संविधान निर्माता कार्यपालिका के प्रधान को दलबंदी से बाहर रखना चाहते थे|
संविधान निर्माता व्यवस्थापिका द्वारा भी राष्ट्रपति का निर्वाचन नहीं करवाना चाहते थे, क्योंकि इससे राष्ट्रपति व्यवस्थापिका (कांग्रेस) के हाथ का खिलौना बन जाएगा|
संविधान सभा ने अंत में यह निश्चित किया कि राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा| इसके लिए जनता द्वारा एक निर्वाचक मंडल का चुनाव किया जाएगा तथा निर्वाचक मंडल के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव किया जाएगा|
वर्तमान समय में राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के कुल सदस्य 538 है, जिसमें तीन कोलंबिया जिले के प्रतिनिधि तथा 535 कांग्रेस (435 सदस्य प्रतिनिधि सभा में और 100 सीनेट में) के सदस्य हैं|
1800 में अमेरिका में राजनीतिक दलों का उदय हो गया और इन दलों ने निर्वाचक मंडल के लिए उम्मीदवार खड़े करने शुरू कर दिए|
राजनीतिक दलों के समर्थन से निर्वाचक मंडल के जो सदस्य चुने जाते हैं, वे राष्ट्रपति पद हेतु अपने ही राजनीतिक दल के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए वचनबद्ध होते हैं|
इस प्रकार वर्तमान में राष्ट्रपति का निर्वाचन न तो शांत वातावरण में संपन्न होता है और ना ही यह निर्वाचन अप्रत्यक्ष रहा है|
लॉस्की “संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रपति के निर्वाचन की जो विधि अपनाई थी, उस पर उन्हें विशेष रूप से गर्व था, परंतु उनकी आशाओं में से इससे अधिक और कोई आशा भंग नहीं हुई है|”
वर्तमान में व्यवहार में राष्ट्रपति का निर्वाचन निम्न तरीकों से होता है-
उम्मीदवारों का नामांकन और चुनाव प्रचार-
राष्ट्रपति निर्वाचन का सबसे पहला और महत्वपूर्ण चरण राजनीतिक दलों द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का नामांकन है|
1840 से राष्ट्रपति के निर्वाचन से पूर्व जनवरी के महीने में प्रत्येक राजनीतिक दल एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है|
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रत्येक दल (रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक राजनीतिक दल) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के लिए अपने अपने दल के उम्मीदवारों को नामांकित करते हैं|
उम्मीदवारों के नामांकन की यह पद्धति परंपरा के आधार पर अपनाई गई है, सविधान में इसका उल्लेख नहीं है|
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार न केवल अलग-अलग राज्यों से, वरन दो अलग-अलग क्षेत्रों से होने चाहिए अर्थात यदि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उत्तरी राज्यों से है तो उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार दक्षिण राज्यों से होना चाहिए|
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों के नामांकन के बाद तुरंत ही दल अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में देशव्यापी प्रचार प्रारंभ कर देते हैं|
राष्ट्रपति के चुनाव अभियान के लिए कानूनी रूप से अधिकतम खर्च 3 लाख डॉलर ही हो सकता है, लेकिन उल्लंघन कर्ता के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है|
राष्ट्रपति निर्वाचक मंडल का निर्वाचन-
राष्ट्रपति के निर्वाचन का दूसरा चरण राष्ट्रपति निर्वाचक मंडल के सदस्यों का निर्वाचन करना है|
दोनों दलों द्वारा निर्वाचक मंडल के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते हैं|
23 वें संविधान संशोधन के द्वारा अब निर्वाचक मंडल के सदस्यों की संख्या 538 हो गई है|
निर्वाचक मंडल का चुनाव लीप वर्ष या चुनाव वर्ष के नवंबर के महीने के प्रथम सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को या सरकार द्वारा निर्धारित अन्य किसी तिथि को होता है|
निर्वाचक मंडल के सदस्यों को प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुना जाता है|
मतदान अधिकार अधिनियम 1970 के अनुसार मतदाता होने के लिए 2 योग्यताएं आवश्यक है-
संबंधित व्यक्ति ने 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो|
संबंधित व्यक्ति उस राज्य में कम से कम 30 दिन से रह रहा हो|
राज्य में निर्वाचक मंडल के सदस्यों का चुनाव सूची प्रणाली के आधार पर होता है अर्थात मत किसी उम्मीदवार के लिए नहीं, वरन दल की सूची के पक्ष में डाले जाते हैं|
इस प्रकार निर्वाचक मंडल के सदस्यों को चुनाव व्यक्तिगत न होकर सामूहिक होता है अर्थात जिस दल को किसी राज्य में मतदाताओं का बहुमत प्राप्त हो जाता है, उसी दल के सब उम्मीदवार राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के सदस्य चुने जाते हैं|
निर्वाचक मंडल द्वारा राष्ट्रपति के लिए मतदान-
निर्वाचित होने पर समस्त निर्वाचक अपने-अपने राज्यों की राजधानी में एकत्र होते हैं और दिसंबर माह के दूसरे बुधवार के बाद आने वाले पहले सोमवार को राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं|
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने ही दल के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं, अतः यह चुनाव मात्र औपचारिकता होती है| ऑग व रे के शब्दों में “निर्वाचक मंडल के सदस्य अपने राजनीतिक दल की रिकॉर्डिंग मशीन की भांति होते हैं|”
मतगणना व परिणाम-
मतदान के बाद मतपत्रों के सीलबंद लिफाफो को सीनेट के अध्यक्ष के पास वाशिंगटन भेज दिया जाता है|
सीनेट के अध्यक्ष द्वारा यह लिफाफे कांग्रेस के दोनों सदनों के सदस्यों के सामने खोले जाते हैं और उसके बाद मतगणना की जाती है तथा परिणाम की घोषणा की जाती है|
जो प्रत्याशी निर्वाचको के मतों का पूर्ण बहुमत (538 निर्वाचको में से 270 मत) प्राप्त कर लेता है उसे राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है|
किसी भी प्रत्याशी को आवश्यक बहुमत प्राप्त न होने पर राष्ट्रपति के निर्वाचन का कार्य प्रतिनिधि सभा करती है|
ऐसी स्थिति में प्रतिनिधि सभा प्रथम अधिकतम मत पाने वाले 3 प्रत्याशियों में से एक को राष्ट्रपति चुन लेती है| इस चुनाव में प्रतिनिधि सभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों से मिलकर उस राज्य का एक प्रतिनिधिमंडल बनता है और प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल केवल एक ही मत देता है| गणपूर्ति के लिए दो तिहाई राज्यों की उपस्थिति आवश्यक है|
उपराष्ट्रपति पद के विषय में आवश्यकता पड़ने पर ऐसा ही सीनेट द्वारा किया जाता है|
पद व शपथ ग्रहण-
निर्वाचित राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति संविधान के 20वे संशोधन 1933 के अनुसार 20 जनवरी को दोपहर के समय पद ग्रहण करते हैं|
संयुक्त राज्य अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है|
राष्ट्रपति की शपथ- “मैं गंभीरता पूर्वक शपथ लेता हूं कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर निष्ठा पूर्वक कार्य करूंगा और अपनी योग्यता भर अमेरिका के संविधान का संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा|”
राष्ट्रपति चुनाव 2020-
इस चुनाव में कुल 10 उम्मीदवार थे|
मुख्य चार उम्मीदवार निम्न थे-
डोनाल्ड ट्रंप (रिपब्लिकन पार्टी)
जो बाइडेन (डेमोक्रेटिक पार्टी)
होवी हॉकिंस (ग्रीन पार्टी)
जो जोर्गेनसेन (लिबर्टेरियन पार्टी)
Note- चुनाव संघर्ष मुख्यतः प्रथम दो उम्मीदवारों के बीच ही था|
निर्वाचक मंडल के 538 सदस्यों को चुनने के लिए 3 नवंबर 2020 को 15.9 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया|
विजित होने के लिए उम्मीदवार को निर्वाचक मंडल के 270 मत प्राप्त करने आवश्यक थे| प्रथम 2 उम्मीदवारों ने निम्न प्रकार से मत प्राप्त किए-
जो बाइडेन (डेमोक्रेटिक पार्टी)- 306 मत
डोनाल्ड ट्रंप (रिपब्लिकन पार्टी)- 232 मत
चुनाव के परिणामस्वरूप 20 जनवरी 2021 को जो बाइडेन ने अमेरिका के 46वे राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया|
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (डेमोक्रेटिक पार्टी) ने भी 20 जनवरी 2020 को अपना पद ग्रहण किया| भारतीय-अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली अश्वेत महिला है|
Note- अमेरिका में चुनाव कार्यों को संपन्न करने के लिए चुनाव आयोग जैसी कोई स्वतंत्र और केंद्रीय संस्था नहीं है| अमेरिकी संघ के सर्वोच्च पद के चुनाव और सीनेट तथा प्रतिनिधि सभा के चुनाव में 50 राज्यों को इस बात की स्वतंत्रता है कि वे अपने राज्य में अपनी इच्छा अनुसार चुनाव पद्धति की व्यवस्था कर सकते हैं| प्रत्येक राज्य, राष्ट्रपति पद के चुनाव हेतु अलग-अलग मतपत्र छपाता है और चुनाव तथा मतगणना हेतु नियम बनाता है|
लॉस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव को सर्वाधिक भ्रष्ट चुनाव और वित्तीय साधनों का खेल कहा है|
राष्ट्रपति पद के लिए उत्तराधिकार-
संविधान के अनुच्छेद 2(1) द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग या अन्य किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो राष्ट्रपति पद की सभी शक्तियां और कर्तव्य उत्तराधिकार के रूप में उपराष्ट्रपति के पास जाएंगी|
यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद रिक्त हो जाए, तो कांग्रेस निर्णय करेगी कि कौन अधिकारी राष्ट्रपति पद पर कार्य करेगा|
1947 में कांग्रेस ने राष्ट्रपति उत्तराधिकार कानून पारित करके इस स्थिति में परिवर्तन किया| इस कानून के अनुसार राष्ट्रपति पद में स्थायी रिक्तता होने पर उपराष्ट्रपति शेष अवधि के लिए राष्ट्रपति बन जाता है|
यदि किसी कारण से उपराष्ट्रपति भी इस पद के लिए उपलब्ध न हो तो प्रतिनिधि सभा का स्पीकर, सीनेट का स्थायी अध्यक्ष, राज्य सचिव, वित्त सचिव, युद्ध सचिव आदि क्रमशः इस पद को धारण करेंगे|
25 वें संविधान संशोधन 1967 के द्वारा उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया गया| इसके अनुसार कभी उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होगा, तो राष्ट्रपति एक उपराष्ट्रपति को नामजद करेगा, जो कांग्रेस के दोनों सदनों द्वारा पुष्टि किए जाने पर अपना पद ग्रहण करेगा|
अमेरिका के प्रथम व एकमात्र मनोनीत राष्ट्रपति- जेराल्ड फोर्ड
1973 के वाटरगेट कांड में फसने पर उपराष्ट्रपति स्पीरो एग्न्यू ने इस्तीफा दे दिया, तब राष्ट्रपति निक्सन ने प्रतिनिधि सभा से जेराल्ड फोर्ड को उपराष्ट्रपति बनवाया| निक्सन के 1974 में इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड राष्ट्रपति बन गए|
पद पर रहते हुए राष्ट्रपतियों की हत्या-
अब्राहम लिंकन- दास प्रथा समर्थक ने गोली मारी 1865 में
जेम्स गारफील्ड- बेरोजगार द्वारा हत्या 1881 में
जॉन कैनेडी- वियतनाम युद्ध समर्थक द्वारा 1963 में
रोनाल्ड रिगन की भी हत्या की कोशिश की गई लेकिन बच गए|
राष्ट्रपति की शक्तियां-
राष्ट्रपति की शक्तियों के स्रोत-
संविधान-
अनुच्छेदों-2 में कहा गया है कि ‘अमेरिकी संघ की कार्यपालिका शक्ति एक राष्ट्रपति में निहित होंगी|’
न्यायिक निर्णय-
न्यायिक निर्णयों के द्वारा राष्ट्रपति की शक्तियों को परिभाषित किया गया है, जहां संविधान अस्पष्ट था| इस न्यायिक स्पष्टता से राष्ट्रपति को अनेक शक्तियां प्राप्त हुई है|
कांग्रेस के अधिनियम-
कांग्रेस के वे अधिनियम जिनसे समय-समय पर राष्ट्रपति को स्व-विवेक की शक्तियां मिली|
परंपरा एवं प्रथाएं-
परंपराओं एवं प्रथाओं के द्वारा भी राष्ट्रपति की शक्तियों में पर्याप्त वृद्धि हुई है|
अमेरिकी राष्ट्रपति का पद आज किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र की तुलना में सर्वाधिक शक्तिशाली पद है|
श्लेसिंगर के शब्दों में “वाशिंगटन से लेकर अब तक प्रत्येक राष्ट्रपति ने इस पद को अधिक शक्तिशाली बनाने में योगदान दिया है|”
ऑग “अमेरिका का राष्ट्रपति संसार में सबसे अधिक महान शासक हो गया है|”
मुनरो “अब तक लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति ने इतनी अधिक सत्ता का प्रयोग नहीं किया, जितना कि अमेरिकी राष्ट्रपति करता है|”
फर्ग्यूसन और मैक हेनरी “किसी भी प्रजातांत्रिक राष्ट्र द्वारा निर्मित यह सर्वाधिक शक्तिशाली पद है|”
राष्ट्रपति की निम्न शक्तियां हैं-
कार्यपालिका शक्तियां-
ऑग “राष्ट्रपति प्रमुख विधि निर्माता, दलीय नेता, राष्ट्रीय हितों का सामान्य संरक्षक या अन्य चाहे जो कुछ भी हो वह सर्वप्रथम एक कार्यपालिका ही है|”
राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियां निम्न है-
कानूनों को लागू करना तथा व्यवस्था बनाए रखना|
शासन संचालन और विधि का पालन कराने की शक्तियां-
राष्ट्र का प्रमुख शासक होने के नाते राष्ट्रपति ही संघीय सरकार के प्रशासन संबंधी समस्त कार्यों के लिए अंतिम रूप से उत्तरदायी है|
नियुक्ति संबंधी शक्तियां-
उच्च वर्गीय पदों की नियुक्तियां राष्ट्रपति सीनेट की स्वीकृति से करता है, जबकि निम्न वर्गीय पदों पर नियुक्तियां राष्ट्रपति अपनी इच्छा से ही कर सकता है|
उच्च वर्गीय पदों में मंत्री अथवा सचिव, विदेशों में अमेरिकी राजदूत, वाणिज्य दूत, विशेष दूत, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सुरक्षा समिति तथा सर्वोच्च परिषद के सदस्य, केंद्रीय शासन के अध्यक्ष आदि पर नियुक्ति राष्ट्रपति सीनेट की स्वीकृति से करता है|
सीनेट की शालीनता या सौहार्दता- इस प्रथा के अनुसार सीनेट के सदस्य राष्ट्रपति द्वारा संघीय प्रशासन में की गई नियुक्तियों को इसलिए स्वीकार कर लेते हैं, कि राष्ट्रपति राज्यों में उनकी पसंद के व्यक्तियों को नियुक्त कर दे|
अंतरिम नियुक्तियां- राष्ट्रपति कुछ नियुक्तियां उस समय भी कर सकता है, जब सीनेट का अधिवेशन नहीं चल रहा हो, परंतु सीनेट का सत्र आरंभ होते ही राष्ट्रपति को इन नियुक्तियों के लिए स्वीकृति लेनी पड़ती है|
पद से हटाने की शक्तियां-
इस संबंध में संविधान मौन है, लेकिन कांग्रेस द्वारा अंतिम रूप से यह निर्णय किया गया है कि किसी को पदच्युत करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को ही होगा| इसके लिए सीनेट की अनुमति आवश्यक नहीं होती है|
लेकिन इस संबंध में 3 वर्ग अपवाद है-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जिन्हें केवल महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है|
कांग्रेस द्वारा स्थापित विभिन्न आयोगों और बोर्डो के सदस्य, जिन्हें कांग्रेस द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार ही हटाया जा सकता है|
लोक सेवा नियमों के अनुसार हुई नियुक्तियां, जिन्हें केवल तभी हटाया जा सकता है जब उनके द्वारा लोक सेवा की कार्यकुशलता में बाधा पड़े|
सशस्त्र बलों के प्रधान सेनापति के रूप में सैनिक शक्तियां-
युद्ध और शांति दोनों ही काल में राष्ट्रपति संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना का प्रधान सेनापति है|
राष्ट्रपति उच्च सैनिक अधिकारियों की नियुक्तियां करता है, पर इन नियुक्तियों के लिए सीनेट का अनुसमर्थन आवश्यक होता है|
युद्ध काल में राष्ट्रपति को सभी प्रकार के सैनिक अधिकारियों को सेवा मुक्त करने का अधिकार होता है|
राष्ट्रपति अमेरिकी सेनाओं को विश्व में कहीं भी भेज सकता है|
सीनेट की स्वीकृति से युद्ध की घोषणा राष्ट्रपति कर सकता है, लेकिन युद्ध को समाप्त करने तथा निलंबित करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति का ही है|
मुनरो “युद्ध काल में राष्ट्रपति की शक्तियां उतनी ही अधिक है, जितनी नेपोलियन या ओलिवर क्रॉमवेल की थी|”
वैदेशिक विषयो से संबंधित शक्तियां-
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का संचालन तथा विदेश नीति का उत्तरदायित्व राष्ट्रपति पर है|
राष्ट्रपति राजदूत व विदेश में अपने देश के प्रतिनिधियों को नियुक्त करता है|
विदेशी राजदूतों, वाणिज्य दूतों और विशेष दूतों के प्रमाण पत्र राष्ट्रपति स्वीकार करता है और इस प्रकार विदेशी सरकारों को मान्यता देता है|
राष्ट्रपति अमेरिका की विदेश नीति का मुख्य प्रवक्ता होता है|
विदेशों से संधिया राष्ट्रपति संपन्न करता है और उन पर हस्ताक्षर करता है, यद्यपि इन संधियों अथवा समझोतो पर सीनेट के दो तिहाई मत से पुष्टि की आवश्यकता होती है|
राष्ट्रपति का यह भी कर्तव्य है कि वह विदेश यात्रा करने वाले और प्रवासी अमेरिकी नागरिकों को संरक्षण प्रदान करें|
स्वविवेक की शक्ति-
इन शक्तियों के बल पर राष्ट्रपति किसी व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह को कोई काम करने से रोक सकता है अथवा कोई कार्य करने के लिए बाध्य कर सकता है| इस शक्ति के प्रयोग में न्यायालय रुकावट नहीं करता है|
विधायी शक्तियां-
पीटर “सविधान ने राष्ट्रपति को विधायी प्रक्रिया के प्रारंभ और अंत में स्थान दिया है|”
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां निम्न है-
कांग्रेस को संदेश भेजने का अधिकार-
राष्ट्रपति कांग्रेस को आंतरिक और बाह्य परिस्थितियों का ज्ञान कराने के लिए संदेश भेज सकता है|
संदेश कांग्रेस के क्लर्क के पास मौखिक या लिखित रूप में भेजा जा सकता है|
ये संदेश राष्ट्रपति की नीति को स्पष्ट करते हैं और कांग्रेस इन्हें अपनी कार्यवाही में प्राथमिकता देती है|
राष्ट्रपति के संदेश समाचार पत्र में प्रकाशित होते हैं, जिनके माध्यम से वह जनमत को प्रभावित करता है|
वैधानिक रूप से कांग्रेस राष्ट्रपति के संदेश मानने को बाध्य नहीं है, किंतु व्यवहार में इन संदेशों के अनुसार ही वह अपना विधायी कार्य प्रारंभ करती है|
प्रशासकीय अध्यादेश-
राष्ट्रपति ऐसे प्रशासकीय अध्यादेश जारी करता है, जिनकी शक्ति कानूनों के समान ही होती है|
सामान्यतः सरकार के कार्यों का स्वरूप और विस्तार का निर्णय करने वाले सामान्य कानून कांग्रेस द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन इनके संबंध में उपनियमों का निर्माण राष्ट्रपति करता है|
विशेष अधिवेशन बुलाने का अधिकार-
राष्ट्रपति कांग्रेस का विशेष अधिवेशन बुला सकता है| यह विशेष अधिवेशन कुछ दिनों तक चल सकता है अथवा उस समय तक चल सकता है जब तक कि नियमित अधिवेशन आरंभ न हो|
विलंबकारी निषेधाधिकार (Veto Power)-
कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कानून का रूप धारण नहीं कर सकता है|
राष्ट्रपति के पास जब कोई विधेयक स्वीकृति के लिए आता है तो राष्ट्रपति उस विधेयक को 10 दिन के लिए रोक सकता है उसके बाद वह विधेयक स्वत: पारित हो जाता है|
लेकिन 10 दिन के भीतर राष्ट्रपति विधेयक को वापस लौटा दे तो, दोनों सदनों द्वारा फिर से दो तिहाई बहुमत से विधेयक को पारित करना होता है|
इस प्रकार लौटाए गए विधेयक को दोनों सदन दो तिहाई बहुमत से ज्यों का त्यों पारित करके राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं, तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बाध्य है|
निलंबनकारी निषेधाधिकार के माध्यम से कांग्रेस द्वारा जल्दबाजी में पारित किए विधेयक पर फिर से विचार करने के लिए कांग्रेस को बाध्य किया जा सकता है|
जेबी निषेधाधिकार (Pocket Veto)-
सामान्यत: राष्ट्रपति के पास कोई विधेयक स्वीकृति के लिए आता है, तो राष्ट्रपति की टेबल पर 10 दिन ही पड़ा रह सकता है उसके बाद स्वत: ही कानून का रूप ले लेता है|
लेकिन कोई विधेयक राष्ट्रपति के पास कांग्रेस सत्र के अंत के निकट भेजा जाता है और 10 दिन की अवधि की समाप्ति के पूर्व ही सत्र विघटित हो जाता है| तब राष्ट्रपति उस विधेयक पर कोई कार्यवाही ना कर उसको समाप्त कर सकता है|
अर्थात नए सत्र में कांग्रेस दो तिहाई बहुमत से विधेयक को पारित नहीं कर सकती हैं|
यह राष्ट्रपति का जेबी निषेधाधिकार कहलाता है|
संरक्षण शक्तियां-
राष्ट्रपति द्वारा अनेक नियुक्तियां की जाती है, और कांग्रेस सदस्य अपने दल के अनुयायियों के लिए नौकरी चाहते हैं| इनको नौकरी दिलवाने के लिए राष्ट्रपति का समर्थन करना होता है यह राष्ट्रपति की संरक्षण शक्ति है|
जनता से अपील-
राष्ट्रपति राष्ट्र का नेता होता है, जब वह कांग्रेस को अपने विरुद्ध समझता है, तो जनता से सीधे अपील करके कांग्रेस के विरुद्ध लोकमत बनाने का प्रयास कर सकता है|
इससे वह कांग्रेस पर दबाव स्थापित करता है|
न्यायिक शक्तियां-
राष्ट्रपति को अपराधी को क्षमा करने अथवा उसके प्राणदंड को स्थगित करने का अधिकार है|
इसके संबंध में राष्ट्रपति निम्न कार्यवाही कर सकता है-
पूर्ण अथवा बिना शर्त क्षमादान
सशर्त क्षमादान
बिना क्षमा किए अभिवचन (Parole) पर मुक्ति
दंड घटा देना
प्राणदंड का स्थगन अथवा विधिवत स्थगन के दंड देने में विलंब करना
कोई भी कार्यवाही करने से इंकार कर देना|
राष्ट्रपति ऐसे अपराधियों को सामूहिक क्षमादान भी दे सकता है, जिन्हें व्यक्तिगत रूप में दंडित न कर संघीय कानून को भंग करने के अपराध में एक साथ दंडित किया गया हो|
राष्ट्रपति क्षमादान के अपने अधिकार का प्रयोग न्याय विभाग की सिफारिश के अनुसार ही करता है|
राष्ट्रपति के क्षमादान पर दो सीमाएं हैं-
जिस व्यक्ति को महाभियोग द्वारा दंडित किया गया है, राष्ट्रपति उसे क्षमा नहीं कर सकता|
राष्ट्रपति केवल उन्हीं मामलों में अपने क्षमादान का प्रयोग कर सकता है, जिनमें अपराध संघीय कानूनों के विरुद्ध किया गया हो, ना कि किसी राज्य के कानून के विरुद्ध|
दलीय नेता और राष्ट्रीय नेता के रूप में राष्ट्रपति-
राष्ट्रपति संपूर्ण राष्ट्र का राष्ट्रीय नेता होता है| राष्ट्रपति देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है|
राष्ट्रपति दल के नेता के रूप में निर्वाचित होता है|
राष्ट्रपति दल की राष्ट्रीय समिति का अध्यक्ष होता है तथा कांग्रेस एवं अन्य पदों के लिए प्रत्याशियों का चयन मुख्यत: उसी के हाथ में होता है|
संकटकालीन शक्तियां-
युद्ध, आंतरिक अशांति अथवा आर्थिक संकट से उत्पन्न राष्ट्रीय संकटों के समय राष्ट्रपति विशाल शक्तियों का प्रयोग करने की स्थिति में आ जाता है फिर भी संकटकालीन शक्तियों पर निम्न प्रतिबंध है-
संकट वास्तविक होना चाहिए,
संकट से संबंधित कांग्रेस का कोई पूर्व कानून न हो,
संकट की आकस्मिक उत्पत्ति के कारण कांग्रेस को समुचित कदम उठाने का अवसर नहीं मिल पाया हो|
राष्ट्रपति का मंत्रिमंडल-
अमेरिकी संविधान में मंत्रिमंडल या मंत्रिपरिषद का उल्लेख नहीं है|
अनुच्छेद 2 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति सरकार के विविध प्रशासकीय विभागों के प्रधान पदाधिकारियों से उन विषयों पर लिखित रूप में परामर्श ले सकता है, जिनका उन विभागों के साथ संबंध है|
राष्ट्रपति वाशिंगटन ने शासन के प्रमुख अधिकारियों से महत्वपूर्ण प्रश्नों पर सलाह लेना शुरू कर दिया|
1791 के बाद उन्होंने प्रमुख विभागाध्यक्षों का प्राय: नियमित सम्मेलन प्रारंभ कर दिया|
संभवत 1793 से सर्वप्रथम उसके लिए मंत्रिमंडल शब्द का प्रयोग होने लगा|
धीरे-धीरे यह स्थायी व्यवस्था या संस्था के रूप में स्थापित हो गया| इस प्रकार अमेरिका में मंत्रिमंडल का उदय हुआ|
अमेरिकी मंत्रिमंडल किसी संवैधानिक कानून की उपज नहीं है|
मंत्रिमंडल की नियुक्ति एवं संगठन-
राष्ट्रपति के मंत्रियों को सचिव कहा जाता है, जो प्रशासकीय विभाग के अध्यक्ष होते हैं|
मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सीनेट की स्वीकृति से की जाती है, किंतु सीनेट राष्ट्रपति द्वारा की हुई नियुक्ति को प्राय: अस्वीकार नहीं करती है|
मंत्री न कांग्रेस के सदस्य होते हैं और ना ही उसके प्रति उत्तरदायी होते हैं|
राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल के गठन में पूर्ण स्वतंत्र है|
राष्ट्रपति ऐसे व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त करता है, जिनका कांग्रेस में प्रभाव हो, प्रशासनिक अनुभव या विशिष्ट योग्यता हो, इसलिए अमेरिकन मंत्रिमंडल को मस्तिष्को का न्यास कहा जाता है|
मंत्रिमंडल के गठन में राष्ट्रपति को निम्न बातों का ध्यान रखना पड़ता है-
राष्ट्रपति को निर्वाचन में सहायता देने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक या दो व्यक्तियों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है|
राष्ट्रपति अपने दल के प्रमुख लोगों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देता है|
राष्ट्रीय संकट के समय कभी-कभी सार्वजनिक जीवन के महत्वपूर्ण व्यक्तियों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ता है|
राष्ट्रपति देश के प्रमुख क्षेत्रों और वर्गों को भी मंत्रिमंडल में स्थान देता है|
राष्ट्रपति ऐसे व्यक्तियों को मंत्रिमंडल में स्थान देने का प्रयत्न करता है, जो एक टीम की तरह कार्य कर सकें|
मंत्रीमंडल के सभी सदस्यों का पद साधारण रूप से समान होता है, लेकिन विदेश सचिव का स्थान अधिक महत्वपूर्ण होता है| राष्ट्रपति उत्तराधिकार कानून 1947 के द्वारा विदेश सचिव का स्थान सहयोगियों में प्रथम रखा गया|
मंत्रिमंडल की सदस्य संख्या-
अमेरिकी राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल के आकार में निरंतर वृद्धि हुई है|
प्रथम राष्ट्रपति वाशिंगटन के समय प्रशासन के चार विभाग (विदेश, वित्त, युद्ध, और न्याय) तथा इन विभागों के चार मंत्री थे, लेकिन 1985 से यह व्यवस्था है कि उपराष्ट्रपति के अतिरिक्त मंत्रिमंडल में 15 विभागों के सचिव होते हैं|
विदेश विभाग का मंत्री State secretary कहलाता है तथा न्याय विभाग का अध्यक्ष Attorney General कहलाता है|
इन 15 विभागों के अध्यक्षों की संस्था को मंत्रिमंडल कहा जाता है|
मंत्रिमंडल के सदस्य राष्ट्रपति के अधीनस्थ होते हैं|
मंत्रिमंडल को राष्ट्रपति के परिवार की संज्ञा भी दी जाती है|
ऑग के अनुसार “मंत्रिमंडल के मंत्री को यह समझ लेना चाहिए कि वह राष्ट्रपति की छत्रछाया में ही जीवित रह सकता है|”
यदि मंत्रीमंडल के सभी सदस्य राष्ट्रपति को एक ही प्रकार का परामर्श दें तो भी राष्ट्रपति इनके परामर्श को ठुकरा सकता है|
अमेरिका में वास्तविक कार्यपालिका केवल एक ही व्यक्ति है अर्थात राष्ट्रपति है और मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्य तो केवल उसके सहायक मात्र है|
मंत्रिमंडल के सदस्य राष्ट्रपति के केवल परामर्शदाता या सलाहकार होते हैं|
ऐसा हो सकता है कि राष्ट्रपति अपने मंत्रियों को छोड़कर अपने निजी मित्रों और कुछ विश्वस्त परामर्शदाताओं के परामर्श पर अधिक निर्भर रह सकता है| ऐसा राष्ट्रपति जैकसन ने किया था, इस कारण उसके इन परामर्दाताओं को सामूहिक रूप से अंतरंग मंत्रिमंडल, किचन केबिनेट या प्रसाद रक्षक कहा जाता था|
प्रशासन का अंतिम उत्तरदायित्व राष्ट्रपति पर ही होता है और मंत्रिमंडल के सदस्यों का काम राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करना मात्र है| यदि मंत्रिमंडल का कोई सदस्य ऐसा नहीं करता है तो उसे अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ता है| इसी के संबंध में ब्रोगन ने लिखा है कि “जिस प्रकार राष्ट्रपति की तनिक-सी इच्छा मंत्री मंडल को बनाती है, उसी प्रकार तनिक-सी इच्छा मंत्रिमंडल को हटा भी सकती है|”
कुछ विशिष्ट शब्दावली-
आस्थाहीन डेलीगेट- निर्वाचक मंडल का जो सदस्य अपनी पार्टी के अधिकृत राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति प्रत्याशी को वोट नहीं देता है, उससे आस्थाहीन डेलीगेट कहा जाता है|
स्विंग स्टेट्स- अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के समय वे राज्य जहां से किसी भी पार्टी के निर्वाचक मंडल के सदस्यों का जीतना निश्चित नहीं होता है, वे राज्य स्विंग स्टेट्स कहलाते हैं| राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार यहां ज्यादा प्रयास करता है|
कॉक्स व प्राइमरी- जब राष्ट्रपति चुनाव से सात-आठ महीने पहले अमेरिका के दोनों दल राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का नाम फाइनल करने की चयन की प्रक्रिया चलाते हैं तो उसे कॉक्स व प्राइमरी कहा जाता है|
गुबारंटोरियल नियुक्तियां- सीनेट में सीनेटर के पद की आकस्मिक रिक्ति होने पर जब संबंधित राज्य का गवर्नर अस्थाई तौर पर किसी सदस्य को सीनेटर बनाता है तो ऐसे नियुक्ति को गुबारंटोरियल नियुक्ति कहा जाता है|
सामयिक अध्यक्ष- यह उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में सीनेट की अध्यक्षता करता है| यह सीनेट का सदस्य ही होता है| यह एक संवैधानिक पद है तथा राष्ट्रपति पद के उत्तराधिकार में यह उपराष्ट्रपति और प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष के बाद तीसरे स्थान पर आता है|
काला घोड़ा- जब राष्ट्रपति के चुनाव में किसी उम्मीदवार को निर्वाचक मंडल में स्पष्ट बहुमत ना मिले तो प्रतिनिधि सभा प्रथम तीन उम्मीदवारों में से एक का निर्वाचन करती है| निर्वाचन के समय प्रत्येक राज्य का एक वोट माना जाता है| निर्वाचन की यही पद्धति काला घोड़ा कहलाती है| ऐसा एक बार हुआ है, जब 11 वे राष्ट्रपति जेम्स के पोक (1845-1849) बने थे|
स्टेट पद्धति (State method)- USA राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल का चुनाव सूची प्रणाली के आधार पर किया जाता है| इस सूची को ही स्टेट कहा जाता है तथा मतदाता स्टेट को वोट देते हैं|
लोकप्रिय मत- मतदाता निर्वाचक मंडल के चुनाव के लिए जो वोट डालते हैं, उसे लोकप्रिय मत कहते हैं|
अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश सम्राट-
लॉस्की ने अपनी पुस्तक द अमेरिकन प्रेसिडेंट में लिखा है कि “संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति एक सम्राट से कुछ कम तथा कुछ अधिक है| वह एक प्रधानमंत्री से भी कुछ कम तथा कुछ अधिक है| उसके पद का जितना ही अधिक सावधानी अध्ययन किया जाए उतनी ही उसकी अनुपमता का बोध होता है|”
समानता-
अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश सम्राट में एकमात्र समानता यह है कि दोनों ही संबंधित राज्यों के प्रधान हैं|
असमानता-
ब्रिटिश सम्राट राज करता है, शासन नहीं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति राज भी करता है तथा शासन भी|
ब्रिटिश सम्राट नाममात्र का प्रधान होता है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति वास्तविक प्रधान होता है|
ब्रिटिश सम्राट को संसद के द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी अनुमति देनी होती है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति को विलंबकारी व जेबी वीटो की शक्ति प्राप्त है|
ब्रिटिश सम्राट को प्रशासनिक आदेश या अध्यादेश जारी करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति को प्राप्त है|
अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधानमंत्री-
ब्रिटिश प्रधानमंत्री शासन करता है राज्य नहीं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति राज्य भी करता है और शासन भी करता है|
ब्रोगन “अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यक्तित्व में सम्राट और प्रधानमंत्री दोनों का समावेश है या वह एक ऐसा सम्राट है जो कि स्वयं ही अपना प्रधानमंत्री है|”
अमेरिकी राष्ट्रपति व ब्रिटिश प्रधानमंत्री में निम्न अंतर है-
कार्यकाल में अंतर-
अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित होता है, लेकिन प्रधानमंत्री का कार्यकाल लोकसदन के विश्वास पर निर्भर करता है|
अमेरिकी राष्ट्रपति को उसके 4 वर्ष के निश्चित कार्यकाल के पूर्व केवल महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता है|
मंत्रिमंडल के संबंध में अंतर-
अपने मंत्रिमंडल के संबंध में राष्ट्रपति की स्थिति जितनी शक्तिशाली है, प्रधानमंत्री की स्थिति उतनी शक्तिशाली नहीं है|
ब्रोगन के शब्दों में “अमेरिकी पद्धति में मंत्रिमंडल वैसा ही होता है, जैसा राष्ट्रपति उसको बनाना चाहता है| वह उसकी कठपुतली है|”
प्रशासनिक शक्तियों में अंतर-
प्रशासनिक क्षेत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति ब्रिटिश प्रधानमंत्री से अधिक शक्तिशाली है|
अमेरिकी राष्ट्रपति देश का प्रधान है और स्थल, जल व वायु सेना का प्रधान सेनापति है|
विधायी शक्तियों में अंतर-
ब्रिटिश प्रधानमंत्री को व्यवस्थापन के क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है|
प्रधानमंत्री लोक सदन में बहुमत दल का नेता होता है और बहुमत दल के निश्चित समर्थन के आधार पर वह अपनी इच्छा अनुसार व्यवस्थापन करवा सकता है|
इसके अलावा प्रधानमंत्री को लोकसदन को विघटित कराने की शक्ति प्राप्त है, जिसके आधार पर वह लोकसदन को अपनी इच्छा के सामने झुकने के लिए बाध्य कर सकता है, जबकि अमेरिका राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त नहीं है|
वित्तीय शक्ति में अंतर-
वित्तीय क्षेत्र में राष्ट्रपति की तुलना में ब्रिटिश प्रधानमंत्री को सुदृढ़ स्थिति प्राप्त है|
अमेरिका में बजट ‘बजट ब्यूरो’ के द्वारा राष्ट्रपति के निर्देशन में तैयार किया जाता है और ब्यूरो के निदेशक द्वारा प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत किया जाता है| कांग्रेस को बजट में संशोधन का पूर्ण अधिकार प्राप्त है और व्यवहार में भी कांग्रेस बजट में अनेक कटोतिया और अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन करती है| जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री का बजट पर पूर्ण नियंत्रण होता है|
न्यायिक शक्ति में अंतर-
ब्रिटेन में संसद की सर्वोच्चता है| इस कारण ब्रिटिश न्यायपालिका संसदीय प्रधानमंत्री के कार्यों को अवैधानिक घोषित नहीं कर सकती है|
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