राजनीति सिद्धांत: अर्थ एवं उपयोगिता
राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ समझने से पहले हमें राजनीति व सिद्धांत का अर्थ समझना चाहिए|
राजनीति का अर्थ-
राजनीति का संबंध मनुष्य के सार्वजनिक जीवन से है|
राजनीति सार्वजनिक गतिविधि है|
राजनीति हमारे सार्वजनिक जीवन का वह क्षेत्र या आयाम है, जहां हम अपने हितों के लिए संघर्ष करते हैं तथा वस्तु या संसाधनों पर अपना दावा करते हैं|
राजनीति के अंग्रेजी पर्यायवाची शब्द Politics की उत्पत्ति ग्रीक शब्द Polis व Politia से हुई है|
Polis शब्द का अर्थ नगर राज्य से है|
राजनीति का प्राचीन कालीन अर्थ-
अर्थात नगर राज्य तथा उससे संबंधित जीवन, घटनाओं व्यवहारों एवं समस्याओं का अध्ययन अथवा ज्ञान ही राजनीति है|
आधुनिक समय में राजनीति का अर्थ-
आधुनिक समय में राजनीति का संबंध राज्य, सरकार, प्रशासन, व्यवस्था के अंतर्गत समाज के विभिन्न संदर्भों व संबंधों के व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ज्ञान एवं अध्ययन से है|
नामकरण-
Politics (राजनीति) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अरस्तू ने किया|
राजनीति विज्ञान को अरस्तू ने Master Science (सर्वोच्च विज्ञान) व शिखरस्थ विज्ञान (Architectonic Science) कहा है|
अरस्तु ने राजनीति को दर्शन से अलग करके स्वायत्त विषय का रूप दिया, इसलिए अरस्तु को राजनीति विज्ञान का पिता कहा जाता है|
Politics को Political Science नाम देने का श्रेय प्रबुद्ध अराजकतावादी विचारक विलियम गॉडविन व नारीवादी विचारक मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट (पति व पत्नी) को है|
इरिक रोवे ने Politicology शब्द दिया, जिसका अर्थ है- राजनीति विज्ञान या राजविज्ञान
एमरसन ने राजनीति विज्ञान को महानतम विज्ञान कहा है|
अल्फ्रेड जार्जिया ने राजनीति विज्ञान को विज्ञानो की महारानी कहा है|
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने इसे वर्तमान सभ्यता को सुरक्षित रखने वाला विज्ञान कहा है|
राजनीतिक संस्था
राजनीतिक संस्था से तात्पर्य ऐसी कोई सार्वजनिक संस्था, जिसके पास फैसला करने की शक्ति या प्राधिकार हो|
राजनीति क्या है-
समझौते की कला के रूप में राजनीति-
उदारवादी इसे समझौते की कला कहते हैं, अर्थात यह परस्पर विरोधी हित में सामंजस्य स्थापित करने वाली गतिविधि है|
शक्ति के रूप में राजनीति-
राजनीति का अर्थ शक्ति प्रयोग से भी है|
यथार्थवादी, व्यवहारवादी, नारीवादी, मार्क्सवादी व उत्तर आधुनिकतावादी मिशेल फूको राजनीति को शक्ति के रूप में स्पष्ट करते हैं|
यथार्थवादी व अधिकांश व्यवहारवादी राजनीति को शक्ति का विज्ञान ही मानते हैं|
व्यवहारवादियों के अनुसार ‘राजनीति शक्ति के लिए संघर्ष है|’
शक्तिवादी दृष्टिकोण के अनुसार राजनीति युद्धहीन संघर्ष है, जिसमें मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंधित समस्याएं सुलझायी जाती है|
राजनीति शक्ति के लिए संघर्ष है| समर्थक- मैक्स वेबर, जॉर्ज केटलिन, हेराल्ड लासवेल, रॉबर्ट डहल, हैंस जे मार्गेनथो|
यथार्थवादी विचारक-
थ्यूसिडाइस, कौटिल्य, मैक्यावली, हॉब्स, मैक्स वेबर, जे मार्गेनथो
यथार्थवादियों के अनुसार शक्ति हिंसा के रूप में है, अर्थात शक्ति का प्रदर्शन हिंसा के रूप में करते हैं|
मैक्यावली “राजनीति बस सत्ता पाने और उसे बनाए रखने के बारे में है|”
मैक्स वेबर (Politics as Vocation 1919) “राजनीति हार्डबोर्ड की जैसी मजबूत, लेकिन धीमी बोरिंग है|”
मैक्स वेबर “राजनीतिक एक व्यवसाय है|”
व्यवहारवादी विचारक-
चार्ल्स मेरियम, लासवेल, कैटलीन, डेविड ईस्टन, रोबोट डहल
इनके अनुसार शक्ति का संबंध ताकत व राज्य के साधनों के वितरण से है, अर्थात इनके अनुसार राजनीति राज्य के संसाधनों के वितरण का साधन है|
डेविड ईस्टन “राजनीति का संबंध समाज में मूल्यों के अधिकारिक आवंटन से है|”
कैटलिन व लासवेल “राजनीति शक्ति की तलाश है|”
लासवेल “राजनीतिक प्रभाव व प्रभावी का अध्ययन|”
रॉबर्ट डहल “राजनीति उस समय अस्तित्व में आती है जब लक्ष्य व साधन विवादास्पद होते हैं|”
रॉबर्ट डहल “एक राजनीतिक व्यवस्था मानव संबंधों का कोई भी सतत प्रतिमान है, जो कि एक सार्थक मात्रा में शक्ति, शासन या सत्ता के साथ अंतर्ग्रस्त होता है|”
मार्क्सवादी विचारक-
लेनिन “राजनीति अर्थशास्त्र की केंद्रीय अभिव्यक्ति व घनीभूत अर्थनीति है|”
कार्ल मार्क्स “राजनीति अधिसंरचना है|”
नारीवादी विचारक-
उग्र नारीवादी कैट मिलेट (पुस्तक- Sexual Politics, 1970) “राजनीति, शक्ति संरचनात्मक संबंध है, जिसमें एक समूह (महिला) पर दूसरा समूह (पुरुष) नियंत्रण करता है|”
उत्तर आधुनिकतावाद विचारक-
उत्तर आधुनिकतावादी मिशेल फूको “राजनीति शक्ति आधारित उत्पीड़न और शोषण की प्रक्रिया है|”
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ “राजनीति धूर्तो का अंतिम आश्रय है|”
टी ब्रेनन ने इसे संभाव्य की कला कहा है|
बिस्मार्क “राजनीति संभावना की कला है|”
बर्टेंड जोविनेल (Pure Theory of Politics 1963) “विवाद ही राजनीति की जड़ है|”
हेनरी एडम्स “राजनीति घृणितो का व्यवस्थित संगठन है|”
बेंटले (The Process of Government 1908) “राजनीति अन्तर्समूहो का संघर्ष (Inter group conflict) है|”
हन्ना आरेण्ट (परंपरावादी विचारक, पुस्तक- The Human Condition 1958 ) “राजनीति स्वतंत्र और समान नागरिकों के बीच अंतर्क्रिया है|” अर्थात यह सार्वजनिक गतिविधि है|
माइकल ऑकशॉट “राजनीति एक सीमाहीन समुद्र है, अर्थात राजनीति ऐसी गतिविधि है, जिसमें लोग असीम व गहरे समुद्र में तैरते हैं, उसमें शरण लेने के लिए न तो कोई बंदरगाह है, न आश्रय स्थल| उसका न आरंभ होता है न अंत| सारी कोशिश जहाज को संतुलित रखते हुए तैरते रहना है| समुद्र में मित्र व शत्रु दोनों है|”
अर्नेस्ट बार्कर “राजनीति नैतिकता का ही व्यापक रूप है|”
क्वन्सी राइट “राजनीति समूहों को नियंत्रित या प्रभावित करने की कला है, ताकि दूसरों के विरुद्ध कुछ लोगों के उद्देश्यों की वृद्धि हो सके|”
जी स्टोकर (Why Politics Matters: Making Democracy Work 2006) “राजनीति को निराश करने के लिए बनाया गया है, इसके परिणाम अक्षर गड़बड़, अस्पष्ट और कभी अंतिम नहीं होते|”
जॉन डन “राजनीति लगातार निराशाजनक है|”
अर्नाल्ड ब्रेख्त (जर्मन न्यायविद) “राजनीति अंतरवैयक्तिक संचारणीय ज्ञान है|”
सर अर्नेस्ट बैन ने मजाक में कहा है कि “राजनीति किसी भी समस्या को ढूंढ निकालती है, चाहे उसका अस्तित्व हो या ना हो, फिर उसका गलत कारण बताने व उसका गलत हल ढूंढ निकालने की कला है|’
वाल्टर लिपमैन “कोई भी राजविज्ञान को बहुत गंभीरता से नहीं देखता, क्योंकि कोई भी इस बात से कायल नहीं होता कि वह एक विज्ञान है या उसका राजनीति पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव है, संभवत स्वयं राजविज्ञानी भी नहीं|”
राजनीति की तीन आधारभूत संकल्पनाएं-
शक्ति- इसमें वैधता, प्राधिकार शामिल हैं|
व्यवस्था- इसमें राज्य, सरकार, प्रशासन शामिल है|
न्याय
सिद्धांत का अर्थ-
सिद्धांत के अंग्रेजी पर्यायवाची शब्द Theory की उत्पत्ति यूनानी या ग्रीक भाषा के Theoria से हुई है, जिसका अर्थ एक सुकेंद्रित मानसिक दृष्टिकोण है, अर्थात मनन की अवस्था में समझने या ग्रहण करने के लिए गंभीरता पूर्वक सोच विचार करना|
अर्नाल्ड ब्रेख्त (What is theories) के अनुसार सिद्धांत शब्द की व्यापक एवं संकीर्ण व्याख्या हो सकती है|
व्यापक अर्थ में किसी विचारक के समस्त विचार, जिसमें तथ्यों का वर्णन, व्याख्या, विचारक का इतिहास बोध, उनके मूल्य और उनके उद्देश्य, नीतियां तथा मूल तत्वों से संबंधित दूसरे सभी तत्व शामिल हैं|
संकीर्ण अर्थ में विचारों की व्याख्या है|
सिद्धांत का आधार चिंतन होता है, सिद्धांत व्यवहार नहीं है|
राजनीति सिद्धांत का अर्थ-
राजनीति के विविध पक्षों के व्यवस्थित अध्ययन को राजनीतिक सिद्धांत कहते हैं|
किसी घटना की व्याख्या करना, घटना का औचित्य बताना आदि राजनीतिक सिद्धांत से संबंधित है|
सेबाइन “व्यापक तौर पर राजनीति सिद्धांत का अर्थ उन सब बातों से है, जो कि राजनीति से संबंधित है या प्रासंगिक है और संकीर्ण दृष्टि से इसका अर्थ राजनीतिक समस्याओं की विधिवत छानबीन से है|”
सेबाइन ने अपने लेख What is Political Theory में राजनीति सिद्धांत को ‘चिर स्थाई महत्व का विषय’ बताया है|
सेबाइन “राजनीति सिद्धांत राजनीतिक समस्याओं का अनुशासित अन्वेषण है|’
एंड्रयू हैकर “राजनीति सिद्धांत में तथ्य और मूल्य दोनों समाहित हैं, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं|”
एंड्रयू हैकर “राजनीति सिद्धांत एक ओर बिना किसी पक्षपात के अच्छे राज्य तथा समाज की तलाश है, तो दूसरी ओर राजनीतिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं की पक्षपात रहित जानकारी की तलाश है|”
एंड्रयू हैकर “राजनीतिक सिद्धांत आवेगहीन तथा तटस्थ क्रियाकलाप है|”
लियो स्टार्स “राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक मामलों के स्वरूप को जानने के लिए सच्चा प्रयास है|”
काइडन- इन्होंने सिद्धांत को बौद्धिक आशुलिपि कहा है, जिसके द्वारा शीघ्र एवं प्रभावपूर्ण ढंग से विचार विनियम में किया जा सकता है|
मीहान “सिद्धांत मूल रूप से एक विचारात्मक उपकरण या बौद्धिक टूल (Intellectual tool) है, जिससे राजनीतिक जीवन के तथ्यों को सुव्यवस्थित व क्रमबद्ध किया जाता है|
कार्ल पॉपर ने सिद्धांत को एक प्रभार का जाल बताया है, जिससे जगत को पकड़ा जा सके ताकि उसको समझा जा सके|
कोहेन “सिद्धांत शब्द एक खाली चेक के समान है, जिसका संभावित मूल्य उसके उपयोगकर्ता एवं उसके उपयोग पर निर्भर है|”
रॉबर्ट डहल “सिद्धांत चरों के सेट में वर्तमान अंत:संबंधों का सामान्यीकृत कथन है|”
ब्लूम “सिद्धांत अंत: संबंधित व्याख्यात्मक प्रस्तावना की व्याख्या है|”
बर्टेंड जूवेनल- फ्रांसीसी विचारक बर्टेंड जूवेनल ने अपनी पुस्तक Pure Theory of Politics 1963 में राजनीति के विशुद्ध सिद्धांत की धारणा दी है, इसका अर्थ है कि राजनीति का आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की तरह यथार्थ राजनीति की जटिलताओं में उलझे बिना विशुद्ध वैचारिक दृष्टि का अध्ययन किया जाना चाहिए|
कार्ल मार्क्स ने सिद्धांत को बौद्धिकीकरण या तार्किकरण की प्रक्रिया माना है| राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक तथ्यों से पूर्व का ही नहीं, अपितु पश्चात का भी विषय है|
केटलिन “राजनीतिक सिद्धांत में सामान्य समझ एवं मूल्य निर्धारण दोनों शामिल हैं|
गार्नर “राजनीति सिद्धांत उन लोगों के अंतज्ञान, आंकड़ों और सूझबूझ को एक संगत व्याख्यात्मक राजनीतिक जीवन या राजनीतिक व्यवहार के सिद्धांतों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है, जो राजनीतिक जीवन की वास्तविकताओं का अध्ययन करते हैं तथा जिनके आधार पर भविष्यवाणियां की जा सकती हैं|”
डेविड हेल्ड “राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक जीवन विषयक अवधारणा और सामान्य सिद्धांतों का बुना हुआ जाल है, जिसमें हम सरकार, राज्य और समाज की मुख्य विशेषताओं, उनकी प्रकृति व उद्देश्य से संबंधित विचारों, मान्यताओं तथा मनुष्य के राजनीतिक सामर्थ्य का अध्ययन करते हैं|”
हन्ना आरेण्ट “व्याख्यात्मक और मानकीय कार्य राजनीतिक सिद्धांत की विशेषताएं हैं|”
भीखु पारेख “मानवीय व्यवहार और सामाजिक बदलाव के सबसे सामान्य स्वरूप के बारे में अंतर्दृष्टि और समझ को राजनीतिक सिद्धांत की चिंतनशील भूमिका कहते हैं|”
बल्हम “राजनीति सिद्धांत राजनीति विषयवस्तु की व्याख्या है, राजनीति सिद्धांत विश्व के लिए एक वैचारिक ढांचा है, संदर्भो की व्यवस्था है, जिसके बिना हम किसी घटना को यह भी नहीं कह पाएंगे कि वह राजनीतिक थी या नहीं, क्यों घटित हुई अथवा अच्छी थी या बुरी, न हीं इस बात का अनुमान कर पाएंगे कि अब आगे क्या होगा|”
राजनीतिक विज्ञान कोश “राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक घटनाचक्र का मूल्यांकन, उनकी व्याख्या और भविष्यवाणी करने वाले चिंतन का समूह है| राजनीतिक शास्त्र के उपक्षेत्र के रूप में इसका संबंध राजनीतिक विचारों, मूल्यों व संकल्पनाओं और राजनीतिक व्यवहार की व्याख्या तथा भविष्यवाणी से है|”
अर्नाल्ड ब्रेख्त ने केवल वैज्ञानिक राजनीतिक सिद्धांत का समर्थन किया है| इन्होंने वैज्ञानिक मूल्य सापेक्षवाद का प्रतिपादन किया है. अर्थात सिद्धांत निर्माण में तथ्य व मूल्य दोनों होते हैं|
डेविड ईस्टन ने सिद्धांत निर्माण के लिए अवधारणात्मक विचारबंध या वैचारिक रूपरेखा (Conceptual framework) का विचार दिया है|
राजनीति सिद्धांत का संबंध राजनीतिक क्षेत्र से है, अर्थात व्यक्ति का राजनीतिक जीवन, उसका राजनीतिक व्यवहार तथा विचार, उसके द्वारा स्थापित सरकार तथा सरकार के कार्यकलाप|
राजनीति सिद्धांत का उद्देश्य एक अच्छे समाज में एक अच्छे राज्य का निर्माण करना है|
राजनीति सिद्धांत किसी घटनाचक्र के अध्ययन के लिए विवरण, व्याख्या और अन्वेषण की विधियों का प्रयोग करता है|
राजनीतिक सिद्धांत में संपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था का समावेश होता है|
यह राजनीतिक गतिविधियों की प्रक्रियाओ व प्रभावो का औपचारिक और क्रमबद्ध विश्लेषण है|
राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक तथ्यों को व्याख्या, क्रमबद्धता व अर्थ प्रदान करता है|
राजनीतिक सिद्धांत के कार्य क्षेत्र और विषय वस्तु का संबंध राजनीतिक विश्व के घटनाक्रम से भी है अर्थात इसमें राष्ट्र-राज्यों, अंतरराष्ट्रीय कानून, विश्व राजनीतिक अर्थव्यवस्था का शासन तंत्र पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है|
राजनीति सिद्धांत का नकारात्मक अर्थ-
नकारात्मक अर्थ में राजनीतिक सिद्धांत में राजनीति को सामान्यता तिकड़मी, छल कपट, षड्यंत्र, अविश्वास, सनकी व्यवहार जैसे तत्वों से जोड़ा जाता है|
राजनीति सिद्धांत के तत्व-
अर्नाल्ड ब्रेच (ब्रेख्त) के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत की प्रमुख इकाई-
समूह- राजनीतिक सिद्धांत का आधार व्यक्ति ना होकर, व्यक्तियों का समूह होता है|
संतुलन व समन्वय- विभिन्न समूहों के हितों में टकराव होता है, राजनीतिक सिद्धांत में हम परस्पर विरोधी हितों में संतुलन और समन्वय का अध्ययन करते हैं|
अवधारणाएं- राजनीतिक सिद्धांत का संबंध शक्ति, प्रभाव, नियंत्रण और न्याय जैसी अवधारणाओं से रहता है|
दर्शन और व्यावहारिकता- राजनीति सिद्धांत दर्शन और व्यावहारिकता का समन्वय है|
चयन और निर्णय प्रक्रिया-राजनीतिक सिद्धांत में चयन और निर्णय प्रक्रियाओं का अध्ययन होता है, इनके अध्ययन से शक्ति कहां केंद्रित है का पता चलता है|
विशिष्ट वर्ग -राजनीतिक सिद्धांत में राजनीतिक कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों का अध्ययन करते हैं| कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों के समूह को विशिष्ट वर्ग कहा जाता है|
शेल्डन वोलिन के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत का विषय-सार-
इन्होंने राजनीति के विषय-सार में तीन तत्वों का वर्णन किया है-
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो समूहों, व्यक्तियों अथवा समाजों के बीच प्रतियोगी लाभ प्राप्ति के इर्द-गिर्द घूमती है|
यह एक ऐसी प्रक्रिया है ,जो परिवर्तन तथा अभाव की परिस्थितियों के दायरो द्वारा प्रभावित होती है |
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे प्राप्त लाभ व इनके निष्कर्ष संपूर्ण समाज अथवा उसके एक भाग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं|
एंड्रयू हैकर- राजनीतिक सिद्धांत में दो बातें हैं-
विचारों का इतिहास
राजनीतिक व्यवहार का व्यवस्थित अध्ययन
सेबाइन-
पुस्तक- A History of Political Theory 1937
इनके अनुसार एक अच्छे राजनीतिक सिद्धांत में तीन बातें शामिल होती है-
तथ्यात्मकता
मूल्यात्मकता
कारणात्मकता
डेविड ईस्टन- इनके अनुसार राजनीतिक सिद्धांत के तीन तत्व है-
मूल्य या आदर्श
मूल्यों को प्राप्त करने वाले साधन
चयनित लक्ष्य व साधनों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करने का प्रयास
मीहान के अनुसार- इनके अनुसार विश्लेषणात्मक दृष्टि से मानव समाज संबंधी राजनीतिक विचारों में तीन तत्व होते हैं-
वर्णन
व्याख्या
मूल्यांकन
राजीव भार्गव के अनुसार-
भार्गव के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत शब्द आधारित व्यवस्थित चिंतन है|
भार्गव के अनुसार एक महा राजनीतिक सिद्धांत हो सकता है, जिसमें ऐसे मूल्य हो सकते हैं, जो पूरी मानवता को दिशा दें|
इनके अनुसार राजनीतिक सिद्धांत में तीन बातें होती है-
निर्देशात्मकता
मानकीयता
नैतिकता
राजनीति सिद्धांत की प्रकृति-
प्रकृति के बारे में निम्न विचार पाए जाते हैं-
राजनीति सिद्धांत इतिहास है-
राजनीतिक सिद्धांत को इतिहास जार्ज सेबाइन ने कहा है|
सीले “इतिहास के माध्यम से ही राजनीति सिद्धांत क्या है, की व्याख्या होती है|”
इतिहास के संदर्भ में राजनीतिक सिद्धांत भविष्य की घटनाओ की भविष्यवाणी करने में महत्वपूर्ण है|
राजनीतिक सिद्धांत विज्ञान है-
डहल व डेविड ईस्टन राजनीति सिद्धांत को विज्ञान कहा है|
विज्ञान के संदर्भ में यह तथ्यों और अवधारणाओं की जांच करता है|
राजनीति सिद्धांत दर्शन है-
लियो स्टार्स ने राजनीति सिद्धांत को दर्शन कहा है|
दर्शन के संदर्भ में तत्वों की प्रकृति, अच्छाई, बुराई का विवेचन करता है|
राजनीतिक सिद्धांत के प्रकार-
कैटलिन के अनुसार-
राजनीतिक सिद्धांत में सामान्य समझ एवं मूल्य निर्धारण दोनों शामिल है, कैटलिन राजनीति के दो भाग बताता है-
व्यवहार
सिद्धांत
राजनीति दर्शन
राजनीति विज्ञान
मीहान के अनुसार- दो प्रकार
पुराने सिद्धात- मूल्य, विचारधारा, चिंतन, दर्शन पर आधारित
नए सिद्धात- अनुभव, तथ्यों पर आधारित
मीहान के अनुसार नए व पुराने का वर्गीकरण सबसे पहले डेविड ईस्टन ने किया|
डेविड ईस्टन के अनुसार- 2 भाग
मूल्य सिद्धांत-
इसका संबंध परंपरागत सिद्धांत से है, जो आदर्शात्मक है|
डेविड ईस्टन आदर्शात्मक सिद्धांतों को रचनात्मक मूल्य सिद्धांत कहते हैं|
डेविड ईस्टन “हम अपने मूल्यों को कोट की तरह उतार कर नहीं फेंक सकते|”
कारणात्मक सिद्धात-
यह आधुनिक राजनीति सिद्धांत से संबंधित है|
इसका संबंध राजनीतिक व्यवहार से संबंधित व्यवस्थित आनुभाविक ज्ञान से है|
डेविड ईस्टन “शोध व सिद्धांत घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं, अगर शोध से सामान्य सिद्धांत का निर्माण नहीं करके केवल समरूपताओं की अंधाधुंध खोज हो और तथ्यों के ढेर लग जाए तो यह अनगढ़ अनुभववाद की ओर ले जाएगा|”
डेविड ईस्टन “प्राकृतिक विज्ञानो की अपरिपक्व और गुलाम मानसिकता से की गई नकल से सामाजिक विज्ञान विज्ञानवाद का शिकार हो जाएगा|”
डेविड ईस्टन “शैक्षिक दृष्टि से राजनीतिक सिद्धांत बढ़ते हुए अति तथ्यवाद या आंकड़ेबाजी से निपटने में सहायता दे सकता है|
राजीव भार्गव के अनुसार- तीन प्रकार
व्याख्यात्मक या वर्णनात्मक सिद्धांत
मानकीय सिद्धांत
चिंतन मूलक सिद्धांत
राजीव भार्गव ने सिद्धांतों को छोटे सिद्धांत (व्याख्यात्मक व मानकीय) व व्यापक सिद्धांत (व्याख्यात्मकता, मानकीयता, चिंतन मूलकता ) में भी बांटा है|
डेविड ईस्टन ने नैरोगेज सिद्धांत व ब्रॉडगेज सिद्धांत की चर्चा की|
भीखु पारेख के अनुसार 1950 और 1960 के दशक में राजनीतिक सिद्धांत विचारक केंद्रित थे व 1990 के बाद विचार केंद्रित हो गए हैं|
राजनीतिक सिद्धांत के कार्य-
राजनीतिक सिद्धांत के तीन प्रमुख कार्य है-
समालोचना
पुनः निर्माण
वर्णन या व्याख्या
समालोचना- मनुष्य अपने जीवन और परिवेश को उन्नत करने के लिए समाज व्यवस्था का निर्माण करता है, कोई भी समाज व्यवस्था सर्वगुण संपन्न नहीं होती है, अतः प्रचलित व्यवस्था की आलोचना शुरू हो जाती है| यह समालोचना है|
पुनः निर्माण- आलोचना से नई व्यवस्था के निर्माण के सुझाव आते हैं तथा नई सामाजिक व्यवस्था का निर्माण होता है, यह पुनर्निर्माण है|
वर्णन या व्याख्या- इसमें नई सामाजिक व्यवस्था की व्याख्या या वर्णन वैज्ञानिक पद्धति से की जाती है|
Note- समालोचना व पुनः निर्माण के कार्य राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत आते हैं तथा व्याख्या कार्य राजनीतिक विज्ञान के अंतर्गत आता है|
राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन क्षेत्र व पद्धतियां-
वैज्ञानिक पद्धति-
इस पद्धति में वस्तुस्थिति तथा तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है| इसमें तथ्यों का निरीक्षण एवं नियमों का अन्वेषण किया जाता है|
राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन में इस पद्धति के प्रयोग से राजनीतिक विज्ञान का जन्म होता है|
मानकीय पद्धति-
इस अध्ययन पद्धति में मानव जीवन की विभिन्न स्थितियों के संदर्भ में क्या होना चाहिए का अध्ययन किया जाता है|
इसमें मानव जीवन के प्रयोजन, लक्ष्य, आदर्श निर्धारित किए जाते हैं|
इसमें प्रचलित व्यवस्था की आलोचना की जाती है और सामाजिक पुनर्निर्माण की योजना प्रस्तुत की जाती है|
दार्शनिक पद्धति-
इस पद्धति में विश्व और मानव समाज की गुत्थीयों को सुलझाने के लिए बुनियादी संकल्पनाओं का निर्माण किया जाता है|
इसमें जो बातें निरीक्षण से परे हैं, उन्हें समझने के लिए हम तर्क पर आधारित विचार प्रणाली का निर्माण करते हैं|
राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन में मानकीय और दार्शनिक पद्धतियों के सहयोग से राजनीतिक दर्शन का जन्म होता है|
राजनीति सिद्धांत के अंग या शाखाएं-
राजनीतिक सिद्धांत के दो अंग है-
राजनीतिक दर्शन (Political Philosophy)
राजनीतिक विज्ञान (Political Science)
राजनीतिक दर्शन-
इसको परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत भी कहते हैं|
दांते जर्मिनो परंपरागत सिद्धांत को अन्वेषण की परंपरा के रूप में स्पष्ट करते हैं, अर्थात इसके तहत अच्छे समाज, अच्छी शासन व्यवस्था, व्यक्ति-राज्य संबंध आदि विषय की खोज व अन्वेषण किया जाता है|
इसका संबंध परंपरागत, आदर्शात्मक या मानकीय राजनीति से है|
यह निर्देशात्मक है|
इसकी प्रकृति सार्वभौमिक होती है| जैसे-प्लेटो के न्याय की अवधारणा सर्वकालिक व सार्वभौमिक है|
राजनीतिक दर्शन मूल्यांकनपरकता पर आधारित होता है| डी डी रफेल “राजनीतिक दर्शन का मुख्य कार्य विश्वासो का आलोचनात्मक मूल्यांकन है|” दांते जर्मिनो के अनुसार “राजनीति शास्त्र सचमुच का आलोचना शास्त्र है|”
राजनीतिक दर्शन आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ होता है, अर्थात प्रत्येक विचारक की अपनी अंतर्दृष्टि होती है, अपने कुछ आदर्श व मूल्य होते हैं|
राजनीति दर्शन का लक्ष्य उत्तम जीवन की प्राप्ति है|
राजनीति दर्शन का सरोकार तथ्यों व मूल्यों दोनों से है, लेकिन यह मूल्यों पर ज्यादा बल देता है और क्या होना चाहिए पर आधारित है||
राजनीतिक दर्शन का जनक प्लेटों को माना जाता है|
इसका प्रभाव प्राचीन काल से द्वितीय विश्वयुद्ध तक रहा|
राजनीतिक दर्शन द्वितीयक आंकड़ों (पुस्तकों से लिए गए) का अध्ययन करता है|
यह समष्टिवादी है, अध्ययन की बड़ी इकाई (जैसे राज्य) का अध्ययन करता है|
यह समस्याओं के अध्ययन में अधिक रुचि लेता है|
व्यवहारवादियों के अनुसार इसका पतन हो रहा है|
यह मूल्य तथा नैतिकता पर अधिक बल देता है|
राजनीतिक दर्शन के अध्ययन में चिंतन मूलक पद्धति की प्रधानता रहती है
चिंतन मूलक पद्धति-
ज्ञान प्राप्त करने का वह तरीका जिसमें तर्कशक्ति के आधार पर किसी विषय से संबंधित सारे पक्षों, पक्षों के परस्पर संबंधों, प्रभावों और परिणामों पर विचार किया जाता है|
इस पद्धति से भिन्न-भिन्न विचारको का एक ही विषय पर भिन्न-भिन्न मत होता है|
राजनीतिक दर्शन में यह निर्धारित किया जाता है, कि मनुष्य राजनीतिक स्थिति में क्या-क्या करते हैं और उन्हें क्या-क्या करना चाहिए| जैसे प्लेटो ने अपने युग की राजनीतिक त्रुटियों का विवरण देने के बाद न्याय की स्थापना के लिए आदर्श राज्य व्यवस्था का निरूपण किया था|
राजनीतिक दर्शन में तथ्यों का निरीक्षण करने के बाद शुभ-अशुभ, उचित-अनुचित के बारे में विवेक का प्रयोग करके वस्तुस्थिति की समालोचना करते हैं|
राजनीतिक दर्शन अवधारणाओं या संकल्पनाओं के स्पष्टीकरण में सहायता देता है|
जहां मूल्यों का विश्लेषण राजनीतिक दर्शन के आलोचनात्मक कृत्य का सूचक है, वही संकल्पनाओं या अवधारणाओं का स्पष्टीकरण इसके बौद्धिक कृत्य का सूचक है|
राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत संकल्पनाएँ, अनुभवातीत व मूल्य निर्णय से जुड़ी होती हैं|
राजनीतिक दर्शन उन शाश्वत समस्याओं से संबंधित है, जिनका सामना मानव अपने सामाजिक जीवन में करता है|
संकल्पना जैसे- प्राकृतिक कानून, प्राकृतिक अधिकार, मानवीय गरिमा आदि|
मूल्य निर्णय जैसे- शुभ-अशुभ, उचित-अनुचित आदि|
राजनीतिक विज्ञान-
इसको आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत या आनुभाविक राजनीतिक सिद्धांत या वैज्ञानिक राजनीतिक सिद्धांत भी कहा जाता है
राजनीति विज्ञान का जनक अरस्तु को माना जाता है|
इसका प्रभाव द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद व्यवहारवाद के साथ देखा जाता है|
इसका प्रभाव विशेष रुप से अमेरिकन विद्वानों में देखा जाता है|
राजनीति के अध्ययन के लिए विश्व में पहला अध्ययन केंद्र 1871 में पेरिस में ‘द फ्री स्कूल ऑफ़ पोलिटिकल साइंस’ स्थापित किया गया|
राजनीति विज्ञान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग गॉडविन ऑस्टिन और मेरी वुलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी पुस्तक An Enquiry Concerning Political Justice 1793 में किया था|
अमेरिकन हरबर्ट बॉक्सटर ऐडम्स ने 1877 में हिस्टोरिकल एंड पॉलीटिकल साइंस एसोसिएशन की स्थापना के समय राजनीति विज्ञान शब्द का प्रयोग किया| इनको राजनीती विज्ञान को सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में एक विषय के रूप में महत्वपूर्ण बनाने का श्रेय दिया जाता है|
1886 में स्कूल ऑफ़ पोलिटिकल साइंस कोलंबिया (प्रो जॉन W बर्गस) ने द पॉलिटिकल साइंस कवाटरनली जनरल का आरंभ किया|
1903 में अमेरिकन पॉलीटिकल साइंस एसोसिएशन की स्थापना हुई तथा इसने 1906 में अमेरिकन पॉलिटिकल साइंस रिव्यू नामक जनरल का प्रारंभ किया|
यूनेस्को के अंतर्गत इंटरनेशनल पॉलिटिकल साइंस की स्थापना 1949 में की गई|
राजनीति विज्ञान के समर्थक राजनीति के अध्ययन को स्वाधीन विषय के रूप में विकसित करना चाहते थे|
राजनीति विज्ञान तथ्य, वैज्ञानिकता पर बल देता है|
इसमें वस्तुनिष्ठ अध्ययन पर बल दिया जाता है|
यह प्राथमिक आंकड़ों (स्वयं के आंकड़े) पर बल देता है|
यह व्यष्टिवादी है, अर्थात अध्यन की छोटी इकाई पर बल देता है|
यह प्रक्रियाओं और व्यवहार पर बल देता है|
यह राजनीतिक संस्थाओं के बजाय राजनीतिक प्रक्रिया का विश्लेषण करता है|
राजनीति विज्ञान का अध्ययन अनुभवमूलक वैज्ञानिक पद्धति से किया जाता है|
राजनीतिक विज्ञान मनुष्यो व समूहों के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है|
राजनीतिक विज्ञान निर्देशात्मकता की बजाय वर्णनात्मक होता है|
यह व्याख्यात्मक होता है|
राजनीतिक दर्शन का सरोकार तथ्यों के साथ-साथ आदर्शों, मानको, मूल्यों से भी है, जबकि राजनीति विज्ञान का सरोकार केवल यथार्थ या तथ्यों से है|
राजनीतिक दर्शन में अनेक व्याख्याएं और अनेक मान्यताएं साथ- साथ रहती हैं, जबकि राजनीति विज्ञान में कोई नई व्याख्या स्वीकार कर ली जाती है तो पुरानी व्याख्या त्याग दी जाती है|
एंड्रयू हैकर “परंपरागत राजनीति मुख्य रूप से मानकात्मक है, इसलिए इसका प्रतिपादक राजनीतिक दार्शनिक जैसा लगता है, आधुनिक राजनीति मुख्यतः व्यवहारात्मक व आनुभाविक है, अतः इसका प्रतिपादक राजनीतिक वैज्ञानिक जैसा लगता है|”
राजनीतिक सिद्धांत का महत्व या उपयोगिता-
जर्मिनो “राजनीतिक सिद्धांत एक विज्ञान है, पर ऐसा विज्ञान नहीं जिसमें सभी प्रकार के नियमों की जांच करके उन्हें सिद्ध किया जा सके, यह तो समाजशास्त्र की कसौटी पर उतरने वाला विज्ञान है|”
प्लमनाज (द यूजेस ऑफ पॉलिटिकल थ्योरी) “राजनीतिक सिद्धांत न तो कल्पना उड़ान है, न हीं पूर्वाग्रहो का प्रदर्शन या कोई बौद्धिक खिलवाड़|”
डेविड ईस्टन के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत, एक विज्ञान के रूप में निम्न कार्य करता है-
महत्वपूर्ण राजनीतिक कारकों की पहचान और उनके अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करना|
विभिन्न शोधकर्ताओं के बीच सैद्धांतिक रूपरेखा पर आम सहमति बनाना|
एक सैद्धांतिक रूपरेखा या कम से कम सुसंगत संकल्पना के समूह का निर्माण करना|
सी राइट मिल्स के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत का महत्व-
राजनीतिक सिद्धांत सामाजिक वास्तविकता है, अर्थात जो कुछ संस्थाओं और कार्यों को उचित ठहराता है तथा अन्य पर प्रहार करता है|
यह एक नीतिशास्त्र है, अर्थात आदर्शों की वह रूपरेखा है, जिसके आधार पर मनुष्यो, घटनाओं, आंदोलनों को परखा जाता है|
यह एक क्रिया है, जो कि संस्थाओं, सुधार, क्रांति और संरक्षण के साधनों का निर्धारण करता है|
राजनीतिक सिद्धांत से हम मनुष्य, समाज और इतिहास का अध्ययन करते हैं|
राजनीतिक सिद्धांत का निम्न महत्व या उपयोगिता है-
राजनीतिक सिद्धांत ऐतिहासिक क्रांतियों का प्रेरणा स्रोत है| जैसे लोकतंत्र, अंतर्राष्ट्रीय न्याय, व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए क्रांति|
लेस्ली स्टीफेन “राजनीतिक दर्शन साधारणत: किसी नई-नई क्रांति की संतान या आने वाली क्रांति का संकेत होता है|”
डेनिंग “जब कोई राजनीतिक प्रणाली, राजनीतिक दर्शन के रूप में ढल जाती है तो यही स्थिति आमतौर पर उस प्रणाली का मृत्यु का संदेश होती है|”
राजनीतिक सिद्धांत परस्पर सम्मान और सहिष्णुता को प्रोत्साहन देते हैं|
राजनीतिक सिद्धांत पारिभाषिक शब्दावली का अर्थ निर्धारण और संकल्पनाओं का स्पष्टीकरण करता है|
डीडी रफेल ने अपनी पुस्तक प्रॉब्लम्स ऑफ पॉलिटिकल फिलोसोफी 1976 में कहा कि “संकल्पनाओं का स्पष्टीकरण का कार्य घर की सफाई जैसा है|”
राजनीतिक सिद्धांत से इतिहास की व्याख्या और सामाजिक पुनर्निर्माण में सहायता मिलती है|
राजनीतिक सिद्धांत से राजनीतिक तर्क का निर्माण और परीक्षण में सहायता मिलती है|
राजनीतिक सिद्धांत शासन प्रणालियों को वैधता प्रदान करते हैं|
सामाजिक परिवर्तनो को समझने और उसकी व्याख्या करने में राजनीतिक सिद्धांत सहायक होते हैं|
राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक समस्याओं के समाधान में सहायक होते हैं|
राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक आंदोलनों में सहायक होता है|
राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक चेतना की वृद्धि में सहायक है|
राजनीतिक सिद्धांत विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों का औचित्य प्रमाणित करने में सहायक होता है|
राजनीतिक सिद्धांत वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करने में सहायक होता हैं|
राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक संस्थाओं और मानव व्यवहार का अध्ययन करने में उपयोगी होता है|
राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक विचारधाराओं की भविष्यवाणी करने में सहायक होता है|
राजनीतिक सिद्धांत विज्ञान नहीं है-
समर्थक- चार्ल्स बियर्ड, बक्ल, मेटलैंड, जे एस मिल, बर्क आदि|
मेटलैंड “जब मैं राजनीतिक विज्ञान शीर्षक से युक्त किसी परीक्षा प्रश्नों को देखता हूं, तो मुझे प्रश्नों से नहीं बल्कि शीर्षक से खेद होता है|”
बर्क “जैसे सौंदर्यशास्त्र विज्ञान नहीं है, वैसे ही राजनीति का विज्ञान भी नहीं है|”
राजनीति सिद्धांत एक कला है-
समर्थक- बक्ल, ब्लंटशली, गेटेल, फ्रेडरिक पोलक, बिस्मार्क आदि|
बिस्मार्क “राजनीति विज्ञान नहीं, कला है|”
कैटलिन ने राजनीति सिद्धांत को कला, दर्शन और विज्ञान तीनों रूप में स्वीकार किया है|
Note “अर्नाल्ड ब्रेच का मत है कि राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विज्ञान एक दूसरे के पर्याय नहीं हैं|”
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