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ब्रिटेन का प्रधानमंत्री / Prime Minister of Britain In Hindi || BY Nirban PK Sir


ब्रिटेन का प्रधानमंत्री

    • ब्रिटिश शासन व्यवस्था में व्यवहार में प्रधानमंत्री ही सर्वोच्च कार्यपालिका का अध्यक्ष है|

    • सम्राट एक प्रतीकात्मक प्रधान है, जिसकी संपूर्ण शक्तियों का प्रयोग मंत्रिमंडल करता है| 

    • इस प्रकार मंत्रिमंडल ब्रिटेन की वास्तविक कार्यपालिका है और प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का प्रधान है|

    • इस कारण प्रधानमंत्री शासन व्यवस्था का केंद्र है और उसकी स्थिति सर्वाधिक महत्वपूर्ण है| 

    • ब्रिटेन के शासन में प्रधानमंत्री की स्थिति इतनी अधिक महत्वपूर्ण और केंद्रीय है कि वर्तमान में कुछ विद्वानों द्वारा ब्रिटिश सरकार को मंत्रिमंडलीय सरकार के स्थान पर प्रधानमंत्री सरकार कहा जाने लगा है| 

    • R H S क्रोसमैन “युद्धोत्तर कॉल में मंत्रिमंडलीय शासन प्रधानमंत्री के शासन में परिणित हो रहा है|”

    • फाइनर (पुस्तक- कंपैरेटिव गवर्नमेंट) “आजकल कुछ क्षेत्रों में ब्रिटिश सरकार को मंत्रिमंडलीय सरकार के स्थान पर प्रधानमंत्री सरकार तक कहा जाने लगा है|”

    • फिर भी ब्रिटेन में प्रधानमंत्री निरंकुश नहीं है, क्योंकि उस पर अपने दल के कार्यकर्ताओं, संसद और जनता का निरंतर अंकुश बना रहता है|

    • लॉर्ड मार्ले “प्रधानमंत्री समान पद वालों में प्रथम है|”

    • रैम्जे म्योर “प्रधानमंत्री का अधिकार क्षेत्र इतना व्यापक है और उसकी स्थिति अपने साथियों से इतनी उच्च है कि उसे अधिनायक कहा जा सकता है|” 

    • लॉस्की “प्रधानमंत्री अपनी शक्तियों और अपने अधिकारों के कारण समान पद वालों में प्रथम से अधिक तो है, परंतु अधिनायक कदापि नहीं है|”

    • फाइनर “प्रधानमंत्री कोई सीजर नहीं है और ना ही उसकी स्थिति ऐसी है, जिसे चुनौती नहीं दी जा सके| प्रधानमंत्री की सत्ता का सबसे बड़ा आधार यह है कि वह राष्ट्र की कितनी सेवा कर सकता है| किसी भी समय उसके प्रतिद्वंदी उसका स्थान ग्रहण कर सकते हैं|”



    प्रधानमंत्री पद की अनौपचारिकता-

    • ब्रिटेन के अन्य संस्थानों की भांति प्रधानमंत्री पद भी अनौपचारिक है, उसका कोई कानूनी आधार नहीं है|

    • प्रधानमंत्री पद की उत्पत्ति परंपरा अथवा अभिसमयों की देन रही है|

    • जब सम्राट जार्ज प्रथम ने कैबिनेट की बैठक में सम्मिलित होना बंद कर दिया, तो कैबिनेट को अध्यक्षता के लिए पदाधिकारी की आवश्यकता अनुभव हुई| यह पदाधिकारी कैबिनेट का प्रधान ही हो सकता था और इसी से प्रधानमंत्री पद का उदय हुआ|

    • इस प्रकार 1721 में नियुक्त वालपॉल ब्रिटेन का प्रथम प्रधानमंत्री था|

    • 1878 से पहले किसी सरकारी प्रपत्र में प्रधानमंत्री पद का नाम भी नहीं आया था| 

    • 1878 में पहली बार प्रधानमंत्री पद का उल्लेख हुआ, जब लॉर्ड विकंसफ़ील्ड ने बर्लिन संधि पर हस्ताक्षर करते हुए अपने आप को राजकीय कोष का प्रथम लार्ड, इंग्लैंड का प्रधानमंत्री लिखा| 

    • क्राउन मंत्री अधिनियम 1937 में पहली बार कानूनी रूप में प्रधानमंत्री के पद को मान्यता प्रदान की गई| इसमें प्रधानमंत्री व सरकारी कोष के प्रथम लॉर्ड के पद का अस्तित्व स्वीकार किया गया| लेकिन इस कानून में प्रधानमंत्री के कार्यों और शक्तियों का उल्लेख नहीं किया गया है|

    • इस प्रकार प्रधानमंत्री के पद के अधिकारों और उसकी शक्तियों का कोई कानूनी आधार नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री को सभी अधिकार संवैधानिक अभिसमयों से प्राप्त हुए हैं और उन्हीं अभिसमयों से वे मर्यादित भी हैं| इस पर ग्लैडस्टन ने लिखा है कि “इतने बड़े पदार्थ कि इतनी छोटी छाया इतने बड़े संसार में कहीं देखने को नहीं मिलती| अधिकारों और विशेषाधिकारों के औपचारिक दिखावे के बिना इतना अधिक शक्तिशाली व्यक्ति कहीं दिखाई नहीं देता है|”

    • प्रधानमंत्री का सरकारी निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट है| 

    • प्रधानमंत्री के पद की महत्ता के संबंध में फाइनर ने लिखा है कि “कोई नहीं जानता और न कोई इसकी परवाह करता है कि अन्य मंत्री कहां निवास करते हैं, किंतु बेवकूफ से बेवकूफ आदमी 10 डाउनिंग स्ट्रीट के अर्थ जानता है|”



    प्रधानमंत्री की नियुक्ति-

    • संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति सम्राट द्वारा की जाती है, लेकिन व्यवहार में लोकसदन के बहुमत दल के नेता को ही सम्राट के द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है|

    • इस प्रकार प्रधानमंत्री के चुनाव में सम्राट की शक्ति नगण्य है, लेकिन तीन स्थितियां ऐसी है, जिनमें सम्राट स्व-निर्णय के अनुसार कार्य कर सकता है-

    1. जब लोकसदन में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो| इस स्थिति में सम्राट ऐसे व्यक्ति को पदभार संभालने हेतु आमंत्रित करता है, जो अपनी सरकार के लिए लोक सदन का बहुमत प्राप्त करने में सफल हो सके|

    2. जब एक प्रधानमंत्री अचानक त्यागपत्र दे दे या उसकी मृत्यु हो जाए और आंतरिक द्वंद के कारण दल अपना नया नेता चुनने में असमर्थ रहे|

    3. जब संसद में दलीय स्थिति अथवा देश की परिस्थिति के कारण संयुक्त मंत्रीमंडल का बनाया जाना आवश्यक हो जाए, परंतु प्रधानमंत्री के संबंध में विभिन्न दलों में मतैक्य न हो|



    प्रधानमंत्री पद की योग्यताएं-

    • संविधान में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं है, फिर भी व्यवहार में कुछ योग्यताओं का होना आवश्यक है-

    1. प्रधानमंत्री लोकसदन का सदस्य (लार्ड सभा का नहीं) हो, लोकसदन के बहुमत दल का नेता हो अथवा लोकसदन के बहुमत का समर्थन प्राप्त करने में समर्थ हो|

    2. उसमें कुछ विशेष गुणों का होना आवश्यक है जैसे-

    • लॉस्की “विवेक, कौशल, मनुष्यों पर शासन करने की शक्ति, विश्वसनीय व्यक्तियों की पहचान, प्रभावशाली भाषण देने की क्षमता, एक ऐसी महत्वाकांक्षा जो देश की प्रगति करें, व्यक्तियों या कार्यों के बारे में तत्कालीन निर्णय के समय मर्यादित व्यग्रता- यह सब ऐसे गुण हैं, जिनके बिना प्रधानमंत्री का काम नहीं चल सकता|”

    • कार्टर “सर्वप्रथम लोकसदन में व्यक्ति को राजनीतिक नेता के रूप में ख्याति प्राप्त करनी होती है| मंत्रिमंडल की सदस्यता और संभवतः प्रधानमंत्री पद की आकांक्षा साधारणत: व्यक्ति अनेक पदों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत ही प्राप्त कर सकता है|” 



    प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य-

    • ब्रिटेन की शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री की स्थिति सर्वाधिक महत्वपूर्ण है|

    • इसी कारण जेनिंग्स ने प्रधानमंत्री को संपूर्ण विधान की आधारशिला बताया है| 

    • सर सिडनी लो “संसद में निश्चित बहुमत के रहते इंग्लैंड का प्रधानमंत्री वह सब कार्य कर सकता है, जिसको जर्मनी का सम्राट और अमेरिका का राष्ट्रपति भी नहीं कर सकता है, क्योंकि वह कानून में परिवर्तन कर सकता है, करारोपण कर सकता है और उसे समाप्त कर सकता है, वह राज्य की सभी शक्तियों का निर्देशन कर सकता है|” 


    • कोलिन F पैडफिल्ड (पुस्तक- ब्रिटिश कॉन्स्टिट्यूशन) ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के निम्न कार्य बताए हैं-

    1. वह संसद (लोकसदन) में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है|

    2. वह सरकार का प्रधान होता है|

    3. वह कैबिनेट मंत्रियों का चयनकर्ता है|

    4. वह सरकार के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है|

    5. वह मंत्रियों के पदों में परिवर्तन कर सकता है|

    6. वह एक कैबिनेट मंत्री या कैबिनेट स्तर के नीचे के मंत्री को पद से हटा सकता है|

    7. वह कैबिनेट व कैबिनेट समितियों का अध्यक्ष होता है|

    8. वह नीतियों का समन्वय करता है|

    9. वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में राष्ट्र का मुख्य प्रवक्ता होता है|

    10. अंतिम रूप से वह दलीय अनुशासन के लिए उत्तरदायी होता है| मुख्य सचेतक की नियुक्ति करता है|

    11. वह उपाधियां और सम्मान वितरित करता है तथा पियर बनाता है|

    12. वह सम्राट को सरकारी निर्णय से अवगत कराता है और संसद को भंग करने के बारे में परामर्श देता है|


    प्रधानमंत्री के निम्न कार्य व शक्तियां हैं-

    1. मंत्रिमंडल संबंधी कार्य-

    1. मंत्रिमंडल का निर्माण-

    • प्रधानमंत्री मंत्रीमंडल का निर्माण करता है, इसके लिए वह सदस्यों की सूची तैयार करके सम्राट को देता है|

    • प्रधानमंत्री द्वारा सदस्यों की दी गई सूची को ही सम्राट मंत्रियों के रूप में नियुक्त करता है|

    • अर्थात मंत्रियों की नियुक्ति करना सम्राट की औपचारिक शक्ति मात्र है, वास्तव में इसका निर्णय प्रधानमंत्री ही करता है|


    1. मंत्रिमंडल का कार्य संचालन-

    • प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों में विभागों का वितरण करता है|

    • प्रधानमंत्री यह देखता है कि मंत्रिमंडल का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे|

    • समस्त प्रशासन का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री सभी विभागों का निरीक्षण करता है|

    • प्रधानमंत्री, विभिन्न मंत्रियों के बीच उत्पन्न मतभेदो को दूर करता है|

    • प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता और मंत्रीमंडल की समस्त कार्यवाही का संचालन करता है|

    • मंत्रिमंडल के निर्णयों और नीति निर्धारण में प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण योगदान रहता है|

    • प्रत्येक मंत्री किसी मुख्य प्रस्ताव को प्रस्तुत करने से पहले प्रधानमंत्री की राय अवश्य लेता है|


    1. मंत्रिमंडल का अंत-

    • वैधानिक रूप से मंत्रियों को पद से हटाने का अधिकार सम्राट का विशेषाधिकार है, लेकिन व्यवहार में वह प्रधानमंत्री की सलाह पर ही ऐसा करता है| 

    • प्रधानमंत्री एक या एक से अधिक मंत्रियों को पद से हटाने या संपूर्ण मंत्रिमंडल के अंत की सिफारिश सम्राट से कर सकता है|

    • प्रधानमंत्री स्वयं त्यागपत्र देकर संपूर्ण मंत्रीपरिषद को भंग कर सकता है| 

    • लॉस्की “वह अपने मंत्रिमंडल में जब चाहे तब और जैसे चाहे वैसे परिवर्तन कर सकता है|”

    • लॉस्की (पुस्तक-Parliamentary government in England) “प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का केंद्र बिंदु है| वह उसके निर्माण, उसके जीवन और अंत में केंद्रीय स्थिति रखता है|”


    1. शासन प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री-

    • सिद्धांतत: देश का शासन प्रमुख सम्राट होता है, पर व्यव्हार में शासन प्रमुख के सभी अधिकारों का प्रयोग प्रधानमंत्री और मंत्रीमंडल द्वारा किया जाता है|

    • शासन पर सर्वोच्च नियंत्रण रखने हेतु प्रधानमंत्री के द्वारा शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित किया जाता है| 

    • प्रधानमंत्री ही सम्राट के नाम पर देश का पूरा शासन तंत्र संचालित करता है|

    • राज्य की सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियां या तो प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं की जाती है या सम्राट द्वारा उनके परामर्श से की जाती है|

    • राजकीय सम्मान प्रदान करने के अधिकार का प्रयोग भी सम्राट प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता है

    • देश की विदेश नीति के संबंध में समस्त महत्वपूर्ण घोषणाएं प्रधानमंत्री के द्वारा ही होती है|

    • विदेश मंत्रालय चाहे प्रधानमंत्री के पास हो या किसी और के पास वैदेशिक संबंधों का सुचारु संचालन प्रधानमंत्री का दायित्व होता है|

    • प्रधानमंत्री अन्य प्रशासकीय विभागों की देखरेख करता है| 

    • अंतिम रूप से प्रधानमंत्री ही बजट के लिए उत्तरदायी होता है|

    • राजकीय कोष का प्रथम लॉर्ड और राजकीय कोष के संस्थापक मंडल का अध्यक्ष होने के कारण राजकीय कोष के उच्च पदाधिकारियों के चयन में प्रधानमंत्री की सहमति आवश्यक होती है|


    1. राजा के परामर्शदाता के रूप में प्रधानमंत्री-

    • प्रधानमंत्री राजा के परामर्शदाता का कार्य करता है|

    • सैद्धांतिक रूप में प्रधानमंत्री का कार्य राजा को शासन संबंधी परामर्श देना है तथा राजा इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वह प्रधानमंत्री के परामर्श को माने या ना माने, लेकिन व्यवहार में राजा सदैव प्रधानमंत्री के परामर्श को मानता है|

    • प्रधानमंत्री राजा और मंत्रीपरिषद को जोड़ने वाली कड़ी का कार्य करता है| 


    1. संरक्षण और उपाधियों संबंधी शक्ति के रूप में प्रधानमंत्री-

    • उपाधियां प्रदान करना राजा का विशेषाधिकार है, किंतु राजा उनका वितरण प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही करता है|

    • संरक्षण शक्ति के रूप में दल के असंतुष्ट नेताओं को संतुष्ट करने, दल के समर्थकों और सेवकों को पुरस्कृत करने, दल के वयोवृद्ध एवं प्रतिष्ठित नेताओं को संसद में स्थान देने तथा दल के लिए धन एकत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री लार्ड सभा में सदस्यता प्रदान करता है|


    1. आपातकालीन अधिकार के रूप में-

    • युद्ध, अर्थ संकट या अन्य संकटों के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्ति बहुत बढ़ जाती है|

    • लेकिन ब्रिटिश संविधान में आपातकालीन प्रावधान नहीं दिए गए हैं|

    • फिर भी आपातकाल के समय ब्रिटेन में संविधानिक अधिनायकवाद की स्थापना हो जाती है, जिसका तानाशाह प्रधानमंत्री होता है अर्थात आपातकाल के समय प्रधानमंत्री तानाशाह की भांति कार्य करता है, लेकिन संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए|


    1. दल के नेता के रूप में-

    • प्रधानमंत्री लोकसदन में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है|

    • प्रधानमंत्री दलीय एकता का प्रमुख स्तंभ और प्रतीक होता है|

    •  ब्रिटिश प्रधानमंत्री की स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति से बहुत भिन्न है अमेरिकी राष्ट्रपति का प्रतिनिधि सभा से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता है, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लोकसदन का नेता होने के नाते नीति संबंधी मुख्य घोषणाएं करता है|

    • संसद के दल के सचेतक प्रधानमंत्री के नियंत्रण में रहते हैं|

    • प्रधानमंत्री, राजा को लोक सदन को विघटित करने की कह सकता है|

    • रैम्जे म्योर “प्रधानमंत्री को इतनी अधिक शक्ति प्राप्त है कि संसार में अन्य किसी संवैधानिक शासक को, यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को भी प्राप्त नहीं है| जब तक लोकसदन में उसके दल को बहुमत रहता है, वह ऐसे कार्य करता है जो कि एक राष्ट्रपति भी नहीं कर सकता| वह विश्वास के साथ पहले से ही यह वचन दे सकता है कि अमुक संधि कर ली जाएगी और उसे संपुष्टि प्रदान की जाएगी, कि संसद द्वारा अमुक कानून पास किया जाएगा अथवा अमुक धन राशि की स्वीकृति दे दी जाएगी|” 


    1. राष्ट्र नायक के रूप में प्रधानमंत्री-

    • प्रधानमंत्री संपूर्ण राष्ट्र का प्रतीक होता है|

    • प्रधानमंत्री के नाम पर कभी-कभी चुनाव लड़ा जाता है, जिससे प्रधानमंत्री की शक्ति में भारी वृद्धि हो जाती है|

    • जेनिंग्स “सामान्य निर्वाचन प्रधानमंत्री का ही निर्वाचन है| ढुलमुल मतदाता जो चुनाव परिणाम निश्चित करते हैं वे न तो किसी दल का समर्थन करते हैं और न किसी नीति का ही वरन वे एक नेता का समर्थन करते हैं|”

    • लॉस्की “इस प्रकार की चुनावबाजी से प्रधानमंत्री राष्ट्र का प्रतीक बन जाता है और इसलिए जब तक वह प्रधानमंत्री रहता है उसका कोई सहयोगी उसका मुकाबला करने का साहस नहीं करता है|”

    1. जनमत संग्रह कराने की शक्ति के रूप में-

    • कभी-कभी पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्य और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री प्रधानमंत्री के मत से असहमत हो जाते हैं, तब ऐसी स्थिति में एक योग्य और प्रखर व्यक्तित्व वाला प्रधानमंत्री जनमत संग्रह का आश्रय ले सकता है|


    1. परराष्ट्र संबंधों के संचालन कर्ता के रूप में-

    • प्रधानमंत्री का एक महत्वपूर्ण अधिकार और कार्य परराष्ट्र संबंधों का संचालन करना है|

    • परराष्ट्र मंत्रालय चाहे उसके पास हो या ना हो, परराष्ट्र संबंधों के सुचारू संचालन का अंतिम दायित्व उसका ही समझा जाता है|

    • राजनीतिक, आर्थिक और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री के द्वारा ही किया जाता है|


    1. राष्ट्रमंडल देशों के साथ संबंध स्थापित करने के रूप में-

    • ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह कार्य भी है कि वह राष्ट्रमंडलीय देशों से संपर्क स्थापित रखे और महत्वपूर्ण विषयों पर उनसे परामर्श लेता रहे|



    मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री की स्थिति या प्रधानमंत्री की वास्तविक स्थिति-

    • प्रधानमंत्री की स्थिति मंत्रिमंडल में समकक्षों में प्रधान की होती है|

    • लॉस्की “अमेरिका में मंत्रिमंडल के सदस्य राष्ट्रपति के दास है, जबकि ब्रिटेन में वे प्रधानमंत्री के सहयोगी हैं|”

    • लॉर्ड मार्ले ने प्रधानमंत्री को समान पद वाले सहयोगियों में प्रमुख या समकक्षों में प्रथम कहा है|

    • रैम्जे म्योर “प्रधानमंत्री को समकक्षों में प्रथम कहना सर्वथा भ्रममुलक है, क्योंकि वह अपने सहयोगी को नियुक्त करता है तथा पदच्युत कर सकता है| विधि में नहीं, लेकिन व्यवहार में वह राज्य का कार्यकारी प्रधान है| जिसकी शक्तियां इतनी व्यापक हैं, जितनी विश्व के किसी भी संवैधानिक शासक यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति की भी नहीं|” 

    • हरबर्ट मॉरीसन “प्रधानमंत्री को समकक्षों में प्रथम कहा जाना उसकी स्थिति को कम आंकना है|”

    • सर विलियम हारकोर्ट “प्रधानमंत्री नक्षत्रों के बीच चंद्रमा है|”

    • जेनिंग्स “प्रधानमंत्री केवल समकक्षों में ही प्रथम नहीं है और न केवल सितारों के बीच चंद्रमा ही है, बल्कि  वह तो सूर्य के समान है जिसके चारों ओर अन्य नक्षत्र घूमते हैं|”

    • जेनिंग्स “प्रधानमंत्री को संपूर्ण संविधान की आधारशिला कहना ही उपयुक्त है|”

    • फाइनर “प्रधानमंत्री की श्रेष्ठता इस बात से प्रकट होती है कि वह मंत्रीमंडल का अध्यक्ष, संसद का नेता, सामान्य नीति से संबंधित विषयों पर सम्राट से विचार-विमर्श की प्रमुख कड़ी, देश में दल का सर्वमान्य नेता तथा सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति का मूर्तिमान रूप है|”



    प्रधानमंत्री की वास्तविक स्थिति के निर्धारक तत्व-

    • प्रधानमंत्री की वास्तविक स्थिति के निर्धारक तत्व निम्न है-

    1. प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व-

    • लॉर्ड एस्क्विथ “प्रधानमंत्री का पद वैसा ही बन जाता है जैसा कि इस पद का अधिकारी उसे बनाना चाहता है|”

    • जेनिंग्स “प्रधानमंत्री के पद की स्थिति वही होती है, जो पद को ग्रहण करने वाला चाहता है और मंत्री उसे बनने देते हैं|


    1. दलीय दृष्टि से सरकार का रूप-

    • दलीय दृष्टि से सरकार का स्वरूप दो प्रकार का हो सकता है-

    1. एक दलीय सरकार

    2. गठबंधन सरकार

    • एक दलीय सरकार में प्रधानमंत्री को सभी प्रकार से सर्वोच्चता की स्थिति प्राप्त होती है, लेकिन गठबंधन सरकार में प्रधानमंत्री की स्थिति सीमित-नियंत्रित हो जाती है|


    1. लोकसदन में उसके दल और दल में उसकी स्थिति-

    • लॉस्की “प्रधानमंत्री की स्थिति दलीय प्रणाली से बंधी हुई है|” 

    • जब तक प्रधानमंत्री के राजनीतिक दल का लोकसदन में बहुमत रहता है और वह अपने राजनीतिक दल का नेता है, तभी तक उसे राष्ट्रीय महत्व की स्थिति प्राप्त रहती है|

    • दल के समर्थन से वंचित हो जाने पर प्रधानमंत्री का महत्व समाप्त हो जाता है|


    1. तत्कालीन परिस्थितियां-

    • सामान्य परिस्थितियां होने पर प्रधानमंत्री को अपने पद की सीमाएं नियंत्रण में रखती है|

    • किंतु युद्ध, आर्थिक संकट या अन्य प्रकार के संकट में प्रधानमंत्री बहुत अधिक सीमा तक अपने विवेक के आधार पर कार्य कर सकता है|

    • जेनिंग्स “प्रधानमंत्री की शक्ति और महत्व कुछ उसके व्यक्तित्व पर, कुछ उसकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर और कुछ उसके दल के समर्थन पर निर्भर करती है|”



    प्रधानमंत्री की शक्तियों पर सीमाएं-

    • प्रधानमंत्री की शक्तियों पर निम्न सीमाएं हैं-

    1. यदि लोक सदन में सरकार किसी महत्वपूर्ण विषय पर हार जाए, तो प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता है|

    2. बीमारी, कैबिनेट में प्रधानमंत्री के प्रति भारी असंतोष आदि कारणों से प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देने के लिए विवश किया जा सकता है|

    3. सामान्यतः प्रधानमंत्री इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वह किसको मंत्री बनाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री अपने दल के प्रभावशाली और प्रतिभाशाली सदस्यों की उपेक्षा नहीं कर सकता है|

    4. प्रधानमंत्री दुर्बल और अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली मंत्री को पद से हटा सकता है, लेकिन प्रभावशाली और प्रतिभाशाली मंत्री को हटाना प्रधानमंत्री के नेतृत्व के लिए खतरा बन सकता है|

    5. प्रधानमंत्री अकेला ही नीति निर्धारण नहीं कर सकता है बल्कि विदेश मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री आदि का भी नीति निर्धारण में सहयोग रहता है|

    6. प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता भी उसकी शक्ति में वृद्धि या कमी करती है| अगर प्रधानमंत्री करिश्माई व्यक्तित्व का धनी है तो उसकी शक्ति में वृद्धि होगी| 


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