लोकतंत्र और अधिनायकतंत्र
लोकतंत्र (Democracy) का अर्थ-
वर्तमान विश्व में लोकतंत्र एक सर्वोत्तम राजनीतिक व्यवस्था एवं आदर्श के रूप में सर्वमान्य है|
लोकतंत्र के अंग्रेजी पर्याय Democracy शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द डेमोस (Demos) से हुई है, जिसका अर्थ है ‘जनसाधारण’| इसमें Cracy शब्द जोड़ा गया है, जिसका अर्थ है ‘शासन या सरकार’ अतः लोकतंत्र का अर्थ है ‘जनसाधारण’ या ‘जनता का शासन’
लोकतंत्र की परिभाषा-
अब्राहम लिंकन “लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए स्थापित शासन प्रणाली है|
जेम्स ब्राइस “लोकतंत्र शब्द का प्रयोग हेरोडोटस के जमाने से ही ऐसी शासन प्रणाली का संकेत देने के लिए होता है, जिसमें कानून की दृष्टि से राज्य की नियामक सत्ता किसी विशेष वर्ग या वर्गों के हाथों में नहीं रहती है, बल्कि समुदाय के सभी सदस्यों में निहित होती है|”
जेम्स ब्राइस ने अपनी पुस्तक Modern democracies 1921 में कहा है कि “लोकतंत्र ऐसा शासन है, जिसमें लोग अपनी इच्छा को वोट के रूप में व्यक्त करते हैं|”
हेरोडोटस “प्रजातंत्र उस शासन का नाम है, जिसमें राज्य की सर्वोच्च सत्ता संपूर्ण जनता में निवास करती है|”
सीले “लोकतंत्र ऐसी सरकार है, जिसमें सभी का हिस्सा होता है|”
डायसी “लोकतंत्र ऐसा शासन है, जिसमें देश का बड़ा भाग शासन करता है|”
ऑस्टिन “प्रजातंत्र राजनीतिक संगठन का वह स्वरूप है, जिसमें जनता का नियंत्रण रहता है|”
जॉनसन “प्रजातंत्र शासन का वह रूप है, जिसने प्रभुसत्ता जनता में सामूहिक रुप से निहित रहती है|
सारटोरी अपनी पुस्तक Democratic Theory में लिखते हैं कि “लोकतंत्रीय व्यवस्था वह हैं, जो सरकार को उत्तरदायी तथा नियंत्रणकारी बनाती है|”
शुम्पीटर “लोकतंत्रीय पद्धति राजनीतिक निर्णय लेने की ऐसी संस्थात्मक व्यवस्था है, जिसमें व्यक्तियों को जनता के वोट के लिए प्रतियोगात्मक संघर्ष के माध्यम से निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त होती है|”
फ्रेडरिक “लोकतंत्र 20 वीं सदी का युद्धघोष बन चुका है|”
एथेंस में पेरिक्लीज ने लोकतंत्र की स्थापना की थी, अतः पेरिक्लीज को लोकतंत्र का पिता कहा जाता है|
लोकतंत्र के प्रकार-
एक शासन प्रणाली के रूप में लोकतंत्र दो प्रकार का है-
प्रत्यक्ष लोकतंत्र
अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
प्रत्यक्ष लोकतंत्र/ शुद्ध लोकतंत्र-
इस शासन व्यवस्था में जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है|
छोटे तथा अपेक्षाकृत कम विकसित समाजों में ही प्रत्यक्ष लोकतंत्र संभव है|
प्राचीन यूनानी नगर राज्यों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रचलित था|
वर्तमान में प्रत्यक्ष लोकतंत्र स्विट्जरलैंड में है|
रूसो ने प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सच्चा लोकतंत्र कहा है|
प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरण-
लैंडसेजिमेन्ड- स्विट्जरलैंड में जनता वर्ष के प्रारंभ में शासन कार्यों पर विचार करने के लिए और कानूनों का निर्माण करने के लिए एक सभा बुलाती है|
आरंभक (Intifiative)- इसके अंतर्गत कानून निर्माण या सविधान संशोधन की पहल जनता द्वारा की जाती है| इसे जनता की तलवार कहते हैं|
प्रत्यावहन (Recall)- इसके अंतर्गत यदि जनता चुने हुए प्रतिनिधियों के कार्य व्यवहार से संतुष्ट नहीं है, तो कार्यकाल के बीच में ही जनता वापस बुला सकती है|
परिप्रच्छा (Referendum)- इसका तात्पर्य है कि किसी कानून, संधि, संशोधन आदि महत्वपूर्ण विषय पर जनता के मतों का संग्रहण करना| इसे जनता की ढाल भी कहते हैं|
जनमत (Plebiscite)- इसका अर्थ है कि कोई महत्वपूर्ण समस्या जिसका किसी कारण से शासन द्वारा समाधान नहीं किया जा सकता, उसका लोगों के मतों द्वारा निर्णय करना|
अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र-
आधुनिक बड़े लोकतांत्रिक राज्यों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र संभव नहीं है|
अतः अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधि शासन व्यवस्था में जनता प्रत्यक्ष रूप से भाग न लेकर शासन का संचालन अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से करती है|
प्रतिनिधियों का निर्वाचन बिना किसी भेदभाव के व्यस्क मताधिकार के द्वारा किया जाता है|
प्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं
J.S मिल ने प्रतिनिधि शासन समर्थन किया है|
मिल “अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधि शासन ऐसी व्यवस्था है, जिसमें समस्त जनता अथवा उसका बहुसंख्यक भाग शासन की शक्तियों का प्रयोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से करता है, जिन्हें वह समय-समय पर निर्वाचित करके सदन में भेजता है|
अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र के प्रकार
संसदीय या मंत्रिमंडलीय प्रजातंत्र
अध्यक्षात्मक प्रजातंत्र
संघात्मक प्रजातंत्र
एकात्मक प्रजातंत्र
सी बी मैकफ़र्सन के अनुसार लोकतंत्र के प्रकार-
इन्होंने अपनी पुस्तक The life and the times of liberal democracy 1977 और The Real world of democracy 1992 में लोकतंत्र संबंधी विचार दिए है तथा लोकतंत्र के चार प्रकार बताए हैं-
संरक्षणात्मक लोकतंत्र
विकासात्मक लोकतंत्र
साम्यवस्थावादी लोकतंत्र
सहभागी लोकतंत्र
संरक्षणत्मक लोकतंत्र-
प्रमुख समर्थक- जॉन लॉक व बेंथम
इस प्रकार का लोकतंत्र राज्य की तानाशाही से लोगों की स्वतंत्रता व अधिकारों का संरक्षण करता है|
जॉन लॉक ने लोकतंत्र के लिए सीमित सरकार, संवैधानिक शासन एवं प्रतिनिधि सरकार का समर्थन किया है|
बेंथम ने अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख के माध्यम से लोकतंत्र की बात की है|
विकासात्मक लोकतंत्र-
प्रमुख समर्थक- जे एस मिल, रूसो, टी एच ग्रीन
यह लोकतंत्र व्यक्ति के नैतिक एवं आंतरिक विकास को महत्वपूर्ण मानता है|
यह लोकतंत्र राजनीतिक प्रणाली के साथ-साथ दर्शन व जीवन पद्धति भी है तथा जीवन शैली व मूल्यों को प्रदर्शित करता है|
साम्यवस्थावादी लोकतंत्र-
प्रमुख समर्थक- शुंपीटर, डहल
यह लोकतंत्र साम्यावस्था या यथास्थिति का समर्थन करता है|
इसके अंतर्गत शुंपीटर का विशिष्टवर्गवादी लोकतंत्र एवं डहल का बहुलतंत्र शामिल है|
इसके अनुसार लोकतंत्र चुनावी खेल है, जिसमें नेता व्यापारी और मतदाता उपभोक्ता है|
सहभागी लोकतंत्र-
प्रमुख समर्थक- मैकफ़र्सन, कैरोल पेटमैन, निकोलस पोलांजा
यह लोकतंत्र नागरिकों की राजनीति व्यवस्था में सक्रिय सहभागिता का समर्थन करता है|
सहभागी लोकतंत्र सबसे अच्छा लोकतंत्र है|
सहभागी लोकतंत्र में संरक्षणत्मक, विकासात्मक, सक्रिय भागीदारी व सहभागिता के गुण पाए जाते हैं|
यह साम्यावस्था का विरोधी है|
लोकतंत्र की लहरें-
सैमुअल हंटिंगटन अपनी पुस्तक Third wave: Democratization in the late Twentieth century 1991 में विश्व में लोकतंत्र के विकास के निम्न तीन चरणों का उल्लेख किया है-
प्रथम चरण या लहर (1828-1926)
द्वितीय चरण या लहर (1943-1962)
तृतीय चरण या लहर ( 1974 से वर्तमान)
प्रथम चरण या लहर (1828-1926)-
इस चरण के दौरान यूरोप में लोकतंत्र की स्थापना हुई| इस चरण में फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश लोकतांत्रिक हुए|
द्वितीय चरण या लहर (1943-1962)-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद तीसरी दुनिया के देशों में लोकतंत्र का विकास हुआ, जिसमें पश्चिमी जर्मनी, जापान, इजरायल तथा भारत जैसे देश शामिल है तथा इसमें तीसरी दुनिया के देश शामिल थे|
तृतीय चरण या लहर (1974 से वर्तमान)-
इस चरण में 1990 के दशक में साम्यवादी देशों में लोकतंत्र की स्थापना हुई| इसमें स्पेन, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, चिली व पूर्वी यूरोप के देश लोकतांत्रिक बने|
लोकतंत्र की विशेषताएं-
एक से अधिक राजनीतिक दलों मे राजनीतिक सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा
राजनीतिक पद किसी विशिष्ट वर्ग की बपौती नहीं है|
सार्वजनिक व्यस्क मताधिकार पर आधारित आवधिक चुनाव
लोक प्रभुसत्ता में विश्वास
नागरिक एवं राजनीतिक समानता की प्राप्ति|
नागरिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता की प्राप्ति|
निष्पक्ष एवं समयबद्ध चुनाव
उत्तरदायी सरकार
सीमित तथा संवैधानिक सरकार
निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायपालिका
राजनीतिक दलों एवं दबाव समूहो की भूमिका
लोकतंत्र के गुण या औचित्य-
सत्ता के दुरुपयोग के रोकथाम में सहायक
उच्च आदर्शो पर आधारित
जनकल्याण पर आधारित
सार्वजनिक शिक्षण का उत्तम साधन-
गैटल ने इसे नागरिकता की शिक्षा प्रदान करने वाला स्कूल कहा है|
C.D बनर्स “सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है, परंतु आत्म शिक्षा ही सर्वोत्तम शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है, जो लोकतंत्र है|”
जनता में आत्मविश्वास एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास-
लासवेल “वहीं सरकार सर्वोत्तम है, जो मनुष्य की नैतिकता, साहस, आत्मबोध, पवित्रता को दृढ़ बनाये|
अंतर्राष्ट्रीय शांति में विश्वास
कर्तव्यपालन एवं देशभक्ति की भावना का विकास-
ब्राइस “मताधिकार से व्यक्तित्व गौरवपूर्ण होता है और अधिकार से उसमें कर्तव्यपालन की भावना का विकास होता है|
नैतिकता व मानवता की भावना का विकास-
लॉवेल “प्रजातंत्र लोगों की नैतिकता, चरित्रिक अखंडता, आत्मनिर्भरता तथा साहस को संतुष्ट करता है|”
विज्ञान की उन्नति में सहायक-
मेयो “एक स्वतंत्र समाज में वैज्ञानिक विकास की बहुत अधिक संभावनाएं हैं|”
सर्वाधिक कार्यकुशल प्रशासन-
गार्नर “लोकप्रिय निर्वाचन, लोकप्रिय नियंत्रण और लोकप्रिय उत्तरदायित्व की व्यवस्था के कारण दूसरे किसी भी शासन व्यवस्था की अपेक्षा यह लोकतांत्रिक शासन अधिक कार्यकुशल है|”
क्रांति से सुरक्षा-
गिलक्राइस्ट “लोकप्रिय शासन सार्वजनिक सहमति का साधन है, अतः स्वभाव से वह क्रांतिकारी नहीं हो सकता|”
प्रजातंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था का नाम है-
लॉवेल “सरकार की उत्तमता की परीक्षा उस चरित्र से होती है, जिसे एक व्यक्ति समाज में अपने नागरिकों में उत्पन्न करने की प्रवृत्ति रखता है| और उन नागरिकों को उसे स्थिर रखना होता|”
प्रजातंत्र के दोष-
लोकतंत्र भीड़ तंत्र है- लोकतंत्र के विरोधी यह तर्क देते हैं कि यह अनपढ़, जाहिल, गैर जिम्मेदार लोगों का भीड़ तंत्र है|
अकुशलता- लोकतंत्र शासन प्राय: अकुशल सिद्ध होता है|
भ्रष्ट नेतृत्व
अतिव्यय- यह एक खर्चीली शासन पद्धति है|
प्रजाजन अज्ञानियों का शासन है-
फेगेट ने लोकतंत्र को अनभिज्ञता से भरा शासन कहा है|”
प्लेटो ने भी प्रजातंत्र को अज्ञानता का राज्य बताया है|
सर हेनरी मैन “प्रजातंत्र अज्ञानियों तथा बुद्धिहीन व्यक्तियों का शासन है, जो बौद्धिक तथा वैज्ञानिक सत्य की प्रगति के प्रतिकूल है|”
H.G वेल्स ने प्रजातंत्र को बुद्धिहीनो तथा अज्ञानियों का शासन कहा है|
प्रजातंत्र में बहुमत का अत्याचार होता है|
इसमें वर्ग संघर्ष को प्रोत्साहन मिलता है|
दल प्रथा प्रजातंत्र की महत्वपूर्ण बुराई है|
ब्राइस “राजनीतिक दल व्यक्ति में खोखलापन और अनुउत्तरदायित्व पैदा करते हैं| स्वाभाविक आदर्श को हीन बनाते हैं और राष्ट्र जीवन में फूट डालकर लूट का माल बांट खाते हैं|”
प्रजातंत्र कोरा आदर्शवादी
प्रजातंत्र अनुउत्तरदायी शासन है|
प्रजातंत्र में वीर पूजा होती है|
टेलिरैण्ड ने प्रजातंत्र को बुरे लोगों का कुलीन तंत्र कहकर पुकारा है|
कार्लाइल “लोकतंत्र बेवकूफो का शासन है|”
लोकतंत्र के सिद्धांत-
लोकतंत्र के निम्नलिखित सिद्धांत या मॉडल है-
उदारवादी सिद्धांत-
परंपरागत उदारवाद या शास्त्रीय उदारवाद
आधुनिक उदारवाद
मार्क्सवादी सिद्धांत-
मार्क्स
लेनिन
माओ (जनवादी लोकतंत्र)
ब्रेनहेम (प्रबंधकीय क्रांति)
अन्य या तीसरा विकल्प
लोकतंत्र का परंपरागत या शास्त्रीय उदारवादी सिद्धांत-
यह लोकतंत्र का सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रचलित सिद्धांत है|
यह सिद्धांत राजनीतिक या संवैधानिक प्रजातंत्र की स्थापना पर बल देता है|
इस सिद्धांत के बीज थॉमस हॉब्स के विचारों में मिलते हैं, परंतु जॉन लॉक व बेंथम शास्त्रीय उदारवादी सिद्धांत के प्रमुख सिद्धांतकारी है|
अन्य विचारक- रूसो, मांटेस्क्यू, जैफरसन, मेडिसन, मिल, ग्रीन, बार्कर, लॉस्की आदि|
उदारवादी लोकतंत्र के लक्षण-
सार्वजनिक व्यस्क मताधिकार
एक से अधिक राजनीतिक दल
राजनीतिक पद विशिष्ट वर्ग की बपौती नहीं
आवधिक चुनाव
एक व्यक्ति एक वोट
स्वतंत्र व स्वाधीन न्यायपालिका
नागरिक स्वतंत्रता की व्यवस्था
आलोचना-
सारटोरी- लोगों का स्वय का शासन होना भ्रम है, वास्तव में लोकतंत्र एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शासन सत्ता के लिए परस्पर प्रतिस्पर्धात्मक संघर्ष होता है|
सारटोरी अपनी पुस्तक Democratic theory में कहता है कि लोकतंत्र के लिए वास्तविक खतरा नेताओं से नहीं, बल्कि नेताओं के अभाव से हैं|”
मैक्फर्सन राजनीति को सत्ता के लिए संघर्ष मानता है|
शुम्पीटर “नागरिक वर्ग शासन में सहभागी न होकर, केवल अपने प्रतिनिधि भेजने का कार्य करते हैं|”
लोकतंत्र का आधुनिक उदारवादी सिद्धांत-
अभिजनवादी सिद्धांत- जोसेफ शुम्पीटर
बहुलवादी सिद्धांत- रॉबर्ट डहल
सहभागी सिद्धांत- मैक्फर्सन
विमर्शात्मक सिद्धांत- हेबर मास, कोहिन, रोजर्स
अभिजनवादी या विशिष्ट वर्गीय लोकतंत्र का सिद्धांत-
इस सिद्धांत का उद्भव बीसवीं सदी में लोकतंत्र की शास्त्रीय अवधारणा के विरुद्ध हुआ|
यह मार्क्सवाद का भी विरोध करता है|
प्रमुख समर्थक- शुम्पीटर, मिशेल, मोस्का, परेटो, C राइट मिल्स
इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी समाज में 2 वर्ग होते हैं- एक सामान्य वर्ग तथा दूसरा विशिष्ट वर्ग|
विशिष्ट वर्ग को परेटो शासक अभिजन, मोस्का राजनीति अभिवर्ग, C राइट मिल्स शक्ति अभिजन कहता है|
परेटो-
पुस्तक- Mind and Society
इन्होने अभिजनो को सटोरिया, किराएदार और शेर व लोमड़ी की तरह रहने वाला बताया है|
परेटो को नैतिक जगत का न्यूटन कहते हैं|
परेटो युद्ध व हिंसा का समर्थक था, वह समाजवाद, लोकतंत्र, शांति, मानववाद से घृणा करता था|
इन्होने अभिजन का परिसंचरण सिद्धांत/ अदला बदली सिद्धांत/ चक्रीय सिद्धांत दिया है|
परेटो कहता है कि क्रांति का कारण परिसंचरण का रुकना है|
परेटो “अभिजन सभी जगह पाए जाते हैं चाहे वह चोरी का पेशा हो या वेश्यावृत्ति का|”
परेटो “इतिहास कुलीनतंत्रो का कब्रिस्तान हैं|”
मोस्का
पुस्तक- The Ruling Class 1939
मोस्का “अभिजन वर्ग छोटा, परंतु संगठित होता है और संगठन में शक्ति होती है इसलिए शासन संबंधी कार्यों को करते हैं, जबकि बहुसंख्यक वर्ग असंगठित होता है इसलिए शासन कार्यों को नहीं कर पाता है|”
Note- परेटो अभिजनवाद का मुख्य गुण बुद्धिमता व योग्यता मानता है, वहीं मोस्का संगठन क्षमता को अभिजनवाद का मुख्य गुण मानता है|
रॉबर्ट मिशेल्स
पुस्तक- The Political Parties: A Sociological Study 1959
अल्पतंत्र का लोह नियम- चाहे कोई भी व्यवस्था अपनाई जाए गुटतंत्र स्वत ही बन जाता है| अतः संगठन ही गुटतंत्र है तथा प्रत्येक संगठन में गुटतंत्र होता है| इस सिद्धांत के अनुसार सरकार केवल अल्पमत का संगठन है, जो केवल बहुमत पर शासन करता है|
A Y गॉसेट-
पुस्तक- Mass Group Theory या Theory of Masses
इनके अनुसार अभिजन या नेता जनता की अंधभक्ति की वजह से विशिष्ट बनता है|
C राइट मिल्स-
पुस्तक- Power Elites
इनके अनुसार आज संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों के बजाय एक कुटिल गठजोड़ (उद्योगपति+ नेता+ सैन्य वर्ग) का शासन है|
बहुलवादी सिद्धांत- रॉबर्ट डहल
इन्होने प्रजातंत्र को बहुलतंत्र कहा है|
इनके अनुसार सरकारी नीतियों का निर्धारण एक वर्ग नहीं, बल्कि बहुत से वर्ग करते हैं| जैसे- व्यापारी, उद्योगपति, मजदूर संघ, किसान संघ, राजनीतिज्ञ, मतदाता तथा स्वयंसेवी संस्थाएं|
सहभागी लोकतंत्र-
प्रमुख समर्थक- मैकफ़र्सन, कैरोल पेटमैन, निकोलस पोलांजा
केरोल पैटमैन- पार्टिसिपेशन एंड डेमोक्रेटिक थ्योरी 1978
द प्रॉब्लम्स ऑफ पॉलिटिकल ऑब्जेक्शन (1985)
ए क्रिटिक ऑफ लिबरल थ्योरी 1985
C.B मैक्फर्सन- द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ लिबरल डेमोक्रेसी 1977
एन पालन्ताज- स्टेट पावर सोशलिज्म 1980
यह लोकतंत्र नागरिकों की राजनीति व्यवस्था में सक्रिय सहभागिता का समर्थन करता है|
सहभागी लोकतंत्र सबसे अच्छा लोकतंत्र है|
सहभागी लोकतंत्र में संरक्षणत्मक, विकासात्मक, सक्रिय भागीदारी व सहभागिता के गुण पाए जाते हैं|
सहभागितामूलक लोकतंत्र का सिद्धांत ‘प्रतिनिधि लोकतंत्र’ के प्रतिरूप को चुनौती देते हुए जनसाधारण की राजनीतिक सहभागिता को लोकतंत्र का बुनियादी लक्षण मानता है|
जहां प्रतिनिधि लोकतंत्र में जनसाधारण की भूमिका चुनाव के समय राजनीतिज्ञों को चुनने तक सीमित होती है|
राजनीतिक सहभागिता-
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति सार्वजनिक नीतियों और निर्णयो के निर्माण, निरूपण और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेते हैं| यह सरकार और नागरिकों के बीच सक्रिय परस्पर क्रिया की मांग करती हैं|
प्रो. हेल्ड का कहना है कि ‘दक्षिणपंथी कानूनवादी’ लोकतंत्र के विपरीत सहभागितापूर्ण लोकतंत्र एक वामपंथी प्रतिमान है|
सहभागितामूलक लोकतंत्र सिद्धांत की विशेषताएं-
संसद, नौकरशाही तथा राजनीतिक दलों आदि का लोकतंत्रीकरण, उन्हें और अधिक खुलेपन सहित व उत्तरदायी बनाना लोकतांत्रिक सहभागिता की पहली शर्त है|
शक्तियों का व्यापक तथा बहुमुखी विकेंद्रीकरण होना चाहिए|
राजनीतिक दलों का गठन सहभागितापूर्ण लोकतंत्र के अनुरूप करके उसका प्रभाव कम किया जाना चाहिए|
राजनीतिक प्रशासन एवं प्रबंधकों को जनता के प्रति जवाबदेही बनाया जाए|
प्रमुख राजनीतिक संस्थाओं में नागरिकों की भागीदारी एवं नियंत्रण होना चाहिए|
सहभागितापूर्ण लोकतंत्र सभी के लिए आत्मविकास का अधिकार प्रदान करता है|
रॉबर्ट डहल (ए प्रीफेस टू इकोनामिक डेमोक्रेसी 1985) ने सामूहिक निर्णय प्रक्रिया और व्यापक भागीदारी की निम्न परिस्थितियां बतायी हैं-
समान मत- प्रत्येक नागरिक को समान मताधिकार एवं प्रत्येक के मत का समान महत्व
प्रभावपूर्ण भागीदारी- समूची सामूहिक निर्णय प्रक्रिया में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी|
प्रबुद्ध विवेक- नागरिकों में प्रबुद्ध विवेक होना चाहिए|
विषय सूची- विषय सूची पर आम आदमी का पूर्ण नियंत्रण
व्यापकता- जन-सामान्य में मानसिक विक्षिप्तो को छोड़कर सभी व्यस्क नागरिकों को शामिल किया जाना चाहिए|
सहभागितामूलक लोकतंत्र के गुण या महत्व-
इस सिद्धांत के अंतर्गत नागरिकों को राजनीतिक सहभागिता के अधिक अवसर देने पर बल दिया जाता है|
यदि नागरिकों को राजनीतिक सहभागिता के अधिक अवसर मिलेंगे तो वे सार्वजनिक समस्याओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे, राजनीतिज्ञों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे, और शक्ति के दुरुपयोग तथा भ्रष्टाचार को एकदम रोक देंगे|
सहभागितापूर्ण लोकतंत्र की कमियां-
इस सिद्धांत के समर्थक केवल वर्तमान लोकतंत्र प्रणाली के अंतर्गत नागरिकों की सहभागिता को बढ़ाने पर बल देते हैं, वे इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था प्रस्तुत नहीं करते हैं|
इस सिद्धांत के समर्थक जरूरत से ज्यादा आशावादी हैं|
सहभागिता से जब आम नागरिक भीड़ का रूप धारण कर लेते हैं, तो उन्हें अनुशासन में रखना मुश्किल हो जाता है| इस वजह से आए दिन जलसे-जुलूस, हड़ताल, धरने, नारेबाजी, रेलिया, प्रचंड प्रदर्शन आदि होते रहते हैं|
ऐसी भीड़ अनुचित मांगे मनवाने पर भी बल देती है|
विमर्शात्मक सिद्धांत- हेबर मास, कोहिन, रोजर्स-
इसका उदय 1990 के दशक में हुआ|
यह सिद्धांत लोकतंत्र को ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखता है, जिसमें सभी व्यक्ति अपनी सूझ-बुझ और तर्क नीति अपना कर एक दूसरे को समझाने बुझाने का काम करते हैं|
विमर्शी लोकतंत्र में प्रत्यक्ष लोकतंत्र एवं उदार लोकतंत्र का मिश्रण है|
मार्क्सवादी सिद्धांत-
मार्क्सवादी उदारवादी लोकतंत्र की आलोचना करते हैं, क्योंकि उदारवादी लोकतंत्र केवल पूंजीवादी वर्ग के हितों की रक्षा करता है|
इस सिद्धांत के अनुसार सर्वहारा का अधिनायकतंत्र वास्तविक लोकतंत्र है, जो एक संक्रमणशील अवस्था है|
लोकतंत्रीय केंद्रवाद का सिद्धांत- इस सिद्धांत के प्रणेता लेनिन हैं| इसके अनुसार दल के निचले अंग ऊपर वाले अंगों का निर्वाचन करते हैं तथा ऊपर वाले के अंगों के निर्णय को मानने को बाध्य होते हैं|
जनवादी लोकतंत्र- इसमें सर्वहारा अपनी प्रधानता में बुजुर्वा व निम्न बुजुर्वा के साथ मिलकर सरकार बनाता है| यह अवसरवादी तरीका है|
प्रबंधकीय क्रांति- ब्रेनहेम ने अपनी पुस्तक प्रबंधकीय क्रांति में लिखा है, कि सर्वहारा क्रांति से सिर्फ प्रबंधक बदले हैं|
ब्रेनहेम के शब्दों में “पूंजीवाद विनाश की ओर अग्रसर है, पूंजीपति उद्योगों का कानूनी स्वामी मात्र रह गया है| भविष्य में समाज आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से प्रबंधकीय अभिजन द्वारा संचालित होगा|
अन्य या तीसरा विकल्प-
विश्व लोकतंत्र (डेविड हेल्ड)-
पुस्तक- Models of Democracy
इन्होंने वैश्विक संस्थाओ व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लोकतांत्रिकरण पर बल दिया है, जिससे वैश्विक लोकतंत्र स्थापित हो सके|
सहवर्तनी लोकतंत्र Consociational Democracy (जॉन कल्हन)-
सहवर्तनी लोकतंत्र में कार्यकारी शक्तियों के सम्मिलित प्रयोग पर बल दिया जाता है|
यह विभिन्न संप्रदायो व संस्कृतियो की स्वायत्तता को महत्वपूर्ण मानते हैं|
इसके अंतर्गत अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व की विशेष व्यवस्था अपनाई जाती है|
सभी नृजातीय समूहों का संसद में निषेधाधिकार(Veto power) होता है|
निर्देशित लोकतंत्र-
प्रतिपादक- इंडोनेशिया के भूतपूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो
इसमें प्रतिनिधित्व की जगह परामर्श पर बल दिया जाता है|
लोकप्रिय नेता विभिन्न व्यवसायो के प्रतिनिधियों से परामर्श करके अधिकांश निर्णय स्वयं के विवेक से लेता है|
समुदायवादी लोकतंत्र-
प्रतिपादक- बेंजामिन बार्बर व माइकल वाल्ज़र
यह सिद्धांत बहुमत के बजाय आम सहमति में विश्वास रखता है|
यह व्यक्ति हित के बजाय समुदाय के हित पर बल देता है|
यह निरंतर व सक्रिय सामुदायिक सहभागिता को महत्वपूर्ण मानता है|
यह लोकतंत्र विरोधी विचारधारा है, जिसमें सत्ता एक व्यक्ति या एकदल में केंद्रित होती है तथा शासक के पास असीम शक्तियां होती हैं| तथा शासक किसी के भी प्रति उत्तरदायी नहीं होता है|
सोल्टाऊ के अनुसार “अधिनायकतंत्र एक व्यक्ति का शासन होता है, जिसने अपने पद को मुख्यतया वंशानुगत आधार पर प्राप्त नहीं किया है, अपितु शक्ति या सहमति अथवा दोनों के ही सहयोग से प्राप्त किया है, वह निरपेक्ष प्रभुसत्ता प्राप्त करता है और इसका प्रयोग वह कानून के बजाय मनमाने आदेशों को लागू करके करता है|”
अधिनायकतंत्र एक अवैध एवं असंवैधानिक शासन होता है, जो विलक्षण नेतृत्व, लोकप्रियता या सैन्य संगठन की निष्ठा के बल पर संविधानिक व्यवस्था को धाराशाही करके पूर्ण सत्ता पर अपना अधिकार स्थापित कर लेता है|
यह राज्य और समाज की सत्ता का पूर्ण अंत कर देता है तथा समस्त शक्तियां अपने हाथ में ले लेता है|
अधिनायक तंत्र की विशेषताएं-
अधिनायक तंत्र की निम्न विशेषताएं हैं-
सर्वाधिकारवाद का समर्थन
यह राज्य को साध्य और व्यक्ति को साधन मानता है|
एक दल, एक नेता का समर्थन
अंतर्राष्ट्रीय जनमत एवं संस्थाओं की उपेक्षा
लोकतंत्र का विरोध
उदारतावाद का विरोधी है- अधिनायकवाद आदेश, अनुशासन और सत्ता पर बल देता है, जबकि उदारवाद स्वतंत्रता, समानता तथा अधिकार पर बल देता है|
राज्य को अत्यधिक महत्व- मुसोलिनी के शब्दों में “राज्य केवल राजनीतिक संस्था मात्र ही नहीं है, बल्कि राज्य एक अध्यात्मिक तथा नैतिक है, वह जनता की आत्मा की रक्षक है|”
अधिनायक तंत्र उग्र राष्ट्रवाद का समर्थन करता है|
अधिनायकतंत्र वैयक्तिक स्वतंत्रता का विरोधी है|
अधिनायकतंत्रवादी लोकतंत्र को ‘सड़ने वाली लाश’ तथा संसद को ‘बातूनी लोगों की दुकान’ की संज्ञा देते हैं|
न्यूमैन के अनुसार अधिनायक तंत्र के 5 लक्षण-
यह एक पुलिस राज्य है|
इसमें शक्तियों का केंद्रीकरण होता है|
इसमें एक सर्वाधिकारवादी राजनीतिक दल होता है|
इसमें सार्वजनिक जीवन पर कठोर नियंत्रण होता है|
यह नागरिकों में भय उत्पन्न करने में विश्वास करता है|
फासिस्ट और नाजी अधिनायकतंत्र-
द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले दो प्रसिद्ध अधिनायकतंत्र अस्तित्व में आये|
इटली का फासिस्ट अधिनायकतंत्र
जर्मनी का नाजी अधिनायकतंत्र
इटली का फासिस्ट अधिनायकतंत्र-
इटली में मुसोलिनी के नेतृत्व फासीवाद का उदय हुआ था|
इटली में फासीवाद के उदय का कारण वहां का अस्थिर और डावांडोल साम्राज्य था, जहां सब जगह आंतरिक कलह और फूट का बोलबाला था|
मुसोलिनी ने निर्बल शासनतंत्र का अंत किया और इटली के प्रधानमंत्री बन गये|
जर्मनी का नाजीवाद-
जर्मनी में नाजीवाद का उदय हिटलर के नेतृत्व में हुआ था|
नाजीवाद के उदय के कारण-
वर्साय की संधि (1919)- वर्साय की संधि के कारण जर्मनी को भारी हर्जाना देना पड़ा था| उससे वहां के लोगों में व्यापक रोष था|
आर्थिक संकट- 1919 में वाइमर सविधान के अंतर्गत जर्मनी में लोकतंत्रीय प्रणाली लागू की गई, परंतु यह आर्थिक संकटों का सामना करने में असफल रही| 1923 की भयंकर मुद्रास्फीति के समय जर्मनी की कमर टूट गयी|
ये दोनों कारण जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारण थे|
मैकाइवर के शब्दों में “आर्थिक विपत्ति और राष्ट्रवादियों के क्षोभ के संयोग से अधिनायकवाद के बीज के लिए उर्वरक भूमि तैयार हो गयी थी| नाजी आंदोलन ने विकराल रूप धारण कर लिया|”
इटली के फासीवाद एवं जर्मनी के नाजीवाद में फर्क था|
मैकाइवर के अनुसार “मुसोलिनी साहसिक कोटि का था, हिटलर मतान्ध था| मुसोलिनी इटली के असंतुष्ट साम्राज्यवाद के अग्रदूत के रूप में आगे आया|”
इटली के फासिस्टो की तुलना में नाजियों का प्रभाव बहुत गहरा था|
अधिनायक तंत्र के प्रकार-
दो प्रकार है-
प्राचीन अधिनायकतंत्र
आधुनिक अधिनायकतंत्र
प्राचीन समय में अधिनायकतंत्र लोककल्याण के लक्ष्यों को शीघ्रता से प्राप्त करने के लिए अपनाया जाता था, जिससे अधिनायक को वैधता प्राप्त होती थी|
आधुनिक समय में अधिनायक तंत्र स्वेच्छाचारी एवं अत्याचारी शासन होता है|
Note- स्टालिन के रूस, हिटलर के जर्मनी और मुसोलिनी के इटली के अधिनायकतंत्र को सर्वाधिकारवादी अधिनायक तंत्र भी कहते हैं|
अधिनायकतंत्र के गुण-
अधिनायक तंत्र राष्ट्रीय एकता की स्थापना में सहायक होता है|
यह मितव्ययी व कुशल प्रशासनिक व्यवस्था है|
इस शासन से समाज में तीव्र सुधार संभव है|
इस व्यवस्था में तीव्र आर्थिक विकास संभव है|
यह शासन व्यवस्था संकट काल के लिए अधिक उपयुक्त है|
अधिनायक तंत्र के दोष-
व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन|
राज्यवाद का समर्थन|
शक्ति पर आधारित
अस्थायी शासन
लोकतंत्र एवं अधिनायक तंत्र की तुलना-
लोकतंत्र अधिनायक तंत्र
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