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राज्य विधानमंडल/ Raajy Vidhaan Mandal /State Legislature || In Hindi || BY Nirban PK Sir

     राज्य विधानमंडल (State Legislature)

    • संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधानमंडल के गठन, कार्यकाल, अधिकारियों, प्रक्रियाओं, विशेषाधिकारों व शक्तियों का उल्लेख है|

    • राज्य में कानून निर्माण विधान मंडल द्वारा किया जाता है|


    • राज्य विधान मंडल का गठन (अनुच्छेद 168)- 

    • राज्य का विधानमंडल राज्यपाल और दो सदन/ एक सदन से मिलकर बनेगा|

    • विधानमंडल के तीन अंग है-

    1. राज्यपाल

    2. विधान परिषद 

    3. विधानसभा


    • विधानमंडल के दो सदन-

    1. विधान परिषद (उच्च सदन/ वरिष्ठ सदन)

    2. विधानसभा (निम्न सदन/ लोकप्रिय सदन)


    • भारत के 6 राज्यो में द्विसदनीय व्यवस्थापिका है, अर्थात विधानसभा और विधान परिषद| 

    1. तेलगाना- 40 सीट

    2. उत्तर प्रदेश- 100 सीट

    3. बिहार- 75सीट

    4. महाराष्ट्र- 78 सीट

    5. आंध्रप्रदेश- 58 सीट

    6. कर्नाटक- 75 सीट


    • 2019 तक जम्मू कश्मीर में भी द्विसदनात्मक व्यवस्था थी| 

    • 7वें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 में मध्यप्रदेश में भी विधान परिषद की स्थापना का प्रावधान था, परंतु गठन नहीं किया गया| 

    • आंध्र प्रदेश में 1957 में विधान परिषद का गठन हुआ, 1985 में समाप्त कर दी गई तथा 2007 में पुन: स्थापित की गई| 

    • तमिलनाडु में 1986 में विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया फिर 2010 में पुनर्जीवित का प्रस्ताव पारित किया, परंतु2011 में उन्मूलन का प्रस्ताव पारित कर दिया गया| 

    • पश्चिम बंगाल में 1952 में विधान परिषद का सृजन किया गया, लेकिन 1969 में समाप्त कर दिया गया| 

    • राजस्थान में विधान परिषद का गठन प्रक्रियाधीन है| 

    • 18 अप्रैल 2012 को राजस्थान विधानसभा ने 66 सदस्यों की राज्य विधान परिषद के सृजन के लिए संकल्प पारित किया| 

    • 6 अगस्त 2013 को राज्यसभा में राजस्थान विधान परिषद विधेयक पेश किया गया और इसके बाद विधायक को कार्मिक लोक शिकायत और विधि तथा न्याय संबंधी स्टैंडिंग समिति (सभापति शांताराम नायक) को सोपा गया| शांताराम समिति ने दिसंबर 2013 को अपनी रिपोर्ट सौंपी| वर्तमान में यह विधेयक लंबित है|



    • भारत के 22 राज्यों में एक सदनीय विधानमंडल है|



    विधानसभा- 

    • संरचना (अनुच्छेद 170)

    • सदस्य संख्या

    • प्रत्येक राज्य में अलग-अलग होती है|

    • अधिकतम- 500 सदस्य

    • न्यूनतम- 60 सदस्य


    • निर्वाचन प्रक्रिया- First Past The Post (अग्रता विजेता)

    • प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष मतदान द्वारा


    • नामित सदस्य अनुच्छेद 333

    • राजपाल की राय में यदि विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो एक आंग्ल भारतीय और राज्यपाल द्वारा नामित किया जा सकता है|

    • Note-104वे संविधान संशोधन 2019 के द्वारा लोकसभा व विधानसभा में एंग्लो इंडियन के मनोनयन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया|


    • प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र

    • प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में बांटा जाएगा तथा यह विभाजन प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र को प्राप्त सीट तथा जनसंख्या का अनुपात सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एक समान होना चाहिए| (संसद द्वारा)

    • प्रत्येक जनगणना के पश्चात प्रत्येक राज्य की विधानसभा की सीटें तथा प्रत्येक राज्य का प्रादेशिक (क्षेत्रीय) निर्वाचन क्षेत्र में विभाजन का पुन: निर्धारण किया जाएगा|

    • 42वें संविधान संशोधन 1976- इसके द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों को 1971 की जनगणना के आधार पर 2000 तक निश्चित किया गया|

    • 84 वें संविधान संशोधन 2001 के द्वारा विधानसभा क्षेत्रों की सीटों का निर्धारण 1971 की जनगणना के आधार पर 2026 तक स्थिर किया गया|

    • 87 वे संविधान संशोधन 2003 के द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण 2001 की जनगणना पर 2026 तक स्थिर कर दिया|


    Note

    • विधानसभा में सीटें- अरुणाचल प्रदेश (60), सिक्किम (32), गोवा (40), पुद्दुचेरी (30), मिजोरम- 40, नागालैंड- 46.

    • सर्वाधिक विधानसभा में सीटें UP- 403

    • सिक्किम व नागालैंड में विधानसभा के कुछ सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से भी चुने जाते हैं तथा पुडुचेरी विधानसभा में तीन सदस्य संघ सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते हैं| 

     

    • विधानसभा का कार्यकाल (अनुच्छेद 172)- 

    • आम चुनाव के बाद प्रथम बैठक से 5 वर्ष तक

    • राष्ट्रीय आपातकाल के समय विधानसभा का कार्यकाल एक बार में 1 वर्ष के लिए (कितने भी समय के लिए) बढ़ाया जा सकता है|

    • लेकिन आपातकाल की समाप्ति के बाद किसी भी दशा में इसका कार्यकाल 6 माह से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है|

    • लेकिन राज्यपाल द्वारा किसी भी समय विधानसभा का भी विघटन किया जा सकता है| (अनुच्छेद 174)


    • विधानमंडल सदस्यों की योग्यता (अनुच्छेद 173)- 

    1. भारत का नागरिक होना चाहिए|

    2. तीसरी अनुसूची में दिए गए प्रारूप के आधार पर शपथ लेना चाहिए|

    3. आयु - 

    1. विधानसभा के लिए न्यूनतम 25 वर्ष होनी चाहिए|

    2. विधानपरिषद के लिए न्यूनतम 30 वर्ष होनी चाहिए|


    1. उसके पास ऐसी अन्य योग्यताएं हो, जो संसद द्वारा विधि द्वारा बनाई जाए (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951) 


    • विधान मंडल के सदस्यों की निरर्हता [अनुच्छेद 191(1)]- 

    1. लाभ का पद धारण करता है|

    2. सक्षम न्यायालय द्वारा विकृतिचित घोषित है|

    3. अनुमोचित दिवालिया है|

    4. भारत का नागरिक नहीं हो या विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से ग्रहण कर ले|

    5. संसद द्वारा बनाई गई विधि के अंतर्गत निरर्ह करार दे दिया जाए|


    • उपरोक्त निरर्हता के संबंध में किसी सदस्य के संबंध में प्रश्न उठता है, तो राज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा| राज्यपाल अपना निर्णय निर्वाचन आयोग की सलाह के आधार पर देगा| (अनुच्छेद 192)


    • 191(2)- दल बदल के आधार पर निरर्हता


    • विधानमंडल सदस्यों द्वारा शपथ/ प्रतिज्ञान (अनुच्छेद 188)- 

    • राज्यपाल या राज्यपाल द्वारा नियुक्त व्यक्ति के सक्षम तीसरी अनुसूची निर्धारित प्रारूप के अनुसार|

    1. भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा की|

    2. भारत की प्रभुता व अखंडता को अक्षुण्ण रखने की

    3. कर्तव्य पालन की|


    • गणपूर्ति (अनुच्छेद 189)- 

    • विधान परिषद या विधानसभा में कुल सदस्य संख्या का 1/10 हिस्सा या 10 सदस्य (जो भी अधिक हो)

    • गणपूर्ति न होने पर विधानपरिषद के अधिवेशन सभापति द्वारा तथा विधानसभा के अधिवेशन अध्यक्ष द्वारा स्थगित कर दिए जाते हैं|


    • विधानसभा की विशिष्ट शक्तियां-

    1. विधानसभा का अध्यक्ष ही धन विधेयक का निर्धारण करता है| 

    2. विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ही राष्ट्रपति व राज्यसभा के चुनाव में भाग लेते हैं| 

    3. विधान परिषद का निर्माण व अस्तित्व विधानसभा पर निर्भर करता है| 

    4. राज्य मंत्रीपरिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के ही प्रति उत्तरदायी होती है| मंत्रीपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव केवल विधानसभा में ही लाया जा सकता है| 


    • Note- विधान परिषद के पास कोई विशेष शक्ति नहीं है| 



    विधान परिषद- 

    • अनुच्छेद 169- 

    • राज्य में विधान परिषदों का उत्सादन (समाप्ति ) या सृजन (निर्माण)-

    • संसद साधारण बहुमत से विधि बना कर किसी भी राज्य में विधान परिषद का सृजन या समापन कर सकती हैं| 

    • संसद ऐसा तब करेगी जब विधानसभा कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्य के 2/3 बहुमत से संकल्प पारित करें|

    • Note- यह संशोधन 368 के तहत नहीं होगा|


    • विधानपरिषद की संरचना (अनुच्छेद 171)- 

    • सदस्य संख्या

    • अधिकतम- उस राज्य की विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का ⅓ सदस्य 

    • न्यूनतम- 40 सदस्य


    • निर्वाचन प्रक्रिया- 

    1. ⅓ सदस्य स्थानीय निकायों से अर्थात नगर पालिका, जिला बोर्ड, अन्य स्थानीय अधिकारियों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित|

    2. 1/12 सदस्य राज्य में निवास करने वाले 3 वर्ष के स्नातको से बने निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित

    3. 1/12 सदस्य राज्य में निवास करने वाले 3 वर्ष से माध्यमिक विद्यालयों से अनिम्न स्तर मे अध्यापन करा रहे शिक्षकों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित|

    4. 1/3 सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा|

    5. 1/6 सदस्यों का नामांकन/ मनोयन राज्यपाल द्वारा| ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन, समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यवहारिक अनुभव रखने वाले होते हैं|


    • अर्थात विधान परिषद में 5/6 सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है तथा 1/6 सदस्यों नामांकित होते हैं|

     

    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 द्वारा विधान परिषद सदस्यों के लिए निम्न योग्यताएं निश्चित की गई है-

    1. राज्य विधानपरिषद का सदस्य चुने जाने के लिए किसी व्यक्ति को उस राज्य के किसी विधानपरिषद के निर्वाचन अंग का निर्वाचक नहीं होना चाहिए| 

    2. राज्यपाल द्वारा विधान परिषद की सदस्यता के लिए कोई व्यक्ति तभी मनोनीत किया जाएगा, जब वह उस राज्य में मामूली तौर से निवासी हो| 


    • राज्यसभा व राज्य विधानपरिषद के सदस्यों के निर्वाचन में अंतर-

    1. राज्यसभा में निर्वाचन खुले मतदान प्रक्रिया द्वारा होता है, जबकि विधान परिषद के सदस्यों का निर्वाचन गुप्त मतदान प्रक्रिया द्वारा होता है| 

    2. राज्यसभा के निर्वाचन में राज्य विधानसभा के मनोनीत सदस्य वोट नहीं डाल सकते हैं, जबकि राज्य विधानपरिषद के निर्वाचन में राज्य विधानसभा के मनोनीत सदस्य वोट डालते हैं| 


    • विधानपरिषद का कार्यकाल (अनुच्छेद 172)- 

    • यह एक स्थायी सदन है, जिसका कभी भी विघटन नहीं होता है|

    • सदस्यों का कार्यकाल- 6 वर्ष (⅓ सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं|


    • विधानमंडल के पीठासीन अधिकारी

    1. विधानसभा के पीठासीन अधिकारी

    • अध्यक्ष (अनुच्छेद 178)

    • उपाध्यक्ष (अनुच्छेद 178)

     

    1. विधान परिषद के पीठासीन अधिकारी-

    • सभापति (अनुच्छेद 182)

    • उपसभापति (अनुच्छेद 182)


    • विधानसभा अध्यक्ष- 178

    • विधानसभा के सदस्य अपने सदस्यों के बीच से ही अध्यक्ष का निर्वाचन करते हैं

    • कार्यकाल- (सविंधान में उल्लेख नहीं), सामान्यत: 5 वर्ष/ विधानसभा के कार्यकाल तक

    • त्यागपत्र- उपाध्यक्ष को (अनु 179)

    • पद से हटाना (अनुच्छेद 179)-14 दिन की पूर्व सूचना पर विधानसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प की आधार पर


    • कार्य व शक्तियां- 

    1. सदन में शिष्टाचार व व्यवस्था बनाए रखना|

    2. सत्र का स्थगन करना|

    3. निर्णायक मत देना 

    4. धन विधेयक (199) पर निर्णय करना| उसका निर्णय अंतिम होगा|

    5. दसवीं अनुसूची में दल बदल के आधार पर उठे विवादों का निर्णय देना|


    Note- विधानसभा अध्यक्ष भारत के संविधान, विधानसभा के प्रक्रिया नियमों से शक्ति प्राप्त करता है|


    • विधानसभा उपाध्यक्ष (अनुच्छेद 178)

    • चुनाव- विधानसभा सदस्य अपने में से|

    • कार्यकाल- (सविंधान में उल्लेख नहीं), सामान्यत: 5 वर्ष/ विधानसभा के कार्यकाल तक

    • त्यागपत्र- (अनुच्छेद 179)- अध्यक्ष

    • पद से हटाना (अनुच्छेद 179)- 14 दिन की पूर्व सूचना के बाद विधानसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प के द्वारा|

    • कार्य व शक्तियां- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी कार्य करता है|


    • विधानसभा के अध्यक्ष का पद रिक्त हो तथा उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने पर राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधानसभा का कोई अन्य सदस्य अध्यक्ष के कर्त्तव्यों का पालन करता है| 

    • विधानसभा के किसी बैठक में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष के न होने पर विधानसभा की प्रक्रिया के नियमों के तहत अवधारित व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा| 


    • विधान परिषद का सभापति(182)

    • चुनाव- विधान परिषद के सदस्य अपने में से चुनते हैं|

    • त्यागपत्र (अनुच्छेद 183)- उपसभापति को

    • पद से हटाना (अनुच्छेद 183)- 14 दिन के पूर्व सूचना पर विधान परिषद के तत्काल सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प के आधार पर|

    • कार्य व शक्तियां- धन विधेयक की शक्ति को छोड़कर सभी शक्तियां अध्यक्ष की तरह होती है|

    • कार्यकाल- (सविंधान में उल्लेख नहीं), सामान्यत: 6 वर्ष


    • विधान परिषद का उपसभापति (182)

    • चुनाव- विधान परिषद के सदस्य अपने में से चुनते हैं|

    • त्यागपत्र (183)- सभापति को

    • पद से हटाना (183)-14 दिन की पूर्व सूचना पर विधान परिषद के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प के आधार पर|

    • कार्य- सभापति के अनुपस्थिति में सभापति के कार्य करना|

    • कार्यकाल- (सविंधान में उल्लेख नहीं), सामान्यत: 6 वर्ष


    Note- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति, उपसभापति के वेतन-भत्ते राज्य की संचित निधि पर भारित होते हैं|

     



    राजस्थान विधानसभा- 

    • जयपुर महाराजा मानसिंह द्वितीय ने सितंबर 1945 में द्विसदनीय विधानमंडल का गठन किया था, जिसका एक सदन धारा सभा तथा दूसरा प्रतिनिधि सदन था|  

    • अजमेर-मेरवाड़ा का राज्य में विलय ने होने तक वहां 30 सदस्यीय पृथक विधानसभा थी, जिसे धारासभा कहते थे| 1 नवंबर 1956 को अजमेर-मेरवाड़ा का राज्य में विलय हो जाने पर राज्य विधानसभा के सदस्यों की संख्या 190 हो गई| 


    • राजस्थान में विधानसभा जयपुर में है|

    • वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं|

    • राजस्थान में पहली विधानसभा के चुनाव 4 जनवरी से 24 जनवरी 1952 को हुए|

    • प्रथम विधानसभा का कार्यकाल 29 मार्च 1952- 23 मार्च 1957

    • प्रथम विधानसभा सदस्यों की संख्या- 160 थी

    • प्रथम विधानसभा का गठन- 29 मार्च 1952

    • प्रथम विधानसभा की प्रथम बैठक- 31 मार्च 1952

    • प्रथम अध्यक्ष- नरोत्तम लाल जोशी

    • प्रथम उपाध्यक्ष- लाल सिंह शक्तावत

    • विपक्ष के नेता-  कुंवर जसवंत सिंह

    • प्रथम महिला विधायक- यशोदा देवी (प्रजा समाजवादी पार्टी) बांसवाड़ा उपचुनाव में विजित (1953) 

    • दूसरी महिला विधायक- कमला बेनीवाल


    • Note- सर्वाधिक 17 बार उपचुनाव प्रथम विधानसभा में हुए|


    • चतुर्थ (1967- 72) विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला जिसके कारण 13 मार्च 1967 से 26 अप्रैल 1967 तक राष्ट्रपति शासन रहा|

    • पांचवी विधानसभा (15 मार्च 1972 से 29 अप्रैल 1977) का कार्यकाल सबसे लंबा रहा|

    • छठी विधानसभा का कार्यकाल सबसे छोटा रहा (2 वर्ष 7 माह)

    • छठी विधानसभा 1977 में सदस्य संख्या बढ़कर 200 हो गई थी|

    • 12 वीं विधानसभा( 2003- 2008) 

    • इसमें पहली बार संपूर्ण राज्य में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान कराया गया|

    • प्रथम महिला मुख्यमंत्री- श्रीमती वसुंधरा राजे

    • प्रथम महिला विधानसभा अध्यक्ष- सुमित्रा सिंह 


    Note- कुल 200 सीटों में- 

    • 25 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST)

    • 34 सीटें अनुसूचित जाति (SC) 


    • 15 वी विधानसभा

    • चुनाव 7 दिसंबर 2018

    • रिजल्ट 11 दिसंबर 2018 (कांग्रेस 99 सीटें व BJP 73 सीटें)

    • मुख्यमंत्री- अशोक गहलोत

    • विधानसभा अध्यक्ष- सी .पी. जोशी (कांग्रेस)

    • विपक्ष के नेता- गुलाबचंद कटारिया (B.J.P.) 

    • 15 वी विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर- गुलाबचंद कटारिया

    • उपाध्यक्ष- राव राजेंद्र सिंह

    • प्रथम बैठक- 15 जनवरी 2019 

    • विपक्ष के उपनेता- राजेंद्र सिंह राठौड़ 


    Note- प्रथम दलित अध्यक्ष- कैलाश मेघवाल (14 वी विधानसभा)



    • 16 वी विधानसभा

    • चुनाव- 25 नवम्बर 2023

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