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सुरक्षा: परंपरागत और गैर-परंपरागत/ Security: Traditional and Non-Traditional/ Suraksha: paaramparik aur gair-paramparaagat By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

    सुरक्षा

    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सुरक्षा का अभिप्राय-

    • वाल्टर लिपमैन “एक राज्य के द्वारा अपने केंद्रीय मूल्य को बनाए रखना ही सुरक्षा है, चाहे राज्य युद्ध को बचाकर इन मूल्यों की रक्षा करें या युद्ध में विजय प्राप्त करें|”

    • बैरी बुजान “यह राज्य और समाज की वह क्षमता है, जिसके द्वारा राज्य अपनी स्वतंत्र पहचान कायम रख सके तथा प्रकार्यात्मक एकता एवं अखंडता को सुरक्षित रख सके|”

    • सुरक्षा को आत्मनिष्ठ और वस्तुनिष्ठ दोनों रूपों में परिभाषित किया जा सकता है| अर्नाल्ड वुल्फर्स के अनुसार “वस्तुनिष्ठ रूप में सुरक्षा का आशय, राज्य के मूल्यों के ऊपर बाह्य आक्रमण का अभाव है, जबकि आत्मनिष्ठ रूप से सुरक्षा का अभिप्राय, राज्य के मूल्यों को संभावित आक्रमण के भय से बचाए रखना है|


    परंपरागत सुरक्षा

    • परंपरागत रूप में एक राज्य सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा अन्य राज्यों को मानता था| जैसे 1960 के दशक में चीन ने सोवियत संघ को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना| इसी प्रकार सोवियत संघ ने अमेरिका को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा माना|

    • इन बाह्य खतरों से अपनी सुरक्षा के लिए प्रत्येक राज्य के द्वारा अधिक से अधिक सैन्य सामग्री अर्जित करने का प्रयत्न किया गया| इसलिए शीत युद्ध के युग में हथियारों की दौड़ अत्यधिक प्रभावी थी|


    सुरक्षा उभयपाश (Dilemma) और असुरक्षा उभयपाश-

    • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सुरक्षा बनाए रखना प्रत्येक देश का मार्मिक हित माना है| क्योंकि यथार्थवादियों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रत्येक राज्य, दूसरे का संभावित शत्रु होता है| इसलिए प्रत्येक राज्य राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं प्रयत्नशील होते हैं, तथा राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि के लिए सैन्य क्षमता को बेहतर बनाना मुख्य उपाय माना जाता है|

    • प्रत्येक राज्य बेहतर हथियारों का भंडारण करते हैं| परंतु एक राज्य द्वारा हथियारों के भंडारण से दूसरा राज्य मनोवैज्ञानिक रुप में असुरक्षित हो जाता है और वह भी हथियारों के संग्रह का प्रयत्न करता है|

    • इसलिए हथियारों के अभाव में राज्य असुरक्षित होते हैं| हथियारों के संग्रह के बाद भी राज्य असुरक्षित बने रहते हैं, क्योंकि प्रत्येक राज्य हथियारों के संग्रह के लिए प्रयत्नशील रहता है| इसे ही सुरक्षा उभयपाश कहा जाता है|


    • अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रत्येक राज्य का उद्देश्य दोहरा होता है-

    1. अपनी सुरक्षा को बेहतर करना

    2. अन्य राज्यों से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक असुरक्षा की भावना को भी दूर करना


    असुरक्षा उभयपाश-

    • इसके अंतर्गत राज्य की सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरा बाह्य न होकर आंतरिक है| जैसे- गृह युद्ध, 1990 के पश्चात अनेक राज्य गृह युद्ध के शिकार हुए| जिनमें हैं- सोमालिया, रवांडा, अफगानिस्तान आदि|

    • पाकिस्तानी सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान में बढ़ रहे हैं कट्टरपंथी तालिबानियों से है|


    सामूहिक सुरक्षा-

    • सामूहिक सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति प्रबंध का एक आधुनिक साधन है|

    • श्लीचर “सामूहिक सुरक्षा को कभी-कभी शांति के भवन के स्तंभों का अवलंब कहा जाता है| जब इसे संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में शामिल किया गया तो सामूहिक सुरक्षा का वर्णन विश्व शांति की सबसे अच्छी आशा के रूप में किया गया, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति के विरुद्ध किसी भी आक्रमण को रोकने के लिए शांति स्रोत बनना था

    • पामर तथा पार्किंस “बहुत कम शब्द पश्चिमी दुनिया में सामूहिक सुरक्षा के शब्द में अधिक लोकप्रिय हैं तथा कुछ ही शब्द ऐसे हैं जो इस तरह के अस्पष्ट तथा अलग-अलग रूप में प्रयोग किए जाते हैं|

    • जार्ज श्वार्जन बर्गर “सामूहिक सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विरुद्ध आक्रमण को रोकने तथा उसके विरुद्ध क्रिया करने के लिए किए गए संयुक्त कार्यों का यंत्र है|” 

    • पामर तथा पार्किंस “सामूहिक सुरक्षा का स्पष्ट अर्थ है, शांति के खतरों से निपटने के लिए सामूहिक उपाय करना|

    • श्लीचर “सारांश में सामूहिक सुरक्षा राज्यों के बीच एक व्यवस्था है, जिसमें सभी यह वायदा करते हैं कि  किसी भी राज्य के दूसरे राज्य के विरुद्ध निषिद्ध कार्य (युद्ध तथा आक्रमण) में लिप्त होने की सूरत में वे उसके शिकार की सहायता करेंगे|”

    • जैकब तथा एथर्टन “सामूहिक सुरक्षा के विचार का सारांश यह है कि, यह राज्यों के बीच एक पारस्परिक आश्वासन समझौता या बीमा है| प्रत्येक राष्ट्र दूसरे सभी राष्ट्रों की सुरक्षा की गारंटी देता है और शायद इसी गारंटी की वजह से दूसरे राष्ट्रों द्वारा किए गए वायदों से अपनी सुरक्षा की गारंटी मिलती है|”

    • सामूहिक सुरक्षा शांति-शक्ति व्यवस्था का आधुनिक साधन है, जिससे सभी राष्ट्रों द्वारा किसी राष्ट्र की सुरक्षा की गारंटी दी जाती है| यह ‘एक सबके लिए तथा सब एक के लिए (One for all and all for one) के सिद्धांत का व्यवहारिक रूप है| 


    • सामूहिक सुरक्षा की प्रकृति/ विशेषताएं

    1. सामूहिक सुरक्षा शक्ति प्रबंधन तथा अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा का साधन है|

    2. सामूहिक सुरक्षा की धारणा है कि राष्ट्र की सुरक्षा भंग हो सकती है और युद्ध और आक्रमण को पूर्ण रूप से समाप्त नहीं किया जा सकता है|

    3. इसकी मान्यता है कि किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है|

    4. सामूहिक सुरक्षा के अंतर्गत सभी राष्ट्र आक्रमण को समाप्त करने के लिए इकट्ठे साधन जुटाने के लिए तत्पर रहते हैं|

    5. सामूहिक सुरक्षा का अर्थ है सार्वजनिक तथा विश्वपरक शक्ति-अधिपत्य स्थापित करना तथा सभी राष्ट्रों का उत्तरदायित्व बनाकर अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा की रक्षा करना|

    6. सामूहिक सुरक्षा एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के अस्तित्व को आवश्यक मानती है|

    7. सामूहिक सुरक्षा की धारणा शक्ति संतुलन के सिद्धांत तथा विश्व सरकार के बीच की व्यवस्था है|

    8. सामूहिक सुरक्षा निवारक व्यवस्था है क्योंकि इस व्यवस्था में प्रत्येक राष्ट्र की रक्षा दूसरे राष्ट्र के आक्रमण से की जाती है|

    9. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अध्याय VII में अनुच्छेद 36 से 51 तक सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था की गई है|

    10. सामूहिक सुरक्षा अतिक्रमण तथा युद्ध को शत्रु मानती हैं न कि उस राज्य को जो युद्ध या आक्रमण करता है|


    • सामूहिक सुरक्षा की पूर्वधारणाएं

    • AFK आर्गेन्सकी के अनुसार सामूहिक सुरक्षा की आदर्श व्यवस्था 5 पूर्वकल्पनाओं पर आधारित है - 

    1. पहले स्थान पर, सशस्त्र भिड़ंत में अपने राष्ट्र यह मानेंगे कि कौनसा राज्य आक्रामक है तथा यह कि शीघ्रता से की जाने वाले सामूहिक क्रिया आक्रमण के विरुद्ध आवश्यक है|

    2. दूसरे स्थान पर, सभी राष्ट्र समान रूप से यह चाहते हैं युद्ध रुक जाए चाहे जिस भी स्रोत से यह आया हो|

    3. तीसरे स्थान पर, सभी राष्ट्र समान रूप से स्वतंत्र है तथा आक्रमण के विरुद्ध प्रक्रिया में शामिल होने में सक्षम भी है|

    4. चौथे स्थान पर, सारे विश्व के राष्ट्रों को शक्ति को इकट्ठा करके, सभी को सामूहिक शक्ति को आक्रमण के विरुद्ध लगा देना चाहिए|

    5. पांचवें स्थान पर, शक्ति अधिपत्य को आक्रमण के विरुद्ध प्रयोग करने के लिए तैयार रखना चाहिए|


    • मार्गेन्थो ने सामूहिक सुरक्षा की तीन मुख्य पूर्वधारणाएं बतायी है- 

    • पहले स्थान पर, सभी राष्ट्र संभावित आक्रमण की विरुद्ध, इस तरह से शक्ति का प्रयोग करें कि वह सामूहिक सुरक्षा द्वारा सुरक्षित क्रम को दुबारा चुनौती न दे सके|

    • दूसरे स्थान पर, सभी राष्ट्र जो इस व्यवस्था में शामिल होते हैं, की सुरक्षा के बारे में एक समान धारणा होनी चाहिए, जिसे वे सुरक्षित करना चाहते हैं|

    • तीसरे स्थान पर, ऐसे राष्ट्र अपने विरोधी राजनीतिक हितों को सबकी सुरक्षा के हित में त्यागने के लिए तैयार होने चाहिए|


    • संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के अधीन सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था-

    • संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सबसे प्रमुख उद्देश्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है|

    • संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा’ शब्द 32 बार प्रयोग किया गया है|

    • घोषणापत्र के अनुच्छेद- 1 में अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को UNO की मुख्य प्राथमिकता बताया गया है| इस अनुच्छेद के अनुसार “अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा कायम रखना तथा इसके बीच प्रभावपूर्ण सामूहिक प्रयत्नों द्वारा शांति के संकटों को रोकना और समाप्त करना तथा आक्रमण को एवं शांति भंग करने की अन्य चेस्टाओ को दबाना एक अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्य है|”

    • UN चार्टर के 7 वें अध्याय में सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था का वर्णन है|

    • 7वें अध्याय में अनुच्छेद 39 से 51 तक कुल 13 अनुच्छेदों में अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सामूहिक कार्यवाही के लिए विस्तृत उपाय दिए गए हैं, जिन्हें सुरक्षा परिषद लागू कर सकती हैं तथा जिन्हें मानना सभी सदस्यों का कर्तव्य है|

    • सातवें अध्याय का शीर्षक- ‘शांति के प्रति धमकियों, शांतिभंग की स्थितियों तथा आक्रमण के कार्यों के बारे में कार्यवाही|’

    • अनुच्छेद 39 के अधीन सुरक्षा परिषद का यह दायित्व है कि “वह यह निर्णय करें कि शांति को धमकी दी गई है, शांति भंग की गई है या आक्रमण हुआ है|” इसके लिए वह सिफारिशें करेंगी या निश्चित करेंगी कि अनुच्छेद 41-42 के अधीन अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा बनाए रखने अथवा पुनः प्राप्त करने के लिए कौन सी कार्यवाही की जाएगी|”

    • अनुच्छेद 40, 41, 42 में अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बनाए रखने तथा दोबारा प्राप्त करने के लिए सुरक्षा परिषद द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख है|

    • अनुच्छेद 40 “अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को भंग करने वाली या इसे धमकी देने वाली स्थितियों में वृद्धि होने की सूरत में पहले कदम के रूप में सुरक्षा परिषद अस्थायी कार्यवाहीयां कर सकती है, जिन्हें यह आवश्यक समझती है|

    • अनुच्छेद 41 में प्रवर्तक कार्यवाहीयों के बारे में बताया गया है, जो सामूहिक सैन्य कार्यवाही से अलग होती है|

    • अनुच्छेद 41 “सुरक्षा परिषद अपने निर्णयों को लागू करने के लिए ऐसे कदमों के विषय में एक निर्णय कर सकती है, जिनमें सशस्त्र बल प्रयोग न हो और वह UNO के सदस्यों को उन कदमों का अनुपालन करने के लिए कह सकती है| इन कदमों के द्वारा आर्थिक संबंधों तथा रेल, समुद्र, वायु, डाक, तार, रेडियो एवं संचार व्यवस्था के अन्य साधनों को पूर्ण अथवा आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया जा सकता है और राजनीतिक संबंध भी तोड़े जा सकते हैं|

    • अनुच्छेद 42 सुरक्षा परिषद को अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा बनाए रखने तथा सुरक्षित करने के लिए शक्ति देता है|

    • अनुच्छेद 42 “यदि सुरक्षा परिषद यह समझे कि अनुच्छेद 41 में वर्णित कदम अपर्याप्त होंगे तथा अपर्याप्त सिद्ध हुए हो तो अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने अथवा पुन: स्थापित करने के लिए सुरक्षा परिषद वायु, समुद्र अथवा स्थल सेनाओं की सहायता से आवश्यक कार्यवाही कर सकती है| इस तरह की कार्यवाहीयो में प्रदर्शन, नाकाबंदी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की वायु, जल तथा स्थल सेनाओं की सैनिक कार्यवाही शामिल हो सकती है|

    • अनुच्छेद 43 के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों का उत्तरदायित्व है कि वह सुरक्षा परिषद की अनुच्छेद 42 के अधीन किसी के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने के लिए सामूहिक सुरक्षा सेना को इकट्ठा करने के लिए अपने समर्थन, पयत्नो, साधनों तथा सेना में सहायता करें|

    • अनुच्छेद 44 से अनुच्छेद 47 तक के अनुच्छेदों में उस प्रक्रिया के बारे में लिखा है जिसके अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ शांति बनाए रखने वाले सामूहिक सुरक्षा सेवा को इकट्ठा रखना तथा इनका प्रयोग करना होता है|

    • अनुच्छेद 48 के अनुसार “अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को कायम रखने हेतु सुरक्षा परिषद के निर्णयों को लागू करने के लिए जो कार्यवाही आवश्यक होगी उसके विषय में सुरक्षा परिषद निर्धारित करेगी कि वे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा होगी या उसमें कुछ के द्वारा|”

    • अनुच्छेद 49 “सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित कार्यवाही को लागू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य एक दूसरे को सहयोग देंगे|

    • अनुच्छेद 51 राज्यों के इस अधिकार को स्वीकार करता है कि “यदि किसी राज्य के विरुद्ध सशस्त्र आक्रमण होता है तो उसे तब तक व्यक्तिगत या सामूहिक आत्म-रक्षा का अधिकार है जब तक सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठा लेती है|”


    • सुरक्षा स्थापित करने के उदारवादी माध्यम

    1. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के निर्माण के द्वारा

    • उदारवादियों के अनुसार “विश्व में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के निर्माण के द्वारा बेहतर रूप में सुरक्षा स्थापित की जाती है|”

    • इन संस्थाओं के द्वारा राज्यों के मध्य परस्पर सहयोग संभव है|

    • उदारवादियों के अनुसार यूरोपियन यूनियन जैसे अधिराष्ट्रीय संगठन के द्वारा फ्रांस और जर्मनी के मध्य व्याप्त ऐतिहासिक शत्रुता को सहयोग में परिवर्तित कर दिया गया|


    1. लोकतंत्र के प्रसार द्वारा

    • उदारवादियों के अनुसार विश्व में लोकतंत्र के प्रसार के द्वारा युद्धों को सीमित किया जा सकता है, क्योंकि लोकतांत्रिक राज्यों के मध्य संघर्षों का समाधान शांतिपूर्ण रूप से किया जाता है|

    • इनके अनुसार लोकतांत्रिक राज्यों के मध्य अभी तक एक भी युद्ध नहीं हुआ|

    • लोकतांत्रिक शांति का सिद्धांत ‘माइकल डोल’ द्वारा प्रतिपादित किया गया|

    1. आर्थिक अंतनिर्भरता द्वारा- 

    • उदारवादियों के अनुसार विश्व में व्यापारिक लेन-देन और आर्थिक अंतनिर्भरता के परिणामस्वरूप शांति की स्थापना संभव है|


    • यथार्थवादियों के अनुसार सुरक्षा

    • यथार्थवादियों के अनुसार ‘समूचा विश्व’ अराजकतापूर्ण है| इसलिए राज्य को अपनी सुरक्षा बनाए रखने हेतु स्वयं पयत्न करना होता है|

    • यथार्थवादी शक्ति संतुलन में विश्वास रखते हैं|

    • बैरी बूजान ने इस अराजकतापूर्ण विश्व को ‘परिपक्व अराजकता’ की संज्ञा दी है|

    • बैरी बूजान की मान्यता है कि आज सैन्य सुरक्षा के बजाय परिपक्व सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण है| क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा परस्पर अंतनिर्भर है| अतः इन्होंने सुरक्षा समुदाय के निर्माण का विचार दिया, जिसका अभिप्राय यूरोपीय यूनियन जैसी संस्थाओं से है|

    • चार्ल्स ग्लेसर ने सुरक्षा के लिए राज्यों के मध्य आपसी सहयोग को महत्वपूर्ण माना है, जिसके पक्ष में इन्होंने निम्नलिखित तर्क दिए-

    1. सहयोग का विचार आवश्यक और आशावादी है|

    2. साथ-साथ कार्य करने के विशिष्ट लाभ है|

    3. राज्य, अपेक्षित लाभ के बजाय, समान लाभ की आशा करते हैं|

    4. यथार्थवादियों द्वारा धोखेबाजी की संकल्पना को अतिरंजित रूप में पेश किया जाता है|


    • सुरक्षा और महिलाएं या नारीवाद-

    • नारीवादियों के अनुसार ‘राष्ट्र राज्यों के मध्य युद्ध में महिलाएं सर्वाधिक पीड़ित होती है तथा सुरक्षा की पूरी मान्यता पितृसत्तात्मक समाज के अनुरूप निर्मित है|’


    • नारीवादियों के अनुसार सुरक्षा का अभिप्राय निम्न है

    1. युद्ध के दौरान बलात्कार से सुरक्षा

    2. घरेलू सुरक्षा

    3. महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा

    4. महिलाओं के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुविधा उपलब्ध कराना|


    • इनके मत में महिलाओं की सुरक्षा को उनकी स्वतंत्र अस्मिता के बजाय पुरुषों के गौरव से जोड़ा गया है, जिनके अनुसार ‘बहादुर पुत्रों का दायित्व है कि वे राष्ट्र रुपी मां की रक्षा करें|’ अंत: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राष्ट्रों को मां के रूप में चित्रित किया गया है|

    • उदारवादी नारीवादियों ने राष्ट्र की सुरक्षा और शक्ति के लिए महिलाओं की प्रत्येक क्षेत्र में सहभागिता बढ़ाने पर बल दिया है|


    • शीतयुद्धोत्तर विश्व में सुरक्षा का अर्थ-

    • शीतयुद्धोत्तर विश्व में सुरक्षा का अर्थ अत्यधिक व्यापक हो चुका है, इसलिए सुरक्षा का परंपरागत अर्थ आंशिक और अपूर्ण प्रतीत होता है|

    • वर्तमान में सुरक्षा का खतरा मूलत: आंतरिक है| शीतयुद्धोत्तर विश्व में लगभग 90% संघर्ष राज्यों के आंतरिक ग्रह युद्ध के परिणाम है|

    • एलेग्जेंडर बेंड ने सुरक्षा के नवीन अर्थ को परिभाषित करते हुए कहा कि “सुरक्षा की संकल्पना  मूलत: समाज केंद्रित होती है, जिसे रचनात्मक सिद्धांत भी कहा जाता है|” 

    • इनके अनुसार अंतरराष्ट्रीय राजनीति की प्रकृति भौतिक नहीं, अपितु सामाजिक होती है|

    • वर्तमान युग में एक राज्य को, दूसरे राज्य से सुरक्षा खतरा नहीं है, बल्कि आज प्रत्येक राज्य को राज्येत्तर कर्ताओ से खतरा है, जिसमें अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन संपूर्ण विश्व की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं|


    • वर्तमान में परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा का व्यापक अभिप्राय निम्न है-

    1. आर्थिक और वित्तीय अस्थायित्व, जो समकालीन आर्थिक मंदी के युग में और प्रभावी हो गया है|

    2. ऊर्जा सुरक्षा

    3. पर्यावरणीय सुरक्षा


    • पर्यावरणीय सुरक्षा-

    • रॉचेल कार्सन ने Silent Spring 1962 नामक रचना लिखी| यह पर्यावरण पर लिखी गई पहली पुस्तक है|

    • पॉल आर इर्लिच ने The Population Bomb 1968 पुस्तक लिखी|

    • ‘सतत विकास’ शब्द ब्रटलैंड रिपोर्ट (1987) द्वारा अत्याधिक लोकप्रिय हुआ| इस रिपोर्ट का विषय Our Common Future था|

    • संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरणीय सुरक्षा में योगदान-

    • पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का पहला सम्मेलन वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में हुआ|

    • वर्ष 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर हुए, जिसके द्वारा ओजोन परत को संरक्षित करने के लिए समझौता हुआ|

    • संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण सम्मेलन वर्ष 1992 में रियो डी जेनिरियो (ब्राजील) में हुआ, जो संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण एवं विकास पर आयोजित सम्मेलन था|

    • लोकप्रिय रूप में इसे पृथ्वी सम्मेलन के नाम से जाना गया| इसी सम्मेलन में एजेंडा 21 का निर्माण हुआ तथा इसी सम्मेलन के द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ का मौसम परिवर्तन पर कलेक्शन 

    • (UNFCCC) का निर्माण हुआ| 

    • रियो डी जेनिरियो पृथ्वी सम्मेलन में समान किंतु विभेदिका जिम्मेदारी (Common But Differentiated Responsibilities) के सिद्धांत को अपनाया गया|

    • एजेंडा 21 में पर्यावरण संरक्षण के लिए निम्नलिखित के संरक्षण पर बल दिया गया-

    1. शहरी विकास को सतत रूप से बढ़ावा देना|

    2. वनों का संरक्षण

    3. जैव तकनीकी प्रबंध

    4. विघटित पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण 


    • विश्व बैंक द्वारा विकासशील देशों की पर्यावरणीय परियोजनाओं के निधियन के लिए ‘ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी’ (GEF) का सृजन दिया गया|

    • UNFCCC कि वर्ष 1997 में क्योटो प्रोटोकॉल में बैठक हुई, जिसमें ग्रीनहाउस गैस की कटौती का समझौता हुआ| यह समझौता विकसित देशों के लिए बाध्यकारी था, जबकि विकासशील देशों के लिए नहीं था|

    • वर्ष 2012 जोहान्सबर्ग में पृथ्वी 20 सम्मेलन आयोजित किया गया| इस सम्मेलन में Commission on Sustainable Development (CSD) नामक आयोग बनाया है|

    • गैरेट हार्डिन ने पर्यावरण विनाश को ‘Tragedy of Common’ के रूप में व्यक्त किया|


    • सुरक्षा का परिवर्तित अर्थ या मानवीय सुरक्षा-

    • आलोचनात्मक सिद्धांतकारों के अनुसार सुरक्षा का अभिप्राय राज्य की भौगोलिक सीमा की रक्षा करना मात्र नहीं है, अपितु सुरक्षा का मूल अर्थ मानवीय विकास और मानवीय उत्थान है|

    • रॉबर्ट कॉम्स के अनुसार “आधुनिक संघर्षों में बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं और नागरिक हताहत हो रहे हैं| अनेक आतंकवादी संगठनों द्वारा बच्चों को बाध्यकारी रुप में अपनी सेना में भर्ती किया जा रहा है|”

    • इन सिद्धांतकारों के अनुसार स्वतंत्रता का व्यापक अर्थ है, व्यक्ति को सामाजिक, भौतिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों से मुक्त करना है|

    • पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने मानवीय सुरक्षा की संकल्पना का विचार दिया|


    • महबूब उल हक के अनुसार मानवीय सुरक्षा हेतु निम्नलिखित उपाय आवश्यक है-

    1. विकास- लोगों को अवसर की समानता, भूमि वितरण, सामाजिक  सुरक्षा, रोजगार में वृद्धि तथा न्यूनतम जीवन स्तर प्राप्त करने में सहायता करना|

    2. सैन्य उपाय- हथियारों पर खर्च को कम करना, सैन्य अड्डों को बंद करना, हथियारों के निर्यात और स्थानांतरण पर प्रतिबंध, सैन्य सहायता के बजाय आर्थिक सहायता पर बल देना|

    3. उत्तर-दक्षिण संबंधों की पुनर्संरचना पर बल- तीसरी दुनिया के देशों के विरुद्ध व्यापारिक भेदभाव की समाप्ति और उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहयोग प्रदान करना|

    4. संस्थागत उपाय- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवीय विकास को महत्व देना|

    5. वैश्विक नागरिक समाज का निर्माण- अधिनायकवादी शासन प्रणाली के बजाय, लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को बढ़ावा दिया जाना चाहिए एवं आम लोगों के मध्य परस्पर आदान-प्रदान में वृद्धि| 

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