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राजनीतिक संस्कृति (Political Culture) In Hindi

 राजनीतिक संस्कृति (Political Culture)


    • राजनीति संस्कृति का अर्थ है किसी समाज की संस्कृति के वे पक्ष जो उसकी राजनीति को प्रभावित करते हैं|

    • राजनीति संस्कृति में ऐसे मूल्य, मान्यताएं एवं मानक आ जाते हैं, जो शासक वर्ग, शासन प्रणाली और शासन प्रक्रिया को वैधता प्रदान करते हैं|

    • राजनीतिक संस्कृति विचारवादों, अभिवृत्तियों तथा विश्वासों जैसी राजनीतिक प्रक्रियाओं तथा उनकी अभिव्यक्तियों के स्थितिनिर्धारणों या अभिमुखनो (Orientations) का सेट होती है| 

    • इस तरह राजनीति संस्कृति एक मनो-समाजशास्त्रीय धारणा है| जिसमें अनेक अवधारणाएं शामिल हैं| जैसे राजनीतिक विचारवाद, राष्ट्रीय लोकाचार, राष्ट्रीय भावना, राष्ट्रीय मनोविज्ञान, जनता के आधारभूत नैतिक मूल्य आदि| 

    • किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों की उस राजनीतिक व्यवस्था के प्रति अभिवृत्तियों, विश्वासों, प्रतिक्रियाओं, अपेक्षाओं और संपूर्ण राजनीतिक व्यवहार से ही उस राजनीतिक व्यवस्था की राजनीतिक संस्कृति का निर्माण होता है|

    • राजनीतिक संस्कृति आधुनिक राजनीतिक विज्ञान की देन है| यह संकल्पना मुख्यतः राजनीति के अध्ययन और विश्लेषण के लिए प्रस्तुत की गई है, संस्कृति के विश्लेषण के लिए नहीं| 

    • यह संकल्पना राजनीति को संस्कृति के दृष्टिकोण से देखती है, संस्कृति को राजनीति के दृष्टिकोण से नहीं देखती|

    • इसका उद्देश्य राजनीति के विश्लेषण के लिए संस्कृति के ज्ञान का सहारा लेना है|

    • किसी समुदाय की संस्कृति को जानकर उसकी राजनीति को समझना सुगम हो जाता है|

    • प्रत्येक राजव्यवस्था को उत्तरजीवित तथा सतत बनाए रखने एवं दबावो, द्वन्द्वो, संकटों आदि का सामना करने के लिए एक मात्रा में मूल्यात्मक मतैक्य का होना तथा उसके सदस्यों का उसके प्रति निष्ठावान होना आवश्यक है| इनसे ही राजनीतिक संस्कृति का संबंध होता है| 

    • राजनीतिक संस्कृति राजव्यवस्था की महत्वपूर्ण उपव्यवस्था होती है| 

    • राजनीतिक संस्कृति तृतीय विश्व के देशों से संबंधित है| इसमें अमेरिका को आदर्श मानते हुए विकासशील देशों की संस्कृति का अध्ययन किया जाता है|

    • राजनीति संस्कृति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग आमंड ने जर्नल ऑफ पॉलिटिक्स में प्रकाशित अपने लेख ‘कंपैरेटिव पॉलीटिकल सिस्टम’ 1956 में किया है|

    • इस लेख के अंतर्गत आमंड ने राजनीतिक प्रणाली और उससे जुड़ी उपसंस्कृति को स्वतंत्र अध्ययन का विषय बनाया और इन्हें क्रमश राजनीतिक प्रणाली तथा राजनीतिक संस्कृति का नाम दिया|

    • आमंड व पावेल के अनुसार राजनीतिक संस्कृति गुणों तथा अभिवृत्तियों का समूह होती है| 

    • राजनीतिक संस्कृति को आमंड ने ‘कार्य के प्रति अभिमुखीकरण’, डेविड ईस्टन ने ‘पर्यावरण’, स्पिरो ने ‘राजनीतिक शैली’, बियर ने राजनीतिक संस्कृति कहा है|

    • किंतु राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा सर्वथा नवीन या मौलिक नहीं है, बल्कि प्राचीन काल में हेरोडोटस, प्लेटो, अरस्तु आदि ने तथा आधुनिक काल में टॉकविले, ब्राइस, एमरसन, बेनेडिक्ट, मीड, फ्रॉम आदि ने इस दिशा में अपने-अपने ढंग से चिंतन किया है| 

    • अरस्तु ने न केवल संस्थानों पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि सामाजिक संरचनाओ और उनकी सहायक मूल्य प्रणालियों पर भी ध्यान दिया था, जिसमें मध्यमवर्गीय मूल्यों के रूप में राजनीति में सभ्यता, सहमति और साझेदारी पर जोर दिया गया| 

    • रूसो ने राजनीतिक स्थिरता के आधार के रूप में नैतिकता व रीति रिवाज के महत्व के बारे में बताया| 

    • टॉकविले ने कहा है कि लोकतंत्र केवल संवैधानिक संस्थाओं या कानूनो पर ही नहीं, बल्कि समाज के रीति रिवाजो पर भी निर्भर करता है| धर्म द्वारा संभव आदतों और विचारों को स्वीकार किया जाता है, क्योंकि धर्म सभी मूल्यों के लिए नैतिक आदतों और सम्मान को जन्म देता है| 

    • जोहान गॉटफ्रीड हर्डर ने राष्ट्रीय भावना का विचार दिया| 

    • पार्सन्स ने एक आधुनिक जटिल औद्योगिक समाज के विकास में संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है| 

    • विलियम्स स्वीकार करते हैं कि संस्कृति की अवधारणा जटिल और मायावी दोनों प्रकार की है|

    • रजनी कोठारी ने अपनी पुस्तक Politics in India 1970 में राजनीतिक संस्कृति का आनुभाविक अध्ययन किया है|

    • हंटिंगटन ने अपने प्रसिद्ध निबंध The Clash of Civilization 1996 में संस्कृतियों को सभ्यताओं के साथ जोड़ दिया है|

    • Note- फ्रांसीसी फुकुयामा की पुस्तक End of history and the last man 1992 में प्रकाशित हुई| इसके विरोध में हंटिंगटन ने The Clash of Civilization and the Remaking of world order 1996 लिखी| 

    • ग्राम्शी संस्कृति को विचारधारात्मक प्रधान्य कहता है|

    • विशुद्ध आनुभाविक दृष्टि से राजनीतिक संस्कृति का सर्वप्रथम प्रयोग आमंड व कोलमैन द्वारा विकासशील देशों के अध्ययन हेतु किया गया|

    • एम पी राणा के अनुसार राजसंस्कृति राजनीति के आत्मपरक क्षेत्र (Subjective realm) का प्रतिनिधित्व करती है|  इसका कार्य निजी एवं सामूहिक व्यवहार को अर्थ तथा मार्गदर्शन देना है| 

    • एरिक रोवे ने अपने ग्रंथ Modern Politics 1968 में लिखा है कि राजनीति निर्दिष्ट समय एवं स्थान पर मानवीय पर्यावरण में संचालित होती है| यह पर्यावरण तीन प्रकार का होता है- 

    1. भौतिक पर्यावरण

    2. आर्थिक एवं सामाजिक पर्यावरण

    3. सांस्कृतिक पर्यावरण

    • सांस्कृतिक पर्यावरण में मूल्य, विश्वास, संवेगात्मक अभिवृत्तियां आदि आते हैं| अत: सांस्कृतिक पर्यावरण का संबंध राजनीतिक संस्कृति से है| 

    • मैक्स वेबर, पारसन्स, मैनहाइम, पाई, सिडनी वर्बा आदि ने राजनीतिक संस्कृति को राजनीतिक व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए महत्वपूर्ण माना है| 

    • राजनीतिक संस्कृति का आनुभाविक अध्ययन ल्यूशियन पाई, आमंड, सिडनी वर्बा, लर्नर, मॉर्टन, गार्डन, एलेक्स इन्कलिस, रॉबर्ट हैस, रजनी कोठारी, एमपी राणा आदि ने किया है|

    • 1970 और 80 के दशक में राजनीतिक संस्कृति में रुचि फीकी पड़ गई| USSR के पतन के बाद लोकतंत्र के पुन: निर्माण के लिए पूर्वी यूरोप में किए गए प्रयासों के परिणामस्वरुप 1990 के दशक में राजनीतिक संस्कृति पर फिर से बहस शुरू हुई और USA जैसे परिपक्व लोकतंत्रो में सामाजिक पूंजी और नागरिक जुड़ाव के बारे में चिंता बढ़ने लगी| 

    • राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा सोशियोलॉजी से आई है| आमंड ने यह अवधारणा पारसन्स से ली है| 



    परिभाषाएं-

    • आमंड एवं पॉवेल “राजनीति संस्कृति किसी राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों की राजनीति के प्रति- व्यक्तिगत अभिवृत्तियो और उन्मुक्ताओं की शैली है|”

    • एलन बॉल ने अपनी पुस्तक ‘आधुनिक राजनीति और सरकार’ में कहा है कि “राजनीति संस्कृति का निर्माण समाज की उन अभिवृत्तियों, विश्वासों तथा मूल्यों के समूह से होता है, जिनका राजनीतिक व्यवस्था और राजनीति विषय के साथ संबंध है|”

    • लूसियन पाई “राजनीतिक संस्कृति का संबंध उन अभिवृत्तियो, विश्वासों एवं भावनाओं के समूह से है, जो राजनीतिक प्रक्रिया को व्यापकता तथा सार्थकता प्रदान करते हैं और ऐसे अंतर्निहित विचार एवं नियम  प्रदान करते हैं, जो राजनीतिक व्यवस्था में व्यवहार को नियंत्रित करते है|”

    • सिडनी वर्बा “राजनीतिक संस्कृति में आनुभविक विश्वासों, अभिव्यात्मक प्रतीकों और मूल्यों की वह व्यवस्था निहित है, जो उस परिस्थिति अथवा दशा को परिभाषित करती है, जिसमें राजनीतिक क्रिया संपन्न होती है|”

    • कवनघ “राजनीतिक संस्कृति उन सभी मूल्यों के लिए प्रयुक्त लघु शब्द है, जिनमें राजनीतिक व्यवस्था संचालित होती है| 

    • एरिक रोवे ने राजनीतिक संस्कृति को अच्छे बुरे की धारणा का आधार क्या होना चाहिए तथा विश्वासों व मनोभावों का रूप माना है| 

    • आमंड व सिडनी वर्बा “राजनीतिक संस्कृति, राजव्यवस्था, उसके अवयवों एवं व्यवस्था में व्यक्ति के व्यक्तिकार्यों (भूमिकाओ) के प्रति विशिष्ट राजनीतिक अभिमुखीकरणों तथा अभिव्यक्तियों का संयुक्त रूप है|”

    • आमंड व सिडनी वर्बा ने अपनी कृति Civic Culture 1963 में राजनीतिक संस्कृति को प्रजातंत्रात्मक राजव्यवस्थाओं की कुछ सामान्य विशेषता बतायी है| 

    • आमंड व सिडनी वर्बा के अनुसार राजनीतिक संस्कृति का तात्पर्य प्रतीकों की व्यवस्थित प्रणाली तथा अभिविन्यासों का प्रतिमान झुकाव है| 



    आमंड व सिडनी वर्बा के अनुसार-

    • राजनीतिक संस्कृति के प्रतीक/ मूल तत्व/ संगठन-

    1. अनुभाविक विश्वास

    2. मूल्य अभिरुचिया 

    3. प्रभावी अनुक्रियाएं


    • राजनीतिक संस्कृति के अभिविन्यास या झुकाव-

    1. ज्ञानात्मक झुकाव (Cognitive orientation)

    2. भावनात्मक झुकाव (Affective orientation)

    3. मूल्यांकनात्मक झुकाव (Evaluative orientation)


    • राजनीतिक वस्तुएं-

    1. संपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था

    2. इनपुट प्रक्रिया

    3. आउटपुट प्रक्रिया

    4. व्यक्ति का स्वयं के बारे में ज्ञान


    1. ज्ञानात्मक झुकाव-

    • देश के नागरिकों को अपनी राजनीतिक व्यवस्था के बारे में कितना ज्ञान है?

    • वह देश के इतिहास, संवैधानिक प्रावधानों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, देश के राजनीतिक मूल्यों, इनपुट व आउटपुट प्रक्रिया व स्वयं के अधिकारों, स्वतंत्रताओं व कर्त्तव्यों के बारे में कितना जानते हैं?


    1. भावात्मक झुकाव-

    • नागरिक राजनीतिक वस्तुओं अर्थात राजनीतिक व्यवस्था, राजनीतिक गतिविधियों, राजनीतिक संस्थाओं के प्रति कितना लगाव या अलगाव रखते हैं?

    • वे उनके प्रति राजभक्ति रखते हैं या उदासीन हैं या विरक्ति (नकारात्मक भाव) रखते हैं| 


    1. मूल्यांकनात्मक झुकाव-

    • नागरिक राजनीतिक वस्तुओं के बारे में निर्णय करते हैं, तो ये निर्णय या मूल्यांकन उनकी भावनाओं, सूचनाओं, विश्वासों आदि के मिश्रण से निर्धारित होते है| 


    • आमंड “राजनीतिक व्यवस्था के प्रति अभिमुखन (orientation) को राजनीतिक संस्कृति कहा जाता है|”

    • आमंड व पावेल “राजनीतिक संस्कृति राजनीतिक प्रणाली के सदस्यों में राजनीति के प्रति व्यक्तिगत अभिवृत्तियों और अभिमुखीकरण प्रतिमान है| 


    • रॉबर्ट डहल के अनुसार राजनीतिक संस्कृति में अभिविन्यास (orientation) के प्रकार-

    1. समस्या समाधान अभिविन्यास

    2. राजनीतिक व्यवस्था अभिविन्यास

    3. सामूहिक क्रिया अभिविन्यास


    • रॉबर्ट डहल ने राजनीतिक विरोध के विभिन्न प्रतिमानों (Patterns) की व्याख्या करने वाले कारक के रूप में राजनीतिक संस्कृति को चुना है| 



    राजनीतिक संस्कृति के स्तर-

    • पावेल ने राजनीतिक संस्कृति के तीन स्तर (3P) बताए हैं-

    1. राजव्यवस्था का स्तर (Political system level)- व्यवस्था को देखने का नजरिया

    2. प्रक्रिया स्तर ( Process level)- व्यवस्था व व्यक्ति का संबंध

    3. नीति स्तर (Policy level)- सार्वजनिक नीति 



    राजनीतिक संस्कृति की विशेषताएं-

    • राजनीतिक संस्कृति की निम्न विशेषताएं हैं-

    1. समन्वयकारी स्वरूप- राजनीति संस्कृति नवीन व प्राचीन मूल्यों में समन्वय करती है|

    2. नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पण

    3. अमूर्त स्वरूप- यह अमूर्त व नैतिक अवधारणा है, पर इसका आनुभाविक अध्ययन हो सकता है| 

    4. गतिशीलता- यह गतिशील होती है, इसमें परिवर्तन होता रहता है, पर इसकी गति धीमी व प्राय अप्रत्यक्ष होती है|

    5. यह अनेक तत्वों का सामूहिक रूप है, अर्थात राजनीतिक प्रवृत्तियों का समूह है| 

    6. राजनीतिक संस्कृति आस्थाओं, विश्वास व मूल्यों से प्रभावित होती है| 

    7. राजनीतिक संस्कृति सामान्य संस्कृति से घनिष्ठ रूप से संबंधित होती है| 

    8. राजनीतिक संस्कृति संपूर्ण राजव्यवस्था का अध्ययन करती है| 

    9. यह समष्टिवादी व व्यष्टिवादी दोनों उपागमों का मिश्रण करती है| 

    10. यह विश्वास और इतिहास की उपज होती है| 

    11. यह दृष्टिकोणों एवं विश्वासों का संकलन है|

    12. यह शिक्षकणीय व हस्तांतरणीय है|  

    13. यह व्यवहारवादी क्रांति की देन है|

    14. इसका संबंध तीसरे विश्व के देशों से है|

    15. इसमें व्यक्ति व समूह दोनों शामिल है|

    16. राजनीतिक संस्कृति समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा सिखाई जाती है| उन पर अराजनीतिक संस्कृति तथा परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है| 


    • राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा में निम्न शामिल हैं-

    1. नागरिक सदगुण व उत्तरदायित्व

    2. सहभागी और बहुलवादी जनतंत्र

    3. विवेकशील नौकरशाही के द्वारा व्यवस्था 



    राजनीतिक संस्कृति के निर्धारक तत्व-

    1. इतिहास

    2. धार्मिक विश्वास 

    3. भौगोलिक परिस्थितियां

    4. सामाजिक-आर्थिक परिवेश

    5. विचारधाराएं

    6. शिक्षा का स्तर

    7. भाषा

    8. रीति-रिवाज

    9. सामान्य संस्कृति



    राजनीति संस्कृति के प्रकार-

    • सामान्य राजनीतिक संस्कृति में कई उप-संस्कृतियां होती हैं, जैसे धर्म व क्षेत्रीय अंतरो पर आधारित रक्तवंशीय समूह, सामाजिक प्रस्थिति संबंधी आदि| 


    संख्या व शक्ति के आधार पर संस्कृति के प्रकार-

    1. अभिजनात्मक संस्कृति

    2. जन संस्कृति

    3. मध्यम वर्ग संस्कृति


    • मध्यम वर्ग प्रभावशाली होने पर दोनों उप-संस्कृतियों (अभिजन व जन संस्कृति) के मध्य संतुलन बनाए रखता है, जिससे हिंसात्मक संघर्ष की संभावनाएं कम हो जाती है| अरस्तु ने अपने ग्रंथ पॉलिटिक्स में इस पर चर्चा की है| 


    निरंतरता या सातत्य की दृष्टि से संस्कृति के प्रकार-
    1. रुढ़ीगत या परंपरागत संस्कृति

    2. आधुनिक या नवीन संस्कृति


    गतिशीलता या परिवर्तन की दृष्टि से संस्कृति के प्रकार-

    1. मंद परिवर्तनवादी या स्थिरतावादी संस्कृति

    2. क्रांतिकारी या प्रगतिशील संस्कृति


    आमंड के अनुसार राजनीतिक संस्कृति के प्रकार-

    • आमंड का मानना है, कि राजनीतिक संस्कृति व राजनीतिक व्यवस्था में घनिष्ठ संबंध होता है| 

    • इनके मत में राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व, अस्थायित्व व स्वरूप का निर्धारण वहां की राजनीतिक संस्कृति ही करती है| 

    • जैसे- अफगानिस्तान की राजनीति संस्कृति कबीलायी मूल्यों से प्रभावित है, अतः वहां लोकतंत्र सफल नहीं हो पा रहा है, जबकि ब्रिटेन में पिछली तीन शताब्दियों से लोकतंत्र स्थायी है|


    • आमंड व सिडनी वर्बा के अनुसार राजनीतिक संस्कृति राजनीतिक व्यवस्था से जुड़ी होती है, अतः उनकी भूमिकाओं के संदर्भ में राजनीतिक संस्कृतियों का विभाजन किया जाना चाहिए| 


    • आमंड व वर्बा ने राजनीति व्यवस्था के आधार पर चार प्रकार की राजनीतिक संस्कृति बतायी है-

    1. आंग्ल-अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था- 

    • ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में सामंजस्यकारी, उदारवादी मूल्यों वाली संस्कृति|

    • यह संस्कृति समरसता पूर्ण होती है| 

    • इस संस्कृति में आधुनिक और परंपरागत तथा धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण का पूर्ण समन्यव पाया जाता है| 

    • यह संस्कृति बहुमूल्य युक्त, विवेकसम्मत व प्रयोगात्मक है| 

    • यहां दबाव समूहों में सौदेबाजी होती होती है| 

    • इस संस्कृति में लौकीकीकरण, भूमिका विभिन्नकरण, उपव्यवस्था स्वायत्तता, राजनीतिक एकीकरण व राजनीतिक जागरूकता पाई जाती है| 


    1. यरोप महाद्वीपीय राजनीति व्यवस्था

    • फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन आदि देशों में उदारवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था के बावजूद एक राजनीतिक संस्कृति के बजाय कई उपसंस्कृतिया, हिंसात्मक संघर्ष से उत्पन्न राजनीतिक संस्कृतिया भी दृष्टिगोचर होती है|

    • यहां विखंडित व कम विकसित राजनीतिक संस्कृति पाई जाती है| 

    • यहां समूहों में सौदेबाजी की जगह शक्ति प्रयोग होता है| 

    • इन संस्कृतियों में लौकीकीकरण की प्रक्रिया सफल नहीं हुई है| 

    • इन संस्कृतियों में नीति निर्माण में नौकरशाही का प्रभुत्व होता है| 


    1. गैर-पश्चिमी या गैर यूरोपीय अथवा पूर्व-औद्योगिक या आंशिक औद्योगिक राजनीतिक व्यवस्था-

    • एशिया, अफ्रीका जैसे देशों की संस्कृति|

    • यहां शहरों में आधुनिक संस्कृति पाई जाती है एवं गांवो में आधुनिकता लाने का प्रयास किया जाता है| 

    • यहां विभिन्न राजनीतिक संस्कृतियां एवं व्यवस्थाएं पाई जाती है| 

    • यहां नौकरशाही का विकास अपूर्ण होता है| 

    • करिश्माती सत्ता के कारण अस्थिरता एवं अनिश्चितता पाई जाती है| 

    • ये मिश्रित व्यवस्थाएं हैं, जिनमें पूंजीवाद व समाजवाद का मिश्रण पाया जाता है| 

    • ये अधीनस्थ व्यवस्थाएं है| 


    1. सर्वाधिकारवादी राजनीतिक व्यवस्था

    • चीन, उत्तर-कोरिया, फासीवादी इटली, नाजी जर्मनी, स्टालिनवादी रूस जैसे देशों की संस्कृति|

    • यहाँ संचार पर केंद्र का नियंत्रण होता है| 

    • यह राजव्यवस्था मतैक्य एवं मतभेदविहीन होती है तथा मतभेद भूमिगत रहते हैं| 

    • संचार साधनों व तकनीकों पर एकाधिकार होता है| 

    •  इनके पास हिंसा की अद्यतन तकनीक होती है| 

    • ये बंद व्यवस्थाएं हैं| 


    • आमंड व वर्बा ने अपनी पुस्तक The Civic Culture: Political Attitudes and Democracy in Five Nation 1963 में पांच देशों के राजनीतिक दृष्टिकोण और लोकतंत्र का विश्लेषण करने के लिए सर्वे का प्रयोग किया था| 

    • ये पांच देश निम्न है-

    1. USA

    2. UK 

    3. पश्चिम जर्मनी

    4. इटली

    5. मेक्सिको


    • यह पुस्तक आंशिक रूप से इटली, जर्मनी और अन्य जगहों पर प्रतिनिधि सरकार के पतन और 1945 के बाद कई नव स्वतंत्र विकासशील राज्यों में लोकतंत्र की असफलता की व्याख्या पर आधारित थी| 

    • आमंड व सिडनी वर्बा ने उस राजनीतिक संस्कृति की पहचान करना शुरू किया, जो लोकतांत्रिक राजनीति को सबसे प्रभावी ढंग से कायम रख सकती हो| 


    • आमंड व सिडनी वर्बा द्वारा इन पांच देशों के अध्ययन के चयन का कारण-

    1. USA व UK- लंबा व सफल लोकतंत्र

    2. पश्चिम जर्मनी- लोकतंत्र से पूर्व दीर्घकाल से चली आ रही वैध प्रभावशाली सरकार

    3. इटली- पुरानी सामाजिक व राजनीतिक संरचनाओं का प्रभाव व मौजूदगी 

    4. मेक्सिको- गैर अटलांटिक समुदाय (अध्ययन के समय यहां लोकतंत्र नहीं था) 


    • इन पांच देशों की राजनीतिक संस्कृति के लक्षण-

    1. USA- सहभागी नागरिक संस्कृति

    2. UK- श्रद्धासूचक नागरिक संस्कृति

    3. पश्चिम जर्मनी- राजनीतिक निर्लप्तता व प्रजाभाव संपन्न संस्कृति

    4. इटली- विमुख (अलग-थलग संस्कृति)

    5. मैक्सिको- विमुख एवं आकांक्षापूर्ण संस्कृति| मैक्सिको की संस्कृति व्यवस्थाओं की वैधता, आशाओं और आकांक्षाओं पर टिकी हुई है जिसे ‘क्रांति का वादा’ (The Promise of Revolution) कहा जाता है| 



    वाइजमैन के अनुसार राजनीतिक संस्कृति के प्रकार-

    • वाइजमैन ने अपनी पुस्तक पॉलीटिकल सिस्टम सम सोशियोलॉजिकल एप्रोच 1966 मे सहभागिता के आधार या सर्वांगसमता या एकरूपता की दृष्टि के आधार पर राजनीतिक संस्कृति के तीन विशुद्ध और तीन मिश्रित रूप बताए हैं-

    1. विशुद्ध रूप-

    1. संकुचित राजनीतिक संस्कृति 

    2. अधीनस्थ या प्रजाभावी राजनीतिक संस्कृति

    3. सहभागी राजनीतिक संस्कृति


    1. मिश्रित रूप-

    1. संकुचित-अधीनस्थ मिश्रित राजनीति संस्कृति

    2. अधीनस्थ-सहभागी मिश्रित राजनीतिक संस्कृति

    3. सहभागी-संकुचित मिश्रित राजनीतिक संस्कृति


    Note- सर्वांगसमता के तीन मानक है- निष्ठा, उदासीनता, अलगाव



    प्रो. S.E फाइनर के अनुसार राजनीतिक संस्कृति के प्रकार-

    • पुस्तक-

    1. Comparative Government 1970

    2. The Man On horseback 1962


    • प्रो. S.E फाइनर ने अपनी पुस्तक The man on Horseback 1962 में सैनिक सत्ता की भूमिका के आधार पर राजनीतिक संस्कृति के चार प्रकार बताएं है-

    1. परिपक्व (Mature)

    • इसमें शासन सशस्त्र सेनाओ पर निर्भर नहीं करता

    • उदाहरण- ब्रिटेन, अमेरिका


    1. विकसित (Developed)-  

    • इसमें सरकारों को सैनिक दबाव का खतरा बना रहता है|

    • उदाहरण- मिश्र, क्यूबा 


    1. निम्न (Low) राजनीतिक संस्कृति

    • इसमें सैनिक सत्ता प्रभावी रहती है तथा जनमत कमजोर रहता है|

    • उदाहरण- सीरिया, लीबिया, म्यांमार आदि|


    1. सम-न्यूनतम स्तर-

    • पूर्व फ्रांसीसी क्रांति



    डेनियल जे एलजार के अनुसार राजनीतिक संस्कृति के प्रकार-

    • पुस्तक-

    1. Cities of the Prairie 1970 

    2. Exploring Federalism 1987 

    3. Kinship and Consent 1981 


    • डेनियल जे एलज़ार ने अमेरिकी संघवाद पर अध्ययन करते हुए स्पष्ट किया कि राजनीतिक संस्कृति के कारण ही अमेरिका के विभिन्न राज्य एक ही समस्या से निपटने के लिए भिन्न-भिन्न नीति अपनाते हैं| 

    • डेनियल जे एलज़ार ने अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति को तीन राजनीतिक उप-संस्कृतियों का जोड़ माना है, जो निम्न है-

    1. व्यक्तिवादी राजनीतिक उप-संस्कृति

    2. नैतिकतावादी राजनीतिक उप-संस्कृति

    3. परंपरावादी राजनीतिक उप-संस्कृति


    1. व्यक्तिवादी राजनीतिक उप-संस्कृति-

    • इसमें राजनीतिक व्यवसाय और राजनीतिक दलों को कंपनियों के रूप में देखा जाता है| 

    • इस प्रकार की उप-संस्कृति में Give and Take की राजनीति पाई जाती है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है| 

    • इसमें सरकार व्यक्तिगत जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप करती है| 

    • इसमें नागरिकों का उद्देश्य राजनीतिक पदों को प्राप्त करना होता है, ना कि मुद्दों से निपटना| 


    1. नैतिकतावादी राजनीतिक उप-संस्कृति-

    • इसमें अच्छे जीवन के लिए सरकारी सेवाओं की मांग रहती है, जिससे व्यक्तिगत जीवन में सरकारी हस्तक्षेप को स्वीकार किया जाता है

    • इसमें राजनीतिक सहभागिता को नागरिकों का दायित्व माना जाता है| 


    1. परंपरावादी राजनीतिक उप-संस्कृति-

    • यह व्यक्तिगत व नैतिकतावादी संस्कृति के बीच की संस्कृति है| 

    • इस उप संस्कृति में बाजार (व्यक्तिवादी) व अच्छा जीवन (नैतिकतावादी) दोनों को स्वीकार किया जाता है| 

    • इस संस्कृत में राजनीतिज्ञ अभिजन वर्ग से आते हैं तथा सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक पद सोपान को बनाए रखा जाता है| 



    कवनघ के अनुसार राजनीतिक संस्कृति के प्रकार-

    • कनवघ ने राजनीतिक संस्कृति के चार प्रकार बताए है-

    1. श्रेणीगत- आर्थिक स्थिति व योग्यता के आधार पर वर्ग विभाजन 

    2. उप- श्रेणीगत- अन्य श्रेणियां

    3. पीढ़ीगत- वंश, जाति, धर्म आदि के आधार पर वर्ग विभाजन 

    4. उप- पीढ़ीगत- बहुल विभाजन



    राजनीतिक संस्कृति के विभिन्न रूप-

    • आमंड व वर्बा ने लोगों की सहभागिता व अलगाव तथा राजव्यवस्था स्थायित्व व अस्थायित्व में संस्कृति की भूमिका के आधार पर राजनीतिक संस्कृति को तीन भागों में बांटा है-

    1. संकीर्ण (Parochial) राजनीतिक संस्कृति-

    • इस संस्कृति में नागरिकों को अपने समाज की राजनीतिक संस्थाओं, प्रक्रियाओं और गतिविधियों में कोई अभिरुचि नहीं होती या बहुत कम होती है|

    • इस संस्कृति में नागरिकता की भावना का अभाव होता है| 

    • इस संस्कृति में लोग राष्ट्र के बजाय अपनी स्थानीयता से पहचान रखते हैं| 

    • व्यक्ति को अपने गांव या कबीले के बाहर किसी बड़ी राजनीतिक प्रणाली के अस्तित्व की कोई जानकारी नहीं होती है या मामूली जानकारी होती है|

    • समाज के विशेष अंगों के लिए विशेष राजनीतिक भूमिकाएं नियत नहीं होती है, अर्थात संरचनात्मक विभेदीकरण नहीं पाया जाता है| 

    • राजनीतिक प्रणाली में परिवर्तन की आशा नहीं होती है| 

    • व्यक्ति की समाज के भीतर कोई राजनीतिक भूमिका नहीं होती है|

    • उदाहरण- भूटान, अफगानिस्तान, अरब, युगांडा


    1. अधीनस्थ या प्रजाभावी (Subject) राजनीतिक संस्कृति-

    • इस संस्कृति में नागरिक सामान्य राजनीतिक प्रणाली और उसकी नीतियों, निर्णय, नियम और संस्थाओं के प्रति सजग तो रहते हैं, परंतु राजनीति में सक्रिय भूमिका या सहभागिता नहीं निभाते हैं |

    • यहां लोगों को राजनीतिक संस्कृति का ज्ञान तो होता है, पर सहभागिता नहीं होती है| 

    • उदाहरण- पूर्व उपनिवेश नाइजीरिया, चीन आदि| 


    1. सहभागी (Participant) राजनीतिक संस्कृति-

    • इस संस्कृति में नागरिक अपने समाज की राजनीतिक संस्थाओं, प्रक्रियाओं और गतिविधियों के प्रति अत्यंत सजग रहते हैं तथा राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाते हैं|

    • यहां राजनीतिक संस्कृति का ज्ञान भी होता है तथा सहभागिता भी होती है| 

    • उदारवादी विकसित देशों में सहभागी संस्कृति होती है|

    • यहां तार्किक सक्रियतावाद होता है, न कि भावनात्मक| 



    कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाएं-


    नागरिक संस्कृति-

    • आमंड व सिडनी वर्बा ने नागरिक संस्कृति या शालीन संस्कृति की अवधारणा दी है|

    • नागरिक संस्कृति के अंतर्गत संकीर्ण संस्कृति, अधीन संस्कृति और सहभागी संस्कृति के मिले-जुले लक्षण एक विशेष प्रतिमान के रूप में पाए जाते हैं|

    • आमंड व सिडनी वर्बा के अनुसार ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की संस्कृति नागरिक संस्कृति की शर्तें पूरी करती है, इन देशों में लोकतंत्र की स्थिरता का यही रहस्य है| 

    • नागरिक संस्कृति सबसे श्रेष्ठ संस्कृति है| 

    • नागरिक संस्कृति के दो प्रमुख तत्व माने जाते हैं-

    1. कानून का शासन

    2. कानून के प्रति सम्मान


    • Note- अरेंज लिजफोर्ट नीदरलैंड की संस्कृति को नागरिक संस्कृति मानता है|


    भूमिका संस्कृति-

    • आमंड व सिडनी वर्बा की अवधारणा

    • यह एक उप संस्कृति है|

    • इसका संबंध विजातीय संस्कृति वाले देशों से है| इन विजातीय देशों में विभिन्न अभिजनों के मूल्य, विश्वास अलग-अलग होते हैं, अर्थात इनकी संस्कृति में भिन्नता होती है| 


    लोकतांत्रिक संस्कृति का श्वान निंद्रा सिद्धांत (Sleeping dogs theory)-

    • आमंड व सिडनी वर्बा की अवधारणा

    • इसका अर्थ है कि अमेरिकावासियों ने घोटाले, युद्ध या आर्थिक संकट जब तक पैदा नहीं हुए तब तक राजनीति की तरफ ध्यान ही नहीं दिया| 

    • आमंड और वर्बा ने लोकतांत्रिक संस्कृति के Sleeping dogs का सुझाव दिया है, जिसका अर्थ है- कम भागीदारी,सरकार के साथ व्यापक संतुष्टि

    • यह सिद्धांत अलगाव व अन्तर्निहित नुकसान को दर्शाता है| 


    Melting Pot (पिघलाने वाला बर्तन)-

    • U S A की संस्कृति से संबंधित

    • इसका अर्थ है कि USA की संस्कृति वहां आने वाले प्रवासियों की सांस्कृतिक विविधता को अपने अंदर समेट लेती है| दूसरी संस्कृति अपनी अलग पहचान खोकर USA की संस्कृति में समाहित हो जाती है|


    Salad Bowl (सलाद का कटोरा)-

    • U K की संस्कृति से संबंधित

    • इस संस्कृति में सांस्कृतिक विविधता बनी रहती है, अर्थात इसमें में आने वाली नई संस्कृति की पहचान भी बनी रहती है|

    • इसको सामासिक संस्कृति या मोजेक संस्कृति (Mosaic Culture) भी कहते हैं| 

    • भारत की संस्कृति भी इसी से संबंधित है|


    एकलवादी संस्कृति-

    • इसमें अन्य संस्कृतियों पर प्रभुत्व स्थापित किया जाता है| 

    • इजराइल, सऊदी अरब की संस्कृति से संबंधित


    अराजकता की संस्कृति-

    • अलेक्जेंडर वेंट 

    • इन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के संदर्भ में यह अवधारणा दी है|


    लोकतंत्रीय राजनीतिक संस्कृति-

    • ब्रियन बैरी ने अपनी कृति Sociologist Economist and Democracy 1978 के अंतर्गत यह तर्क दिया है कि लोकतंत्रीय राजनीतिक संस्कृति, लोकतंत्रीय संस्थाओं के अंतर्गत रहने से आती है|


    सामाजिक पूंजी (Social Capital)-

    • रॉबर्ट पुटनम की अवधारणा

    • पुस्तक-

    1. Bowling Alone: The Collapse and Reveal of American community 2000 

    2. Making Democracy Work 1993 

    3. American Grace 2010 


    • सामाजिक पूंजी की अवधारणा 1970 के दशक में सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों को उजागर करने के लिए विकसित की गई थी| 

    • इस शब्द का प्रयोग उपयोग सामाजिक जुड़ाव को दर्शाने के लिए किया गया| 

    • सामाजिक पूंजी नागरिक जुड़ाव को बढ़ाती है, लेकिन शिक्षा व सक्रिय नागरिकता में तनाव होने पर सामाजिक पूंजी घट सकती है| 


    • सामाजिक पूंजी में गिरावट (Declining of Social Capital)-

    • रॉबर्ट पुटनम ने अपने लेख Bowling alone: American declining social capital 1995 में संयुक्त राज्य अमेरिका में घटती सामाजिक पूंजी की ओर ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि अन्य औद्योगिक देशों के द्वारा अमेरिकी रुझानों का पालन करने की संभावना है| 

    • पुटनम ने नागरिक जुड़ाव में गिरावट को उपभोक्ता पूंजीवाद की विजय और भौतिकतावादी और व्यक्तिवादी मूल्यों के प्रसार से समझाया है| 

    • आधुनिक समाज में सामाजिक पूंजी में कथित गिरावट को एकलवादी परिवार, व्यक्तिवाद के उदय और सामाजिक और भौगोलिक गतिशीलता में वृद्धि के साथ जोड़कर देखा जाता है| 


    • Note- द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग 2005 में सामाजिक पूंजी: एक साझी नियति शीर्षक पर रिपोर्ट प्रकाशित की है| 


    राजनीति में तर्कवाद-

    • माइकल ऑकशॉट की अवधारणा

    • माइकल ऑकशॉट ने अपने निबंध राजनीति में तर्कवाद (Rationalism in Politics 1962 में प्रकाशित) में निरंतरता और परंपरा के बचाव में लिखा है| 

    • ऑकशॉट ने तर्क दिया कि पारंपरिक मूल्यों और स्थापित रीति-रिवाजो को उनकी परिचितता के कारण कायम रखा जाना चाहिए और उनका सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि ये आश्वासन, स्थिरता और सुरक्षा की भावना पैदा करते हैं| 


    प्रतीकात्मक पूंजी (Symbolic Capital)-

    • पियरे बोरदिये की अवधारणा

    • प्रतीकात्मक पूंजी वर्गीय समाज में पाई जाती है, यहां प्रभुत्वशाली वर्ग के प्रतीक सर्वस्वीकार्य होते हैं| 


    मौन क्रांति-

    • रोनाल्ड इंगलहार्ट की अवधारणा

    • पश्चिमी यूरोपीय देशों में 1960 के दशक में काफी उथल- पुथल थी तथा आक्रोश भरी सक्रियता थी, पर 1970 के बाद निष्क्रियता आई| इस निष्क्रियता के कारण यूरोप के राजनीतिक जीवन में उत्तर भौतिकतावादी जीवन शैली, व्यक्तिगत स्वतंत्रता व आम अभिव्यक्ति को महत्व दिया जाने लगा| यही मौन क्रांति है|

    • इसका कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्मी पीढ़ी थी| 

    • उत्तर भौतिकवाद में व्यापक जन सहमति, सहिष्णुता व नागरिक सद्गुण आदि शामिल है| 


    प्राच्यवाद-

    • एडवर्ड सईद की अवधारणा

    • एडवर्ड सईद उत्तर औपनिवेशिक देशों पर पाश्चात्य देशों द्वारा थोपे जाने वाले सांस्कृतिक प्रभुत्व का विरोध किया है| जिसको वह प्राच्यवाद कहते हैं| 


    राजनीतिक सांस्कृतिक-विज्ञान का एक विचारबंध (A framework of political culturology)-

    • बॉब जेसोफ की अवधारणा

    • बॉब जेसोफ (Traditionalism, Conservatism and British Political Culture 1974) ने राजनीतिक संस्कृति को राजव्यवस्थाओं के स्थायित्व एवं उद्वेलन का स्रोत माना है| 

    • जेसोफ ने राजनीतिक संस्कृति के अध्ययन हेतु ‘राजनीतिक सांस्कृतिक-विज्ञान का एक विचारबंध’ प्रस्तुत किया है| 

    • जेसोफ के मत में राजनीतिक संस्कृति की धारणा की अनुभव-परक व्याख्या नहीं की गई है| इसे या तो एक फैशनपरक शब्द मानकर अपनाया गया अथवा विभिन्न प्रकार की अस्पष्ट धारणाओं की ‘रद्दी की टोकरी’ की तरह प्रयुक्त किया गया है| अभी तक राजनीतिक कार्यों को राजनीतिक संस्कृति से कारणात्मक या व्याख्यात्मक ढंग से नहीं जोड़ा गया है| 

    • इनके मत में राजनीतिक संस्कृति का अनुभव-परक ढंग से अध्ययन होना चाहिए| 


    • मर्कल के अनुसार भी राजनीतिक संस्कृति के स्वरूप एवं प्रभाव का आनुभविक ढंग से अध्ययन किया जा सकता है तथा उसमें आने वाले परिवर्तनों का मापन एवं प्रमाणन किया जाना संभव है| 


    सभ्यताओं का संघर्ष-

    • हंटिंगटन की अवधारणा 

    • हंटिंगटन ने अपनी पुस्तक The Clash of Civilization 1996 में राजनीतिक संस्कृतियों की भिन्नता तथा उनके मध्य टकराव की दिशा में सोचते हुए लिखा कि ‘भविष्य में विश्व संघर्ष सभ्यताओं के मध्य होगा|’


    प्रचलित सिद्धांत पर पुनर्विचार-

    • पश्चिमी जगत में राजनीतिक संस्कृति का जो सिद्धांत विकसित हुआ, उसे राजनीतिक संस्कृति का मुख्यधारा सिद्धांत कहा जाता है|

    • मुख्यधारा सिद्धांत में आमंड, वाइजमैन, वर्बा, कनवघ, फाइनर के सिद्धांत शामिल है| 

    • इस सिद्धांत के उदारवादी चिंतन के साथ निकट जुड़े होने के कारण इसे राजनीतिक संस्कृति का उदारवादी सिद्धांत भी कहा जाता है|

    • आमंड और सिडनी बर्बा ने 1980 में The Civic culture revisited के अंतर्गत अपने पुराने अध्ययन की आलोचना और पुनर्मूल्यांकन प्रस्तुत किया|

    • उन्होंने लिखा कि ‘ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकार के प्रति विश्वास में कमी आई है| ऐसा लगता है कि लोग नागरिक संस्कृति से हटकर राजनीति को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के साधन के रूप में देखने लगे हैं|’ 

    • माइकल रियान ने अपनी रचना Politics and Culture: working hypothesis for a post-Revolutionary society 1989 के अंतर्गत यह तर्क दिया कि ‘नागरिक संस्कृति पूंजीवाद के उदय के साथ उभरकर सामने आई थी| परंतु समकालीन समृद्ध समाज उत्तर-भौतिकवादी मूल्यों को बढ़ावा देते हैं| इस दृष्टिकोण के अनुसार पूंजी संचय सामाजिक उन्नति की जरूरी शर्त नहीं है|’


    मार्क्सवादी परंपरा में राजनीतिक संस्कृति-

    • मार्क्स और एंगेल्स ने The German Ideology में लिखा है कि “शासित वर्ग के विचार हर युग में शासक वर्ग के विचार होते हैं, अर्थात वह वर्ग जो पूंजी पर बल रखता है, उसी के पास समाज का बौद्धिक बल होता है|”

    • मार्क्स के अनुसार विचार और संस्कृति एक अधिसंरचना का हिस्सा है, जो आर्थिक आधार, उत्पादन के तरीकों द्वारा निर्धारित होते है| 

    • मार्क्सवाद के अनुसार संस्कृति व नागरिक संस्कृति बुजुर्वा विचारधारा से अधिक कुछ नहीं है| 

    • मार्क्सवाद के अनुसार विचारधारा का कार्य मिथको, भ्रमों और असत्यों का प्रचार करके (एंगल्स के शब्दों में झूठी चेतना) अधीनस्थ वर्गों को उनके शोषण और उत्पीड़न के साथ सामंजस्य स्थापित करना है| इस प्रक्रिया को मार्क्सवादियों ने बुजुर्वा आधिपत्य कहा है| 

    • हर्बर्ट मार्क्यूजे ने इसे दमनकारी सहिष्णुता (Repressive Tolerance) कहा है| 

    • एंटोनियो ग्राम्शी ने सांस्कृतिक प्रधान्य कहा है| 

    • एंटोनियो ग्राम्शी के मत में न केवल असमान आर्थिक और राजनीतिक शक्ति द्वारा, बल्कि वैचारिक आधिपत्य द्वारा भी वर्ग व्यवस्था को कायम रखा जाता है| 

    • एंटोनियो ग्राम्शी के मत में समाजवाद को हासिल करने के लिए विचारों की लड़ाई छेड़नी होगी, जिसके माध्यम से सर्वहारा सिद्धांत व मूल्य बुजुर्वा विचारों को चुनौती देंगे| 

    • लुई अल्थूसर के अनुसार प्राधान्य वाला पूंजीवादी राज्य वास्तव में धर्म, शिक्षा, संचार, संस्कृति आदि संस्थाओं के माध्यम से कार्य करता है तथा सेना और पुलिस का तो अंतिम सहारे के रूप में उपयोग किया जाता है| 

    • रॉबर्ट कॉक्स तथा स्टीफन गिल के अनुसार विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली आर्थिक शक्तियों के द्वारा नव-उदारवाद की विचारधारा फैलाकर सांस्कृतिक प्राधान्य का कार्य किया जा रहा है, जिसमें मुक्त बाजार व्यवस्था को एकमात्र पवित्र एवं अंतिम विकल्प बताया गया है|  इस नए प्राधन्य ने राजनीतिक संस्कृति के अस्तित्व को ही असमंजस में डाल दिया है| 


    राजनीतिक संस्कृति का आमूल परिवर्तनवादी सिद्धांत-

    • यह सिद्धांत मार्क्सवादी चिंतन की देन है|

    • मार्क्सवादी राजनीतिक विश्लेषण के अंतर्गत राजनीति संस्कृति शब्द की जगह विचारधारा और प्राधान्य जैसी शब्दावली का प्रयोग करते हैं|

    • मार्क्सवादियों की दृष्टि में राजनीतिक संस्कृति प्रभावशाली वर्गों की उस कार्यवाही का परिणाम है, जिसके अंतर्गत वे धर्म, शिक्षा प्रणाली, जनसंपर्क के साधनों इत्यादि के माध्यम से अपने मूल्यों और मान्यताओं के प्रति पराधीन वर्गों के मन में आस्था जगाने का प्रयत्न करते हैं| 

    • यह सिद्धांत यह मानकर चलता है कि यदि कामगार वर्ग और अन्य पराधीन वर्गों को प्रभावशाली वर्ग की विचारधारा के सहारे गुमराह न किया जाए तो, वे अवश्य क्रांतिकारी सिद्ध होंगे|


    आलोचना-

    • सीमोर लिप्सेट ने अपनी चर्चित कृति Political man 1959 के अंतर्गत यह तर्क दिया है कि कामगार वर्ग अपने आप क्रांति की कामना नहीं करते, बल्कि शिक्षा की कमी और आर्थिक असुरक्षा इत्यादि के कारण वे राजनीति के सत्तावादी दृष्टिकोण के प्रति आकर्षित होते हैं| तथाकथित क्रांति के समर्थक उन्हें यही दृष्टिकोण अपनाने की ओर प्रेरित करते हैं|


    स्कैंडिनेवियाई या नॉर्डिक देशों में राजनीतिक संस्कृति-

    • यूरोप के उत्तर पश्चिमी कोने में स्थित डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन पांच राज्यों में एक सहमतिवादी लोकतांत्रिक संस्कृति पाई जाती है| 

    • ये एक मजबूत क्षेत्रीय पहचान वाले छोटे लोकतंत्र है और इन्हे सामूहिक रूप से नॉर्डिक या स्कैंडिनेविया देश का कहा जाता है| 

    • डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन में संवैधानिक राजतंत्र है, जबकि आइसलैंड व फिनलैंड में विशिष्ट गणराज्य है| 

    • क्षेत्रीय सहमति की धारणा यह है, कि विभिन्न सुरक्षा मांगो, धारणाओं और प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में व्यक्तिगत राष्ट्रीय कार्यवाही हमेशा सामूहिक क्षेत्रीय हितों के अनुरूप होती है, जिसे नॉर्डिक संतुलन कहा जाता है| 



    राजनीतिक संस्कृति एवं समाजीकरण-

    • राजनीतिक संस्कृति अत्यंत प्रभावशाली प्रक्रिया एवं संरचना है| 

    • राजनीतिक संस्कृति की प्रक्रिया समाजीकरण बनकर बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक चलती रहती है| 

    • इसकी कई अवस्थाएं होती है| 

    • प्रथम अवस्था में व्यक्ति को सामान्य संस्कृति में प्रवेश कराया जाता है| यह कार्य परिवार एवं उनके सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है| 

    • दूसरी अवस्था में इसका स्वरूप विशिष्ट एवं अधिक प्रकट होता है| गली, मोहल्ले, विद्यालय, मित्र मंडली आदि यह कार्य करते हैं

    • तृतीय अवस्था में समाजीकरण का अंत एवं विशेष व्यक्तिकार्यों में भर्ती आते हैं| 

    • चतुर्थ अवस्था आत्मनिर्भरता की है, जब व्यक्ति सामाजीकरण प्रक्रियाओ में कतिपय राजनीतिक सांस्कृतिक मूल्यों का अपने लिए चयन कर लेता है तथा शेष तीन प्रक्रियाओं को अपने अधीनस्थ बना लेता हैं| 



    संस्कृति और राजनीतिक संस्कृति का संबंध-

    • संस्कृति और राजनीतिक संस्कृति में घनिष्ठ संबंध होता है| 

    • टेलर के अनुसार ‘संस्कृति में समाज के एक सदस्य होने के नाते मनुष्य द्वारा अर्जित ज्ञान, विश्वास, कला, आचार, कानून प्रथाएं तथा दूसरी क्षमताएं शामिल होती है|”

    • वाइसमैन के अनुसार “संस्कृति दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच समान अभिमुखन का भाग होती है| यह एक व्यापक शब्द है, जिसमें व्यक्ति या व्यक्ति समूह के व्यवहार का तरीका, उसकी मान्यता, सम्मान, विश्वास, घृणा, भौतिक उन्नति आदि सभी शामिल हो जाते हैं|”

    • राजनीतिक संस्कृति सामान्य संस्कृति का अभिन्न अंग है| 

    • सामान्य संस्कृति की अपेक्षा राजनीतिक संस्कृति प्रगतिशील अथवा रूढ़िवादी हो सकती है| 

    • जैसे भारत की वर्तमान राजनीतिक संस्कृति सामान्य संस्कृति की अपेक्षा अधिक गत्यात्मक एवं प्रगतिशील मानी जाती है, वही म्यांमार, नेपाल, इंडोनेशिया आदि इसके विलोम दृष्टांत है| 



    राजनीतिक संस्कृति की समस्याएं-

    • राजनीतिक संस्कृति पुराने विचारों को ही नया नाम देने का प्रयास है| इसमें न कोई सर्वमान्य सांस्कृतिक संकेतक निर्धारित हो पाए हैं और न ही पद्धतियों पर मतैक्य

    • एरंड लीजफर्ट ने लोकतान्त्रिक स्थिरता को मूल्यात्मक समरसता (जर्मनी, इटली आदि में) से सम्बद्ध नहीं पाया है| उनके मत में अभिजनों की संस्थात्मक सहभागिता ऐसी स्थिरता प्रदान कर सकती है, जिसे वह समसहकारी लोकतंत्र (Consociational Democracy) कहता है|  

    • पेटमैन लोकतांत्रिक स्थिरता तथा राजनीतिक संस्कृति के मध्य कार्य-कारण जैसे संबंध स्वीकार नहीं करता है| 



    भारत की संस्कृति-


    1. W H मॉरिस जॉन्स-

    • पुस्तक- Government and politics of India 1964

    • इस पुस्तक में इन्होंने स्वाधीन भारत के आरंभिक दौर की राजनीतिक संस्कृति का विश्लेषण दिया है| 

    • इन्होंने भारतीय राजनीति की 3 भाषाओं या मुहावरों की पहचान की है, जो निम्न है-

    1. आधुनिक भाषा- यह राष्ट्र-राज्य से जुड़ी राजनीतिक संस्थाओं का संकेत देती है| यह पाश्चात्य मूल्यों से प्रभावित भाषा है| इसका प्रयोग संविधान, संसद, अभिजनों व राष्ट्रीय मीडिया के संदर्भ में किया जाता है| यह भाषा धर्मनिरपेक्षता, सहभागिता, कानून का शासन, सद्भाव आदि से संबंधित है|


    1. परंपरागत भाषा- यह प्राचीन समाज के ढांचे के साथ जुड़ी है| यह आम जन की भाषा है जो जातिवाद, छुआछूत, सम्प्रदायवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद आदि से प्रभावित है|


    1. संत सुलभ भाषा- इसका प्रयोग राजनीति की समालोचना के लिए किया जाता है, यथार्थ व्यवहार का विवरण देने के लिए नहीं| यह भाषा अपरिग्रह, त्याग, अहिंसा, अध्यात्म से संबंधित है| गांधीजी, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण की भाषा|


    1. माइनर वीनर-

    • लेख- India: Two Political Culture 

    • विनर का यह लेख सिडनी वर्बा व ल्यूसियन पाई की कृति पॉलीटिकल कल्चर एंड पॉलीटिकल डेवलपमेंट 1965 में छपा|

    • इन्होंने भारत में दो संस्कृतियों बताई है-

    1. विशिष्ट वर्गीय या अभिजनवादी संस्कृति- यह संस्कृति नई दिल्ली की राजनीतिक संस्कृति है, जो राष्ट्रीय नेताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, सेना के उच्च अधिकारियों और अंग्रेजी भाषी बुद्धिजीवियों के व्यवहार में देखने को मिलती है|


    1. जनवादी या जनपुंज संस्कृति- यह संस्कृति स्थानीय शासन, जिलों व राज्य राजधानियों में देखने को मिलती है|


    1. रिचर्ड L पार्क-

    • पुस्तक- India's  Political System 1979

    • पार्क का मत है कि भारत सांस्कृतिक दृष्टि से एकान्वित देश नहीं है| 

    • यह अनेक उप-संस्कृतियों का समुदाय है|

    • Golden Age Theory- प्रत्येक उप संस्कृति स्थानीय स्तर पर अपने-अपने स्वर्ण युग की ऐतिहासिक याद से गौरवान्वित अनुभव करती है| 

    • पार्क ने भारतीय संस्कृति के संदर्भ में परंपरा बनाम परिवर्तन के विश्लेषण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है|

    • अर्थात इनके अनुसार भारत में कई धार्मिक प्रथाएं, सामाजिक व्यवहार के तरीके, कृषि की विधियां, विधि-विधान सैकड़ों वर्षो तक अपरिवर्तित रहे, लेकिन बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भारत में तरह-तरह के परिवर्तन भी दिखाई देने लगे|


    1. रजनी कोठारी-

    • पुस्तक- 

    1. Politics in India 1970

    2. Cast in Indian politics 1970

    • इनके अनुसार भारतीय राजनीतिक संस्कृति में जातियों की मुख्य भूमिका है|


    1. फ्रांसीसी फ्रैंकल-

    • फ्रैंकल के अनुसार भारत में मिश्रित राजनीतिक संस्कृति है| 

    रिग्स मिश्रित संस्कृति वाले समाज को संपार्श्विक समाज (Prismatic Society) कहता है| ये विकासशील या संक्रांतिकालीन समाज होते हैं|
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