एकात्मक और संघात्मक प्रणालियां
लोकतंत्र में केंद्र व राज्य के मध्य शक्तियों के विभाजन के आधार पर दो प्रकार की शासन व्यवस्था होती है-
एकात्मक शासन व्यवस्था
संघात्मक शासन व्यवस्था
एकात्मक शासन व्यवस्था (Unitary Government)
एकात्मक शासन में शासन की समस्त शक्तियां केंद्र में निहित होती है|
इस शासन व्यवस्था में राज्य तो होते हैं, लेकिन राज्य सरकारों को कोई भी शक्ति प्राप्त नहीं होती है| केंद्र की सत्ता सर्वोच्च होती है| केंद्र की सत्ता को सीमित करने वाली कोई अन्य शक्ति नहीं होती है|
A.V. डायसी “एकात्मता ऐसी राजनीति संगठन का संकेत देती है, जिसमें एक केंद्रीय शक्ति नियमपूर्वक सर्वोच्च विधायी सत्ता का प्रयोग करती है|”
गार्नर “एकात्मक सरकार वह शासन प्रणाली है, जिसमें संविधान द्वारा शासन की संपूर्ण शक्ति एक अथवा एक से अधिक अंगों को प्रदान कर दी जाती है और स्थानीय सरकारे अपनी सत्ता, स्वायतता तथा अपना अस्तित्व भी उसी से प्राप्त करती हैं|”
विलोबी “एकात्मक राज्यों में शासन के सब अधिकार मौलिक रूप से एक केंद्रीय सरकार में रहते हैं| यह सरकार इच्छानुसार उन शक्तियों का वितरण क्षेत्रीय इकाइयों में करती है|”
डॉ. फाइनर “एकात्मक राज्य वह राज्य है, जिसमें समस्त सत्ता एवं शक्ति केंद्र में निहित है और जिसकी इच्छा एवं कानून समस्त क्षेत्र पर सर्वशक्तिमान होते हैं|”
एकात्मक शासन व्यवस्था वाले राज्य /देश- ब्रिटेन (U.K), फ्रांस, बेल्जियम, चीन, जापान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मिश्र, इटली, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड आदि|
एकात्मक शासन की विशेषताएं-
इसमें इकाइयां केंद्र के अधीन होती हैं तथा इकाइयों को शक्ति भी केंद्र से प्राप्त होती है|
इस शासन में संविधान लिखित एवं अलिखित दोनों तरह का हो सकता है|
इकहरी नागरिकता, इकहरा सविधान, एकल न्यायपालिका पायी जाती है|
एकात्मक शासन के गुण-
संपूर्ण देश के प्रशासन में एकरूपता पायी जाती हैं|
यह सरल शासन व्यवस्था है|
रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में एकात्मक शासन प्रणाली सुदृढ़ व शक्तिशाली सिद्ध होती है|
यह छोटे देशों के लिए उपयुक्त शासन प्रणाली है|
मितव्ययता व कुशल शासन इस शासन व्यवस्था में मिलता है|
एकात्मक शासन के दोष-
स्थानीय नीतियों, कार्यों व समस्याओं की उपेक्षा होने की संभावना
केंद्रीय सरकार के निरंकुश होने का भय
केंद्र व प्रादेशिक कार्यों का दायित्व केंद्र सरकार पर होने के कारण केंद्र सरकार पर कार्यों का भार होता है| इससे प्रशासन में नौकरशाही और लालफीताशाही का बोलबाला हो जाता है| इससे कार्यकुशलता में कमी आ जाती है|
इसमें शासन और व्यक्तियों के बीच दूरी इतनी बढ़ जाती है, कि उन्हें स्वशासन और स्वतंत्रता-प्रेम की शिक्षा नहीं मिल पाती है|
संघात्मक शासन (Federal Government)
संघ शब्द का अंग्रेजी पर्याय Federation शब्द लेटिन भाषा के शब्द Foedus से बना है| Foedus का अर्थ ‘संधि’ या ‘समझौता’ होता है|
जब दो या दो से अधिक राज्य मिलकर एक संधि या समझौते के द्वारा एक नए राज्य का निर्माण करते हैं, तो उस राज्य को ‘संघ’ कहते हैं|
संघात्मक राज्य में एक राष्ट्रीय या केंद्रीय सरकार के अलावा अनेक समकक्ष राज्य सरकारें होती है|
डायसी “संघात्मक राज्य ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और शक्ति के साथ-साथ ‘राज्य’ अधिकारों की रक्षा करना हो|”
गार्नर “संघ एक ऐसी प्रणाली है, जिसमे केंद्रीय तथा स्थानीय सरकारे एक ही प्रभुत्व शक्ति के अधीन होती है| ये सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में, जिसे सविधान तथा संसद का कोई कानून निश्चित करता है, सर्वोच्च होती है|”
फाइनर “यह एक शासन है, जिसमें सत्ता और शक्ति का एक भाग स्थानीय क्षेत्र में निहित होता है और दूसरा भाग केंद्र में|”
विलोबी “संघ बहुशाशनतंत्रवादी राज्य है|”
मेरियट “संघ का निर्माण होता है, स्वयं जन्म नहीं होता|”
सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका में 1789 में संघात्मक व्यवस्था अपनाई गई थी, अतः संघवाद का जनक अमेरिका है|
न्यूमैन “ब्रिटिश संसद को जिस प्रकार संसदों की जननी कहा जाता है, उसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका को संघात्मक शासन व्यवस्था का पिता कहा जा सकता है|”
C F स्ट्रांग “संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान संसार में सर्वाधिक संघीय है|”
स्विस संविधान में संघ के स्थान पर परिसंघ शब्द का प्रयोग किया गया है|
संघात्मक शासन व्यवस्था वाले राज्य/ देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, स्वीटजरलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा|
संघात्मक शासन के लक्षण -
लिखित, कठोर एवं सर्वोच्च संविधान होता है, जिसमें केंद्र और इकाइयों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन होता है|
शक्तियों का विभाजन- संघात्मक शासन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन होता है|
संघात्मक शासन व्यवस्था में एक सर्वोच्च एवं स्वतंत्र न्यायपालिका पायी जाती है|
रस्किन “संघीय शासन में सर्वोच्च न्यायालय शासन तंत्र में संतुलन रखने वाला पहिया है|”
संघात्मक शासन व्यवस्था में दोहरी नागरिकता होती है|
संघात्मक शासन व्यवस्था में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका होती है|
इस शासन में दोहरी न्यायपालिका होती है|
संघात्मक शासन के गुण-
इस शासन में राष्ट्रीय एकता एवं स्थानीय स्वायतता दोनों गुण पाये जाते हैं|
इसमें केंद्रीकरण एवं विकेंद्रीकरण दोनों गुण पाये जाते हैं-
जैसे- राष्ट्रीय महत्व के विषय केंद्र सरकार में केंद्रित, स्थानीय महत्व के विषय स्थानीय सरकारों में विकेंद्रित कर दिए जाते है|
विशाल राज्यों के लिए यह शासन प्रणाली उपयुक्त है|
यह प्रणाली राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक प्रयोग करने के लिए उपयुक्त है| जैसे- कोई नयी योजना पहले छोटे क्षेत्र में लागू करके उसके परिणाम देखे जाते हैं, बाद में अच्छे परिणाम आने पर पूरे देश में लागू कर दी जाती है|
कार्यों के विभाजन से केंद्रीय सरकार को कार्यों में राहत मिल जाती है|
यह शासन अपने नागरिकों को श्रेष्ठ राजनीतिक प्रशिक्षण प्रदान करता है|
शासन निरंकुश नहीं होता है-
ब्राइस “संघ में एक निरंकुश शासक द्वारा जनता के अधिकार हड़प लिए जाने का खतरा नहीं रहता है|”
संघीय व्यवस्था लोकतंत्र के अनुकूल है|
संघीय व्यवस्था के दोष-
राष्ट्रीय एकता को खतरा होने की संभावना रहती है|
दोहरे शासन तंत्र की वजह से शासन तंत्र अधिक जटिल हो जाता है|
इसमें केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के बीच अधिकार क्षेत्र के विवाद की संभावना रहती है|
इसमें विभिन्न प्रशासनिक त्रुटियों के लिए केंद्रीय व राज्य सरकारे एक दूसरे को उत्तरदायी ठहराती हैं|
यह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी कमजोर साबित होता है|
संघवाद के प्रकार-
परंपरागत संघवाद-
इस द्वैध संघ तथा लेयर व केक संघ भी कहा जाता है|
दोहरी नागरिकता
उच्च सदन में सभी इकाइयों का समान प्रतिनिधित्व
दोहरा संविधान
अवशिष्ट शक्तियां राज्यों के पास
केंद्रभिमुखी सम्मिलन की प्रक्रिया अर्थात राज्यों ने संघ बनाया
परंपरागत संघवाद के उदाहरण- संयुक्त राज्य अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया, स्वीटजरलैंड
अर्द्ध संघ (Quasi Federalism)-
इकहरी नागरिकता
एकल संविधान
उच्च सदन में समान प्रतिनिधित्व नहीं
अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास
केंद्रविमुखी पृथक्करण की प्रक्रिया अर्थात संघ या संविधान ने राज्य बनाया
उदाहरण- भारत कनाडा
परिसंघ (Confederation)-
ऐसी राजनीतिक प्रणाली जिसमें केंद्र का ना तो महत्व होता है और ना ही स्वतंत्र अस्तित्व| विभिन्न स्वतंत्र प्रांत मिलकर एक समझौता कर लेते हैं, कि कुछ विषय जैसे- विदेश नीति, बाह्य सुरक्षा तथा संचार आदि का प्रशासन वे लोग मिलकर करेंगे और इसके लिए केंद्रीय शासन की व्यवस्था की जाती है|
इसमें प्रांतो या इकाइयों को यह स्वतंत्रता हमेशा रहती है, कि वे चाहे तो परिसंघ से पुन: अलग हो सकते हैं|
ऐसी व्यवस्था में परिसंघ का केंद्रीय ढांचा तो विनाशी होता है, परंतु जो प्रान्त या राज्य मिलकर इसे बनाते हैं, वे अविनाशी होते हैं, इसलिए इसे अविनाशी राज्यों का विनाशी संगठन कहा जाता है|
वही संघात्मक व्यवस्था को अविनाशी राज्यों का अविनाशी संगठन कहा जाता है, क्योंकि इसमें संघ का विनाश नहीं हो सकता है|
पियरे जोसेफ प्रौंधा (अराजकता वादी विचारक) ने परिसंघ का समर्थन किया है|
उदाहरण- उत्तर अंटलांटिक संधि (नाटो), अफ़्रीकी संघ, राष्ट्रमंडल
समवर्ती संघवाद या सामुदायिक संघवाद (Consociational Federation)-
कार्यकारी शक्तियों का सम्मिलित प्रयोग
सम्प्रदायों को स्वायत्ता
सभी नृजातीय समूहों को संसद में वीटो पावर
उदाहरण- लेबनान, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, तंजानिया आदि|
विश्व संघ-
ऐच्छिक सदस्यता
प्रत्येक इकाई स्वायत्त व संप्रभु
उदाहरण- संयुक्त राष्ट्र संघ
द्वैध संघवाद-
दोनों सरकारे अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण स्वायत्तता से कार्य करती हैं|
इसे लेयर व केक संघ भी कहा जाता है|
लेयर केक व मार्बल केक संघवाद शब्दों का सर्वप्रथम प्रयोग 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर मोरटॉन ग्रॉन्जिस ने किया था|
इस प्रकार के संघ में संघ व उनकी इकाइयों के मध्य स्पष्ट शक्ति विभाजन होता है| संघीय सरकार इकाइयों की शक्तियों के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है| इसे विभाजित संप्रभुता भी कहा जाता है|
उदाहरण- संयुक्त राज्य अमेरिका
सहकारी संघवाद (Cooperative Federation)-
इसमें दोनों सरकारे प्रतियोगी नहीं, बल्कि सहयोगी होती है|
उदाहरण- जर्मनी
डेनियल एलजार ने अमेरिकी संघवाद को सहकारी संघवाद कहा है|
बलपूर्वक संघवाद या प्रतिरोधी संघवाद (Coercive Federalism)-
1960 के दशक के मध्य से संघीय सरकार और राज्यों के बीच साझेदारी पर आधारित सहकारी संघवाद का स्थान बलपूर्वक संघवाद अथवा प्रतिरोधी संघवाद ने ले लिया|
यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसके माध्यम से संघीय सरकार राज्यों की शक्तियों को कम करने वाले कानून को पारित करके और राज्यों पर जनादेश के रूप में प्रतिबंध लगाकर अपने आदेशों का पालन करवाती है|
नया संघवाद-
रोनाल्ड रीगन की अवधारणा
1980 के दशक में रोनाल्ड रीगन ने जानबूझकर बढ़ते कल्याणकारी बजट के खिलाफ छोटी सरकार को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया|
नए संघवाद की अवधारणा के तहत रीगन ने संघीय सरकार से राज्य सरकारों को कल्याण की जिम्मेदारी स्थानांतरित करके सामाजिक खर्चे को रोकने का प्रयास किया|
वित्तीय संघवाद-
1990 के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका ने वित्तीय संघवाद को अपनाया है|
अमेरिकी राष्ट्रपति सरकार राज्य और स्थानीय सरकारो को लगातार संघीय अनुदान में वृद्धि कर रही है|
यह शैली केंद्र से परिधि तक भुगतान के हस्तांतरण में विश्वास रखती है|
कार्यकारी संघवाद-
इस प्रकार के संघवाद में संघीय संतुलन काफी हद तक सरकार के प्रत्येक स्तर के अधिकारियों के बीच संबंधों द्वारा निर्धारित होता है|
संसदीय प्रणालियों को सामान्यत: कार्यकारी संघवाद कहा जाता है, जो विशेष रूप से कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है|
उदाहरण- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा
सम व विषम संघवाद-
समतोल या सममित या सम संघवाद वह होता है, जहां प्रत्येक इकाई समान शक्तियां रखे| उदाहरण- संयुक्त राज्य अमेरिका|
विषम या असमतोल या असममित संघ उसे कहते हैं, जहां भाषा, संस्कृति या अन्य सामाजिक आधारों पर इकाइयों की शक्तियां असमान हो| उदाहरण- कनाडा, भारत
विषम संघवाद शब्द चार्ल्स टालर्टन द्वारा गढ़ा गया|
चार्ल्स टालर्टन ने भारत को विषम संघवाद कहा है|
प्रशासनिक संघवाद-
जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में प्रशासनिक संघवाद पाया जाता है
प्रशासनिक संघवाद में केंद्र सरकार प्रमुख नीति निर्माता होती है और प्रांतीय सरकार को नीति कार्यान्वन के लिए जिम्मेदारी सौंपी जाती है|
एकात्मक संघवाद-
यह नया प्रतिमान है
यह केंद्रीकरण की दिशा में तर्कसंगत प्रवृत्ति है यानी अब कोई भी शुद्ध संघ नहीं हो सकता है|
यह केंद्र की बढ़ती शक्तियों व इकाइयों की सत्ता क्षरण का प्रतीक है|
कनाडा इसका अपवाद है, जहां केंद्र के बजाय राज्य की शक्तियों में वृद्धि हुई है|
एकात्मक संघवाद के कारण या इकाइयों की तुलना में संघ की शक्तियों के बढ़ने के कारण-
युद्ध की राजनीति- युद्ध की राजनीति में सुरक्षा हेतु एकात्मक नियंत्रण आवश्यक है| जैसे- वियतनाम संकट के समय संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय केंद्रीकरण बढ़ा तथा शीत युद्ध के समय व 1990 के बाद भी USA में केंद्रीयकरण बढ़ा| लियोनार्ड (अमेरिकी विद्वान) “रुसी भालू ने हमें केंद्रीकरण की ओर बढ़ाया है|”
आर्थिक मंदी व आर्थिक संकट की राजनीति
कल्याण की राजनीति
सहायता अनुदान की राजनीति
दलगत राजनीति- दोनों स्तरों पर एक ही दल की सरकार होने से केंद्रीकरण बढ़ता है|
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