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राजस्थान में पंचायती राज/ raajasthaan mein Panchayati raaj || Panchayati Raj in Rajasthan || In Hindi || BY Nirban PK Sir

राजस्थान में पंचायती राज

  • बीकानेर रियासत ने सर्वप्रथम 1928 में पंचायतों को वैधानिक मान्यता दी| (ग्राम पंचायत अधिनियम पारित करके)

  • 1938 में जयपुर में पंचायतों को वैधानिक दर्जा दिया गया|

  • 1949 में जयपुर में पंचायती राज विभाग की स्थापना की गई|

  • 1953 में राजस्थान ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया गया|

  • 1959 में नागौर के बगदरी गांव में पंचायती राज का उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू ने किया| तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया था|

  • Note- बगदरी का वर्तमान नाम- बागसागर है|

  • 1960 में राजस्थान में पहली बार पंचायतों के चुनाव हुए|

  • राजस्थान पंचायती राज विकास विभाग द्वारा 1983 से राजस्थान विकास पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है|


  • इंदिरा गांधी ग्रामीण विकास व पंचायती राज्य संस्था- जयपुर

  • स्थापना- 1984

  • राजस्थान का सबसे बड़ा संस्थान

  • पंचायतों से जुड़े व्यक्तियों को प्रशिक्षण देना प्रमुख कार्य 

  • इसके द्वारा कुरुक्षेत्र नामक पत्रिका प्रकाशित की जाती है| 



राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं से जुड़ी समितियां-

  1. सादिक अली समिति- 1964

  • पंचायती राज व्यवस्था में सुधार हेतु सुझाव देने के लिए इस समिति का गठन किया गया| 

  • प्रमुख सिफारिश- प्रधान व जिला प्रमुख का चुनाव एक वृहद निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाय, जिसमें ग्राम पंचायत के अध्यक्ष व सभी सदस्य शामिल हो| 


  1. गिरधारी लाल व्यास समिति (1973)-

  • सिफारिश- ग्राम पंचायत में सरकारी अधिकारी के रूप में ग्राम सचिव की नियुक्ति की जाय| 

 

  1. हरलाल सिंह खर्रा समिति 1990-

  2. नाथूराम मिर्धा समिति- 1993

  • सिफारिश- इस समिति की सिफारिश पर राजस्थान में 23 अप्रैल 1994 को 73वें संविधान संशोधन1992 के प्रावधान लागू हुए


  1. अरुण कुमार समिति- 1996

  2. लाल सिंह शक्तावत समिति- 2000

  3. गुलाबचंद कटारिया समिति- 2009-

  • इस समिति ने सभी 29 विषय पंचायतो को सौंपने की सिफारिश की| 


  1. V.S व्यास समिति- 2010 

  2. J.P चंदोलिया समिति- 2010


NOTE-  हरीश चंद्र माथुर समिति– 1963 (सबसे पहले गठित)


  • V.S व्यास समिति की सिफारिश पर गहलोत सरकार ने 2 अक्टूबर 2010 को ग्यारहवीं अनुसूची के पांच विषय पंचायती राज को दिए-

  1. कृषि 

  2. महिला एवं बाल विकास

  3. प्राथमिक शिक्षा

  4. प्राथमिक स्वास्थ्य

  5. सामाजिक न्याय व अधिकारिता


Note- वर्तमान में राजस्थान पंचायती राज के पास ग्यारहवीं अनुसूची के =23 विषय 


Note- लाल सिंह शक्तावत समिति तथा गुलाबचंद कटारिया समिति की सिफारिश पर 11वीं अनुसूची के 29 विषयों में से 16 विषय पंचायती राज्य को दिए गए| 


राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994-

  • 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के पश्चात राजस्थान सरकार ने राज्य में 23 अप्रैल 1994 को पंचायती राज अधिनियम 1994 को लागू कर दिया| 

  • इसमें निम्न संशोधन किए जा चुके है-

  1. दिसंबर 1994 में अन्य पिछड़े वर्ग हेतु आरक्षण की व्यवस्था

  2. दिसंबर 1994 में जनप्रतिनिधियों की दो से अधिक संतान न हो

  • दिव्यांग संतान की स्थिति में 2018 में शिथिलता दी गई| 

  • राजस्थान में 2008 से पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं हेतु 50% आरक्षण कर दिया गया है| 


  • ग्राम सभा 243A-

  • अध्यक्ष- सरपंच

  • सदस्य- ग्राम पंचायत के सभी मतदाता

  • बैठक- वर्ष में चार बार

  1. 26 जनवरी

  2. 1 मई (मजदूर दिवस) 

  3. 15 अगस्त

  4. 2 अक्टूबर


  • NOTE - इन 4 दिनों के 15 दिन पहले या 15 दिन बाद में कभी भी की जा सकती है| 


  • गणपूर्ति- कुल सदस्यों का 1/10 

  • सरकारी अधिकारी- ग्राम सचिव

  • राजस्थान में ग्राम सभा की शुरुआत- 26 जनवरी 1999 को सांगानेर के मुहाना ग्राम, ग्राम पंचायत से तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शुरुआत| 

  • ग्राम सभा को लघु संसद भी कहते हैं| 


  • ग्राम पंचायत- 

  • राजस्थान में वर्तमान में ग्राम पंचायत 11341 

  • गठन- प्रत्येक तीन हजार जनसंख्या पर 1 ग्राम पंचायत का गठन किया जा सकता है, जो एक या एक से अधिक गांवो के समूह में हो सकते हैं|


  • सदस्य संख्या- 

  • 3000 की जनसंख्या पर 9 वार्ड होंगे| 

  • प्रत्येक वार्ड में एक सदस्य होगा| 

  • 3000 से ज्यादा जनसंख्या होने पर प्रत्येक एक हजार पर 2 वार्ड होंगे (प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य) 

  • प्रत्येक वार्ड से एक पंच चुना जाता है| 


  • ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव- 

  • सरपंच (अध्यक्ष)- प्रत्यक्ष निर्वाचन

  • उपसरपंच (उपाध्यक्ष)- अप्रत्यक्ष निर्वाचन (वार्ड पंच अपने में से एक को उपसरपंच  चुनते हैं|)

  • पंच- प्रत्यक्ष निर्वाचन

  • ग्राम सेवक- प्रशासनिक अधिकारी


Note- उपसरपंच के चुनाव में सरपंच मत देता है तथा उसका मत मूल्य 2 होता है| 


  • ग्राम पंचायत की बैठक- 

  •  प्रत्येक माह में कम से कम 2 बैठक

  • अध्यक्ष- सरपंच (उपस्थिति न होने पर अध्यक्ष उपसरपंच रहेगा) 


  • गणपूर्ति (ग्राम पंचायत)-

  • कुल सदस्य संख्या का 1/3 सदस्य


  • शपथ

  • पीठासीन अधिकारी (R.O) 


  • कार्यकाल-

  •  5 वर्ष (प्रथम बैठक से)


  • त्यागपत्र-

  • सरपंच, उप सरपंच, वार्ड पंच सभी त्यागपत्र BDO को देते हैं| 


  • योग्यता-  

  1. वसुंधरा सरकार ने 2014-15 में पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 19 में संशोधन कर पंचायती राज के लिए शैक्षणिक योग्यता लगायी थी| शैक्षणिक योग्यता लगाने वाला राजस्थान पहला राज्य बना था| 

  • सरपंच- आठवीं पास (जनजाति क्षेत्र में पांचवी पास)

  • पंचायत समिति सदस्य- 10 वीं पास

  • जिला परिषद सदस्य- 10 वीं पास

  • Note- गहलोत सरकार ने फरवरी 2019 में राजस्थान पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2019 के द्वारा वसुंधरा राजे के निर्णय को बदलते हुए पंचायत राज और स्थानीय निकाय में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त करने का निर्णय लिया| 

  1. न्यूनतम आयु- 21 वर्ष

  2. 21 नवंबर 1995 के बाद तीसरी संतान न हो (संतान का नियम लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य)

(पहली बार जुड़वा बच्चे दो गिने जाएंगे, लेकिन दूसरी बार जुड़वा बच्चा एक गिना जाएगा)

Note- ये योग्यताएं तीनों स्तरों के लिए हैं| 


  • पद से हटाना-

  • सरपंच और उपसरपंच को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है| 

  • प्रस्ताव 1/3 वार्ड पंचो द्वारा लाया जाएगा| 

  • प्रारंभ के 2 वर्षों तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है| 

  • कम से कम 3/4 बहुमत से पारित प्रस्ताव होना चाहिए| 

  • प्रस्ताव फेल होने पर 1 वर्ष तक प्रस्ताव दोबारा नहीं लाया जा सकता है| 

  • अंतिम 1 साल में प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है| 

  • अतः अधिकतम दो बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है| 


Note- वार्ड पंचों को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा नहीं हटाया जा सकता है|  

Note- RTI- 2005 के तहत ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक को लोक सूचना अधिकारी बनाया गया है| सूचना 30 दिन के अंदर देनी होगी| 

 सूचना न देने पर अपीलीय प्राधिकारी (सरपंच) के पास अपील की जा सकती है| 


  • पंचायत समिति- 

  • वर्तमान में राजस्थान में कुल पंचायत समितियां- 352 

  • गठन- खंड स्तर (ब्लॉक स्तर)

  • सदस्य संख्या- 

  • एक लाख जनसंख्या पर एक पंचायत समिति होगी

  • जिसमें कुल 15 वार्ड होंगे| 

  • प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य होगा| 

  • एक लाख से ज्यादा जनसंख्या होने पर प्रत्येक 15 हजार अतिरिक्त जनसंख्या पर 2 वार्ड (2 सदस्य) होंगे| 


  • पंचायत समिति के सदस्य-

  • अध्यक्ष- प्रधान

  • उपाध्यक्ष- उप प्रधान  

नोट- दोनों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से, पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा अपने में से चुने जाएंगे| 

  • पंचायत समिति सदस्य- प्रत्यक्ष चुनाव

  • पदेन सदस्य- 

  • पंचायत समिति क्षेत्र से संबंधित सरपंच, विधायक, सांसद (लोकसभा)

  •  प्रशासनिक अधिकारी- BDO (खंड विकास अधिकारी)


  • बैठक- 

  • प्रत्येक माह में एक बार

  • अध्यक्ष- प्रधान (अनुपस्थित होने पर उपप्रधान)

NOTE- बैठक में निर्वाचित व पदेन दोनों सदस्यों को मत देने का अधिकार होता है| 

  • गणपूर्ति- 1/3 सदस्य

  • कार्यकाल- प्रथम बैठक से 5 वर्ष

  • पद से हटाना

  • प्रधान व उपप्रधान को पंचायत समिति सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया जा सकता है

  • Note- अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया सरपंच के समान है| 

  •  अविश्वास प्रस्ताव पर पदेन सदस्य मत नहीं दे सकते हैं| 


  • शपथ- S.D.M 

  • त्यागपत्र

  • प्रधान- जिला प्रमुख को| 

  • उपप्रधान व सदस्य- प्रधान को


  • जिला परिषद-

  • कुल जिला परिषद- 50 

  • गठन- जिला स्तर


  • सदस्य संख्या-

  • चार लाख जनसंख्या पर 17 वार्ड होंगे, प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य होगा| 

  • चार लाख से अधिक जनसंख्या पर प्रत्येक एक लाख पर दो अतिरिक्त वार्ड|  


  • सदस्य- जिला परिषद के सदस्य

  • अध्यक्ष- जिला प्रमुख 

  • उपाध्यक्ष- उप जिला प्रमुख

  • नोट- दोनों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से, जिला परिषद के सदस्यों द्वारा अपने में से किया जाता है| 

  • पदेन सदस्य-

  • पंचायत समितियों के प्रधान

  • विधायक

  • सांसद (लोकसभा) 

  • राज्यसभा के सदस्य (लेकिन ये सदस्य ग्रामीण मतदाता के रूप में हो)


  • प्रशासनिक अधिकारी- CEO (प्रमुख कार्यकारी अधिकारी)


  • Note- मतदान में सभी भाग लेते हैं (पदेन+निर्वाचित सदस्य)


  • बैठक- 

  • प्रत्येक तीन माह में कम से कम एक बार

  • अध्यक्षता- जिला प्रमुख (अनुपस्थित होने पर उपजिला प्रमुख)


  • गणपूर्ति- 1/3 सदस्य


  • पद से हटाना 

  • जिला प्रमुख व उप जिला प्रमुख को अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाया जा सकता है| 

  • जिला परिषद के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव द्वारा नहीं हटाये जा सकते| 


Note- अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया सरपंच के समान होती है|

 

  • शपथ- जिलाधीश (कलेक्टर) या पीठासीन अधिकारी


  • त्यागपत्र

  • जिला प्रमुख- संभागीय आयुक्त को

  • उप जिला प्रमुख- जिला प्रमुख को

  • सभी सदस्य- जिला प्रमुख को 


  • वार्ड सभा-

  • राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां जनवरी 2000 से वार्ड सभाओं का गठन किया गया है|

  • इसमें वार्ड के सभी सदस्य शामिल होते हैं तथा अध्यक्षता वार्ड पंच के द्वारा की जाती है|


  • शौचालय होना आवश्यक-

  • राजस्थान पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2015 के द्वारा यह उपबंध किया गया कि पंचायतों के चुनाव में भाग लेने के लिए घर में कार्यशील स्वच्छ शौचालय हो और उसके परिवार का कोई भी सदस्य खुले में शौच नहीं जाता हो|


  • परिसीमन समिति 2014

  • अध्यक्ष-गुलाबचंद कटारिया

  • सिफारिश- नयी ग्राम पंचायतों के गठन के संबंध में जनसंख्या के बारे में| 

  • न्यूनतम जनसंख्या- 5000 (1 ग्राम पंचायत के लिए आवश्यक जनसंख्या)

  • अधिकतम जनसंख्या- 7000 (1 ग्राम पंचायत के लिए आवश्यक जनसंख्या)


  • अनुसूचित, सहरिया व मरुस्थलीय जिलों के लिए (बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा)-

  • न्यूनतम जनसंख्या- 3500 (एक ग्राम पंचायत के लिए आवश्यक जनसंख्या)

  • अधिकतम जनसंख्या- 6000 (एक ग्राम पंचायत के लिए आवश्यक जनसंख्या)


  • राज्य वित्त आयोग-

  • राजस्थान में अब तक 6 वित्त आयोगो का गठन हो चुका है| 

  1. प्रथम- अध्यक्ष- के के गोयल (1995 से 2000)

  2. द्वितीय- अध्यक्ष- हीरालाल देवपुरा (2000 से 2005)

  3. तीसरा- अध्यक्ष- मानिकचंद सुराणा (2005 से 2010)

  4. चौथा- अध्यक्ष- डा. बी.डी कल्ला (2010 से 2015)

  5. पांचवा- अध्यक्ष - डा ज्योति किरण (1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020)

  6. छठवां- 2020-2025 

  • अध्यक्ष- प्रद्युमन सिंह

  • सदस्य- लक्ष्मण सिंह रावत, अशोक लाहोटी

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