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राजनीतिक दल : ब्रिटेन /Political Party: Britain || In Hindi || BY- Nirban PK Sir

 राजनीतिक दल : ब्रिटेन 

    • वैसे तो विश्व के सभी देशों में राजनीतिक दलों का महत्व है, किन्तु ब्रिटिश संविधान और शासन-व्यवस्था में राजनीतिक दलों का महत्व विशेष रूप से देखा जा सकता है। 

    • आइवर जेनिंग्स ने तो इस सम्बन्ध में यहां तक कह दिया है कि "ब्रिटिश शासन राजनीतिक दलों से ही प्रारम्भ होता है और राजनीतिक दल में ही समाप्त हो जाता है।"

    • मैकिंतोष “दलीय व्यवस्था ब्रिटेन के राजनीतिक जीवन की प्राण शक्ति है|”

      

    ब्रिटेन में राजनीतिक दलों का इतिहास- 

    • इंग्लैंड में राजनीतिक दलों का इतिहास स्टुअर्ट काल (1603-1704) से प्रारंभ होता है। 


    • जेम्स प्रथम के शासन काल में ससंद ने अपनी सर्वोच्चता की स्थापना के लिए संघर्ष (प्यूरिटन क्रांति 1642- 1650) किया। इस संघर्ष में इंग्लैण्ड की जनता दो वर्गों में बँट गई

    1. कैवेलियर्स- राजा का समर्थक वर्ग 'कैवेलियर्स' (Cavaliers) कहलाया। यह वर्ग राजा की शक्तियों में कमी करने का विरोधी था। कैवेलियर्स शब्द का अर्थ 'घुड़सवार' है। 

    2. राउण्डहैड्स- दूसरा वर्ग जो संसदीय प्रभुता का समर्थक था, राउण्डहैड्स (Roundheads) कहलाया। राण्डहैड का अर्थ 'घुटा हुआ सिर' से है। उस समय संसदीय प्रभुता के समर्थकों ने अपने सिरों को घुटवा लिया था।


    • चार्ल्स द्वितीय के समय में 1669 में बहिष्कार बिल (Exclusion Bill) प्रस्तुत किया गया। यह बिल चार्ल्स द्वितीय को गद्दी से हटाने के लिए था| इस समय भी इंग्लैण्ड में दो गुट बन गए-

    1. पैटीशनर्स (Petitioners)- जो लोग चार्ल्स द्वितीय को गद्दी नहीं देना चाहते थे, वे पैटीशनर्स (Petitioners) कहलाए| 

    2. अबोरर्स (Abhorrers)- जिन्होंने इस बिल से घृणा (Abhor) की, वे  Abhorrers कहलाए|


    • विलियम तृतीय के समय में यही दल व्हिग (Whig) तथा टोरी (Torry) (1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति) कहलाए|

    • विशुद्ध राजनीतिक दलों का उदय प्रजातन्त्रीय पद्धति के साथ ही सम्भव था और इसलिए 1688 की क्रान्ति के बाद ही दो विशुद्ध राजनीतिक दलों की नींव पड़ी, जिन्हें 'व्हिग' (Whig) टोरी (Tory) नाम दिया गया। 

    1. व्हिग- व्हिग राजा के अधिकारों पर नियंत्रण के पक्ष में थे, इसलिए उन्होंने राउण्डहैड्स की परंपराओं का समर्थन किया 

    2. टोरी- टोरी राजा के विशेषाधिकारों के समर्थक थे, इसलिए उन्होंने कैवेलियर्स परंपराओं का समर्थन किया।


    • 1688 के बाद लगभग 150 वर्षों तक ये दोनों दल बारी-बारी से शासन-संचालन करते रहे।

    • सन्‌ 1832 के सुधार अधिनियम के बाद टोरी व व्हिग दलों के नामों में परिवर्तन हो गया। अब वे अनुदार दल (Conservative Party) तथा उदार  दल (Liberal Party) के नाम से प्रसिद्ध हुए।

    1. अनुदारवादी- अनुदारवादियों ने सम्राट के परमाधिकारों (Prerogatives), चर्च के विशेषाधिकारों, लॉर्ड सभा की शक्तियों, धनवानों तथा साम्राज्यवाद का समर्थन किया, इसलिए इस दल को इन्हीं वर्गों से समर्थन मिला। 

    2. उदारवादी- उदारवादी समय के अनुकूल शासन तथा औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन के समर्थक थे।



    मजदूर दल (Labour Party) का उदय- 

    • बीसवीं सदी के प्रारम्भ में एक नवीन विचारधारा और दृष्टिकोण के साथ एक नये दल का प्रादुर्भाव हुआ जिसका नाम है- 'मजदूर दल’

    • 1900 में ‘मजदूर प्रतिनिधित्व समिति' नामक एक नया संगठन बना| 

    • 1906 में इसको मजदूर दल का नाम दिया गया। 

    • यह दल उदार दल के साथ सहयोग का कार्य करता था। इसका मुख्य उद्देश्य श्रमिक वर्ग की सुविधा हेतु कानूनों का निर्माण करना था।


    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में पहली बार क्लीमेंट एटली के नेतृत्व मजदूर दल की सरकार बनी| 

    • मई 1997 में ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन हुआ और टॉनी ब्लेयर के नेतृत्व में मजदूर दल की सरकार बनी। जून 2001 ई. के आम चुनाव के बाद टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में दूसरी बार मजदूर दल की सरकार बनी और मई 2005 ई. में टोनी ब्लेयर के ही नेतृत्व में तीसरी बार मजदूर दल की सरकार बनी। मजदूर दल के इतिहास में टोनी ब्लेयर पहले ऐसे नेता हैं, जिनके नेतृत्व में मजदूर दल ने लगातार तीसरी बार विजय प्राप्त की है। 


    • ब्रिटिश राजनीति के दो प्रमुख दल तो मजदूर दल और अनुदार दल हैं, लेकिन तीसरा राजनीतिक दल लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी' भी ब्रिटिश राजनीति में निरन्तर आगे बढ़ रहा है।



    ब्रिटिश दलीय-व्यवस्था की विशेषताएं- 

    1. द्विदल पद्धति, अपवाद सवरूप त्रिदलीय पद्धति-

    • ब्रिटेन में सामान्यतः हमेशा द्विदलीय पद्धति ही रही है|

    • 1872 में गिलबर्ट ने लिखा था  ''यह विधि का कैसा विधान है कि इस देश में जो भी छोटा बालक या बालिका पैदा होती है और जीवित रहती है, वह या तो छोटा उदार दलीय बालक या अनुदार दलीय बालक होता है।”

    • सत्रहवीं सदी के प्रारम्भ में राजा और राजसत्ता के समर्थक 'केवेलियर्स' (Cavaliers) तथा धार्मिक सहिष्णुता और संसद के समर्थक 'राउण्डहैड्स' (Roundheads) थे|

    • संसद की सर्वोच्चता निश्चित रूप से स्थापित होने के बाद इन दलों के नये नाम ‘टोरी और व्हिंग' (Tory and Whig) पड़ गये। 

    • सन्‌ 1832 ई. के सुधार अधिनिमय के पारित होने के बाद इन दलों के नाम अनुदार दल और उदार दल हो गये।

    • अनुदार दल स्थापित व्यवस्था को बनाये रखने का समर्थक था, लेकिन उदार दल शासन पद्धति, उद्योग तथा सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सुधारों का समर्थक था। 

    • बीसवीं सदी में मजदूर दल के उदय से ऐसा प्रतीत हुआ, कि अब ब्रिटेन में द्विदलीय पद्धति के स्थान पर त्रिदलीय पद्धति स्थापित हो जायेगी| 1920-35 के काल में ब्रिटेन में तीन राजनीतिक शक्तियां (उदार दल, अनुदार दल और मजदूर दल) देखी गयीं, लेकिन मजदूर दल की शक्ति बढ़ने के साथ-साथ उदार दल का पतन प्रारम्भ हो गया और ब्रिटिश राजनीति में फिर से दो ही प्रमुख शक्तिया (अनुदार दल और मजदूर दल) रह गयी। 

    • सामान्यत: ब्रिटेन में द्विदलीय पद्धति ही अस्तित्व में रहती है| 1946 से लेकर 2009 तक द्विदलीय पद्धति थी| 

    • लेकिन 2010 के चुनाव में तीन प्रमुख दलों की स्थितिः बनी-

    1. अनुदार दल- डेविड केमरून

    2. मजदूर दल- गोर्डन ब्राउन

    3. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी- निक क्लेग

    • किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत ना मिलने पर अनुदार दल ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई|

    • 2010 से अब तक ब्रिटेन में अनुदार दल की सरकार है तथा मजदूर दल मुख्य विपक्षी दल है।


    द्विदलीय पद्धति के कारण-

    • निम्न कारण है-

    1. अंग्रेजी भाषा-भाषी व्यक्ति सिद्धांतवादी होने के बजाय व्यवहारिक होते हैं| सालबेडर डी. मैट्रियागा के अनुसार 'द्विदलीय पद्धति ब्रिटिश जाति की उस मनोवृत्ति का परिणाम है, जो राजनीति को एक खेल मानती है और राजनीतिक जीवन को केवल खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच संघर्ष|”

    2. ब्रिटेन में यूरोप के अन्य देशों के समान राष्ट्रीयता, धर्म और भाषा की समस्याएं नहीं हैं, जो देश को खण्डित करती हैं और जिन्होंने फ्रांस तथा इटली जैसे देशों में बहुदलीय प्रणाली को जन्म दिया है।

    3. द्विदलीय पद्धति को जन्म देने वाला एक प्रमुख कारण ब्रिटिश चुनाव पद्धति है। ब्रिटेन में साधारण बहुमत की प्रणाली है और एक-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र है और इसी कारण छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का विकास नहीं हो सका है।


    द्विदलीय पद्धति के प्रभाव-

    • द्विदलीय पद्धति के कारण आम चुनाव में एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो जाता है और यह स्पष्ट बहुमत सबल तथा स्थायी मन्त्रिमण्डल को जन्म देता है। 

    • इस द्विदलीय पद्धति के कारण ही ब्रिटिश संसद की शक्ति का ह्रास और मन्त्रिमण्डल की शक्ति में वृद्धि हुई है। 

    • ब्रिटेन में संसदीय प्रजातन्त्र की सफलता का श्रेय द्विदलीय प्रणाली को ही है।

    • लॉस्की “द्वीदलीय पद्धति एकमात्र प्रणाली है, जिसके द्वारा जनता निर्वाचन के समय अपने शासन का प्रत्यक्ष चुनाव कर सकती है और यह उस शासन को अपनी नीति के अनुसार कानून बनाने की क्षमता प्रदान कर सकती है|”


    1. सुदृढ़ संगठन और केन्द्रीकरण-

    • ब्रिटेन के राजनीतिक दल बहुत अधिक संगठित और केन्द्रीकृत हैं| 

    • ब्रिटिश राजनीतिक दलों की वास्तविक शक्ति दल के शीर्ष संगठन में निवास करती है। 

    • ब्रिटेन में नीचे से ऊपर तक समस्त राजनीतिक दल एकसूत्र में बंधा रहता है।


    1. कठोर अनुशासन-

    • ब्रिटेन में राजनीतिक दलों में कठोर दलीय अनुशासन होता है। 

    • कार्टर “ब्रिटिश दलपद्धति की सरलता तथा अनुशासन अमरीकावासियों के लिए प्रशंसा तथा ईर्ष्या का विषय हैI"

    • ब्रिटिश लोकसदन में दलीय सचेतकों (Party Whips) की व्यवस्था की गई है, जो में दलीय नेता के साथ संपर्क रखते हुए सदस्यों को निर्देश देते रहते हैं और सदस्यों के लिए निर्देशों का पालन आवश्यक होता है।


    1. नेता की सर्वोच्च स्थिति-

    • सभी देशों में राजनीतिक दलों के दलीय नेता का महत्व होता है, किन्तु ब्रिटेन में यह महत्व सर्वोपरि है | 

    • ब्रिटिश जनता दलीय कार्यक्रमों को नहीं, वरन्‌ दलीय नेता को अपना मत प्रदान करती है। 


    1. राजनीतिक दलों की वर्गीय प्रकृति का लगभग अन्त और उनका सामंजस्यकारी स्वरूप-

    • राजनीतिक दलों का एक प्रमुख उद्देश्य होता है, सत्ता प्राप्त करना। अत: कालान्तर में ब्रिटेन के राजनीतिक दलों ने अनुभव किया, कि उन्हें अपनी वर्गीय प्रकृति से आगे बढ़कर सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त करने की नीति अपनानी चाहिए| 

    • इस दृष्टि से अनुदार दल ने कुछ प्रगतिशील नीतियां अपनाई| मजदूर दल ने समाज और समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाने की बात का लगभग त्याग कर बाजार की ओर उन्मुख आर्थिक नीतियों को स्वीकार कर लिया है। 


    1. निरन्तर सक्रियता-

    • अमरीका और अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था वाले अन्य देशों में राजनीतिक दल चुनाव के बाद दो-तीन वर्ष के लिए राजनीति के प्रति उदासीन हो जाते हैं, क्योंकि यह स्पष्ट हो जाता है कि एक निश्चित समय के पूर्व सरकार में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। 

    • लेकिन ब्रिटेन में संसदात्मक व्यवस्था होने के कारण विरोधी राजनीतिक दल सरकार के पतन हेतु और शासक दल सत्ता बनाये रखने हेतु सदैव सक्रिय रहते है। 

    • राजनीतिक दलों के लिए सक्रिय रहना इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि कभी भी तीन सप्ताह के नोटिस पर चुनाव की घण्टी बज सकती है।

    • फाइनर ने कहा है कि, “अंग्रेजी राजनीतिक दल आम निर्वाचनों के बाद सो नहीं जाते और सुस्ताने नहीं लगते। वे जनता को शिक्षा देने का कार्य निरंतर बड़े उत्साह के साथ करते रहते है।”


    1. लूट प्रथा का अभाव-

    • अमरीका में राष्ट्रपति के चुनाव के बाद स्थायी पदाधिकारियों का एक बड़ी संख्या में परिवर्तन होता है। पहले से कार्य कर रहे पदाधिकारियों के स्थान पर उन व्यक्तियों को इन पदों पर नियुक्त किया जाता है, जिन्होंने चुनाव के समय राष्ट्रपति को विजयी बनाने में योग दिया था। इसे ही 'लूट की पद्धति' कहते हैं। लेकिन ब्रिटिश राजनीति में राजनीतिक दलों के द्वारा इस प्रकार का आचरण नहीं किया जाता।


    1. मध्य मार्ग, संयम एवं समझौता (Moderation and Compromise) -

    • ब्रिटिश राजनीतिक दलों के गठन का आधार भाषा, जाति या धर्मगत भेद नहीं है तथा दोनों ही राजनीतिक दलों का संवैधानिक साधनो में पूर्ण विश्वास है| 

    • इंग्लैण्ड में दल मध्यमार्गीय एवं समझौतावादी हैं। 

    • अनुदार दल पूरी तरह अनुदारवादी नहीं है, इसी प्रकार मजदूर दल पूरी तरह कट्टर समाजवादी नहीं है।



    प्रमुख राजनीतिक दल : सिद्धांत और संगठन-

     

    अनुदार दल (Conservative Party)-

    • केवेलियर्स से टॉरी पार्टी बनी- 1678 में।

    • टॉरी से 1834 में अनुदार दल बना।

    • यह Center Right पार्टी थी|

    • अनुदार दल के केंद्रीय संगठन को ‘The National Union of Conservation and Unionist Association’ कहते है। मजदूर दल के केंद्रीय संगठन ‘Annual Conference’ कहते है, उदारवादी दल के केन्द्रीय संगठन को ‘National Federation’ कहते हैं |

    • सन्‌ 1800 में जॉन विल्सन क्रोकर ने कन्जरवेटिव शब्द का प्रयोग किया था। 

    • जैनिंग्स के अनुसार “जब सन्‌ 1832 का सुधार अधिनियम पारित हो गया और व्हिग्स दल की विजय हो गई तो टोरी दल ने अपना नाम बदलकर कन्जरवेटिव रखा, जिसका आशय था- रक्षा की जाए। रक्षा का संबंध प्राचीन परंपराओं तथा उच्च वर्ग के अधिकारों से था।”


    अनुदार दल के सिद्धांत

    • अनुदार दल, ब्रिटेन के परम्परागत आचार-विचार और संस्थाओं को बनाये रखने के पक्ष में है। उसका सिद्धांत है कि इसमें परिवर्तन तभी किया जाना चाहिए जबकि परिवर्तन करना आवश्यक हो जाय और तब भी यह परिवर्तन धीर-धीरे ही किया जाना चाहिए|


    • अनुदार दल का विश्वास निम्न नीतियों में है-

    • प्राचीन परंपराओं, संस्थाओं तथा विचारधारा में विश्वास|

    • पूँजीवाद तथा साम्राज्यवाद का समर्थन।

    • लॉर्ड सभा को शक्तिशाली बनाए रखने का समर्थन।

    • निजी सम्पत्ति, उद्योगों में निजी स्वामित्व का समर्थन।

    • राष्ट्रीय एकता का समर्थन।

    • समाजवाद का विरोध।

    • राष्ट्रीयकृत अर्थव्यवस्था पर व्यक्तिवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन।

    • प्रत्यक्ष करों के लगाने का समर्थन।

    • जातीय श्रेष्ठता।

    • अन्तर्राष्ट्रवाद का विरोध

    • दृढ़ विदेश नीति का समथन

    • राजमुकुट तथा राजतंत्र को अक्षुण्य बनाए रखना।


    • अनुदार दल निजी सम्पत्ति, संस्थापित चर्च, राजमुकुट, उपनिवेशवाद और देश पर पूंजीगत व कुलीन वर्ग के प्रभुत्व का समर्थक है। 

    • वैदेशिक क्षेत्र में अनुदार दल ब्रिटिश अहं का समर्थक रहा है और भूतकाल में उसने ब्रिटिश साम्राज्य को बनाए रखने की अथक चेष्टा की है। उसने आयरलैण्ड की स्वतंत्रता का कड़ा विरोध किया और भारत की स्वतंत्रता का भी वह विरोधी ही रहा है। भूतकाल में उसने इस विश्वास को अपनाया कि अंग्रेज जाति का कर्तव्य संसार भर की पिछडी जातियों को सभ्य बनाना है। 

    • उसका विचार है कि लॉर्ड सभा के संगठन में चाहे सुधार किया जाए, लेकिन वर्तमान समय की अपेक्षा उसे अधिक शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए।


    • अनुदार दल की परंपरागत विचारधारा पूंजीवादी व्यवस्था का समर्थन करने की रही है, लेकिन द्वितीय महायुद्ध के बाद जब अनुदार दल के सम्मुख मजदूर दल की गंभीर चुनौती उपस्थित हुई, तो अनुदार दल की नीति में प्रगतिशीलता के चिह्न दिखायी देने लगे।

    • सन्‌ 1947 में अनुदार दल के सम्मेलन द्वारा स्वीकृत 'औद्योगिक प्रपत्र' (Industrial Charter) में केन्द्रीय नियोजन को देश की प्रगति के लिए आवश्यक बताया गया। इसी प्रकार 1949 में प्रकाशित ‘The Right Road of britain' नामक नीति-पत्र में राज्य की ओर से आवश्यक समाज सेवाओं व सभी के लिए रोजगार की व्यवस्था किये जाने पर जोर दिया गया।


    1975 में दल की नीति में परिवर्तन

    • अक्टूबर 1974 के चुनावों में अनुदार दल की पराजय के बाद दल के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ और दल के द्वारा एडवर्ड हीथ के स्थान पर मारग्रेट थेचर को अपना नेता चुना गया।

    • 1975 में आयोजित 'ब्लैकपुल सम्मेलन' से स्पष्ट हो गया है कि श्रीमती थेचर के नेतृत्व में दल ने समन्‍वयवादी नीति को छोड़कर स्पष्ट रूप से समाजवाद का विरोध और दक्षिणपन्थ का समर्थन करने की नीति अपना ली है। 

    • अपने भाषण में मारग्रेट थेचर ने कहा कि "ब्रिटेन के लिए समाजवाद बुरा है और हमें वर्तमान की तुलना में अधिक समाजवाद की नहीं, वरन्‌ कम समाजवाद की आवश्यकता है| मैं समाजवाद का विरोध करती रहूंगी। पूंजीवादी राज्य, समाजवादी राज्यों की तुलना में अधिक सम्पन्नता और अपने नागरिकों को अधिक प्रसन्नता प्रदान करते हैं।"

    • 2010 के चुनाव के समय अनुदार दल के नेता डेविड कैमरून ने Big Government के स्थान पर Big Society की बात कही तथा उन्होंने कहा कि “यदि हम जीते तो वास्तविक परिवर्तन होगा|”


    उदार दल (Liberal Party)-

    • राउण्डहेड़स से 1678 में व्हिग बने।

    • व्हिग के संस्थापक थे- एन्थनी एसले कूपर 

    • व्हिग से 1859 में उदार पार्टी बनी।

    • उदार पार्टी के संस्थापक- जॉन रसेल

    • यह Center पाटी थी।

    • प्रारंभ में यह दल ‘व्हिग (Whig) दल’ के नाम से प्रसिद्ध था तथा यह दल अनुदारवादी दल के समान ही शक्तिशाली था। 

    • 19वीं शताब्दी में इसके कई मंत्रिमण्डल बने। सबसे पहला प्रधानमंत्री कहलाने वाला व्यक्ति सर रॉबर्ट वालपोल (1721-1742) इसी दल से था। 

    • इसका नेता बहुत समय तक ग्लेडस्टोन रहा। 

    • मजदूर दल के उदय के कारण वर्तमान में इस दल का राजनीतिक महत्व समाप्त हो गया है। 

    • यह दल पूँजीवाद और समाजवाद के मध्य का मार्ग ग्रहण करता है, जिससे न तो इसे पूँजीपतियों का और न मजदूरों का समर्थन मिल पाता है। 


    • उदार दल का विश्वास निम्न नीतियां है-

    1. चर्च तथा सम्राट के विशेषाधिकारों का विरोध करना।

    2. राजतंत्र तथा लॉर्ड सभा की शक्तियों में भारी कटौती करना।

    3. बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार आर्थिक परिवर्तनों का समर्थन करना।

    4. समाजवाद तथा राष्ट्रीयकृत अर्थ-व्यवयस्था का विरोध करना, साथ ही पूजीपतियों द्वारा श्रमिकों के शोषण का विरोध करना।

    5. व्यक्ति स्वतंत्रता को अधिक महत्व देते हुए राज्य के अधिकार क्षेत्र को सीमित करना।

    6. मुक्त व्यापार का समर्थन करना।


    मजदूर दल (Labour Party)-

    • स्थापना- फरवरी 1900 में (Labour Representation Committee)

    • Center to Left पार्टी है|

    • मजदूर दल की विधिवत्‌ स्थापना 1899 में ट्रेड यूनियन कांग्रेस के एक प्रस्ताव के आधार पर फरवरी 1900 में हुई उस समय इसका नाम 'श्रमिक प्रतिनिधित्व समिति' (Labour Representative Committee) रखा गया और 1906 में इसे बदलकर 'मजदूर दल' कर दिया गया।

    • यह दल अनुदार दल तथा उदार दलों के समक्ष चुनौती के रूप में उभरा है। इस दल का जन्म फेबियनवाद (Fabianism) या समष्टिवाद (Collectivism) की विचारधारा से हुआ है, जिसका उद्देश्य शांतिपूर्ण व संवैधानिक उपायों द्वारा ब्रिटेन में समाजवाद की स्थापना करना है। 

    • इस दल को मजदूरों, मध्यम वर्ग लोगों व प्रोफेशनल आदि वर्ग का समर्थन प्राप्त है।


    मजदूर दल के सिद्धांत- 

    • मजदूर दल की स्थापना मजदूरों तथा अन्य निम्न वर्ग के लोगों के हित साधन की दृष्टि से समाजवादी विचारधारा वाले राजनीतिक दल के रूप में की गई थी|

    • लेकिन मजदूर दल ने अपने समाजवाद की प्रेरणा मार्क्सवादी दर्शन से प्राप्त नहीं की है और यह दल मार्क्सवादी समाजवाद की अपेक्षा लोकतंत्रीय समाजवाद में विश्वास करता है। 

    • डॉ. फाइनर के शब्दों में "मजदूर दल दास कैपीटल की अपेक्षा बाइबिल से अधिक प्रभावित है।" 

    • मार्गन फिलिप्स के अनुसार “ब्रिटिश समाजवाद साम्यवाद की पद्धति पर नहीं बल्कि मैथोडिज्म (इसाईयों का एक पन्थ) की पद्धति पर आधारित है|”


    • इस दल की नीतियाँ निम्न है-

    1. यह दल राष्ट्रीय धन का अधिक से अधिक साम्यपूर्ण वितरण चाहता है।

    2. उत्पादन के साधनों का राष्ट्रीयकरण करना चाहता है|

    3. यह दल साम्राज्यवाद का भी विरोधी है। इसी दल के शासन काल में भारत स्वतंत्र हुआ था।

    4. वैदेशिक क्षेत्र में यह दल अन्तर्राष्ट्रीयता का समर्थक है।

    5. लॉर्ड सभा को अनुपयोगी समझते हुए उसके उन्मूलन की बात कहता है।

    6. आर्थिक क्षेत्र में खुले बाजार का विरोधी है।

     

    मजदूर दल की नीति में क्रमश परिवर्तन- वामपंथ से मध्यम मार्ग की दिशा-

    • टोनी ब्लेयर का नेतृत्व और मजदूर दल का आधुनिकीकरण- 1992 में दल का नेतृत्व नील किनॉक के स्थान पर टोनी ब्लेयर ने प्राप्त किया और ब्लेयर ने 'दल का आधुनिकीकरण' कर दिया है| दल का इस सीमा तक आधुनिकीकरण कर दिया गया है कि ब्लेयर इसे 'मजदूर दल' के स्थान पर 'नवीन मजदूर दल' कहते हैं। अब दल ने समाजवाद की ओर झुकी हुई छवि त्याग कर बाजारोन्मुख नीतियों को अंगीकार किया और चुनाव के पूर्व तथा चुनाव के 'बाद स्पष्ट घोषणा की कि 'हम व्यापार और व्यापारिक क्षेत्रों के प्रति मित्रता का भाव अपनायेंगे। ब्लेयरवाद स्वतंत्र बाजार के प्रति प्रतिबद्ध है तथा उसमें उन उद्योगों और सेवाओं को पुनः राष्ट्रीयकरण के लिये कोई स्थान नहीं है, जिनका थेचर काल में अराष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। S प्रसन्‍नाराजन के अनुसार 'ब्लेयरवाद नैतिक दृष्टि से जागरूक थेचरवाद ही है।



    लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (Liberal Democratic Party)-

    • जन्म- 1987

    • इस दल को ब्रिटिश राजनीति की 'तीसरी शक्ति' कहा जा सकता है। 

    • 1981 में ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी' की स्थापना हुई थी। 

    • अगस्त 1987 में 'सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी' का उदार दल में विलय हो गया और नये दल को 'लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी' का नाम मिला।

    • लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति वही है, जो उदार दल की थी। नीति या विचारधारा की दृष्टि से लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी मजदूर दल के समीप है। यह दल सभी प्रकार की स्वतंत्रता का समर्थक है और वर्तमान में यह परम्परागत वैयक्तिक स्वतंत्रताओं के साथ- साथ आर्थिक समानता का भी समर्थक है। 

    • यह मजदूरों के अधिकारों को मान्यता देने और उनकी स्थिति सुधारने के पक्ष में है, किन्तु इसके साथ ही राष्ट्रीयकरण और समाजवाद का विरोधी है।



    अन्य दल (Other parties)-

    • साम्यवादी दल (Communist Party)- ब्रिटेन में साम्यवादी दल भी है, किन्तु इसे ब्रिटिश राजनीति में प्रभावपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं है।

    • फासिस्ट दल (Fascist Party)- ओस्टवाल्ट मोस्ले ने फासिस्टों का एक संघ बनाया| फासिस्ट दल की स्थिति साम्यवादी दल से भी बुरी है। 

     


    ब्रिटेन के प्रसिद्ध प्रधानमंत्री व उनके राजनीतिक दल



    प्रधानमंत्री

    कार्यकाल

    पार्टी 

    1

    सर रॉबर्ट वॉलपोल (प्रथम प्रधानमंत्री)

    1721-1742

    Whig

    2

    जॉन स्टुअर्ट (प्रथम टॉरी प्रधानमंत्री)

    1742--1763

    Tory

    3

    विलियम पिट

    1783-1801

    Tory

    4

    बेन्जामिन डिजरायली

    1874-1880

    Conservative

    5

    विलियम ग्लैडस्टोन

    1880-1885

    Liberal

    6

    लॉयड जार्ज

    1916-1922

    Liberal

    7

    रैम्जे मैकडॉनालड (मजदूर दल का प्रथम प्रधानमंत्री)

    1924 (288 दिन) तथा

    1929 से 1935

    Labour party

    8

    विन्सटन चर्चिल

    1940 -1945       तथा 

    1951-55 

    Conservative

    9

    क्लीमेन्ट एटली 

    1945-1951

    Labour

    10

    मारग्रेट थेचर 

    1979 -1990

    Conservative

    11

    जॉन मेजर

    1990-1997

    Conservative

    12

    टॉनी ब्लेयर

    1997-2007

    Labour

    13

    गॉर्डन ब्राउन

    2007-2010 

    Labour

    14

    डेविड कैमरून

    2010-2016 

    Conservative

    15

    थेरेसा

    2016-2019

    Conservative

    16

    बॉरिस जॉनसन

    2019-2022

    Conservative

    17 

    ऋषि सुनक

    अक्टू 2022 से 

    Conservative





    अमरीका और इंग्लैण्ड की दल प्रणाली की तुलना-

    समानताएं-

    • संयुक्त राज्य अमरीका और इंग्लैण्ड के राजनीतिक दलों में दो प्रमुख समानताएं हैं-

    1. राजनीतिक दल संविधानेत्तर विकास के परिणाम-

    • इन दोनों ही देशों में राजनीतिक दल संविधानेत्तर विकास के परिणाम है। 

    • न तो ब्रिटिश संविधान में और न ही अमरीकी संविधान में राजनीतिक दलों का कोई उल्लेख किया गया है।


    1. दोनों देशों में द्विदलीय पद्धति- 

    • अमरीका में 220 वर्षों से लगातार ही द्विदलीय पद्धति चली आ रही है, लेकिन ब्रिटेन में सामान्यतया तो द्विदलीय पद्धति ही देखी गई है। लेकिन अपवाद स्वरूप समय-समय पर में त्रि-दलीय पद्धति अस्तित्व में आ जाती है। 


    असमानताएं-

    1. विचारधारा के प्रसंग में अन्तर-

    • ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की स्पष्ट विचारधारा है तथा दोनों दलों की विचारधारा में स्पष्ट अंतर है, लेकिन अमेरिका के दोनों दलों की विचारधारा में स्पष्ट अंतर नहीं है| 

    • फाइनर के अनुसार "ब्रिटेन के अनुदार तथा श्रमिक दलों की स्पष्ट भिन्नता के समान विभिन्‍न आदर्शों की साधना के आधार पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दो दलों की बीच अन्तर की कोई रेखा नहीं खींची जा सकती। वास्तव में, इन्हें एक ही दल के दो अंग कहना अधिक उचित होगा, जिनको रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दो विभिन्‍न नामों से पुकारा जाता है।" 

    • लॉर्ड ब्राइस ने अमरीकी राजनीति के दो दलों की तुलना दो ऐसी खाली बोतलों से की है, जिनमें अलग-अलग पेय के लेबल लगे हुए हैं।

    • एमरसन की यह पंक्ति भी ब्रिटिश दलों से अमरीकी दलों का भेद ही बताती है कि "साधारणतया हमारे दल (अमरीकी दल) परिस्थितियों के दल हैं, सिद्धांतों के नहीं।"


    1. संगठन और दृष्टिकोण का अन्तर-

    • संगठन और दृष्टिकोण की दृष्टि से ब्रिटिश राजनीतिक दल राष्ट्रीय होते हैं और उनमें बहुत अधिक सुदृढ़ संगठन होता है| 

    • लेकिन अमरीकी राजनीतिक दलों में स्थानीयता की प्रवृत्ति प्रबल है। अमरीकी राजनीतिक दल केवल राष्ट्रपति के चुनाव के समय ही राष्ट्रीय रूप धारण करते हैं, अन्यथा वस्तुत: वे स्थानीय और राज्य संगठन ही होते हैं।


    1. अनुशासन की दृष्टि से अन्तर- 

    • ब्रिटिश राजनीतिक दलों में कठोर अनुशासन होता हैं, जबकि अमरीकी राजनीतिक दलों में कठोर अनुशासन नहीं होता हैं| 


    1. सक्रियता की दृष्टि से अन्तर-

    • ब्रिटिश दल सदैव सक्रिय रहते हैं, लेकिन अमरीकी राजनीतिक दल राष्ट्रपति के चुनाव के समय ही सक्रिय रहते है।


    1. दबाव समूह की दृष्टि से अन्तर- 

    • अमरीकी राजनीतिक दलों में दबाव गुट (Pressure Groups) बहुत अधिक सक्रिय हैं, लेकिन ब्रिटेन में ऐसा नहीं है।


    1. लूट की प्रणाली का अन्तर

    • अमरीका में राजनीतिक दलों से ही सम्बन्धित एक लक्षण 'लूट की प्रणाली' (Spoils System) है, जबकि ब्रिटेन के राजनीतिक दलों में लूट प्रणाली नहीं पायी जाती है

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