UK का सम्राट
ब्रिटेन में संसदीय शासन प्रणाली है|
संसदीय शासन प्रणाली में दो तरह के प्रमुख होते हैं-
औपचारिक प्रमुख
वास्तविक प्रमुख
सम्राट ब्रिटिश कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है, क्योकि उसके पास वास्तविक शक्तियां नहीं है|
वास्तविक शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री व मंत्रीपरिषद द्वारा किया जाता है|
सम्राट व राजमुकुट-
सम्राट या राजा-
सम्राट वह व्यक्ति है, जो एक विशेष समय में राज्य के प्रमुख पद पर आसीन होता है|
सम्राट वह व्यक्ति विशेष है, जो राजमुकुट में निहित शक्तियों का प्रयोग करता है, अर्थात संवैधानिक दृष्टि से राजमुकुट शासन का प्रतीक है, राजा नहीं|
राजमुकुट-
इसका शाब्दिक अर्थ होता है- राजा के सिर का मुकुट, जिसे वह राजपद के चिह्न स्वरूप पहनता है|
संवैधानिक दृष्टि से राजमुकुट शासन का वह साकार रूप है, जिसमें विधायी, न्यायिक, कार्यपालिका संबंधी शक्तियां निहित है|
इसलिए जब कोई व्यक्ति विशेष (राजा) मुकुटधारी बनता है, तो उसे स्वत: ही उन सब शक्तियों का अधिकार मिल जाता है, जो राजमुकुट में निहित है|
इस प्रकार विधायी, न्यायिक एवं कार्यपालिका संबंधी शक्तियां व्यक्तिगत रूप में राजा में न होकर राजमुकुटधारी राजा की होती है|
सर सिडनी लो ने राजमुकुट को सुविधाजनक क्रियाशील उपकल्पना या कामचलाऊ उपकल्पना कहा है|
प्रोफेसर ऑग “राजमुकुट सर्वोच्च कार्यपालिका तथा शासन में नीति निर्माण की संस्था है, जिसका अर्थ राजा, मंत्रियों तथा संसद का सम्मिश्रण है| यह, वह संस्था है जिसको राजा की समस्त शक्तियां तथा विशेषाधिकार धीरे-धीरे हस्तांतरित कर दिए गए हैं|”
प्रोफेसर ऑग “ब्रिटेन में मुकुटधारी गणतंत्र है|”
सम्राट व राजमुकुट के भेद का महत्व-
ग्लैडस्टन “अंग्रेजी संविधान के साहित्य में अनेक सुक्ष्म भेद हैं, पर उनमें से इतना अधिक महत्वपूर्ण कोई नहीं है, जितना महत्वपूर्ण सम्राट व राजमुकुट का भेद है|
प्राचीन काल में ब्रिटेन में निरंकुश राजतंत्र था, लेकिन ब्रिटेन में आज लोकतंत्र है|
राजतंत्र से लोकतंत्र की दिशा में ब्रिटिश संविधान का जो विकास हुआ उससे व्यक्तिगत रूप में राजा को जो शक्तियां प्राप्त थी, अब वे शक्तियां संस्था रूप में राजमुकुट को प्राप्त हो गई|
ब्रिटेन में जिस राजा के नाम से संपूर्ण शासन चलता है, व्यावहारिक दृष्टि से केवल नाममात्र का शासक होता है|
शासन की शक्तियों का वास्तविक रूप में प्रयोग राजमुकुट द्वारा किया जाता है, जिसमें राजा, संसद, मंत्रिमंडल तथा लोक सेवा के सदस्य सम्मिलित होते हैं|
ब्रिटेन के संविधान में सैद्धांतिक रूप में शासन सम्राट में निहित है, किंतु व्यवहारिक रूप में वास्तविक शक्तियां मुकुट में समाविष्ट हैं, जिनका वास्तविक रूप में प्रयोग संसद व मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है|
सैद्धांतिक रूप में संसद और मंत्रिमंडल राजा की परामर्शदात्री संस्थाएं हैं, किंतु व्यवहार में राजा उनके हाथ की कठपुतली है|
ब्रिटिश शासन सिद्धांत में पूर्ण राजतंत्र, स्वरूप में सीमित राजतंत्र और वास्तविकता में प्रजातंत्रात्मक गणतंत्र है|
सम्राट और राजमुकुट (ताज) में अंतर-
सम्राट एक व्यक्ति है, जबकि राजमुकुट एक संस्था है-
राजमुकुट शासन सत्ता का प्रतीक है, जिसे विधायी, प्रशासनिक और न्यायिक तीनों ही प्रकार की शक्तियां प्राप्त है|
सम्राट अस्थायी है, जबकि राजमुकुट स्थायी है-
अर्थात राजा एक जीवित प्राणी के रूप में नाशवान है, लेकिन राजमुकुट एक संस्था के रूप में सदैव बनी रहने वाली वस्तु है, जिसका नाश नहीं होता है|
ब्लैकस्टोन के शब्दों में “हेनरी एडवर्ड या जार्ज मर सकते हैं, लेकिन राजा (राजमुकुट) कभी नहीं मरता|”
इंग्लैंड में यह लोकोक्ति भी प्रसिद्ध है कि ‘सम्राट मृत है, सम्राट चिरंजीवी हो’ (The King is dead, Long live the King)|
प्रोफेसर मुनरो ने ताज के संबंध में कहा है कि “यह तो एक कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति है, जो कभी न तो शरीर धारण करता है और न कभी मरता है|”
सम्राट वैयक्तिक है, जबकि राजमुकुट सामूहिक है-
अर्थात राजा वैयक्तिक कार्यपालिका है, जबकि राजमुकुट एक बहुल कार्यकारिणी है जिसमें संसद, मंत्रिमंडल तथा लोक सेवा के सदस्य सम्मिलित है|
राजमुकुट जन इच्छा का प्रतीक है, जबकि राजा सजावट मात्र है-
अर्थात राजमुकुट शासन की वास्तविक सत्ता का अधिकारी है, जिसकी शक्तियों का प्रयोग संसद, मंत्रीमंडल आदि के द्वारा किया जाता है, अतः उसे जन इच्छा का प्रतीक कहा जाता है|
इसके विपरीत शासक ध्वजमात्र है, एक सजावट मात्र है, जिसे स्वर्णिम शून्य या रबर की मोहर कहा जाता है| वह ब्रिटिश शासन की शोभा बढ़ाता है|
वास्तविक प्रशासन में सम्राट शक्तिहीन है, जबकि राजमुकुट सर्वशक्तिशाली है|
इस प्रकार सम्राट और राजमुकुट का भेद वास्तव में राजतंत्र और लोकतंत्र का भेद है| सम्राट राजतंत्र का प्रतीक है, राजमुकुट लोकतंत्र का प्रतीक है|
राजमुकुट की शक्तियों के स्रोत अथवा सैद्धांतिक रूप में सम्राट की शक्तियों के स्रोत-
संसदीय कानून-
ये वे कानून है, जिनके द्वारा समय-समय पर संसद में राजमुकुट की शक्तियों को परिभाषित किया गया है|
विशेषाधिकार या परमाधिकार-
राजमुकुट के विशेषाधिकार का अर्थ है- राजमुकुट की स्वतंत्र शक्ति का अधिकार|
महत्वपूर्ण विशेषाधिकार निम्न है- संसद को आहूत करना, युद्ध अथवा तटस्थता की घोषणा करना, संधियों का अनुसमर्थन, सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति, राज सेवकों की बर्खास्तगी, पीयरों की नियुक्ति तथा अपराधियों को क्षमादान आदि|
विशेषाधिकारों व कानूनों का मिश्रण-
राजमुकुट की कुछ शक्तियां ऐसी है जो प्रारंभ में विशेषाधिकार जनित थी, लेकिन जिन्हें बाद में संसद ने कानून बनाकर मान्यता प्रदान कर दी और इस तरह इनका स्रोत कानून और विशेषाधिकार दोनों ही हो गया है|
राजपद या सम्राट के उत्तराधिकार के नियम-
ब्रिटेन में सम्राट के उत्तराधिकारी के संबंध में यह नियम प्रचलित है कि सम्राट अथवा साम्राज्ञी का जेष्ठ पुत्र अथवा पुत्री सिंहासनधारी हो, किंतु किसी राजा के पुत्र या पुत्री न हो या राजा को किसी कारण से पदच्युत कर दिया गया हो तो उसके उत्तराधिकारी की व्यवस्था संसद करती है|
उदाहरण के लिए 1689 में स्टुअर्ट वंश के राजा जेम्स द्वितीय के इंग्लैंड छोड़ देने पर ब्रिटिश संसद ने विलियम और मेरी को राजा और रानी बनाया|
1701 में रानी ऐन के कोई संतान न होने के कारण संसद ने उत्तराधिकार नियम पारित कर हैनावर वंश के राजा जॉर्ज प्रथम को सम्राट (1714 में) बनाया|
ब्रिटेन में वर्तमान में राजपद और सम्राट के उत्तराधिकार के नियम 1701 के The act of settlement 1701 पर आधारित है|
जिसके द्वारा यह व्यवस्था की गई कि राजपद हैनावर वंश इलेक्ट्रेस सोफिया के वंशजों में से अनुवांशिक क्रम से तब तक चलेगा जब तक राजा या वंश प्रोटेस्टेंट धर्मावलंबी बना रहेगा|
1701 के Act के अनुसार उत्तराधिकार के निम्न प्रावधान है-
राजपद अनुवांशिक क्रम में चलेगा|
राजपद ज्येष्ठत्व के नियम पर आधारित होगा|
स्त्री की तुलना में पुरुष वंशज को श्रेष्ठता दी जाएगी|
प्रोटेस्टेंट धर्मावलंबी ही राजगद्दी पर बैठ सकेगा|
उत्तराधिकार से संबंधित रीजेंसी अधिनियम 1937- 1953 के अनुसार-
सम्राट के नाबालिग होने पर या शारीरिक-मानसिक अयोग्य होने पर रीजेंट अथवा परामर्शदाता की व्यवस्था की जाएगी|
1714 में साम्राज्ञी ऐन की मृत्यु होने पर राजकुमारी सोफिया का जेष्ठ पुत्र जार्ज प्रथम सिंहासनारूढ़ हुआ और यही वंश आज भी चला आ रहा है|
वर्तमान में किंग चार्ल्स-3 सम्राट है| जो इस वंश के 12वे उत्तराधिकारी है|
इनका राजतिलक संस्कार 6 मई 2023 को लंदन में वेस्ट मिनिस्टर गिरिजाघर में हुआ था|
राजपद के लिए वेतन भत्ते-
ब्रिटिश सम्राट को राजकोष से वार्षिक अनुदान दिया जाता है| यह संपूर्ण राशि कर मुक्त होती है|
संसद द्वारा राजा और राजघराने के सदस्यों को व्यक्तिगत व्यय के लिए राजकोष से जो वार्षिक अनुदान तय किया जाता है उसे सिविल लिस्ट या राजकुल व्यय कहा जाता है|
राजपद के वेतन भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं|
राजा के शाही निवास स्थान बंकिघम राजमहल, विंडसर कैसल तथा एडिनबर्ग में होलीरोड हाउस का महल है|
राजमुकुट या सैद्धांतिक रूप में सम्राट की शक्तियां, अधिकार और कार्य-
कार्यपालिका शक्तियां- निम्न कार्यपालिका संबंधी शक्तियां है-
राजमुकुट का सबसे प्रमुख कार्य प्रशासन का निर्देशन करना है|
वह समस्त राष्ट्रीय कानूनों को क्रियान्वित करता है|
वह उच्च कार्यपालिका, प्रशासनिक अधिकारियों, न्यायाधीशों तथा सैनिक अधिकारियों की नियुक्ति करता है|
वह प्रधानमंत्री व प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है|
ब्रिटेन के अन्य देशों के साथ संबंध, औपनिवेशिक राज्य तथा अधीनस्थ प्रदेशों का शासन आदि कार्य राजमुकुट के द्वारा ही निर्धारित और संपादित किए जाते हैं|
राजमुकुट राजदूतों और वाणिज्य दूतों की नियुक्ति करता है|
युद्ध की घोषणा तथा संधि वार्ता भी राजमुकुट ही करता है|
राजमुकुट के द्वारा अपराधियों को क्षमा प्रदान करने या उनके दंड को कम करने का कार्य किया जाता है|
स्थानीय शासन की देखभाल भी राजमुकुट के द्वारा की जाती है, क्योंकि इंग्लैंड में स्थानीय शासन केंद्रीय सरकार के अधिकार में है|
राजमुकुट राष्ट्रीय कोष का नियंत्रण व संचालन करता है|
मंत्रीगण व्यक्तिगत या सामूहिक रूप में जो भी कार्य करते हैं, वे राजमुकुट के नाम से ही किए जाते हैं|
ऑग ने राजमुकुट की कार्यपालिका शक्तियों को अमेरिकी राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियों के समकक्ष बताया है|
विधायी शक्तियां-
राजमुकुट को व्यवस्थापन संबंधी अनेक शक्तियां प्राप्त हैं| ये शक्तियां राजा सहित संसद में निहित है|
राजमुकुट की विधायी शक्तियां निम्न है-
संसद के द्वितीय सदन लार्ड सभा के निर्माण के संबंध में राजमुकुट को शक्ति प्राप्त है| राजमुकुट को पीयर बनाने का अधिकार प्राप्त है| राजा के द्वारा जिन लोगों को पीयर बनाया जाता है, केवल वे ही लार्ड सभा के सदस्य होते|
लोकसदन (कॉमन सभा) के चुनाव की तिथि भी राजमुकुट के द्वारा ही घोषित की जाती है|
राजमुकुट दोनों सदनों का अधिवेशन बुलाता है और स्थगित करता है|
राजमुकुट लोकसदन को विघटित कर सकता है|
संसद के आरंभ में सम्राट भाषण देता है, जिसमें देश की नीति पर प्रकाश डाला जाता है| यह भाषण मंत्रीपरिषद द्वारा तैयार किया जाता है|
कोई विधेयक तब तक कानून नहीं बन सकता है, जब तक कि सम्राट के हस्ताक्षर न हो गए हो|
राजमुकुट को अधिराज्यों के संबंध में घोषणाएं व अध्यादेश जारी करने का अधिकार है|
राजमुकुट का एक अन्य प्रमुख कार्य स-परिषद आदेश निकालना है| इसका अभिप्राय यह है, कि संसद विधेयकों की मोटी रूपरेखा मात्र पारित कर देती है और अन्य बातों के निर्धारण का दायित्व राजमुकुट पर छोड़ देती है, जिसे वह मंत्रियों द्वारा पूर्ण करता है| इसे प्रदत्त व्यवस्थापन भी कहते हैं|
न्याय संबंधी शक्तियां-
सम्राट को न्याय का स्रोत कहा जाता है|
ब्रिटेन के सभी न्यायालय राजा के न्यायालय हैं और समस्त न्याय राजा के नाम से होते हैं|
राजमुकुट ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है और संसद की सहमति से उन्हें पदच्युत भी कर सकता है|
राजमुकुट प्रिवी कौंसिल की न्याय समिति के परामर्श से उपनिवेशों से आई हुई अपीलों का निर्णय करता है|
समस्त अधिकारियों को राजमुकुट के नाम से ही दंडित किया जाता है|
राजमुकुट की शक्तियों के बारे में ऑग ने लिखा है कि “आज यह केवल एक प्रथा-सी है कि उसे गौरव के साथ न्याय का स्त्रोत कहा जाता है अन्यथा उसमें वास्तविकता बहुत कम है|“
धार्मिक शक्तियां-
ब्रिटेन में एंग्लिकन और प्रेसबेटेरियन चर्च राज्य के अंग के रूप में है, जिसका नियंत्रण राजमुकुट व संसद द्वारा होता है|
वह चर्च के समस्त अधिकारियों जैसे- आर्कबिशप, बिशप, डीन और कैनन की नियुक्ति करता है|
राजा की अनुमति से ही चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की राष्ट्रीय सभा की समस्त कार्यवाहियां संपादित होती है|
राजा कैंटरबरी और यार्क के धार्मिक सम्मेलन बुलाता है तथा इन सम्मेलनों द्वारा पारित नियमों पर सम्राट के हस्ताक्षर आवश्यक है|
व्यक्तिगत रूप से राजा का यह धार्मिक दायित्व है कि वह किसी रोमन कैथोलिक से विवाह न करें, क्योंकि वह एंग्लिकन व प्रेसबेटेरियन दोनों ही धार्मिक व्यवस्थाओं का प्रमुख है|
अपनी धार्मिक शक्तियों के कारण ही राजा को धर्म रक्षक कहा जाता है|
सम्मान की शक्तियां-
राजमुकुट को सम्मान का स्रोत भी कहा जाता है|
सम्राट प्रधानमंत्री के परामर्श से लोगों को विविध उपाधियां तथा अलंकरण प्रदान करता है|
जैसे- पीयर की उपाधि राजनीतिक सम्मान है, तो नाइट (Knight) की उपाधि सामाजिक सम्मान है|
इनके अलावा ड्यूक, बैरन, अर्ल, लार्ड आदि उपाधियां प्रदान करता है|
सम्राट की वास्तविक स्थिति, विशेषाधिकार और प्रभाव-
सम्राट राज्य करता है, शासन नहीं-
सैद्धांतिक दृष्टि से सम्राट की जिन शक्तियों का उल्लेख किया गया है, व्यवहार में उन शक्तियों का प्रयोग सम्राट नहीं, बल्कि मंत्रीपरिषद द्वारा किया जाता है|
इसलिए कहा जाता है कि सम्राट राज्य करता है, शासन नहीं|
फाइनर ने सम्राट की शक्तियों के बारे में लिखा है कि “यह विशाल, गगनचुंबी तथा वैभवपूर्ण अट्टालिका है, जिसके अंदर राजनीतिक शक्ति का एक शून्य स्थान है|”
राजा कोई गलती नहीं कर सकता-
इसका शाब्दिक अर्थ यह है कि सम्राट जो भी कुछ करता है, ठीक ही करता है, उसके किसी भी कार्य में कोई त्रुटि नहीं होती है| लेकिन इस प्रचलित कहावत का संवैधानिक महत्व भी है, जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है-
राजा कानून से ऊपर है- राजा स्वाभाविक रूप से कानून के परे होता है| उसके विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है| वह न्यायालय के क्षेत्राधिकार से मुक्त है| उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में दीवानी या फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है| डायसी के अनुसार “सम्राट प्रधानमंत्री को गोली मार दे तो भी इंग्लैंड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके आधार पर उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सके|”
सम्राट स्वविवेक से नहीं, बल्कि कैबिनेट के परामर्श से कार्य करता है अतः उसके कार्यों के लिए कैबिनेट ही उत्तरदायी है- कार्टर के शब्दों में “राजमुकुट की शक्तियां का उसी प्रकार से प्रयोग किया जाता है, जिस प्रकार से संसद के समर्थन के आधार पर कैबिनेट उनका प्रयोग करवाना चाहती है|”
राजा के विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां-
राजा के निम्न विशेषाधिकार है-
प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करना
लोकसदन को भंग करना
मंत्रियों को बर्खास्त करना
लोगों को पीयर की उपाधि प्रदान करना
विधेयकों पर अपनी स्वीकृति देना या ना देना
मंत्री या अन्य अधिकारी अपने अवैध कार्यों के लिए सम्राट के नाम पर उन्मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता|
प्रशासन में सम्राट का प्रभाव व प्रभाव के कारण-
सम्राट को स्वर्णिम शून्य या रबर की मोहर या मिट्टी की मूर्ति कहा जाता है|
लेकिन सम्राट का ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था पर विशेष प्रभाव और महत्व है|
सम्राट के महत्व व प्रभाव के निम्न कारण है-
व्यक्तित्व-
कार्टर ने लिखा है कि “शासन पर सम्राट का प्रभाव औपचारिक शक्तियों की अपेक्षा उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है|”
यदि राजा का व्यक्तित्व प्रभावशाली है, तो मंत्रीगण स्वत: ही उसके व्यक्तित्व के सम्मुख नतमस्तक हो जाते हैं|
अनुभव-
राजा के प्रभाव का दूसरा कारण उसका विस्तृत अनुभव होना है|
राजा स्वयं जीवन-पर्यंत शासन का प्रमुख रहता है, जबकि मंत्रिमंडल निरंतर बदलते रहते हैं|
वह अपने राज्यकाल में अनेक मंत्रीमंडलों का उत्थान और पतन देखता है|
अपने इस दीर्घकालीन अनुभव के आधार पर वह अपने परामर्श से मंत्रिमंडल को प्रभावित कर सकता है|
संसदीय शासन की कार्य पद्धति-
शासन का अध्यक्ष होने के नाते मंत्रीमंडल की समस्त कार्यवाही और परराष्ट्र विभाग के समस्त पत्र व्यवहार उसके पास पहुंचता है|
राजा का अपना कर्मचारी मंडल होता है| उसका एक मंत्री भी होता है जिससे राजा का आत्म-साधक कहा जाता है| इस मंत्री का कर्तव्य राजा को समस्त घटनाओं की सूचना देना होता है|
इन सबके अलावा प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि, वह सम्राट को मंत्रिमंडल के विनिश्चयो से अवगत कराएं|
ये सब बातें सम्राट को ऐसी स्थिति प्रदान कर देती है, कि वह शासन कार्य को अपनी क्षमता अनुसार प्रभावित कर सकता है|
निष्पक्षता-
राजा के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण कारण उसकी राजनीतिक निष्पक्षता है|
राजा किसी एक दल का नेता नहीं होता है, बल्कि संपूर्ण ब्रिटिश जनता और राष्ट्र का प्रधान होता है|
निष्पक्षता के कारण जनता की राजा में अपूर्व भक्ति रहती है|
निष्पक्षता के कारण सभी दलों के मंत्रिमंडल उसके परामर्श को समान रूप से सम्मान देते हैं|
गौरवपूर्ण पद-
राजा के प्रभाव का एक कारण उसके पद की महत्ता भी है|
सम्राट का पद ऐतिहासिक महत्व रखता है और वर्तमान में भी ब्रिटिश राज्य में इसको सर्वोच्च महत्व प्राप्त है|
कोई विकल्प नहीं-
राजा के प्रभाव का एक कारण इसका कोई उचित विकल्प न होना भी है|
अगर इस पद को समाप्त कर दिया जाए तो इसका उचित विकल्प भी नजर नहीं आता है|
राजपद का औचित्य या उपयोगिताएं-
ब्रिटेन में लोकतंत्र होने के बावजूद भी राजपद का औचित्य है| आज भी ब्रिटेनवासी ‘महारानी या महाराजा चिरंजीवी हो’ के नारे लगाते हैं|
सर विंस्टन चर्चिल “हम सभी लोगों के हृदय में राजतंत्र गहरा बैठा हुआ है और हम सभी को अत्यधिक प्रिय है|”
राजपद के बने रहने के निम्न कारण हैं-
ऐतिहासिक कारण-
राजपद एक ऐतिहासिक वस्तु है-
इंग्लैंड में 829 में सम्राट अल्बर्ट के समय से राजतंत्र चला आ रहा है|
इस लंबे इतिहास के कारण राजपद ब्रिटिश जनता के स्वभाव के साथ जुड़ गया है|
अतः स्वभाव से रूढ़िवादी और परंपरावादी ब्रिटिश जनता के लिए राजपद एक ऐतिहासिक परंपरा है, अतीत को वर्तमान से तथा वर्तमान को अतीत से जोड़ने वाली श्रंखला है|
ऑग “राजतंत्र इंग्लैंड की अपनी संस्था है, बाहर से आयात करके लाई गई संस्था नहीं है|”
राजपद का सराहनीय इतिहास-
राजपद अतीत का बड़ा गौरवमय तथा देश के हितों का रक्षक रहा है|
जार्ज पंचम की महानता, कर्मठता और प्रजावत्सलता के कारण उनको ‘प्रजाजनों के पिता’ की संज्ञा दी जाती है|
उसके उत्तराधिकारी एडवर्ड अष्टम को ‘प्रसन्नमुख राजकुमार’ कहा जाता है|
राजतंत्र का शांतिपूर्ण जनतन्त्रीकरण-
ब्रिटेन में राजपद इसलिए भी लोकप्रिय है कि उसने लोकतंत्र के उदय व प्रसार में बाधक बनने की चेष्टा नहीं की,वरन शांतिपूर्ण जनतांत्रिकरण हो जाने दिया|
लॉस्की “ब्रिटेन में राजतंत्र ने अपने को लोकतंत्र के हाथ में ऐसे बेच दिया, मानो वह उसी का प्रतीक हो|“
मनोवैज्ञानिक कारण-
राजपद के बने रहने के मनोवैज्ञानिक कारण निम्न है-
ब्रिटिश जाति का रूढ़िवादी स्वभाव
राजपद में स्वभाविक सम्मान की भावना-
जेनिंग्स “लोकतांत्रिक शासन बेजान तर्कों और नीरस नीतियों तक ही सीमित नहीं है| उसमें कुछ रंगीनी, कुछ तड़क-भड़क होनी चाहिए और ऐसी स्पष्ट तड़क-भड़क और कहां देखने को मिलेगी जैसे कि शाही पोशाक में मिलती है|”
राजपद सुरक्षा का प्रतीक-
अंग्रेजी भावना के अनुसार राजा उनकी एकता, दृढ़ता और सुरक्षा का प्रतीक है|
राजनीतिक कारण-
राजतंत्र का लोकतंत्रात्मक रूप ग्रहण करना|
उचित विकल्प का ना होना-
मुनरो का मत “यदि राजतंत्र हटाया गया तो उसके स्थान पर अन्य संस्था पुन: स्थापित करनी पड़ेगी, क्योंकि संसदीय शासन में दूसरी कार्यपालिका की आवश्यकता होती है| यदि निर्वाचित राष्ट्रपति इसकी जगह लाया जाए तो उसको कुछ अधिकार व शक्तियां देनी पड़ेगी| राष्ट्रपति कभी भी अधिकारों की मांग करके शासन में प्रतिरोध पैदा कर सकेगा|”
राजनीतिक निष्पक्षता-
राजा वंशानुगत होने के कारण दलगत भावना से ऊपर होता है| वह सदैव पक्षपात रहित होकर काम करता है|
शासन कार्य का क्रम बनाए रखने में सहायक-
एक मंत्रिमंडल के पद त्यागने और दूसरे मंत्रिमंडल के पद ग्रहण करने के बीच के समय में शासन का भार राजा ही वहन करता है|
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
अंतर्राष्ट्रीय कारण-
राष्ट्रमंडल के अस्तित्व को कायम रखने में योगदान-
ब्रिटेन का राजा राष्ट्रमंडलीय देशों के बीच एकता का प्रतीक है|
लॉस्की “सम्राट राष्ट्रमंडल का भौतिक आधार है और जब तक राष्ट्रमंडलीय बंधन विभिन्न देशों के लिए लाभदायक रहेगा तब तक ही सम्राट का एकता के प्रतीक के रूप में महत्व रहेगा|”
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विकास-
अंग्रेज लोग सम्राट के मुकुट में उपनिवेश रूपी नया जवाहरात तथा साम्राज्यिक परिवार में नए सदस्य जोड़ते थे|
ब्रिटेन के राजा विभिन्न देशों से उत्तम संबंध बनाए रखने में बड़ी सहायता पहुंचाता था|
सामाजिक कारण-
इंग्लैंड का राजपरिवार नैतिकता, फैशन, कला, साहित्य आदि क्षेत्र में आदर्श स्थापित करता है और उत्साहवर्धन कार्य करता है|
ऑग “ब्रिटेन इसी प्रकार मुकुटधारी गणतंत्र बना रहेगा और उसे बना भी रहना चाहिए|”
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