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रूसो का जीवन परिचय / Biography of Rousseau || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 जीवन परिचय-  

  •  जन्म

  • 28 जून 1712 ई. 

  • स्वीटजरलैंड के गणतंत्रीय नगर जेनेवा में हुआ| 

  • पिता- आइजक रूसो था, जो एक निर्धन घड़ी-साज था|

  • माता का देहांत जन्म के समय ही हो गया था|

  • प्रारंभिक जीवन रूसो ने आवारागर्दी में बिताया था| दांते जमीनों ने रूसो को ‘एकांत आवारा’ की संज्ञा दी है|

  • रूसो को वेनिस में फ्रेंच दुतालय में नौकरी भी मिली, लेकिन खराब मिजाज के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा|

  • 1743- 44 में रूसो वेनिस में फ्रांसीसी राजदूत के सचिव बने|

  • 1745 में रूसो पेरिस में सिरेसा लिवासियर नामक महिला के संपर्क में आए तथा 26 वर्ष तक साथ रहने के बाद वृद्धावस्था में रूसो ने उनके साथ विवाह कर लिया| 

  • रूसो का भाग्य 1749 में तब पलटता है जब उसने “Has The Revival of the Sciences And The Arts Helped to Purify Or To Corrupt Morals” (विज्ञान तथा कला की प्रगति ने नैतिकता को भ्रष्ट करने में योग दिया है अथवा उसकी विशुद्धि में) प्रतियोगिता में भाग लिया| 

  • यह निबंध प्रतियोगिता थी, जो Academy Of De jon के द्वारा करवाई जा रही थी| रूसो ने निबंध में लिखा कि विज्ञान तथा कला की प्रगति से ही सभ्यता का हास, नैतिकता का विनाश और चरित्र का पतन हुआ है| यदि मनुष्य को अपना सरल, सुखी और सद्गुणी जीवन प्राप्त करना है तो उसे प्राकृतिक जीवन अपनाना चाहिए| इस निबंध में एक स्थान पर रूसो लिखता है कि “हमें फिर से अज्ञान, भोलापन और निर्धनता दे दो, केवल वे ही हमें सुखी बना सकते हैं|”

  • इसके बाद रूसो प्रसिद्ध हो गया तथा पेरिस के साहित्यिक क्षेत्रों में उसे सम्मान मिला|

  • 1754 में रूसो ने Academy Of De jon की अन्य निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया जिसका विषय था “मनुष्यों में विषमता उत्पन्न होने का क्या कारण है? क्या प्राकृतिक कानून इसका समर्थन करता है|”

  • 2 जुलाई 1779 को 66 वर्ष की आयु में रूसो की मृत्यु हो गयी|

  • यूलिच ने लिखा है कि “विचारों के इतिहास में ऐसे व्यक्ति की खोज कर पाना कठिन है, जिसने इतने अर्द्ध- सत्यो के बावजूद मानव जाति पर इतना गहरा प्रभाव डाला हो जितना कि रूसो ने|”

  • रूसो एक प्रसिद्ध दार्शनिक एवं क्रांतिकारी विचारों का प्रणेता, शिक्षाशास्त्री, आदर्शवादी, मानवतावादी और युग का निर्माता साहित्यकार था|

  • रूसो ने प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का समर्थन किया है|

  • राजनीति विज्ञान में रूसो ने पहली बार ‘समानता की संकल्पना’ को स्थान दिया|

  • रूसो को फ्रांसीसी क्रांति (1789) का आध्यात्मिक पिता कहा जाता है|

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