जीवन परिचय-
जन्म-
428/27 ई.पू.
एथेंस के एक प्राचीन विशिष्ट कुलीन, किंतु गैर खुशहाल परिवार में|
पिता का नाम-
एरिस्टोन/अरिस्तोन (Ariston)
प्लेटो के पिता एथेंस के अंतिम राजा कार्ड्स के वंशज थे|
इनके पिता अरिस्तोन की वंशावली एथेंस के प्राचीन राजाओं से होती हुई पोसीदन (समुद्र के देवता) तक पहुंचती थी|
माता का नाम-
परिक्टियनी
इसकी माता सुप्रसिद्ध कानूनवेता या स्मृतिकार सोलान के वंश में उत्पन्न हुई थी|
वास्तविक नाम-
अरिस्तोक्लीज
अरिस्तोक्लीज का अर्थ था- सबसे अच्छा और प्रसिद्ध
लेकिन उनके सुंदर, सुडोल, पुष्ट शरीर व चौड़े कंधों के कारण इनके व्यायाम शिक्षक ने उनको प्लेटो (अफलातून) नाम दिया|
गुरु-
सुकरात प्लेटो का गुरु था|
प्लेटो प्रारंभिक शिक्षा के बाद 20 वर्ष की अवस्था में सुकरात के पास गया तथा 8 वर्ष तक सुकरात से शिक्षा ग्रहण की|
प्लेटो ने सुकरात से प्रभावित होकर कवि बनने का विचार छोड़ दिया|
प्लेटो की पोटोने नामक बहन थी तथा एंडीमेंटस और ग्लूकोन दो भाई और एंटीफोन नामक अर्धभ्राता भी थे|
प्लेटो संगीत, गणित, कविता और वक्तृता के लिए जाने जाते थे| इन्होंने तीन युद्धों में भाग लिया और बहादुरी के लिए इनाम भी मिला| उन्होंने कभी विवाह नहीं किया|
कुलीन परिवार में उत्पन्न होने के बारे में प्लेटो ने स्वयं कहा है कि “मैं ईश्वर का धन्यवाद करना चाहता हूं कि मैं असभ्य, असंस्कृत गैर यूनान की बजाय यूनान में जन्मा, दास की बजाय नागरिक के रूप में, स्त्री के बजाय पुरुष के रूप में जन्मा, किंतु सबसे अच्छी बात कि मैं सुकरात के युग में जन्मा|”
पेलोपोनेसियन युद्ध -
प्लेटो का जब जन्म हुआ था उस समय लोकतांत्रिक एथेंस व स्पार्टा के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था| यह युद्ध 28 वर्ष (431-404ई पू) चला था, जिसने एथेंस का पतन कर दिया|
Note- पेलोपोनेशियन वार पुस्तक थ्यूसिडाइस द्वारा लिखी गयी है|
404 ईसा पूर्व एथेंस में प्लेटो के संबंधियों के नेतृत्व में एक कुलीनतंत्रीय क्रांति हुई| इसी समय प्लेटो ने राजनीति में सक्रिय भाग लिया, लेकिन एथेंस में जनतंत्र की पुनर्स्थापना, क्रिशियस (क्रिटियास) तथा चार्मीडीस की मृत्यु और सुकरात को मृत्युदंड दिए जाने के बाद वे राजनीति से अलग हट गए|
कुलीन वर्ग में उत्पन्न होने के कारण प्लेटो की स्वाभाविक इच्छा राजनीति में जाने की थी, लेकिन युवावस्था की दो घटनाओं के कारण इनका राजनीति से मोह भंग हो गया|
ये दो घटनाएं निम्न है-
प्रथम घटना- तीस लोगों का शासन -
पेलोपोनेशियन युद्ध में पराजित एथेंस में लोकतंत्र की जगह 30 व्यक्तियों के कुलीनतंत्र की स्थापना हुई| यह कुलीनतंत्र स्पार्टा की कटपुतली था| इस सरकार में प्लेटो के दो रिश्तेदार परिक्टियनी का चाचा क्रिशियस (क्रिटियास) तथा भाई चार्मीडीस भी शामिल थे|
इस 30 लोगों के शासन ने प्लेटो के गुरु सुकरात पर युवकों को पथभ्रष्ट करने का आरोप लगाया|
दूसरी घटना-
30 लोगों के शासन के बाद एथेंस में वापस लोकतंत्र की स्थापना हुई|
एथेंस की लोकतांत्रिक सरकार ने युवकों को राज्य के विरुद्ध भड़काने तथा कानूनों के उल्लंघन का सुकरात पर आरोप लगाकर जहर का प्याला देखकर मृत्युदंड दे दिया|
इन घटनाओं पर प्लेटो ने कहा है कि “राजनीति भले किसी भी रूप में क्यों न हो, बुरी होती है और स्वच्छ शासन के लिए उसका सही निर्देश अति आवश्यक है|”
Note- आनाक्सागोरस (500 BC- 432 BC ) और प्रोतागोरस (481 BC - 411 BC) को भी एथेंस से बाहर जाने का आदेश दिया गया|
सुकरात की मृत्यु (399 ई.पू) के समय पलेटो 28 वर्ष का था, सुकरात की मृत्यु के बाद उसके जीवन में मोड़ आया|
सुकरात की मृत्यु (399 ई.पू) के बाद प्लेटो ने एथेंस छोड़ दिया तथा विश्व भ्रमण पर निकल गये|
एथेंस से भागकर प्लेटो निगारा चले गए, जहां प्रसिद्ध रेखागणितज्ञ यूक्लिड की शरण ली|
निगारा से वे मिस्र गए, जहां उन्होंने गणित और पुरोहितों की ऐतिहासिक परंपराओं का अध्ययन किया|
395 ईसा पूर्व में एथेंस आये और अगले कुछ वर्षों तक कोरींथ नगर के लिए लड़ते रहे|
387 ईसा पूर्व में वे पाइथागोरियन दार्शनिक, गणितज्ञ और राजनीतिक नेता आर्किटास के पास दक्षिणी इटली के तारास में गए|
प्लेटो पर सुकरात का सबसे अधिक प्रभाव था| इस संबंध में मैक्सी ने लिखा है कि “प्लेटो में सुकरात पुन: जीवित हो गया है|”
एथेंस छोड़ने के बाद प्लेटो 12 वर्ष तक यूनान के नगरों, मिस्र, इटली की यात्रा की तथा वहां की शासन पद्धतियों का अध्ययन किया वह फारस भी गया था| कुछ विद्वानों के अनुसार वह भारत में गंगा नदी के तट पर स्थित मगध में भी आया था तथा यहां वेदांत की शिक्षा ली|
मगध की वर्ण व्यवस्था से पलेटो प्रभावित था, इसी के आधार पर उन्होंने न्याय का आधार कर्तव्य बताया है|
387 ई.पू. में प्लेटो वापस एथेंस आ गये| एथेंस लौटने पर प्लेटो के मित्रों ने प्लेटो को एक मनोरंजन स्थल भेंट किया, जिसका नाम स्थानीय वीर अकादिमास या हेक़ादिमास के नाम से था तथा यहीं पर प्लेटो ने प्रसिद्ध शिक्षणालय अकादमी की स्थापना की|
प्रमुख तथ्य-
प्लेटो को सबसे पहला व्यवस्थित राजनीतिक सिद्धांतकार माना जाता है|
प्लेटो राजनीतिक दर्शन, मानकीय राजनीतिक सिद्धांत के प्रणेता माने जाते हैं|
प्लेटो दार्शनिक या नैतिक आदर्शवाद के प्रणेता माने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने इंद्रिय जनित भौतिक जगत से परे एक शाश्वत, सार्वभौमिक विश्व के विचार को ज्यादा वरीयता दी थी|
राजनीतिक दर्शन के प्रणेता- प्लेटो
राजनीतिक विज्ञान के प्रणेता या पिता- अरस्तु
आधुनिक राजनीतिक चिंतन का जनक- मैक्यावली
वैज्ञानिक राजनीति के पिता- थॉमस हॉब्स
उपभोक्तावाद के जनक- थॉमस हॉब्स
वैज्ञानिक व्यक्तिवाद के पिता- हर्बट स्पेंसर
वैज्ञानिक समाजवाद के पिता- कार्ल मार्क्स
राजनीतिक सिद्धांतों के पुनरुत्थान के प्रणेता- जॉन रॉल्स
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