अरस्तु के संपत्ति संबंधी विचार
प्लेटो और अरस्तू दोनों ही राजनीतिक विश्लेषण के लिए आर्थिक गतिविधियां महत्वपूर्ण मानते हैं| आर्थिक गतिविधि अच्छाई से संबंधित थी, जबकि राजनीति बहुआयामी संपूर्ण अच्छे जीवन से संबंधित थी|
अरस्तु प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने राजनीतिक संस्थाओं के आर्थिक आधार पर ध्यान दिया|
अरस्तु संपत्ति को सदजीवन का साधन मानता है|
अरस्तु के अनुसार संपत्ति राज्य के अथक प्रयोग में लाए जाने वाले साधनों का सामूहिक नाम है|
संपत्ति परिवार का आवश्यक अंग है, जिसके बिना दैनिक जीवन संभव नहीं है| परिवार के अस्तित्व के लिए संपत्ति आवश्यक है, क्योंकि यदि परिवार के पास निजी संपत्ति नहीं होगी तो वह शीघ्र ही छिन्न-भिन्न हो जाएगा|
संपत्ति और परिवार मानव को प्रकृति प्रदत है|
अरस्तु प्लेटो के संपत्ति साम्यवाद की कटु आलोचना करता है|
अरस्तु ने संपत्ति, परिवार तथा संविधान संबंधित सभी क्षेत्रों में मध्यम मार्ग अपनाया है|
अरस्तु के अनुसार संपत्ति श्रेष्ठ जीवन यापन का साधन है, न कि साध्य, इसलिए संपत्ति का सीमित मात्रा में संग्रह किया जाना चाहिए|
संपत्ति का संग्रह उतना ही हो जो श्रेष्ठ जीवन यापन या आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें उससे ज्यादा नहीं
संपत्ति की विशेषताएं-
अरस्तु ने संपत्ति की दो विशेषताएं बताई हैं-
संपत्ति की समाज में प्रतिष्ठा होनी चाहिए तथा नागरिकों की दृष्टि में स्वीकृति प्राप्त होनी चाहिए|
राज्य की ओर से संपत्ति के संरक्षण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए|
संपत्ति के प्रकार- अरस्तु ने दो प्रकार बताए हैं-
सजीव संपत्ति
निर्जीव संपत्ति
संपत्ति का उपार्जन-
अरस्तु के अनुसार संपत्ति का उपार्जन दो तरीके से किया जा सकता है-
मानवीय अथवा प्राकृतिक तरीके से- इस प्रकार की संपत्ति का उपार्जन मनुष्य प्रकृति की सहायता से अपने परिश्रम के द्वारा करता है| जैसे- कृषि, पशुपालन के द्वारा अर्जित संपत्ति|
दानवीय अथवा अप्राकृतिक तरीके से- इस प्रकार की संपत्ति का उपार्जन बिना प्रकृति की सहायता से दूसरे मनुष्य के शोषण से किया जाता है| जैसे- धन पर ब्याज लेना, व्यापार से धन कमाना|
अरस्तु प्राकृतिक तरीके से संपत्ति के अर्जन का समर्थक है तथा अप्राकृतिक तरीके से संपत्ति के अर्जन की आलोचना करता है|
संपत्ति का विनिमय-
अरस्तु के अनुसार संपत्ति विनिमय के दो तरीके हैं-
नैतिक विनिमय- यह विनिमय न्याय सिद्धांतो को ध्यान में रखकर किया जाता है| इस विनिमय से अधिकाधिक लोगों को लाभ होता है|
अनैतिक विनिमय- इसमें बनिया वर्ग आ जाता है, जो वस्तुओं के क्रय-विक्रय से अच्छा लाभ कमा लेता है| अरस्तु के अनुसार राज्यों को अनैतिक विनिमय पर कठोर प्रतिबंध लगा देना चाहिए|
संपत्ति का वितरण-
अरस्तु ने संपत्ति के विवरण के तीन तरीके बताए हैं-
सार्वजनिक स्वामित्व और सार्वजनिक प्रयोग|
सार्वजनिक स्वामित्व और व्यक्तिगत प्रयोग|
व्यक्तिगत स्वामित्व और सार्वजनिक प्रयोग|
अरस्तु ने तीसरे प्रकार के विभाजन अर्थात व्यक्तिगत स्वामित्व और सार्वजनिक प्रयोग का समर्थन किया है| इसको अरस्तु ने व्यावहारिक बताया है, क्योंकि व्यक्तिगत स्वामित्व से संपत्ति का उत्पादन बढ़ेगा तथा उदारता, दानशीलता, अतिथि सत्कार जैसे सद्गुणों का विकास होगा|
संपत्ति का निजी स्वामित्व मनुष्य को उसकी सुरक्षा और अभिवृद्धि की प्रेरणा देता है|
संपत्ति के सार्वजनिक प्रयोग के संबंध में अरस्तु कहता है कि “उत्तम मनुष्य संपत्ति के उपयोग के विषय में यह स्वीकार करके चलेंगे की मित्रों के बीच तेरे मेरे का कोई फर्क नहीं होता है|”
सार्वजनिक कल्याण के लिए संपत्ति का सार्वजनिक उपयोग होना चाहिए|
अरस्तु “व्यक्तिगत संपत्ति सामूहिक संपत्ति से अधिक उपयोगी है, बशर्ते कि उसका प्रयोग सार्वजनिक क्षेत्र में परंपराओं और रीति-रिवाजों द्वारा और राजनीतिक क्षेत्र में उचित कानूनों द्वारा नियंत्रित हो|”
अरस्तु “जब प्रत्येक का विशेष स्वार्थ होगा तो व्यक्ति अधिक प्रगति करेंगे, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य पर पूरा ध्यान देगा|”
फॉस्टर “अरस्तु निजी संपत्ति को एक साधन या एक यंत्र मानते हुए इस बात पर बल देता है कि सच्ची संपत्ति सदा ही सीमित मात्रा में होनी चाहिए|”
संपत्ति के विचार का निष्कर्ष-
डेनिंग के अनुसार “अरस्तु ने उत्पादन और विनिमय के आरंभिक विचारों को उचित ढंग से प्रस्तुत किया है तथा संपत्ति के प्रयोग और विनिमय के महत्व के अंतर को भी समझाने में सफल हुआ है, वह पूंजी के महत्व का मूल्यांकन करने में पूर्णतया असफल हुआ है, और इसलिए ब्याज के बारे में उसके विचार अति प्राचीन और असंगत हैं|”
हीटर “लेवलस को यदि अंशत छोड़ दिया जाए तो अरस्तु से लेकर 18 वीं सदी के अंत तक यह आमतौर पर माना जाता था कि व्यक्ति के पास थोड़ी और पर्याप्त संपत्ति होना राज्य के फायदे के लिए है|”
अरस्तु के संपत्ति संबंधी विचार की आलोचना
निजी संपत्ति के बारे में अरस्तु का यह विचार जरूरत से ज्यादा आशावादी प्रतीत होता है कि संपत्ति के स्वामी स्वेच्छा से उसे सामान्य उपयोग के लिए उपलब्ध कराएंगे|
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