प्राकृतिक नियम संबंधी हॉब्स के विचार-
प्राकृतिक अवस्था में सभी का जीवन असुरक्षित हो जाता है, अतः सुरक्षा के लिए तर्कबुद्धि और विवेक से मनुष्य कुछ नियम बना लेते हैं, जिनका पालन करके मनुष्य शांति व सुखपूर्वक प्राकृतिक अवस्था में भी रह सकता है| हॉब्स ने इन प्राकृतिक नियमों को ‘शांति की धाराओं’ (Article of Peace) का नाम दिया है| हॉब्स ने कुल 19 प्राकृतिक नियम बताए हैं|
इनमें से तीन नियम प्रमुख हैं, जो निम्न है-
प्रत्येक मनुष्य का उद्देश्य शांति स्थापित करना है, अतः मनुष्य को तब तक शांति के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए जब तक युद्ध सर्वथा अनिवार्य न हो जाए|
सभी मनुष्य मिलजुल कर अपने प्राकृतिक अधिकार का त्याग करने को तैयार रहें|
मनुष्य अपने आपसी समझौतों का पालन करें तथा अपना उपकार करने वालों का उपकार करें|
ग्रोशियस के समान हॉब्स का कहना था कि प्राकृतिक नियम उचित नियम होते हैं और वे ईश्वर की भाषा में पेश किए जाते हैं|
हॉब्स के अनुसार “प्राकृतिक कानून मनुष्य की विवेक बुद्धि या तर्क बुद्धि से खोजे गए वे नियम है, जिसके द्वारा मनुष्य के वे कार्य निषिद्ध हैं जो उनके जीवन के लिए विनाशप्रद है|”
प्राकृतिक नियमों का आधार स्वार्थ है|
शांति की 19 धाराओं को थॉमस हॉब्स ने प्राकृतिक कानून की संज्ञा दी है|
Note- प्राकृतिक नियमों को कानून केवल अलंकारिक भाषा में ही कहा जा सकता है, लेकिन यह कानून नहीं है क्योंकि कानून तो संप्रभु की आज्ञा होते हैं तथा उल्लंघन पर दंड दिया जाता है|
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