Ad Code

नागरिक कानून पर हॉब्स के विचार/ Hobbes's views on civil law || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 नागरिक कानून पर हॉब्स के विचार-

  • हॉब्स के अनुसार कानून की परिभाषा “वास्तविक कानून उस व्यक्ति का आदेश है, जिसे दूसरों को आदेश देने का अधिकार प्राप्त है|” 

  • थॉमस हॉब्स के अनुसार संप्रभुता का आदेश ही नागरिक विधियां हैं| संप्रभु ही विधि का एकमात्र स्रोत और व्याख्याकार है|

  • हॉब्स ने सकारात्मक कानून की नींव रखी, अर्थात कानून राज्य शक्ति का आदेश है| इसे बेंथम व ऑस्टिन ने आगे बढ़ाया|

  • संप्रभु कानून का निर्माता तो है, लेकिन स्वयं के संबंध में उन कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है| 

  • हॉब्स के अनुसार कानून का सार उसमें निहित शक्ति है| शक्ति के बिना कानून अर्थहीन विडंबना मात्र रह जाता है| 

  • थॉमस हॉब्स “तलवार के बिना समझौते शक्तिहीन कोरे शब्द हैं|”

  • संप्रभु को अधिक विधियों का निर्माण नहीं करना चाहिए, क्योंकि उन्हें लागू करना कठिन हो जाएगा साथ ही जनता के ह्रदय में विधियों के प्रति सम्मान में कमी आ जाती है| 


  • हॉब्स विधियों को दो भागों में बांटता है-

  1. वितरणात्मक या निषेधात्मक- इसमें नागरिकों को वैध-अवैध कार्यो के बारे में बतलाया जाता है|

  2. अज्ञात्मक या दंडात्मक विधि- इसमें राज्य के मंत्रियों को जनता के प्रति, अपराधानुसार क्या दंड विधान है, के बारे में बताया जाता है|


  • हॉब्स ने प्राकृतिक विधि व नागरिक विधि में अंतर बताया है-

  1. प्राकृतिक विधि- यह विवेक का आदेश है, जिसके पीछे शक्ति नहीं होती है|

नागरिक विधि- यह प्रभुसत्ता का आदेश है, तथा बलपूर्वक लागू किया जाता है|
Close Menu