शासन संबंधी सुधार-
बेंथम एक सुधारवादी विचारक था, जिसने अनेक राजनीतिक तथा शैक्षणिक सुधारों का समर्थन किया था|
बेंथम ने राजतंत्र, कुलीनतंत्र और लोकतंत्र में राजतंत्र व कुलीन तंत्र को निकृष्ट बताया है, क्योंकि राजतंत्र व कुलीनतंत्र में अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख की धारणा साकार नहीं हो सकती है|
बेंथम लोकतंत्र (गणतंत्र) का समर्थक था तथा पुरुष व्यस्क मताधिकार, वार्षिक संसदीय निर्वाचन, गुप्त मतदान, नियुक्तियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आदि वैधानिक उपायों से लोकतंत्र की स्थापना करने के समर्थक थे|
बेंथम गुप्त मतदान प्रणाली का समर्थन करता है तथा महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में नहीं था|
बेंथम ने एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य का समर्थन किया है|
एक सदनीय संसद का समर्थन करता है तथा लार्ड सभा के अंत की कहता है|
बेंथम विधायकों के अधिकारों में वृद्धि का समर्थन करता है, ताकि वे नागरिक अधिकारों को सुरक्षित रख सके| उनके अनुसार विधायक ‘नैतिक ओवरसीवर’ (अलग करना) और ‘निर्देशक’ होते हैं|
जेल व्यवस्था में सुधार-
कैदियों के लिए औद्योगिक व शिल्प-शिक्षण का सुझाव बेंथम ने दिया|
कैदियों के चरित्र सुधार के लिए नैतिक व धार्मिक शिक्षा का समर्थन किया|
पेनोप्टिकॉन (Panopticon) योजना- अपराधियों के दैनिक जीवन को व्यवस्थित करने के लिए बेंथम ने एक योजना बनाई, जिसको पेनोप्टिकॉन (Panopticon) योजना कहा जाता है| इस योजना के अनुसार कारागार की इमारतें अर्धचंद्राकार बनाई जाए, जिससे कि जेल का अधिकारी अपने निवास स्थान से सभी जेल की कोठरियों पर भली-भांति दृष्टि रख सकें|
बेंथम ने पेनोप्टिकॉन या इंस्पेक्शन हाउस को उपयोगिता का आधार माना है, क्योंकि इससे दुख का वैज्ञानिक मापन किया जा सकता है|
मिशेल फूको ने पनोप्टिकॉन योजना को ‘पूंजीवादी राज्य की दंड व्यवस्था का उच्चतम रूप’ बताया है|
शिक्षा व्यवस्था में सुधार-
बेंथम ने दो प्रकार की शिक्षा योजना प्रस्तुत की-
प्रथम गरीब व अनाथो के लिए
द्वितीय मध्यम व उच्च वर्गों के लिए|
बालकों के चरित्र निर्माण, कला कौशल एवं व्यवसायिक शिक्षा का समर्थन किया|
बेंथम के अनुसार शिक्षा का वहन राज्य करे तथा शिक्षा का उद्देश्य जीवन को सहचारी और अनुशासित बनाना होना चाहिए|
बेंथम ने शिक्षा में मॉनिटर पद्धति का समर्थन किया अर्थात उच्च कक्षा के बुद्धिमान छात्र निम्न कक्षा के छात्रों को पढ़ाये|
मानवतावादी के रूप में बेंथम-
बेंथम उपनिवेशवाद के विरोधी थे|
उपनिवेशवाद को बेंथम शोषक व शोषित दोनों के लिए ही खतरनाक मानते थे|
जब बेंथम के मित्र जेम्स मिल इस्ट इंडिया कंपनी में अधिकारी बने तो, बेंथम ने भारतीय उपनिवेशवाद में रुचि ली| बेंथम ने भारत में कानूनी व अन्य सुधार लागू करने के लिए 1827 में भारत के तात्कालिक गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक को प्रेरित किया|
दार्शनिक आमूल परिवर्तनवादी के रूप में-
सेबाइन ने बेंथम को दार्शनिक आमूल परिवर्तनवाद का प्रणेता कहा है|
आमूल परिवर्तनवादी ऐसे विचारक होते हैं, जो अपने समय के प्रचलित विचारों को पूर्णतया बदल देते हैं|
बेंथम ने ब्रिटेन में प्रचलित तात्कालिक कानून, न्याय, दंड व्यवस्था आदि विचारों का खंडन किया है|
बेंथम ने प्राकृतिक अधिकारों, प्राकृतिक अवस्था, प्राकृतिक कानून का खंडन करके वैधानिक अधिकारों व वैधानिक कानूनो की स्थापना की है|
बेंथम ने फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर ‘दार्शनिक आमूल परिवर्तन सुधारवादी’ (Philosophical radicalism) नामक दल की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक संस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन करना और परिवर्तन को ‘अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम हित’ की कसौटी पर कसना|
डॉयल “बेंथम आमूल परिवर्तनवादी सुधार ग्रुप के प्रमुख राजनीतिक दार्शनिक थे| रूसो के समान वास्तविकता से भागकर उन्होंने रहस्यवाद की शरण नहीं ली, बल्कि उन्होंने समस्याओं पर वैज्ञानिक की तरह से विचार किया|”
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