उपयोगितावाद का विकास-
उपयोगितावाद 19वीं शताब्दी का दर्शन है| लेकिन आचारशास्त्र के सिद्धांत के रूप में इसका संबंध प्राचीन यूनान के एपिक्यूरियन संप्रदाय से माना जाता है| एपिक्यूरियन चिंतन के अनुसार ‘मनुष्य पूर्णतया सुखवादी है, वह सुख की ओर दौड़ता है तथा दुख से बचना चाहता है|’
17 वी सदी के सामाजिक अनुबंधनवादियों ने भी उपयोगितावादी परंपरा का कुछ विकास किया| हॉब्स ने मनोवैज्ञानिक भौतिकवाद के आधार पर मनुष्य को पशुवत आचरण करने वाला एक सुखवादी प्राणी बताया है|
18 वीं सदी के एक विचारक कंबरलैंड ने राज्य की उपयोगिता की तुलना में उसके नैतिक अस्तित्व और विवेकपूर्ण चेतना के सिद्धांतों को गौण बताया है|
डेविड ह्यूम ऐसे प्रथम आधुनिक विचारक है जिसने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक Treatise of human 1739 में उपयोगितावादी दर्शन का स्पष्ट प्रतिपादन किया तथा मानव स्वभाव का केंद्र-बिंदु उपयोगितावाद को बताया है| (उपयोगितावाद का प्रथम विचारक)
हचेसन ने सबसे पहले ‘अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख’ नामक वाक्यांश का प्रयोग किया| उसके बाद प्रीस्टले ने शासन की नीतियों के आधार के रूप में इस वाक्य का समर्थन किया|
सर्वप्रथम सुख और दुख शब्द प्रीस्टले ने दिए|
लेस्ली स्टीफैन के अनुसार “उपयोगितावाद का जैसा युक्ति संगत रूप डेविड ह्यूम प्रस्तुत किया वैसा 19वीं शताब्दी का अन्य कोई विचारक नहीं कर सका|”
वेपर के अनुसार “उपयोगितावाद के प्रवर्तक डेविड ह्यूम, प्रीस्टले और हचिसन थे|”
उपयोगितावाद क्या है-
उपयोगितावाद एक ब्रिटिश विचारधारा है|
डेविडसन “उपयोगितावाद में सार्वजनिक कल्याण की भावना निहित है| उपयोगितावाद अधिकाधिक व्यक्तियों को सुख पहुंचाने में रुचि रखता है तथा व्यवहारिक कार्यों द्वारा बौद्धिक आधार पर लोगों की दशा सुधारने एवं सक्रिय राजकीय कानूनों द्वारा जन समूह के स्तर को ऊंचा उठाने में विश्वास करता है|”
इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना “उपयोगितावाद आचारशास्त्र का एक सिद्धांत है, जो यह प्रतिपादित करता है कि जो कुछ उपयोगी है, वह श्रेष्ठ है और उपयोगिता विवेकपूर्वक निर्धारित की जाती है| सामाजिक. आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांत एवं नीतियां उपयोगिता के सिद्धांत पर ही आधारित होनी चाहिए|”
हेलोवेल ने उपयोगितावाद को नीतिशास्त्र और राजनीतिशास्त्र को एक व्यापक वैज्ञानिक अनुभववाद के आधार पर प्रतिष्ठित करने का एक प्रयास कहा है|
उपयोगितावाद एक ऐसा दर्शन है, जो किसी वस्तु के नैतिक और भावात्मक पक्ष पर ध्यान न देकर उसके यथार्थवादी पक्ष को ही देखता है| उपयोगितावाद ने सुखवाद से प्रेरणा ली है|
उपयोगितावाद में किसी भी कार्य या वस्तु की उपयोगिता को सुख-दुख की मात्रा से आका जाता है|
अर्थात अच्छा कार्य वह है जिससे सुख प्राप्त होता है तथा बुरा कार्य वह है जिससे दुख प्राप्त होता है|
उपयोगितावाद प्रयोगात्मक और व्यवहार प्रधान है| इसका संबंध वास्तविकता से है, न कि काल्पनिक और अमूर्त सिद्धांतों से|
उपयोगितावादी सिद्धांत को मानने वाले सभी लोग व्यक्तिवादी हैं, जो यह मानते हैं कि राज्य व्यक्ति के लिए है, न कि व्यक्ति राज्य के लिए|
उपयोगितावाद के अनुसार किसी राजनीतिक कार्य का महत्व तभी है, जब उससे जनकल्याण हो तथा इसके अनुसार जनकल्याण लोगों के व्यैक्तिक सुखों का संग्रह मात्र है|
इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल दिया गया है तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर केवल सार्वजनिक व्यवस्था और शांति का ही बंधन है है|
अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख ही उपयोगितावाद के अनुसार राज्य की प्रकृति तथा श्रेष्ठता की कसौटी है|
उपयोगितावाद से संबंधित प्रमुख विचारक-
डेविड ह्यूम, प्रीस्टले, हचिसन, पेले, हॉलबैक, हैल्युटियस, बेंथम, जेम्स मिल, जॉन ऑस्टिन, जॉर्ज ग्रोट, जॉन स्टूअर्ट मिल, मॉल्सबर्थ, एलेग्जेंडर बैन आदि|
बेंथम का उपयोगितावाद-
प्रीस्टले द्वारा रचित ‘Easy on government’ का बेंथम पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है|
बेंथम ने ‘अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख’ का अपना प्रिय वाक्यांश प्रीस्टले की पुस्तक ‘Easy on government’ से ग्रहण किया था| प्रीस्टले ने यह वाक्य हचिसन से लिया था|
उपयोगितावाद को लोकप्रिय करने व शक्तिशाली रूप देने का श्रेय बेंथम को दिया जाता है| इसी कारण उपयोगितावाद को बेंथमवाद भी कहा जाता है|
बेंथम का उपयोगितावाद सुख-दुख की मात्रा पर आधारित है| मानव के सभी कार्यों की कसौटी उपयोगिता है| जिस कार्य से मनुष्य को सुख प्राप्त होता है वह कार्य उपयोगी व उचित है तथा जिस कार्य से मनुष्य को दुख प्राप्त होता है वह कार्य अनुपयोगी व अनुचित है| यह उपयोगितावाद का सिद्धांत मानव कार्यों के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों में भी लागू होता है|
बेंथम ने अपनी रचना ‘Principle of Moral and Legislation’ पुस्तक में मानव जीवन के दो स्वामी बताता है- सुख और दुख|
बेंथम के अनुसार किसी वस्तु की उपयोगिता का एकमात्र मापदंड यह है, कि वह कहां तक सुख में वृद्धि करती है और दुख को कम करती है|
बेंथम “अगर किसी चीज से मनुष्यों के सुखों के कुल योग में वृद्धि होती है या दुखों के कुल योग में कमी होती है तो वह चीज उसके हित में है|”
बेंथम के विचारों में सुख स्वयं जीवन का साध्य है, शेष सभी वस्तुएं सदाचार सुख प्राप्ति के साधन है|
इस प्रकार उपयोगितावाद स्वहित, अहमदवाद, व्यक्तिवाद पर आधारित है|
बेंथम के अनुसार सुख चार साधनों से प्राप्त किए जा सकते हैं-
धर्म द्वारा
राजनीति द्वारा
नैतिक कार्य से
भौतिक साधनों से (शारीरिक स्रोत)
सुख की प्राप्ति के साधन के आधार पर सुख चार प्रकार का है-
धर्म प्रदत सुख
राजनीति प्रदत सुख
नैतिक सुख
प्राकृतिक /भौतिक सुख
बेंथम के अनुसार सुख-दुख मात्रात्मक है गुणात्मक नहीं| बेंथम का कथन है कि “सुख की मात्रा बराबर होने पर बच्चों का खेल पुष्पिन और काव्य का अध्ययन एक कोटी के हैं|”
सुख दुख का वर्गीकरण और उसका मापदंड-
बेंथम का मानना है कि सुख-दुख को मापा जा सकता है| उपयोगितावाद में प्रत्येक कार्य के परिणाम पर विचार किया जाता है| उसी को उपयोगी माना जाता है, जो सुख में वृद्धि करें तथा दुख में कमी करें अत: उपयोगितावाद को परिणामवाद भी कहा जाता है|
बेंथम ने सुख व दुख को दो भागों में बांटा है- (1) सामान्य व (2) जटिल
सामान्य सुख के 14 प्रकार बताए हैं- 1 इंद्रिय सुख 2 वैभव सुख 3 कौशल का सुख 4 मित्रता का सुख 5 यश का सुख 6 शक्ति या सत्ता का सुख 7 कल्पना का सुख 8 धार्मिक सुख 9 दया का सुख 10 निर्दयता का सुख 11 स्मृति सुख 12 आशा का सुख 13 संपर्क का सुख 14 सहायता का सुख
सामान्य दुख के 12 प्रकार बताए हैं- 1 दरिद्रता 2 भावना 3 हिचकिचाहट 4 शत्रुता 5 अपयश 6 धार्मिकता 7 दया 8 स्मृति 9 कल्पना 10 आशा 12 संपर्क
बेंथम ने सुख-दुख की मात्रा निर्धारित करने के लिए सुखवादी मापक यंत्र (Felicific calculus) प्रस्तुत किया है| इसे Hedonic Calculus भी कहा जाता है|
बेंथम ने सुख मापने का मानचित्र दिया है, जिसको Spring of Action कहा जाता है|
सुख-दुख का मापदंड निर्धारित करने के 7 आधार-
बेंथम ने अपनी पुस्तक Principal of Morals and Legislation के चतुर्थ अध्याय में सुख-दुख का मापदंड निर्धारित करने के 7 तत्व बताए हैं-
तीव्रता (2) कालावधि (3) निश्चितता (4) समय की निकटता अथवा दूरी (5) जनन शक्ति (उर्वरता) (6) विशुद्धता (7) विस्तार
प्रथम 6 आधार व्यक्तिगत सुख-दुख के मापदंड हैं, जबकि 7वां समूह के सुख दुख (अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख) का मापदंड है|
बेंथम के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का उद्देश्य अधिकतम सुख प्राप्त करना होता है|
बेंथम सुख-दुख का अंतर 32 लक्षणों के आधार पर बताया है|
बेंथम ने राज्य का उद्देश्य ‘अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख’ माना है| राज्य के वही कार्य उपयोगी है, जो अधिकतम व्यक्तियों को सुख पहुंचाते हैं|
विधायक को कानून बनाते समय भी अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख का ध्यान रखना चाहिए|
इस तरह बेंथम का उपयोगितावाद सुखवाद, व्यक्तिवाद, मात्रात्मक व परिणामवाद पर आधारित है|
बेंथम के उपयोगितावादी सिद्धांत की आलोचना-
बेंथम के अनुसार मनुष्य के संपूर्ण व्यवहार को सुख-दुख निर्धारित करते हैं, जो सही नहीं है|
अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख का पता लगाना कठिन है|
सुख भौतिक न होकर मानसिक होता है|
सुखों के गुणात्मक भेद की उपेक्षा की है|
सुखों को मापा नहीं जा सकता है| डेविडसन के अनुसार “8 दुखों में से 4 सुखों को घटाने की बात मूर्खता के सिवाय और कुछ नहीं हो सकती है|”
व्यक्ति और समाज की उपयोगिता के बीच सामंजस्य का अभाव| मैक्सी “बेंथम ने, जहां कहीं भी उन्हें दोनों के बीच का चयन का अवसर मिला है व्यक्तिवादी हित को प्रधानता दी है| वे दोनों के मध्य संतुलन स्थापित नहीं कर सके|”
बहुमत के अत्याचार को प्रोत्साहन| हेलोवेल “बेंथम का सिद्धांत बहुमत के अत्याचार को प्रोत्साहित करने वाला सिद्धांत है|” जॉन रॉल्स तथा रोबर्ट नॉजिक भी बहुमत के अत्याचार के संबंध में बेंथम के आलोचक हैं|
मौलिकता का अभाव, क्योंकि इन्होंने अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख हचिसन से ग्रहण किया है|
Social Plugin