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स्त्री और परिवार संबंधी रूसो के विचार / Rousseau's views on women and the family || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 स्त्री और परिवार संबंधी रूसो के विचार-

  • रूसो ने पितृसत्तात्मक परिवार का समर्थन किया है| परिवार प्राकृतिक प्रेम पर आधारित सबसे पुरानी संस्था थी, जिसका स्रोत प्रजनन था| परिवार में युवाओं पर बुजुर्गों और स्त्रियों पर पुरुषों का स्वाभाविक अधिकार था|

  • रूसो स्त्री को राजनीतिक व्यवस्था में विखंडनकारी शक्ति मानते थे| एक अच्छी स्त्री को सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा न लेकर परिवार में ही रहना चाहिए|

  • रूसो ने समाज में स्त्री को निम्नतर स्थान दिया है| 

  • रूसो ने पुरुष और स्त्री के गुणों में अंतर किया है| पुरुष का गुण उसकी विचार बुद्धि होती है, जबकि स्त्री का गुण उसके स्त्रियोंचित गुण हैं| जैसे- चरित्र शुद्धता, कोमलता, आदेश पालन| 

  • पुरुष को स्त्री पर शासन करना चाहिए, ताकि वह चरित्रवान बनी रहे| 

  • रूसो स्त्रियों को दार्शनिक चिंतन और वैज्ञानिक अध्ययन के उपयुक्त नहीं समझते थे|

  • रूसो के अनुसार स्त्री जीवन का यह रूप स्वयं प्रकृति और तर्क ने तय किया है|

  • रूसो अरस्तु के समान परिवार को समाज का प्रथम स्वरूप मानते थे| 

  • महिलाओं की स्थिति के संदर्भ में रूसों ने एथेंस का उदाहरण देते हुए कहा कि “वहां स्त्रियां घर में रहकर पत्नी, माता और घर की संरक्षिका की भूमिका अदा करती थी|” जब यूनानी स्त्रियां विवाह करती थी तो सार्वजनिक जीवन से हट जाती थी और घर की चारदीवारी के अंदर वे स्वयं को परिवार की देखभाल में समर्पित कर लेती थी|”

  • उदारवादी नारीवादी मेरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी कृति A Vindication of the Rights of women 1792 में रूसों के नारी संबंधी विचारों की आलोचना की है| 

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