शिक्षा संबंधी विचार-
रूसो के शिक्षा संबंधी विचार उसके ग्रंथ Emile में हैं| इसमें शिक्षा का उद्देश्य ‘मनुष्य की निर्वासित प्रकृति की पुनर्स्थापना’ बतलाया गया है| इस ग्रंथ के कारण रूसो को ‘प्रगतिवादी शिक्षा (Progressive Education)’ का जनक माना जाता है|
रूसो ने एमिल नामक व्यक्ति के माध्यम से अपना शिक्षा दर्शन व्यक्त किया है| एमिल को पठन, लेखन, गायन, गणित, राष्ट्रीय इतिहास की शिक्षा तथा शारीरिक एवं तकनीकी शिक्षा दी जाती है| रूसो अपने समय की शिक्षा का विरोधी था|
बाल- शिक्षा को पादरियों के हाथों से निकाल लेना तथा किशोरावस्था तक धर्म शिक्षा का निषेध करने के कारण पादरी वर्ग रूसो से नाराज हो गया| Emile को अग्नि में जला दिया और फ्रांस की संसद तथा जेनेवा की सरकार ने रूसो की निंदा की|
तर्क के प्रति विद्रोह-
डिसकोर्सेज ऑन आर्ट एंड साइंस लेख में रूसो की तर्क के प्रति विद्रोह की भावना झलकती है| यह लेख इतिहास की व्याख्या करता है|
कला व विज्ञान ने व्यक्ति का पतन किया है, क्योंकि इससे व्यक्ति विचारशील व तर्कशील होता है| तर्कशील व्यक्ति भ्रष्ट प्राणी होता है| इसके संबंध में रूसो ने लिखा है कि “तर्कशील व विवेकशील मानव पतित दुराचारी पशु के समान होता है|”
रूसो ने लिखा है कि “विज्ञान एक निष्क्रिय उत्सुकता का परिणाम है, दर्शन शास्त्र केवल बौद्धिक आडंबर है तथा शिष्ट जीवन की सुख सुविधाएं चमकीले रंगीन फीते हैं|”
इसके संबंध में रूसो ने एथेंस व रोमन साम्राज्य का उदाहरण दिया है| एथेंस इसलिए बर्बाद हुआ, क्योंकि वहां शोभा, वैभव, संपत्ति, कला व विज्ञान की प्रचुरता थी| जब तक रोमन निर्धन व सीधे थे तब तक वे अन्य साम्राज्यो पर विजय प्राप्त कर रहे थे, लेकिन जैसे ही वैभव, विलासिता, धन आया रोमन साम्राज्य बर्बाद हो गया|
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