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आधुनिक सभ्यता पर गांधीजी के विचार //वर्ण व्यवस्था पर गांधीजी के विचार // Gandhiji's views on modern civilization // Gandhiji's views on caste system By Nirban PK Yadav Sir || In Hindi

     आधुनिक सभ्यता पर गांधीजी के विचार-

    • गांधीजी ने भौतिकवादी सभ्यता की आलोचना की है|

    • आधुनिक सभ्यता को गांधीजी ने चार दिन की चांदनी कहा है| 

    • उपभोक्तावाद व भौतिकतावाद के कारण गांधीजी ने पाश्चात्य सभ्यता को शैतानी सभ्यता कहा है|

    • गांधीजी “आधुनिक सभ्यता बुराई एवं अंधकार की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है, यह अनैतिक है|”

    • गांधीजी सादे, नैतिक, पवित्र जीवन के प्राचीन आदर्शो के अनुयायी थे|

    • आधुनिक पाश्चात्य सभ्यता को गांधीजी ने मानव के अंधे युग का प्रतीक, पाश्विक सभ्यता व नैतिक दिवालियापन कहा है| 



    वर्ण व्यवस्था पर गांधीजी के विचार-

    • गांधीजी भारतीय वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे| उन्होंने वर्ण व्यवस्था को कर्म पर नहीं, बल्कि जन्म पर आधारित माना है|

    • गांधीजी जाति व्यवस्था के भी पक्षधर थे|

    • लेकिन वे वर्ण व जातीय श्रेणीबद्धता, ऊंच-नीच के पक्षधर नहीं थे|

    • गांधीजी का मत था कि वर्ण व्यवस्था एक वैज्ञानिक व्यवस्था है और वंशानुक्रम का नियम एक शाश्वत नियम है| यदि मनुष्यों ने अपने पैतृक कार्य छोड़ दिए तो इससे स्वभाविक कार्य प्रतिभा का विनाश होगा क्योंकि नाई का बेटा या कुम्हार का बेटा अनुभवों का लाभ उठा जल्द विशेषज्ञ बन जाते हैं|

    • गांधीजी स्त्री स्वतंत्रता, समानता व सशक्तिकरण के पक्षधर थे, पर वह स्त्री की आर्थिक स्वतंत्रता व पुरुषों के साथ प्रतियोगिता के समर्थक नहीं थे| घर को ही उनका पूर्ण कार्य क्षेत्र मानते थे|

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