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जॉन स्टूअर्ट मिल के राज्य संबंधी विचार/ State related views of John Stuart Mill || By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

     मिल के राज्य संबंधी विचार-

    • मिल ने अपने दर्शन में समाज शब्द का प्रयोग राज्य के अर्थ में किया है, अर्थात उसकी समाज संबंधी धारणा ही राज्य संबंधी धारणा है| 

    • मिल के अनुसार राज्य स्वार्थ की अपेक्षा मानव इच्छा का परिणाम अधिक है|

    • मिल राज्य व उसकी संस्थाओं की उत्पत्ति प्राकृतिक व मानव द्वारा निर्मित बताने वालों के बीच का मार्ग अपनाया है|

    • मिल के मत में राज्य का विकास हुआ है और यह विकास जड़ वस्तुओं की तरह न होकर चेतन वस्तुओं की तरह हुआ है| इस प्रकार राज्य का उदय स्वाभाविक रूप में हुआ है, किंतु विकास में मानवीय प्रयत्नों का योग है|

    • मिल के मत में राज्य की उत्पत्ति मानव हित के लिए हुई है|

    • राजनीति यंत्र राज्य स्वयं कार्य नहीं करता है, बल्कि जिन सामान्य व्यक्तियों द्वारा इसका निर्माण हुआ है वही इसका संचालन करते हैं|

    • राजनीतिक संस्थाओं के निर्माण में मानव इच्छा के महत्व को दर्शाते हुए मिल ने लिखा है कि “एक निष्ठावान व्यक्ति ऐसी सामाजिक शक्ति है जो 99 कोरे स्वार्थी व्यक्तियों के बराबर हैं|”

    • राज्य के सकारात्मक पक्ष पर मिल बल देता है, वह राज्य के हस्तक्षेप को पूर्णत निषिद्ध न कर, कुछ स्थितियों में हस्तक्षेप की अनुमति दे देता है| मिल के मत में राज्य को कुछ नैतिक कार्य करने पड़ते हैं तथा राज्य का संविधान ऐसा हो कि जिससे नागरिकों के सर्वोत्तम नैतिक व बौद्धिक गुणों का विकास हो सके| इस प्रकार राज्य नैतिक लक्ष्ययुक्त एक नैतिक संस्था है|

    • मिल सार्वजनिक कल्याण की दृष्टि से व्यापार व उद्योग पर सरकार नियंत्रण स्वीकार करता है, वह कारखानों के लिए कानून तथा कार्यों के घंटों की सीमा का समर्थन करता है|

    • इस तरह मिल ने पहली बार कल्याणकारी राज्य का सिद्धांत दिया| यह विचार मिल की रचना ‘प्रिंसिपल ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी’ के चौथे संस्करण (1868) में मिलता है| 


    • मिल राज्य के रचनात्मक व निषेधात्मक दोनों प्रकार के कार्य बताता है-

    1. रचनात्मक कार्य- वे कार्य जो ऐसे स्वतंत्र वातावरण का निर्माण करें, जिसमें विचार मंथन, सत्यान्वेषण, अनुभव वृद्धि, चरित्र निर्माण हो सके|

    2. निषेधात्मक कार्य- वे कार्य जिसमें व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाये जाते है|



    मिल के अनुसार शासन की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली-

    • मिल के मत में कोई एक शासन प्रणाली सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकती है| मिल के शब्दों में “ऐसा कहने का अर्थ है कि सब प्रकार के समाजों के लिए किसी एक प्रकार की शासन प्रणाली उपयुक्त होगी, यह होगा कि राजनीति विज्ञान पर एक विशुद्ध शास्त्र लिखा जाय|”

    • मिल के अनुसार वहीं शासन प्रणाली सर्वश्रेष्ठ है, जो नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करें तथा अधिकार और कर्तव्य का ज्ञान कराएं और वह शासन प्रणाली जनता के नैतिक गुणों और बुद्धि का विकास करने वाली हो|

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