अरविंद का महामानव या अति मानव (Super Human)-
महामानव (विराट पुरुष या दैवीय मानव) की अरविंद की धारणा जर्मन दार्शनिक नीत्शे के सुपरमैन के विचार से प्रभावित है| लेकिन नीत्शे का अतिमानव का स्वरूप अतिदानव जैसा है, जबकि अरविंद का अतिमानव अध्यात्मिककरण पर आधारित गीता के कर्मयोगी स्थितप्रज्ञ मानव (श्री कृष्ण) दैवीय मानव का साक्षात रुप है|
नीत्से का अतिमानव आक्रामक, शक्ति संपन्न व अतिबौद्धिक प्राणी है, जबकि अरविंद का अतिमानव उच्चतर दैवीय शक्तियों तथा आनंद की अभिव्यक्ति करता है|
अरविंद के अति मानव में वेदांत व नीत्से के विचारों का मिश्रण है|
अरविंद का मानना था कि विश्व संघ आध्यात्मिकता पर आधारित एक आध्यात्मिकृत समाज होगा| ऐसा समाज तब बनेगा जब सर्वज्ञान संपन्न, विश्व के ज्ञाता और सृष्टा के रूप में अति मानस का अवतरण होगा|
अतिमानस के अवतार से मानव अतिमानव बनेगा|
अतिमानव ऐसा रूपांतरित व्यक्ति होगा, जिसमें उच्च आध्यात्मिक शक्तियां होंगी, जिसके परिणाम स्वरूप मानव की एक अद्वितीय नवीन मानवजाति उदित होगी, जो वर्तमान मानव जाति से श्रेष्ठ होगी|
व्यक्ति के इस रूपांतरण से सच्ची बंधुता, एकात्मक चेतना जागृत होगी|
यही एकात्मक आध्यात्मिक चेतना पारस्परिक सहयोग व सामंजस्य के गुणों के आधार पर मानवीय एकता के आदर्श का निर्माण करेगी|
Note- अरविंद ने लिखा है कि “मानव मस्तिष्क उच्चतम है, परंतु यह दैवीय चेतना से निम्न है, ईश्वर सुपरमाइंड के द्वारा मानव मस्तिष्क में चेतना का प्रवाह करते हैं|”
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