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श्री अरविंद घोष का मानव चक्र क्रम सिद्धांत || Aurobindo Ghosh's Human Chakra Sequence Theory In Hindi || By Nirban PK Yadav Sir

 अरविंद का मानव चक्र क्रम सिद्धांत

  • मानव चक्र सिद्धांत को विकास का एकीकृत सिद्धांत भी कहते हैं|

  • अरविंद के मानव चक्र सिद्धांत पर जर्मन विचारक कार्ल लामप्रेखट के संस्कृतियों के चक्र सिद्धांत का प्रभाव है| इसमें अरविंद ने लामप्रेखट के मनोविज्ञान में भारतीय आध्यात्मिकता भी मिला दिया|

  • अरविंद का मानना था कि मानव संस्कृतियों व सभ्यताओं का विकास चक्र क्रम में होता है, अतः मानव इतिहास का क्रमिक विकास होता है|


  • मानव चक्र सिद्धांत में अरविंद ने मानव इतिहास के पांच चरण बताएं हैं-

  1. प्रतीकात्मक युग- वैदिक युग

  2. प्रकारात्मक युग- वर्ण व्यवस्था वाला उत्तर वैदिक काल

  3. परंपरावादी युग- जाति व्यवस्था वाला सामाजिक युग अर्थात मध्यकालीन भारत

  4. व्यक्तिवादी युग- पाश्चात्य प्रभाव वाला आधुनिक युग

  5. आत्मनिष्ठवादी युग- अरविंद के अनुसार सबसे अंत में एक आध्यात्मिक युग आना चाहिए, ताकि मानवीय आत्मा का सर्वोच्च विकास हो तथा अतिमानव (Super Human) का आगाज हो|

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