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श्री अरविंद घोष की रचनाएं // The writings of Aurobindo Ghosh || In Hindi || By Nirban PK Yadav Sir

 रचनाएं-

  1. The Life Divine  (दिव्य जीवन)

  2. Essays on Geeta-

  • इसमें अरविंद ने लिखा है कि “जेल में ईश्वर मेरे सामने प्रकट हुए, मुझे गीता दी तथा सनातन धर्म का बोध कराया|”

  • अरविंद गीता से प्रभावित होकर लिखता है कि “हिंसा के विरुद्ध हिंसा अपरिहार्य है|”

  • इसमें राष्ट्रीय शत्रुओं के वध को धर्म युद्ध की संज्ञा दी है|


  1. The Synthesis of yoga- यह अरविंद की अंतिम पुस्तक है| 

  2.  Ideal of Human Unity 

  3. The ideal of Karmayogin 

  4. Defence of Indian culture

  5. The Human cycle

  6. सावित्री- यह एक कविता है, जिसमें सत्यवान सावित्री का वर्णन है| इसका पूरा नाम सावित्री: ए लीजेंड एंड ए सिंबल| 

  7. Basis of yoga

  8. Renaissance of India 

  9. The Superman

  10. New lamp for old  - 

  • यह लेखों की श्रंखला है, जो महादेव गोविंद रानाडे के समाचार पत्र इंदु प्रकाश में छपी थी| 

  • इसमें अरविंद ने लिखा है कि “हमारा शत्रु और कोई नहीं, बल्कि हमारी कमजोरी, स्वार्थ व पाखंड है|”

  • इस लेख में लोगों से संघर्ष का आह्वान किया है| उनके अनुसार ब्रिटिश साम्राज्य का मुकाबला धर्मयुद्ध है|

  • इस लेख में अरविंद ने नरमपंथी कांग्रेसियों की आलोचना की है|

  • इसमें लिखा है कि “हम अंधों का मार्गदर्शन, यदि अंधा नहीं तो अवश्य ही एक आंख वाले के द्वारा किया जा रहा है|”

  • अरविंद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भारतीय अरराष्ट्रीय कांग्रेस कहा करते थे|


  • Note- द ह्यूमन साइकिल व द आइडियल ऑफ ह्यूमन यूनिटी में राजनीति से संबंधित विषय है, जबकि लाइफ डिवाइन का संबंध दर्शन व पराभौतिकता से है|

  • समाचार पत्र-

  1. ‘वंदे मातरम’ 

  • उन्होंने विपिन चंद्र पाल द्वारा निकाले गए दैनिक पत्र ‘वंदे मातरम’ का प्रकाशन किया| अर्थात पहले इसके संपादक विपिन चंद्र पाल थे, इनके इस्तीफे के बाद अरविंद संपादक बने| 

  • वंदे मातरम में अरविंद ने लिखा कि “देश के स्वतंत्र होने से पूर्व, हमें ह्रदय को स्वतंत्र करना होगा|”

  1. इन्होंने ‘कर्मयोगी’ (अंग्रेजी में) तथा ‘धर्म’ (बांग्ला भाषा) नामक सप्ताहिक पत्रों का प्रकाशन किया|

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