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प्लेटो की रचनाएं / पुस्तकें/ The Books of Plato/ By Nirban P K Yadav Sir

     प्लेटो की रचनाएं-

    • प्लेटो के ग्रंथों की संख्या 36 या 38 के आसपास मानी जाती, लेकिन इसमें प्रमाणिक ग्रंथ केवल 28 हैं|

    • प्लेटो के सभी प्रमाणिक ग्रंथों का बर्नेट द्वारा संपादित यूनानी संस्करण का 2662 पृष्ठो में ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशन किया गया है|

    • प्लेटो के सभी ग्रंथ संवाद या वार्तालाप शैली में लिखे गये हैं|

    • प्लेटो ने संवाद शैली को ‘The Science Of Super Reality’ कहा है|

    • संवाद शैली में होने के कारण प्लेटो की रचनाओं को संवाद भी कहा गया है| 

    • प्लेटो की रचनाओं में अपोलोजी ऑफ सोक्रेट्स शामिल है|

    • प्लेटो की प्रमुख रचनाओं को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है


    1. प्रारंभिक जीवन की रचना- (1)  अपोलोजी  (2)  क्रीटो (3) लैचिस  (4) लाइसिस (5) चार्मीडिस

    (6) एंथेफ्रो (7) हिप्याज माइनर (8) हिप्याज मेजर (9) प्रोटोगोरस (10) जार्जियास  (11) इयोन


    1. बीच के जीवन की रचना- (1) मीनो (2) फेडो(फाइदो) (3)  रिपब्लिक (4) सिंपोजियम (5)  फेडरास (6) यूथीडीमस (7) मिनिएक्शनस  (8) क्रेटीलस 


    1. अंत की रचना- (1) पारमिनिडेस (2) सोफिस्ट (3) स्टेटसमैन (4) टाइमयस (5) थेटीरस (6) क्रिटियास (7) फ़ैलेबस  (8) द लॉज 


    Note- स्टेट्समैन व लॉज सुकरात के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त है|

    • अपोलोजी व क्रीटो- ये सुकरात के जीवन-मृत्यु, सुकरात के विचारों से संबंधित है तथा इसमें व्यक्ति तथा राज्य के बीच संबंधों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार-विमर्श किया गया है|


    Note- अपोलोजी का हिंदी अर्थ क्षमा प्रार्थना है| अपोलोजी का गांधीजी द्वारा गुजराती भाषा में सत्यवान/सत्यवीर नाम से अनुवाद किया है| अपोलोजी सुकरात के मुकदमे का काल्पनिक और व्यंग्यात्मक वर्णन है|

    • क्रीटो- इसमें राजनीतिक जिम्मेदारी और अधिकार के प्रश्न पर विचार किया गया है| 

    • एंथेफ्रो- इसमें देवी पवित्रता की सेवा को पवित्र कार्य माना गया है, जो आत्मा को ऊपर ले जाती है|

    • प्रोटोगोरस- इसमें सुकरात के विपरीत सोफिस्ट प्रोटोगोरस के विचार प्रस्तुत किए हैं| लेसर तथा ग्रेटर हिप्याज में भी यही विषय जारी रखा गया|

    • सैवंथ लेटर (Seventh letter)- यह प्लेटो की आत्मकथा है|

    • चार्मीडीस तथा लैचिस- इन पुस्तकों का संबंध आत्म-नियंत्रण एवं साहस जैसे गुणों से है|

    • मीनो तथा प्रोटोगोरस- इनमें ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला गया है| मीनो में गुण की शिक्षा पर जोर दिया गया है|

    • मिनिएक्शनस- इसमें क्रेटिलस के स्वर्ण युग की आलोचना की गई है|

    • फ़ैलेबस- इसमें नैतिकता तथा स्वच्छ जीवन की विशेषताओं पर बल दिया गया है|

    • सिंपोजियम- यह प्रेम (इरोस) व सौंदर्य पर आधारित है| टेनियस अटलांटिक नामक काल्पनिक महादेश में जीवन की उत्पत्ति पर विचार किया गया| यहां ईश्वर को एक ऐसी बुद्धिमतापूर्ण और प्रभावशाली शक्ति माना गया, जो विश्व में व्यवस्था कायम करती है| 

    • जार्जियास- इसमें प्लेटो ने अपनी ही अंतरात्मा पर विश्वास करने पर बल दिया है|

    • फाइदो- इसमें सुकरात की मृत्यु का मार्मिक दृश्य है, साथ ही प्रत्यय का सिद्धांत, आत्मा व उसकी अनश्वरता की चर्चा है|

    • चारमीडीस/ चरमाइड्स- इसमें आत्मज्ञान का विचार है, अर्थात सुकरात के कथन- ‘अपने आप को जानो’ पर विचार किया गया है|

    • परमिनीडेस/ परामिनाइडिस- इनमें प्लेटो ने अपने सिद्धांत ‘Theory of idea’ का पुनर्मूल्यांकन किया है|


    Note- प्लेटो के राजशास्त्र से संबंधित विचारों का विवरण उनकी तीन कृतियों रिपब्लिक, स्टेट्समैन और लॉज में सुस्पष्ट मिलता है| इनके अलावा क्रीटो में भी राजनीतिक सिद्धांतो का वर्णन मिलता है|


    राज्यशास्त्र से संबंधित पुस्तकें- 

    1. रिपब्लिक-

    1. तीन आत्माएं व तीन वर्गों का सिद्धांत

    2. दार्शनिक राजा का शासन

    3. आदर्श राज्य

    4. परिवार व संपत्ति का साम्यवाद

    5. शिक्षा का सिद्धांत

    6. न्याय सिद्धांत 


    • रिपब्लिक नैतिकता, पराभौतिकी, दर्शन और राजनीति के क्षेत्रों में प्लेटो के विचारों का मिश्रण था|


    1. द स्टेट्समैन-

    • राज्यों का वर्गीकरण

    • प्लेटो ने स्टेट्समैन (राजमर्मज्ञ) की परिभाषा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की, जो बिना कानून के और बिना अपनी प्रजा की सहमति के शासन कर सकता था, क्योंकि वह जानता था कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है|

    • स्टेट्समैन को परंपराओं, रूढ़ियों तथा अलिखित दैवी नियमों का ज्ञान होता है, जिसके आधार पर वह शासन करता है|

    • लेकिन इसमें व्यक्तिगत तानाशाही के विपरीत कानून के शासन का पक्ष लिया गया| इसमें कहा गया कि जहां सार्वभौमिक कानून हो वहां एक या कुछ व्यक्तियों के निरंकुश शासन के बजाय सार्वभौम जनतंत्र बेहतर होता है|


    1. द लॉज-

    • इसमें मुख्य प्रवक्ता सुकरात नहीं है|

    • विधि के शासन का वर्णन 

    • नैश परिषद (नोक्टरल काउंसिल) का उल्लेख है|

    • यह प्लेटो की सबसे बड़ी रचना व अंतिम रचना थी|

    • इसके अनुसार मिश्रित सविधान सबसे अच्छा था, क्योंकि वह निरंकुशता और आजादी के चरम बिन्दुओ के बीच समन्वय स्थापित करता था| 


    Note- 

    • प्लेटो ने रिपब्लिक में शासक को गडरिये, जबकि स्टेट्समैन में शासक को चिकित्सक, नाविक, बुनकर की संज्ञा दी है|

    • रिपब्लिक में राज्य का शासन दार्शनिक राजा करता है, स्टेट्समैन में एक मिश्रित राज्य है जो राजमर्मज्ञों द्वारा चलाया जाता है, लाज में एक वास्तविक राज्य है जो नियमों और कानूनों द्वारा चलाया जाता है| 

    • रिपब्लिक के अनुसार दार्शनिक शासन में बुद्धि, साहस, संयम व न्याय के सदगुण है, स्टेट्समैन के अनुसार शासक को प्रथाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजो तथा अलिखित दैवी नियमों का ज्ञान है, लॉज़ के अनुसार शासक को लिखित नियमों व कानुनों का ज्ञान है|


    Note- Republic को सामान्यतः यूटोपियन (काल्पनिक) पुस्तक कहा जाता है| 


    ये तीनों पुस्तक रिपब्लिक पुस्तक से प्रभावित हैं-

    1. Utopia- थामस मुर 

    2. The city of son- फ्रातोमारसो कंपनेला 

    3. The New Atlantis- फ्रांसिस बेकन 


    • भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने रिपब्लिक का रियासत के नाम से उर्दू में अनुवाद किया है|



    प्लेटो की पुस्तकों के पात्र-

    1. न्याय पर चर्चा करने वाले पात्र- सिफालस, पोलिमार्कस, थ्रेसिमेक्स, ग्लुकोन व एंडीमैटस

    2. आत्म ज्ञान को परिभाषित करने वाला पात्र- चारमाइड्स

    3. मित्रता के संबंध में चर्चा करने वाला पात्र- लाइसिस

    4. साहस का अर्थ बताने वाला पात्र - लिच्ज

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