प्लेटो की अध्ययन पद्धति या अध्ययन शैली
प्लेटो की निम्न अध्ययन पद्धतियां हैं-
संवाद/ वार्तालाप/ द्वंदात्मक पद्धति (Dialectical method)-
इस पद्धति में प्रश्नोत्तर, आपसी तर्क-वितर्क, द्वंद, संवाद के माध्यम से सत्य की खोज की जाती है| प्लेटो ने सुकरात के माध्यम से प्रश्नोत्तर करके सत्य की खोज की है|
इसी द्वंदात्मक पद्धति का बाद में हीगल तथा कार्ल मार्क्स ने भी प्रयोग किया था|
प्लेटो ने इस शैली को अपने गुरु सुकरात से ग्रहण किया था|
प्लेटो ने द्वंदात्मक पद्धति का प्रयोग तीन उद्देश्यों से किया है-
सत्य की खोज हेतु
सत्य की अभिव्यक्ति व प्रचार हेतु
सत्य की परिभाषा हेतु
निगमनात्मक पद्धति (Deductive method)-
इस पद्धति को दार्शनिक पद्धति कहा जाता है| इस पद्धति में निष्कर्ष पहले ही निश्चित कर लिए जाते हैं और फिर उन्हें विशिष्ट तथ्यों से जोड़ा जाता है|
इस पद्धति में सामान्य से विशिष्ट की ओर बढ़ा जाता है|
प्लेटो ने सुशासन के लिए कुछ सिद्धांतों को आधार रूप में स्वीकार किया और उनके आधार पर उसने रिपब्लिक में आदर्श राज्य का चित्रण किया है|
इसको रचनात्मक पद्धति भी कहते है, जिसमें नये विचारों की रचना होती है, जो बौद्धिक दृष्टि से सृजनात्मक है|
इसको मानकपरकवादी (Normative) पद्धति भी कहते हैं|
सादृश्यात्मक (Analogy method) व ऐतिहासिक पद्धति -
ऐतिहासिक पद्धति में अपने सिद्धांतों की पुष्टि ऐतिहासिक दृष्टांतो तथा पौराणिक कथाओं से की जाती है|
प्लेटो ने अपने सिद्धांतों की पुष्टि प्रकृति या कलाओं के दृष्टांतो से की है|
प्लेटो ने राजनीति को कला माना है|
सादृश्यता को साम्यानुमान, अनुरूपता (Analogy) पद्धति भी कहते हैं|
इसमें प्लेटो एक तत्व की दूसरे तत्व से समानता बताकर तर्क करता है|
जैसे-
रखवाली कार्य में कुत्ता-कुत्तिया में भेद नहीं होता तो शासन कार्य में स्त्री पुरुष भेद क्यों?
रिपब्लिक में वर्णित तीन वर्गों की साम्यता या तुलना निम्न प्रकार से की है-
उत्पादक वर्ग की साम्यता मानव पशु व तांबा से की है|
सैन्य वर्ग की साम्यता प्रहरी कुत्ता (Watchdog) व चांदी से की है|
दार्शनिक शासक की साम्यता गडरिया (Shepherd) व स्वर्ण से की है|
Note- जहां रिपब्लिक में निगमनात्मक पद्धति व साम्यानुमान पद्धति का ज्यादा प्रयोग है, वही स्टेट्समैन व लॉज में ऐतिहासिक पद्धति का|
कल्पनावादी दार्शनिक पद्धति-
प्लेटो की अध्ययन पद्धति को कल्पनावादी दार्शनिक पद्धति भी कहा जाता है|
पाश्चात्य दार्शनिकों के कल्पनावादियों में प्लेटो का स्थान प्रथम व सर्वोच्च है|
सोद्देश्यात्मक व विश्लेषणात्मक पद्धति (Teleology method)-
इसको कार्यकारण पद्धति भी कहते हैं|
प्लेटो का Theory of ideas या Theory of forms (विचारों/ आकार/ प्रत्ययों का सिद्धांत) सोद्देश्यात्मक पद्धति पर आधारित है|
नैटलशिप “प्लेटो की पद्धति को न तो आगमनात्मक पद्धति और न निगमनात्मक पद्धति कहा जा सकता है, यह तो एक प्रकार की रचनात्मक पद्धति है| इसमें सिद्धांत का निर्माण और उसका व्यवहार में प्रयोग साथ-साथ चलता है|”
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