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प्लेटो पर प्रभाव/plato par prabhav/ Influence on Plato By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

 प्लेटो पर प्रभाव

  • प्लेटो पर सुकरात, पाइथागोरस, हेराक्लिट्स, पैरामिनाइडस का प्रभाव पड़ा है|

  • सुकरात का प्रभाव प्लेटों पर सर्वाधिक पड़ा है| प्लेटो के सभी संवादों में सुकरात नायक है (केवल लॉज को छोड़कर)

  • इसलिए मैक्सी ने लिखा है कि “प्लेटो के दिल और दिमाग ने अपने शिक्षक के विचारों और भावों को पूर्ण रूप से आत्मसात किया है|”


  • सुकरात का प्रभाव

  • सुकरात के प्रभाव से ही प्लेटो ने विश्व की आर्थिक व्याख्या के बजाय टेलियोलॉजिकल (सोद्देश्यात्मक) व्याख्या की है, और राजनीतिक प्रक्रियाओं को नैतिक सीमाओं के अंदर रखा है|


  • सुकरात का निम्न प्रभाव है-

  1. सद्गुण ही ज्ञान है (Virtue is Knowledge)-

  • सुकरात सद्गुण और ज्ञान को अभिन्न मानता है| उसी प्रकार प्लेटो की रिपब्लिक का केंद्रीय विचार भी यह है कि “सद्गुण ही ज्ञान है|” अर्थात सत्य अर्थात सद्गुण को ज्ञान द्वारा प्राप्त किया जा सकता है|

  • “सद्गुण ही ज्ञान है और अप्रशिक्षित जीवन जीने लायक नहीं है” सुकरात के इस विचार को स्वीकार करते हुए प्लेटो ने तर्क दिया कि “गलत कार्यों की जड़े अज्ञानता में है, जबकि ज्ञान सही कार्य और खुशी की ओर ले जाता है|”


  1. सद्गुण का स्वरूप

  • सद्गुण के स्वरूप के संबंध में भी प्लेटो सुकरात से प्रभावित था| सद्गुण के लिए यूनानी शब्द अरैती (Arete) है, जिसका हिंदी में अर्थ है- ‘उत्कृष्टता’

  • सुकरात की तरह प्लेटो भी मानता है कि प्रत्येक वस्तु का सदगुण, वह गुण है, जिसके लिए उसका जन्म हुआ है| जैसे- चाकू का सद्गुण काटना है, शासक का सद्गुण शासन करना है|


  • प्लेटो के अनुसार सद्गुणी व्यक्ति के 4 गुण होने चाहिए-

  1. विवेक  (2) साहस (3) संयम (4) न्याय

  • यह चारों सद्गुण संयुक्त रूप से मानवीय सदगुण अथवा उत्कृष्टता (Goodness) का निर्माण करते हैं


  1. शासन (राजनीति) एक कला है-

  • सुकरात से प्रभावित होकर प्लेटो ने शासन संचालन को डॉक्टरी, नौ-चालन की भांति एक कला माना है|

  • प्लेटो के अनुसार जनता बीमार रोगी के समान होती है, शासक एक डॉक्टर के समान होता है| जिस प्रकार डॉक्टर को मरीज ठीक करने के लिए कड़वी दवाइयां देनी पड़ती हैं ठीक उसी तरह आवश्यकता पढ़ने पर शासक को भी कठोर एवं निर्दयतापूर्ण कदम उठाने पड़ते हैं| 


  1. सुकरात के दर्शन के आधार पर बिंदु-

  • सद्गुण ही ज्ञान है, अच्छाई का अर्थ विवेक है, शासन एक कला है, सभी राजनीतिज्ञों में शासन करने की क्षमता नहीं होती, पूर्ण शिक्षित ज्ञानी और गुणी व्यक्ति ही शासन तंत्र का सफल संचालन कर सकता है| प्लेटो ने सुकरात के इन सभी दार्शनिक सिद्धांतों को अपने चिंतन का आधार बनाया|


  1. प्लेटो की दार्शनिक पद्धति का आधार सुकरात का सत्ता सिद्धांत-

  • सुकरात के सत्ता सिद्धांत का अर्थ है कि यथार्थता (Reality) वस्तुओं के विचारों में निहित होती है, यथार्थाता पूर्ण स्थायी एवं अपरिवर्तनशील सत्ता है, जो इंद्रियों के अनुभव से प्राप्त होती है| प्लेटो ने इस विचार को अपने राजनीतिक चिंतन का केंद्र माना है|


  • बर्नेट “प्लेटो का दर्शन सुकरात के ज्ञान के जीवाणुओं का वह विकल्प है, जो प्लेटोनिक निष्कर्षों के रूप में रिपब्लिक में उद्भूत हुआ है|”

  • बार्कर “प्लेटो ने अपने सिद्धांतों का बीज सुकरात से ग्रहण किया है तथापि प्लेटो के सिद्धांत में उन बीजों का अंकुरण विभिन्न रूपों में हुआ है|” 

  • बार्कर “प्लेटो की रिपब्लिक सुकरात की मान्यताओं से तो आरंभ होती है, लेकिन उसकी समाप्ति प्लेटो के निष्कर्ष से होती है|”


  • पाइथागोरस का प्रभाव

  • प्लेटो ने पाइथागोरस से निम्न ग्रहण किया है-

  1. तीन वर्गों का सिद्धांत प्लेटो ने पाइथागोरस से ग्रहण किया है| पाइथागोरस ने राज्य में 3 वर्ग बताए है- बुद्धि प्रेमी, सम्मान प्रेमी, धन प्रेमी|

  2. दार्शनिक शासक का विचार

  3. पारलौकिक विश्व में विश्वास

  4. आत्मा की अमरता का सिद्धांत

  5. तर्क/ विवेकता का विचार

  6. गणित का महत्व

  7. स्त्री-पुरुष समानता का विचार

  8. आदर्श राज्य का विचार- पाइथागोरस ने एक सभा की स्थापना की थी, जिसके सदस्य विशेष धर्म और व्यवहार के नैतिक मानदंड से संबंधित थे| वास्तव में रिपब्लिक में प्लेटो का आदर्श राज्य इसी समाज के अनुरूप था| 


  • हेराक्लिट्स व पैरामिनाइडस-

  • प्लेटो के ‘Theory of Ideas’ (प्रत्ययो का सिद्धांत) पर इन दोनों का प्रभाव है|

  • हेराक्लिट्स से प्लेटो ने ग्रहण किया कि इंद्रियों को प्रभावित करने वाले इस विश्व में कुछ भी स्थाई नहीं है| वस्तुएं लगातार बदलती रहती हैं और नए रूप तथा आकर-प्रकार ग्रहण करती रहती है|

  • पैरामिनाइडस के अनुसार कुछ भी परिवर्तनशील नहीं था| पैरामिनाइडस ने इंद्रियों को प्रभावित करने वाली वस्तुओं के विचार को भ्रम बताया अर्थात इनका अस्तित्व ही नहीं था|

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