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प्लेटो का प्रत्यय/ आकार का सिद्धांत/ Plato ka pratyay/ aakar ka siddhant (Theory of ideas/ Form or Doctrine of Idea/ form) By Nirban P K Sir In Hindi

     प्लेटो का प्रत्यय/ आकार का सिद्धांत (Theory of ideas/ Form or Doctrine of Idea/ form)

    • प्लेटो के दर्शन का आधार उसका प्रत्यय/ विचार/ आकार का सिद्धांत है|

    • इस सिद्धांत को समझाने के लिए प्लेटो गुफा का रूपक या गुफा का दृष्टांत नामक मनगढ़त कथा का उपयोग करता है|

    • गुफा का रूपक का उल्लेख प्लेटो की रिपब्लिक पुस्तक में मिलता है|

    • इस रूपक कथा में सुकरात, प्लेटो के भाई ग्लॉकान को आत्मज्ञान के बारे में समझाता है|


    रूपक कथा- सुकरात ग्लॉकान से कहता है कि एक ऐसी गुफा की कल्पना करो, जो भूमि के अंदर बनी हो, जिसके द्वार से प्रकाश अंदर जाता हो| बचपन से ही इसमें कुछ मनुष्य को बेड़ियों से कैद कर दिया जाये, जो हिल-ढुल ना सके केवल सामने की दीवार ही देख सके| उन मनुष्यों की पीठ की तरफ गुफा का दरवाजा हो तथा दरवाजे पर एक रास्ता है जहां से विभिन्न मनुष्य, पशु आदि गुजरते हैं| जैसे ही मनुष्य या पशु रास्ते से गुजरता है तो बाहर के प्रकाश की वजह से उसकी परछाई दीवार पर बनती है|

    इस कथा से निम्न तथ्य स्पष्ट होते हैं-

    1. भीतरी आंखें (Inward Eyes)-

    • गुफा में कैद मनुष्य ने आज तक सिर्फ परछाई ही देखी है, अतः वे परछाइयों को ही सत्य मान लेते हैं|

    • लेकिन इनमें से किसी मनुष्य को मुक्त कर बाहर लाया जाए तो उसको वास्तविक सत्य का ज्ञान होता है और वह अब परछाई को नहीं वास्तविक वस्तुओं को देख रहा है|

    • अर्थात अब उसकी भीतरी आंखें खुल गयी हैं, उसको वास्तविक सत्य का ज्ञान हो गया है|


    1. आत्मा में परिवर्तन-

    • भीतरी आंखें खुलने से उस मुक्त मानव की आत्मा में परिवर्तन आ गया है| अब उसकी आत्मा प्रकाशवान हो गई है|

    • प्लेटो के लिए ज्ञान एक कल्पना का प्रतिनिधित्व करता है, जो दिखावे के विश्व से वास्तविक विश्व की ओर हमें ले जाता है| इस प्रक्रिया को ‘आत्मा का परिवर्तन’ बताया गया है|


    1. प्रतिच्छाया-

    • प्रत्येक मनुष्य उस बंदीग्रह (गुफा) के मनुष्य के समान है, जो नाशवान भौतिक जगत को सत्य मान बैठे है, इंद्रिय सुख को सर्वोच्च समझ रहे है| जबकि आत्मज्ञानी व सद्गुणी व्यक्ति के लिए इंद्रिय/ भौतिक जगत प्रतिच्छाया मात्र है| 


    • प्लेटो ने जगत के दो प्रकार बताए है

    1. विचार/ आकार/ प्रत्यय जगत/ बौद्धिक विश्व (Ideas/Form)- भारतीय दर्शन में इसे आत्मा कहते है| 

    2. भौतिक/ इंद्रिय जगत/ संवेदनाओ का विश्व 


    • प्लेटो के अनुसार भौतिक जगत, प्रत्ययो (ideas) की प्रतिच्छाया है| भौतिक जगत नाशवान है, जबकि प्रत्यय/ विचार का कभी नाश (समाप्त) नहीं होता है|

    • जब मनुष्य की भीतरी आंखें खुलेगी उसको वास्तविक ज्ञान प्राप्त होगा तो उसको भौतिक जगत झूठा व अस्थायी लगेगा| 

    • टीमियास ग्रंथ में प्लेटो बताते हैं कि संवेदनाओ के विश्व का निर्माण एक रचनाकार डेजी अर्ज करता है, जो विचारों की दुनिया और पदार्थ को साथ लाता है| 


    1. विभाजित रेखा-

    • भौतिक जगत व प्रत्यय जगत को अलग-अलग पहचानना|

    • ज्ञानी व सद्गुणी व्यक्ति भौतिक जगत व प्रत्यय जगत को अलग-अलग पहचान सकता है, उनके मध्य विभाजन रेखा खींच सकता है|

    1. सद्गुण ही ज्ञान है-

    • इस सिद्धांत का आधार “सदगुण ही ज्ञान है|”


    • गुफा के रूपक का सार यह है कि उत्पादक वर्ग गुफा में कैद मानव है, अतः शासन का कार्यभार ज्ञानवान दार्शनिक को संभालना चाहिए| अगर अज्ञानी व असद्गुणी मनुष्यों को सत्ता सौंप दी जाये तो वे सत्ता संघर्ष में पागल हो जाएंगे|

    • सुकरात ग्लाकॉन से कहता है कि “जिस राज्य में शासक, शासन करने को सर्वथा अनिच्छुक हो, वहां का शासन सदैव सर्वोत्तम होता है तथा जिस राज्य में शासक अत्यंत सत्तालोलुप होते है, वहां का शासन सबसे निकृष्ट होता है|”

    • हैडिगार के अनुसार “गुफा के प्रतीक के सहारे प्लेटो शिक्षा के सार और अस्तित्व के अर्थ को प्रस्तुत करते हैं|” 

    • प्लेटो ने अपने इस दर्शन द्वारा ग्रीक (यूनानी) दर्शन को चरम पर पहुंचा दिया, अतः उसे पूर्ण ग्रीक (Complete greek) कहा जाता है|


    • Note- प्लेटो ज्ञानार्जन के निम्न तरीके बताता है-

    1. मस्तिष्क के कार्य

    2. केव (गुफा) का उदाहरण

    3. विभाजन रेखा का उदाहरण

    4. रूपों या विचारों का सिद्धांत


    प्रत्यय सिद्धांत में सेब का दृष्टांत-

    • सेब कई प्रकार के होते है, सभी का विकास और क्षय विभिन्न रूपों में होता है|

    • लेकिन प्लेटो एक आदर्श सेब के कारकों को परिभाषित करता है और इन कारकों को प्लेटो ने सेब का वास्तविक रूप (Apple- ness) कहा है|

    • हम जिन सेबो को जानते है वह असली रूप की नकल है, इसलिए अपूर्ण और परिवर्तनशील है| इसलिए भौतिक दुनिया में आदर्श सेब जैसी कोई चीज नहीं है| आदर्श सेब तो विचार/ प्रत्यय जगत में है|

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