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प्लेटो की महानतम रचना- रिपब्लिक / Plato ki mahantam rachana republic/ Plato's greatest work - The Republic By Nirban P K Yadav Sir In Hindi

     प्लेटो की महानतम रचना- रिपब्लिक

    • रिपब्लिक प्लेटो की सभी रचनाओं में महानतम व सर्वश्रेष्ठ कृति है|

    • रिपब्लिक की रचना प्लेटो ने 40 वर्ष की अवस्था में अपने विचार परिपक्व व प्रोढ़ होने पर की थी| 

    • आकार की दृष्टि से रिपब्लिक प्लेटो के सभी ग्रंथों में दूसरा सबसे बड़ा ग्रंथ है, जबकि सबसे बड़ा ग्रंथ द लॉज है|

    • प्लेटो ने Republic को यूनानी भाषा में Politea (मूल नाम) नाम दिया था, जिसका तात्पर्य है राज्य की शासन व्यवस्था एवं सविधान|

    • रिपब्लिक का हिंदी पर्याय गणराज्य होता है| लेकिन यहा ध्यान देने की यह बात है कि Republic में राज्य की आदर्श व्यवस्था का उल्लेख है न कि उसके लैटिन नाम रिपब्लिक से सूचित होने वाले गणराज्यों की व्यवस्था का|

    • प्लेटो का यह ग्रंथ विचारों की विविधता एवं संवाद शैली की दृष्टि से अनुपम कृति है, इसमें प्लेटो की नाटकीय शैली, कवित्व और कल्पना की उड़ान का अपूर्व रूप देखने को मिलता है|

    • रिपब्लिक का उपशीर्षक ‘कनसर्निंग ऑफ जस्टिस’ या न्याय प्रबंध है|

    • इसमें राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अध्यात्मिक, शैक्षणिक आदि समस्याओं की विवेचना की गई है|

    • Republic पुस्तक में प्लेटो के ‘न्याय सिद्धांत’, ‘शिक्षा सिद्धांत’, ‘साम्यवाद सिद्धांत’, ‘आदर्श राज्य’, ‘दार्शनिक शासक’, ‘राज्यों के उत्थान व पतन की चक्रात्मक व्याख्या’, ‘मानव के कर्मानुसार सामाजिक व राजनीतिक स्थिति का’, इतिहास के दर्शन का वर्णन है|

    • रिपब्लिक का केंद्रीय विषय न्याय व अच्छे मनुष्य और अच्छे जीवन की समस्याओं पर विचार करना है|


    • विल डयूरैन्ट/दुरांतो “इस ग्रंथ में प्लेटो ने आध्यात्मिक शास्त्र, धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र, राजनीति शास्त्र और कला आदि सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है|”

    • बेंजामिन जावेट “प्लेटो का समस्त चिंतन और रचनाएं रिपब्लिक के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं|” 

    • सेबाइन “रिपब्लिक का वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है| यह किसी एक प्रकार का शोध प्रबंध नहीं है और न ही यह राजनीति, नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र या मनोविज्ञान इसमें से किसी एक का अंग है| इसमें सब कुछ है, इसमें कला, शिक्षा और दर्शन को भी स्थान दिया गया है| Republic की विषय वस्तु इतनी व्यापक है कि वह संपूर्ण मानव जीवन पर विचार करती है|”

    • बार्कर- बार्कर रिपब्लिक को व्यक्ति के समग्र जीवन का दर्शन कहते हैं|

    • बेंजामिन जावेट “प्लेटो समाज के यथार्थ रूप की समीक्षा करता है तथा उसकी रचना का आधार गहरी व्यावहारिक सूझ-बूझ है|”

    • बार्कर “यह कहना आसान है कि रिपब्लिक काल्पनिक है, बादलों में एक नगर है, सूर्यास्त के दृश्य के समान है, जो सांय एक घंटे के लिए रहता है तथा तत्पश्चात अंधकार में विलीन हो जाता है| परंतु रिपब्लिक कहीं का कोई नगर नहीं है, यह यथार्थ परिस्थितियों पर आधारित है, यह वास्तविक जीवन को मोड़ने या कम से कम उसे प्रभावित करने के लिए है|”

    • रूसो “रिपब्लिक राजनीति शास्त्र का ग्रंथ न होकर शिक्षा शास्त्र पर लिखा गया एक सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है|”

    • हजरत महल “सब पुस्तकालय जला दो, क्योंकि इसमें सबका ज्ञान आ गया है|”


    • रिपब्लिक में कुल 10 अध्याय या 10 बुक हैं, जिनको विषय-वस्तु की दृष्टि से 5 खंडों में विभाजित किया जा सकता है-

    1. Book- 1 - इसमें मानव जीवन, न्याय की प्रकृति, नैतिकता के अर्थ समझाएं गए हैं|

    2. Book- 2 से 4- इसमें ‘राज्य के संगठन, शिक्षा पद्धति, आदर्श मानव समाज की रूपरेखा, मानव स्वभाव के तीन तत्वों तथा मानव समाज के तीनों वर्गों का समाज में स्थान’ का वर्णन है|

    3. Book- 5 से 7- इस भाग का मुख्य विषय दर्शन है|

    4. Book- 8 से 9- इसमें मनुष्यों तथा राज्य के विकृत हो जाने पर जो अव्यवस्था उत्पन्न होती है, उस पर विचार व्यक्त किए गए हैं|

    5. Book- 10- इसके दो भाग हैं

    1. एक में दर्शन से कला का संबंध बताया है|

    2. दूसरे भाग में आत्मा की क्षमता पर विचार-विमर्श मिलता है|


    रिपब्लिक की रचना के उद्देश्य-

    • प्लेटो के द्वारा रिपब्लिक की रचना करने के निम्न उद्देश्य हैं-


    1. सोफिस्ट विचारको द्वारा प्रतिपादित आत्मतृप्ति के सिद्धांत को गलत और झूठा सिद्ध करना-

    • जिसे भ्रष्टाचारी राजतंत्र व जनतंत्र दोनों प्रकार के राज्यों ने अपना लिया था|

    • प्लेटो ने इस निरकुंश व्यक्तिवाद का विरोध किया तथा उसके स्थान पर राज्य के जैविक रूप का प्रतिपादन किया| 

    • प्लेटो एक ऐसा राज्य स्थापित करना चाहते थे जहां अमीर, गरीब का व गरीब, अमीर का शोषण ना कर सके| 

    • जैसा कि बार्कर ने लिखा है कि “प्लेटो के राजदर्शन का लक्ष्य एक ऐसे सुदृढ़ और निष्पक्ष शासन की स्थापना करना था जिसमें न अमीर, गरीब पर और न गरीब, अमीर पर शासन कर सके, वरन जो दोनों के ऊपर हो या कम से कम जिसमें दोनों संयुक्त रूप से भागीदार हो|”

    • राज्य के जैविक रूप का अर्थ है कि व्यक्ति राज्य में रहकर ही विकास कर सकता है, राज्य और व्यक्ति में कोई अंतर्विरोध नहीं है, राज्य और व्यक्ति में वही संबंध होता है जैसा कि शरीर के अंगो का शरीर के साथ|


    1. हिंसात्मक व्यक्तिवादी प्रवृत्ति तथा अज्ञान से उद्भूत ग्रहवाद का विरोध करना-

    • जिसके द्वारा धनिकतंत्र में अमीर तथा जनतंत्र में गरीब अन्य वर्गों का शोषण कर रहा था|


    1. तत्कालीन ग्रीक (यूनान) में प्रचलित लॉटरी द्वारा नियुक्ति की व्यवस्था का उन्मूलन करना-

    • इस व्यवस्था में विभिन्न पदों पर नियुक्तियां लॉटरी के द्वारा की जाती थी तथा प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक पद के योग्य समझा जाता था| 

    • इस व्यवस्था के कारण एथेंस का जनतंत्र अयोग्य व्यक्तियों के हाथों की कठपुतली बन गया था| 

    • प्लेटो ने इस प्रकार के जनतंत्र को अयोग्य व मूर्खों का शासन कहा है| 

    • प्लेटो के अनुसार शासन एक कला है जिसके लिए योग्यता और प्रशिक्षण का होना अनिवार्य है, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार कार्य करता है| इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्लेटो ने रिपब्लिक में दो साधन बताएं हैं (1) विशेषीकरण  (2) एकीकरण


    1. विशेषीकरण- राज्य की जनसंख्या का योग्यता के आधार पर तीन वर्गों में विभाजन- (a) उत्पादक वर्ग  (b) सैनिक वर्ग  (c) शासक वर्ग

    2. एकीकरण- तीनों के कार्यों में समन्वय करना


    1. तत्कालीन यूनानी नगर राज्यों में विद्यमान कुशासन का अंत करना-

    • तत्कालीन यूनानी नगर-राज्यों में शासक वर्ग द्वारा शासन शक्ति का प्रयोग अपने स्वार्थ की पूर्ति में करने के कारण शासक व शासितो में निरंतर संघर्ष चलता रहता है, जिसे क्रॉसमैन ने वर्ग संघर्ष कहा है|


    • उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि रिपब्लिक तत्कालीन नगर-राज्यों में विद्यमान त्रुटियों को दूर करने के उद्देश्य से लिखी गयी थी|


    नैटलशिप “रिपब्लिक को एक दार्शनिक रचना नहीं मानना चाहिए, वरन इसे राजनीतिज्ञ तथा सामाजिक सुधार की एक पुस्तक समझना चाहिए|”
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