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अरस्तु की अध्ययन पद्धति/ Arstu ki adhyayn paddhati/ Aristotle's method of study || By Nirban PK Yadav Sir || in hindi

 अरस्तु की अध्ययन पद्धति-

  • अरस्तु ने निम्न अध्यन पद्धतियों का प्रयोग किया है-

  1. आगमनात्मक अध्ययन पद्धति

  • यह विशिष्ट से सामान्य की ओर चलने वाली अध्यन पद्धति है| इसको उदगमनात्मक अध्ययन पद्धति भी कहते हैं| यह वैज्ञानिक अध्ययन पद्धति है|


  1. ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति- 

  • किसी भी क्रांति के कारणों की जांच हेतु अरस्तु ने इतिहास का सहारा लिया है| 

  • राजनीतिक चिंतन में ऐतिहासिकता का सहारा संभवत सर्वप्रथम अरस्तु ने लिया है, इस कारण अरस्तु को ऐतिहासिक विधि का जनक भी कहा जाता है|


  1. तुलनात्मक अध्ययन पद्धति

  • अरस्तु ने 158 संविधानो का तुलनात्मक अध्ययन किया है|


  1. सौद्देश्यात्मक व सादृश्यात्मक अध्ययन पद्धति-

  • सौद्देश्यात्मक अध्ययन पद्धति में यह माना जाता है कि प्रत्येक वस्तु अथवा विषय का अपना उद्देश्य होता है|   

  • सादृश्यात्मक अध्ययन पद्धति के अंतर्गत अरस्तु ने अपने विचारों के समर्थन में प्राणी जगत तथा चिकित्सा शास्त्र से सादृश्य प्रस्तुत किए हैं|


  1. वैज्ञानिक अध्ययन पद्धति-   

  • मैक्सी के शब्दों में “अरस्तु के पॉलिटिक्स ग्रंथ का एक महानतम गुण यह है, कि इसकी रचना में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाया है|”


  1. विश्लेषणात्मक अध्ययन पद्धति- 

  • इस पद्धति के अंतर्गत वस्तु के निर्माणकारी तत्वों का अध्ययन करके उस वस्तु का अध्ययन किया जाता है|  

  • अरस्तु राज्य को एक पूर्ण वस्तु मानकर उसके निर्माणकारी तत्वों जैसे- ग्रामों, परिवारों, नागरिकों का अध्ययन करता है|


  1. अनुभवमुलक अध्ययन पद्धति- 

  • ज्ञान प्राप्त करने का वह तरीका जिसमें ज्ञानेंद्रियों के अनुभव के आधार पर कोई निष्कर्ष निकाला जाता है|

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