अरस्तु की रचना पॉलिटिक्स (The Politics)
अरस्तु की सभी रचनाओं में पॉलिटिक्स उसकी सर्वश्रेष्ठ एवं महत्वपूर्ण रचना है| इसमें पहली बार राजनीति को एक वैज्ञानिक रूप दिया गया है|
पॉलिटिक्स का मुख्य विषय नगर राज्य (Polis) है|
जहां प्लेटों राजनीति और नैतिकता में कोई भेद नहीं समझता था, वहीं इस ग्रंथ में अरस्तु ने राजनीति को नैतिकता से व दर्शनशास्त्र से पृथक किया है| प्रोफेसर बार्कर ने पॉलिटिक्स को राजनीति के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ रचना कहा है|
जेलर “अरस्तु की पॉलिटिक्स प्राचीन काल में विरासत में प्राप्त होने वाली एक सर्वाधिक मूल्यवान निधि है और राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में प्राप्त होने वाला महानतम योगदान है|”
फॉस्टर “यदि यूनानी राजनीतिक दर्शन का सर्वोत्कृष्ट प्रतिनिधित्व करने वाला कोई ग्रंथ हो सकता है तो वह पॉलिटिक्स है|”
टेलर “पॉलिटिक्स के अतिरिक्त अरस्तु का कोई दूसरा ग्रंथ एक बहुमुखी विषय की विवेचना में इतना साधारण कोटि का नहीं रहा है तथा सत्य यह है कि सामाजिक विषयों में उसकी अभिरुचि तीक्षण नहीं थी|”
बार्कर ने पॉलिटिक्स को राजनीतिक चिंतन के क्षेत्र में महान कार्य की संज्ञा दी है|
कार्ल पॉपर “अरस्तु की पॉलिटिक्स में प्लेटोवादी कुलीन तंत्र, संतुलित सामंतवाद व जनतांत्रिक विचार है, लेकिन जैव व्यक्तिवाद नहीं है|”
प्रोफेसर बाउल “पॉलिटिक्स सर्वाधिक प्रभावशाली और महान ग्रंथ है तथा इसका गंभीर अध्ययन अपेक्षित है|”
मैकलवेन “पॉलिटिक्स अत्यंत महत्वपूर्ण भी नहीं है तो भी राजनीति दर्शन के शास्त्रीय ग्रंथों में अत्यंत हैरानी पैदा करने वाला ग्रंथ तो है ही|”
केनी “पॉलिटिक्स एक पिछड़ी हुयी बेमेल रचना है|”
मेकलवेन ने पॉलिटिक्स को भ्रमपूर्ण कृति कहा है|
पॉलिटिक्स में कुल 8 पुस्तकें है, जिन्हें विषय की दृष्टि से बार्कर के अनुसार तीन वर्गों में बांटा जा सकता है-
प्रथम वर्ग- पहली, दूसरी और तीसरी पुस्तके प्रथम वर्ग में आती है|
प्रथम पुस्तक- राज्य की प्रकृति, राज्य के उद्गम और आंतरिक संगठन तथा दास प्रथा का वर्णन|
दूसरी पुस्तक- प्लेटो द्वारा प्रतिपादित आदर्श राज्य एवं स्पार्टा, क्रिट, कार्थेज आदि तत्कालीन राज्यों की समीक्षा|
तीसरी पुस्तक- राज्यों का वर्गीकरण, नागरिकता व न्याय के स्वरूप का विवेचन|
दूसरा वर्ग- चौथी, पांचवी, छठी पुस्तकें
चौथी पुस्तक- विभिन्न प्रकार की वास्तविक शासन प्रणालियों का वर्णन|
पांचवी पुस्तक- विभिन्न शासन प्रणाली में होने वाले वैधानिक परिवर्तनों और क्रांति के कारणों का प्रतिपादन
छठी पुस्तक- लोकतंत्र और अल्पतंत्रों को सुस्थिर बनाए जाने वाले उपायों का वर्णन (क्रांति रोकने के उपाय)|
तीसरा वर्ग- सातवीं और आठवीं पुस्तकें
सातवीं व आठवीं पुस्तक- इन पुस्तकों में आदर्श राज्य (Polity) और उसके सिद्धांतों का विवेचन है|
सामूहिक निर्णय बुद्धि का सिद्धांत-
पॉलिटिक्स में अरस्तु ने सर्वोच्च सत्ता को जनता के हाथों में मानकर सामूहिक निर्णय बुद्धि का सिद्धांत दिया है|
अरस्तु “समिति अपने सबसे बुद्धिमान सदस्य से भी बुद्धिमान होती है|”
अरस्तु कहता है कि जनता की सामूहिक बुद्धि सबसे बुद्धिमान शासक से भी बेहतर होती है|
Note- लेकिन अरस्तू ने निकोमैक्स एथिक्स पुस्तक में बुजुर्गों व बुद्धिमानों के विचारों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना है|
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