ज्ञान की तीन श्रेणियां-
अरस्तु ने ज्ञान व मानव गतिविधियों की तीन श्रेणियां बताई हैं-
सैद्धांतिक ज्ञान (Theoria/ Thinking)-
इसमें सिद्धांत निर्माण आता है, इसमें साध्य के बारे में सोचा जाता है तथा तर्क के आधार पर अंतिम सत्य का पता किया जाता है|
धर्मशास्त्र (Theology), गणित व भौतिक विज्ञान विषय सैद्धांतिक ज्ञान में सम्मिलित हैं|
अरस्तु इसे प्रथम दर्शन (First Philosophy) कहता है|
उत्पादक ज्ञान (Poiesis/ Making)-
इसमें ज्ञान का निर्माण किया जाता है| अलंकारशास्त्र व साहित्य का ज्ञान इसमें होता है|
अलंकार शास्त्र में वाक् कला, भाषण कला व तर्क कला का अध्ययन किया जाता है|
एक अच्छा वक्ता में अपने श्रोताओं को प्रभावित करने के लिए तीन अलग-अलग क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए, जो निम्न है-
Logos- श्रोताओं से तार्किक अपील
Ethos- वक्ता की विश्वसनीयता
Pathos- श्रोताओं से भावनात्मक अपील
इन तीनों को अलंकारिक त्रिकोण (Rhetorical Triangle) कहा जाता है|
व्यवहारिक ज्ञान (Praxis/ Doing)-
इसमें सिद्धांत या साध्य को व्यवहार में ढाला जाता है| इसमें नीति शास्त्र व राजनीति विषय सम्मिलित है |
व्यवहारिक ज्ञान ही सर्वोच्च ज्ञान है
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