अरस्तु का मूल्यांकन-
अरस्तु प्रथम राजनीतिक वैज्ञानिक के रूप में-
एंड्रयू हैकर “यदि प्लेटो प्रथम दार्शनिक होने का दावा कर सकता है तो अरस्तु के प्रथम राजनीतिक वैज्ञानिक होने में बहुत ही कम संदेह है| पश्चिमी जगत में राजनीति विज्ञान अरस्तु से ही प्रारंभ हुआ है|”
डेनिंग “राजनीतिक अवधारणाओं के इतिहास में अरस्तु का विशेष महत्व इस तथ्य में निहित है कि उसने राजनीति को एक स्वतंत्र विज्ञान का चरित्र प्रदान किया है|”
मैक्सी ने अरस्तु को पाश्चात्य राजनीतिक चिंतन के इतिहास का पहला राजनीतिक वैज्ञानिक कहा है|”
राजनीति विज्ञान को अरस्तु की देन-
मनुष्य को राजनीतिक प्राणी बताने वाला प्रथम विचारक अरस्तु है|
राज्य की अंतिम समस्या व्यक्ति की स्वतंत्रता और राज्य की सत्ता में सामंजस्य स्थापित करना है, बताने वाला प्रथम विचारक है|
कानून की सर्वोच्चता, प्रभुता तथा विधि का शासन के सिद्धांत प्रतिपादन किया|
जनमत को विद्वानों और विशेषज्ञों की राय से अधिक महत्व दिया|
अरस्तु का मध्यम मार्ग का विचार वर्तमान राजनीतिक नियंत्रण एवं संतुलन के विचार का जनक है, केटलिन “कन्फ्यूसियस के बाद सामान्य ज्ञान और मध्यम मार्ग का सर्वोच्च सुधारक अरस्तु ही है|” केटलिन ने अरस्तु को मध्यमवर्गीय सामान्य ज्ञान का दार्शनिक कहा है|
अरस्तु को ‘आधुनिक व्यक्तिवाद का जनक’ कहा जाता है|
शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत अरस्तु ने दिया तथा शासन के तीन अंग बताएं-
(A) सभा (B) प्रशासक (C) न्याय कर्ता
अरस्तु उपयोगितावादी विचारों का प्रेरक है| अरस्तु को उपयोगितावादियों का अग्रज माना जाता है|
राजनीति और अर्थशास्त्र के पारस्परिक संबंधों के आधार पर राजनीति में आर्थिक प्रभाव को बड़ा महत्व दिया|
अरस्तु के राजदर्शन में एक शाश्वत तत्व संविधानवाद हैं| बार्कर ने कहा है कि अरस्तु की देन को यदि एक शब्द में आंका जाए तो वह शब्द ‘संविधानवाद’ है|
अरस्तु का प्रभाव-
निम्न प्रभाव है-
पॉलीबियस का मिश्रित सरकार का सिद्धांत अरस्तु के ‘पॉलिटिक्स’ पर आधारित है|
दांते की मोनार्की पर अरस्तु के तर्कशास्त्र का प्रभाव है|
मनुष्य एक राजनीतिक प्राणी है, इस मंतव्य का प्रभाव एक्विनास और मार्सिलियो पर पड़ा है |
सेंट टॉमस एक्विनास अरस्तु को दार्शनिक कहता है और उसके संपूर्ण चिंतन पर अरस्तु का इतना अधिक प्रभाव है की टॉमस एक्विनास को ‘मध्य युग का अरस्तु’ अथवा ‘ईसाई अरस्तु’ कहा जाता है| मैक्सी ने अपनी रचना Political Philosophies मे मध्यकाल का अरस्तु कहा है|
आधुनिक युग के जीन बांदा, लॉक, रूसो, मांटेस्क्यू, बर्क, कार्ल मार्क्स आदि विचारको पर भी अरस्तु का प्रभाव पड़ा है|
अरस्तु से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
प्लेटो के अनुसार अकादमी के दो भाग थे- उसका धड विद्यार्थी थे व दिमाग अरस्तु
अरस्तु की शिक्षण संस्थान lyceum को lukeion (ल्यूकीओन) भी कहते हैं| यह विद्यालय भेड़ियों से पशुओं की रक्षा करने वाले देवता लीसीयस के मंदिर के उद्यान में स्थित था|
अरस्तु प्राय अपने शिष्यों के साथ उद्यान में घूमते हुए पढ़ाता था, अतः इसे भ्रमणशील दार्शनिक का विद्यालय भी कहा जाता है|
अरस्तु ने अपने मित्र एक्सनोक्रीटीज को लीसीयम का अध्यक्ष बनाया था|
रिटोरिक्स पुस्तक में अरस्तु ने दो प्रकार के कानून बताएं हैं- 1 विशिष्ट कानून 2 वैश्विक कानून|
अरस्तु के अनुसार संपत्ति अपने आप में एक आनंद देने वाली वस्तु है|
अरस्तु के अनुसार व्यक्ति जब कानून व न्याय की अवज्ञा करता है, तो सबसे बुरा पशु बन जाता है|
अरस्तु ने एथिक्स पुस्तक में मनुष्य को एक राजनीतिक प्राणी कहा है|
बर्लिन ने अपने लेख ‘Hedgehog and the Fox’ 1953 में प्लेटों को कांटेदार जंगली चूहा (Hedgehog) कहता है जो केवल एक बड़ी चीज जानता है जबकि अरस्तु को लोमड़ी की श्रेणी में रखता है जो बहुत कुछ जानता है|
डेनिंग के अनुसार प्लेटो कल्पनावादी एवं संश्लेषणवादी है, तथा अरस्तु तथ्यवादी व विश्लेषणवादी है|
अरस्तु के अनुसार कानून आवेगहीन (Dispassionate Reason) विवेक है|
अरस्तु के आदर्श राज्य पर प्लेटो के साथ-साथ अपने पूर्ववर्ती विचारको फेलियास ऑफ चेल्सीडॉम (Phaleas of chalcidom) एवं हिप्पोडेम्स ऑफ मिलटेस (hippodamus of miletus) के विचारों का भी प्रभाव रहा है|
पॉलिटिक्स का ग्रीक से हिंदी अनुवाद भोलानाथ शर्मा ने किया है|
अरस्तु की पॉलिटिक्स का 11 वीं सदी का फारसी अनुवाद जयपुर शहर संग्रहालय में उपलब्ध है|
Social Plugin