जीवन परिचय-
जन्म-
29 अगस्त 1632 ई.
इंग्लैंड के समरसेट के्रिंगटन नामक स्थान
प्यूरिटन संप्रदाय के एक मध्यम वर्गीय परिवार में
लॉक के पिता एक काउण्टी के जस्टिस ऑफ द पीस कार्यालय में एक क्लर्क थे|
लॉक जब 10 वर्ष का था, तब इंग्लैंड में गृह युद्ध छिड़ गया था| लॉक का जीवन तूफानों, संघर्षों में बीता था, लेकिन इसके दर्शन पर तूफानी प्रभाव नजर नहीं आता है|
प्रारंभिक शिक्षा इनकी घर पर हुई| ऑक्सफोर्ड से इन्होंने B.A तथा M.A की परीक्षाएं उत्तीर्ण की|
कुछ समय लॉक ऑक्सफोर्ड में प्राध्यापक भी रहे थे| लॉक की विज्ञान तथा चिकित्साशास्त्र में विशेष रूचि थी|
1660 के बाद ऑक्सफोर्ड के प्रसिद्ध चिकित्सक डेविड टॉमस से चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन प्रारंभ किया और शीघ्र ही लॉक एक कुशल डॉक्टर बन गया|
1666 में लॉक की मुलाकात व्हिग्स दल के संस्थापक लॉर्ड एश्ली से हुई, जो बाद में अर्ल ऑफ़ शेफ्टसबरी के नाम से जाने गए| 1667 में जॉन लॉक ने लॉर्ड एश्ली के निजी डॉक्टर तथा निजी सचिव के रूप में कार्य प्रारंभ किया|
लॉर्ड एश्ली (अर्ल ऑफ़ शेफ्टसबरी) संसद की ओर से राजा के विरुद्ध लड़ने वाली सेनाओं के फील्ड मार्शल, संसद के अधिकारों के समर्थक और उदारवाद के समर्थक थे|
1683 में जॉन लॉक राईहाउस षड्यंत्र से बचने के लिए होलेंड चले गए तथा 1685 में मोन माउथ विद्रोह में सक्रियता से हिस्सा लिया|
1688 की इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति का लॉक ने समर्थन किया, इसी कारण इसे ‘क्रांति का दार्शनिक’ कहा जाता है|
जॉन लॉक व्हिग्स थे|
विलियम ऑफ़ ऑरेंज के शासनकाल में जॉन लॉक को कमिश्नर ऑफ अपील का पद प्रदान किया गया|
72 वर्ष की आयु में 1704 ई.में लॉक की मृत्यु हो गई|
लॉक को ‘उदारवाद का पिता’ कहा जाता है|
वेपर “लॉक का एक महान परंपरा उदारवाद का पहला प्रवक्ता तथा महान परंपरा मध्यकाल का अंतिम प्रवक्ता है|”
लॉक को सामान्य बुद्धि (COMMON SENSE) का दार्शनिक माना जाता है|
वाल्टेयर “शायद इससे अधिक संत समान, अधिक व्यवस्थित, असाधारण व्यक्ति, अधिक सटीक, तर्कवादी नहीं था, जितना कि लॉक|
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