मैक्यावली की कमियां या आलोचना-
निम्न कमियां है-
मानव स्वभाव संबंधी धारणा एकांगी और संकीर्ण है|
मैक्यावली ने धर्म और नीतिशास्त्र के प्रति घोर उपेक्षा प्रदर्शित की है|
राज्य संबंधी विचार दोषपूर्ण है|
ऐतिहासिक पद्धति का गलत तरीके प्रयोग किया है| उसने इतिहास का उपयोग पूर्व कल्पित निष्कर्षों की पुष्टि में किया है, इसके प्रणयन में नहीं है|
मैकियावेली के राजनीति शास्त्र के नीतिशास्त्र से पृथक्करण का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर दुर्भाग्यपूर्ण पड़ा है|
20 वीं सदी में इसका विस्फोटक प्रभाव दो महायुद्ध के रूप में हुआ| हिटलर और मुसोलिनी ने मैक्यावली के ग्रंथों से प्रेरणा लेकर अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मानव जाति का संहार किया|
गेटेल के शब्दों में “मैक्यावली ने सार्वजनिक और निजी नैतिकता के बीच जो दीवार खड़ी कर दी है, वह व्यावहारिक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में आज तक कायम है|”
ऐतिहासिक विधि का प्रयोग करते समय वह वैज्ञानिक पद्धति का सही-सही निर्वाह नहीं कर पाया|
मैक्यावली ने प्रभुसत्ता की अवधारणा प्रस्तुत नहीं की उसने राष्ट्र-राज्य का विचार तो दिया लेकिन राज्य में सर्वोच्च कानूनी शक्ति की आवश्यकता की ओर ध्यान नहीं दिया|
मैक्यावली ने शासक को शक्तिशाली बनाने पर ही ध्यान दिया, किंतु शासक की शक्ति और चरित्र को संयत कैसे रखा जाए इसकी चिंता नहीं कि अर्थात उनके विचार में संविधानवाद का अभाव है|
मैक्यावली का उद्देश्य शासन कला का वर्णन करना था, राज्य के सिद्धांत का निरूपण करना नहीं|
फोस्टर (Master of Political Thought 1941) ने लिखा है कि “मैकियावेलीवाद का सार तत्व केवल यह है कि यह शक्ति के उपार्जन और रक्षा के लिए तकनीकी नियमों की प्रणाली प्रस्तुत करता है| यह जरूरी नहीं कि ऐसी नियमावली नैतिक प्रतिमान के विपरीत ही हो|”
हिटलर, मुसोलिनी के साथ-साथ चर्चिल भी मैकियावेली से प्रभावित थे| चर्चिल ने कहा था कि “सफल राजनीतिक वह है, जो पहले तो भविष्यवाणी कर सके फिर यह सिद्ध कर सके कि वैसा क्यों नहीं हुआ|” यह कथन मैक्यावली से प्रभावित है|
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