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हॉब्स का वैज्ञानिक या यांत्रिक भौतिकवाद/ Hobbes' Scientific or Mechanical Materialism/ By Nirban P K Yadav Sir || In Hindi

     हॉब्स का वैज्ञानिक या यांत्रिक भौतिकवाद-

    • हॉब्स को वैज्ञानिक या यांत्रिक भौतिकवाद का जनक माना जाता है| 

    • इसमें दो पद्धतियों का मिश्रण है-1 वैज्ञानिक   2 भौतिकवाद


    • वैज्ञानिक- वैज्ञानिक शब्द का अर्थ है- व्याख्या, कार्य-कारण संबंध, व्यवस्था और निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति| हॉब्स इन्हीं आधारो पर अपने राजदर्शन का निर्माण करता है| जैसे- वह सर्वप्रथम मानव स्वभाव व चरित्र का अध्ययन करता है उसके बाद प्राकृतिक अवस्था और अंत में समझौते द्वारा राज्य का निर्माण करता है| इस प्रकार क्रमागत आधार पर राज्य का निर्माण करता है|


    • भौतिकवाद- इस शब्द का अर्थ है- धार्मिक अंधविश्वासों, नैतिकता और ईश्वर में विश्वास के बजाय वास्तविक वस्तु का अध्ययन करना| हॉब्स अपने दर्शन में व्यक्ति को वातावरण से अधिक महत्व देता है| तथा मनोवैज्ञानिक कारण के आधार पर समझौते द्वारा शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना करता है| हॉब्स व्यक्ति को अधिक महत्व देता है अतः वह भौतिकवादी है|


    • हॉब्स का महत्व दर्शन को एक वैज्ञानिक रूप प्रदान करने में है| उसने अपने राजदर्शन में निरंकुशतावाद व धर्मनिरपेक्षतावाद के लिए वैज्ञानिक आधार तैयार किया|

    • हॉब्स भौतिक विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली पद्धतियों का प्रयोग राजनीतिक दर्शन व चिंतन में करके राजनीति दर्शन को वैज्ञानिक भौतिकवाद का रूप प्रदान करते हैं|

    • वैज्ञानिक मानववाद का हॉब्स पर प्रभाव पड़ा| हॉब्स के अनुसार भौतिक नियमों की तरह मानवीय व्यवहार के बारे में भी नियम बनाए जा सकते हैं|

    • हॉब्स पर डेकार्टे का बहुत प्रभाव पड़ा, जो वैज्ञानिक पद्धति का प्रणेता माना जाता है| हॉब्स का मत था कि भौतिक विज्ञानों की भांति सामाजिक विज्ञानों की भी एक निश्चित पद्धति होनी चाहिए|

    • हॉब्स ने संपूर्ण दर्शन को भौतिकवाद कहा है| गैलीलियो की तरह हॉब्स ने अपने दर्शन का केंद्र बिंदु ‘गति’ को बनाया| हॉब्स के अनुसार संसार की सभी घटनाएं गतियों के द्वारा ही होती हैं, अतः प्राकृतिक  प्रक्रियाओं को समझना है तो इन मूल गतियो को समझना पड़ेगा|

    • हॉब्स के दर्शन का उद्देश्य मनोविज्ञान तथा राजनीति को विशुद्ध प्राकृतिक विज्ञान की तरह बनाना था| भौतिक शास्त्र के आधार पर हॉब्स ने मनोविज्ञान की रचना की ओर मनोविज्ञान के आधार पर राजनीति शास्त्र की रचना की|

    • इसलिए विलियम जेम्स ने हॉब्स को ‘समुदायवादी मनोविज्ञान’ का प्रणेता कहा है|

    • लियो स्ट्रास ने हॉब्स को वैज्ञानिक राजनीति का पिता कहा है|

    • हॉब्स की संपूर्ण प्रणाली (संसार के तीनों भाग- प्रकृति, पदार्थ और मनुष्य तथा राज्य) की व्याख्या भौतिक सिद्धांतों के आधार पर हुई है| 

    • हॉब्स के अनुसार “संसार में पदार्थ के अतिरिक्त कुछ भी सत्य नहीं है|” हॉब्स के लिए अध्यात्मिक सत्ता एक काल्पनिक वस्तुमात्र है|

    • सेबाइन “थॉमस हॉब्स पूर्णत: भौतिकवादी था और उसके लिए आध्यात्मिक सत्ता केवल काल्पनिक वस्तु मात्र थी|”

    • मानव स्वभाव का विश्लेषण भी हॉब्स भौतिकवाद के आधार पर करता है|

    • इस प्रकार हॉब्स के दर्शन में वैज्ञानिक भौतिकवाद का केंद्रीय स्थान है| हॉब्स को उदारवाद का दार्शनिक और बेंथम तथा मिल का पूर्वज कहा जाता है|


    • हॉब्स की वैज्ञानिक भौतिकवाद पद्धति की आलोचना करते हुए लियो स्ट्रास ने लिखा है कि “गैलीलियो का अनुसरण कर हॉब्स ने भौतिक विज्ञान की पद्धति को राजनीति विज्ञान में लागू तो करना चाहा, परंतु ऐसा करने में वह सफल ना हो सका, क्योंकि भौतिक शास्त्र का विषय प्राकृतिक पदार्थ है, जबकि राजनीति शास्त्र का विषय कृत्रिम पदार्थ है|”



    हॉब्स के चिंतन पर प्रभाव-

    • हॉब्स के राजनीतिक दर्शन पर उसके युग की परिस्थितियों के निम्न प्रभाव पड़े है-


    1. भौतिक एवं समाज विज्ञानों का प्रभाव- 

    • गैलिलियो के गति सिद्धांत तथा हार्वे की हृदय संबंधी धारणा का प्रभाव हॉब्स के राजनीतिक दर्शन में दिखता है|

    • ग्रेशियश की प्राकृतिक विधि की धारणा और रिचर्ड हुकर की प्राकृतिक अवस्था व समझौते द्वारा राज्य की स्थापना के विचार का प्रभाव हॉब्स के चिंतन पर दिखता है|

    • हॉब्स को ‘राजनीति का गैलीलियो’ कहा जाता है|

     

    1. ज्यामिति व यांत्रिकी का प्रभाव- 

    • सेबाइन के अनुसार “हॉब्स के दर्शन का मूल आधार ज्यामिति तथा यांत्रिकी है|”

    • यूक्लिड की ज्यामिति के अध्ययन से थॉमस हॉब्स ने अनुभव किया कि ज्यामितीय तर्क शैली के आधार पर किसी भी विषय की व्याख्या के लिए उपयुक्त सिद्धांत का पता लगाया जा सकता है| जैसे मानवीय तर्क बुद्धि का प्रयोग करके ‘कॉमनवेल्थ’ या ‘राज्य’ नाम के जिस कृत्रिम पिंड का निर्माण किया जाता है, उसके संदर्भ में निश्चित सिद्धांत स्थापित किए जा सकते हैं|

    • हॉब्स ने ‘नागरिक दर्शन’ की तुलना ज्यामिति से की है|

    • हॉब्स ने अपने आप को ‘राजनीति विज्ञान’ का प्रवर्तक घोषित किया है|


    1. इंग्लैंड के गृह युद्ध का प्रभाव-

    • हॉब्स इंग्लैंड के गृह युद्ध से प्रभावित था| गृह युद्ध से प्रभावित होकर उसने पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न राजतंत्र का समर्थन किया| इसी से प्रभावित होकर भय और स्वार्थ को मानव स्वभाव का मूल तत्व माना|


    1. यात्राएं और संपर्क- 

    • थॉमस हॉब्स को यूरोपीय यात्राओं तथा विभिन्न संपर्को ने बहुत अधिक प्रभावित किया|

    • सर्वप्रथम 1610 में अपने शिष्य केवेंडिश के साथ फ्रांस और इटली की यात्रा की|

    • 1628 में क्लिंटन के पुत्र के साथ यूरोप महाद्वीप की पुन: यात्रा की|

    • 1634 से 1637 तक तीसरी बार यूरोप की यात्रा की तथा इटली में गैलीलियो से भेंट और पेरिस में फ्रेंच दार्शनिक देकार्ते के मित्रों से संपर्क हुआ|

    • इन यात्राओं से हॉब्स को अनुभूति हुई की प्रकृति में गति सर्वव्यापक है और समस्त भौतिक जगत एवं मानसिक प्रक्रिया गति मात्र है, फलस्वरुप हॉब्स विश्व को यंत्रवत समझने लगा, जिसमें समस्त घटनाएं परमाणुओं की गतिशीलता के ही रूप है|

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